Contents
- दज्जाल की हकीकत | दज्जाल कौन है, दज्जाल कहाँ है, और वह कब निकलेगा?
- दज्जाल कौन है ?
- दज्जाल का अर्थ
- दज्जाल की कहानी
- इब्ने सय्याद का किस्सा :
- इब्ने सय्याद का दज्जाल का पता बताना :
- दज्जाल सबसे बड़ा फितना
- खुरुजे दज्जाल से पहले होने वाले वाकिआत
- दज्जाल कैसा दिखता है ?
- जमीन पर दज्जाल की रफ्तार
- दज्जाल के फ़ितने
- फितना ए दज्जाल से बचने के तरीके
- 1. दज्जाल से दूर रहे –
- 2. अल्लाह से मदद तलब करें –
- 3. अल्लाह के अस्मा व सिफात का इल्म हासिल करे –
- 4. सूरह कहफ़ के शुरु की दस आयतों की तिलावत करें –
- 5. हरमैन शरफैन में से किसी एक में पनाह ले –
- 6. लोगों को दज्जाल से आगाह करते रहे –
- 7. इल्मे दीन हासिल करें –
- 8. नमाज़ के आखिर में दज्जाल के फित्ने से अल्लाह की पनाह मांगे –
- दज्जाल को कौन मारेगा ?
- दज्जाल का इन्कार करने वाले
Dajjal ki Hakikat in Hindi
दज्जाल की हकीकत | दज्जाल कौन है, दज्जाल कहाँ है, और वह कब निकलेगा?
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान बहुत रहमवाला है।
सब तारीफें अल्लाह तआला के लिए हैं जो सारे जहान का पालनहार है। हम उसी से मदद व माफी चाहते हैं,
अल्लाह की ला’तादाद सलामती, रहमते व बरकतें नाज़िल हों मुहम्मद सल्ल. पर, आप की आल व औलाद और असहाब रजि. पर। व बअद –
दज्जाल का कैद से निकलना भी कयामत से पहले की दस बड़ी निशानियों में से एक है। यह अपने साथ बहुत बड़े फ़ित्ने व शुब्हात ले कर आएगा। इसीलिए आप सल्ल. ने इसके बारे में उम्मत को ख़बरदार किया और डराया और फरमाया “अल्लाह की कसम! कयामत उस वक़्त तक कायम नहीं होगी जब तक तीस झूठे न ज़ाहिर हो जाएं। उनमें सबसे आखिरी काना दज्जाल होगा।” (रावी-अहमद)
दज्जाल कौन है ?
दज्जाल औलादे आदम में से एक शख्स होगा। जिसे अल्लाह कूछ ऐसी ताकतें अता करेगा जो उसके सिवा किसी इन्सान को हासिल न हुई।
उसे मिली यह ताकतें लोगों की आज़माइश के लिए होंगी। वह यह दावा भी करेगा कि वही रब्बुल आलमीन है। उसकी बाई आख मिटी हुई होगी यानी वह काना होगा। कुछ अहले इल्म के नजदीक उसे ‘मसीह’ इसलिए कहा गया है वह सारी जमीन में घूमेगा व चलेगा फिरेगा।
दज्जाल का अर्थ
दज्जाल का अर्थ (मतलब) फरेब है, अहादीस के मुताबिक उसका काम दज्ल व फरेब करना, बहाने बनाना, हकाइक (हकीकत) को छिपाना और बड़े-बड़े झूठ बोलना होगा।
वह लोगों से उस पर ईमान लाने को कहेगा। इसीलिए नबी सल्ल. ने उसकी पहचान बताते हुए फरमाया “दज्जाल काना है और तुम्हारा रब काना नहीं है।” (वह हर ऐब से पाक है)” (बुखारी-7131)
दज्जाल की कहानी
इब्ने सय्याद का किस्सा :
आप (ﷺ) के ज़माने में मदीना में “इब्ने सय्याद” नाम का एक यहूदी लड़का था। आप सल्ल. को उसके दज्जाल होने के बारे में शक था।
इसीलिए एक दफा आप सल्ल. ने उससे फरमाया “क्या तु गवाही देता है कि मैं (मुहम्मद) अल्लाह का रसूल हूँ।” वह आप की तरफ देखकर बोला-मैं गवाही देता हूं कि आप उम्मीईन (अनपढ़ लोगों) की तरफ रसूल बना कर भेजे गए हैं।
फिर उसने कहा कि क्या आप (सल्ल.) गवाही देते हैं कि मैं अलाह का रसूल हूं। आप सल्ल. ने उसकी रिसालत का इन्कार किया और फ़रमाया “मैं अल्लाह पर और उसके रसूलों पर ईमान लाता हूं।”
फिर आपने इब्ने सय्याद से पूछा कि “तुझे क्या नजर आता है? उसने बताया कि मेरे पास सच्चा और झूठा आता है। तब आप सल्ल. ने उससे फरमाया – “मैने तेरे लिए दिल में एक चीज़ छिपा रखी है।”
इब्ने सय्याद ने दुखान कहने की भरपूर कोशिश की लेकिन यह लफ्ज़ अदा करने की उसे तौफीक न मिली। वह सिर्फ दुख-दुख ही कह सका।
आप सल्ल. ने फरमाया “फटकार है तुझपर! तू अपनी हैसियत से आगे न बढ़ सकेगा।”
हज़रत उमर रजि. ने अर्ज किया कि मुझे इजाजत दीजिए कि मैं इसकी गर्दन उड़ा दूं।”
आप सल्ल. ने फरमाया इसे छोड़ दो अगर यही दज्जाल है तो तुम इसे नहीं मार सकोगे और अगर यह दज्जाल नहीं है तो इसे कत्ल करने से कोई फायदा नहीं है। (मुस्लिम-7344, अहमद-11798)
इब्ने सय्याद का दज्जाल का पता बताना :
अबु सईद खुदरी रजि. का बयान हे कि “एक सफ़र में जब इब्ने सय्याद उनके साथ था उसने कहा अबु सईद लोग मेरे बारे में जो बाते करते हैं उस पर मेरा दिल चाहता है कि किसी पेड़ से रस्सी लटका कर खुद को फांसी दे लूं। हो सकता है कि (दज्जाल के बारे में) आप सल्ल. की हदीस का इल्म किसी और को न हो मगर तुम अन्सार से छिपी नहीं है।
क्या अल्लाह के रसूल ने यह नहीं फरमाया था कि दज्जाल बांझ होगा? उसके कोई औलाद न होगी जबकि मैं औलाद वाला हूं और मेरी औलाद मदीना में मौजूद है। दज्जाल मक्का व मदीना में दाखिल न हो सकेगा जबकि मैं मदीना से आ रहा हूं और मक्का जा रहा हूं।
अबू सईद रजि. कहते हैं कि मैं उसे माजुर मानने ही वाला था कि वह फिर बोला अल्लाह की कसम मैं अच्छी तरह जानता हूं कि दज्जाल कहां पैदा हुआ ? और इस वक्त वह कहां है ? (यानी दज्जाल पैदा हो चुका है) अबू सईद रजि. कहते हैं मैने कहा तुम्हारे लिए हलाकत व बर्बादी हो। (मुस्लिम 7350 अहमद 11945)
दज्जाल सबसे बड़ा फितना
अल्लाह के रसूल सल्ल. ने फरमाया:
1. आदम अलैहि. की पैदाइश से लेकर कयामत के दिन तक दज्जाल से बड़ी कोई मुसीबत नहीं। (मुस्लिम-7395)
2. दज्जाल के अलावा दूसरे फित्नों का तुम्हारे बारे में मुझे ज्यादा डर है। दज्जाल अगर मेरी जिन्दगी में निकल आया तो मैं दलील के ज़रिये मुकाबला करके तुम सब की तरफ़ से उस पर भारी पडूंगा और अगर वह मेरे बाद आया तो हर शख्स दलील के साथ उस पर गालिब आने की कोशिश करे। अल्लाह हर मुस्लिम की मदद करेगा। (मुस्लिम-7373, इब्ने माजा-4077)
3. मैं तुमको उससे डरा रहा हूँ। हर नबी ने अपनी कौम को उससे डराया है लेकिन मैं तुम्हें एक ऐसी बात बताता हूं जो किसी नबी ने अपनी कौम को नहीं बतलाई। वह यह कि दज्जाल एक आंख से काना होगा और अल्लाह तआला ऐसा नहीं है। (बुखारी-7127, इब्ने माजा-4077)
खुरुजे दज्जाल से पहले होने वाले वाकिआत
1. बैतुल मक़दिस के आबाद होने से मदीना की बर्बादी शुरु हो जाएगी।
मदीना बर्बाद हुआ हुआ तो कुस्तुनतुनया फ़त्ह हो जाएगा और इसके फ़त्ह होने के बाद जल्दी ही दज्जाल निकल आएगा। (अबु दाऊद-4294)
2. तुम ईसाईयों के साथ सुलह कर लोगे। फिर एक जंग के बाद रूमी तुम से गददारी करेगें मगर तुम्हे जीत हासिल होगी। मालेगनीमत मिलेगा और तुम नुकसान से बचे रहोगे। (अबु दाऊद 4292)
3. खुरुजे दज्जाल से पहले के तीन साल बहुत सख्ती भरे होंगे।
पहले साल 1/3 बारिश व 1/3 पैदावार कम होगी। दूसरे साल 2/3 बारिश व 2/3 पैदावार कम होगी और तीसरे साल न कोई बारिश होगी और न कोई चीज़ ज़मीन से पैदा होगी। उस वक्त “ला इलाहा इल्लललाह, अल्लाहु अकबर और अल्हम्दुलिल्लाह” का जिक्र लोगों की खुराक का काम करेगा।” (इब्ने माजा-4077)
4. दज्जाल उस वक्त तक नहीं निकलेगा जब तक कि लोग उसके ज़िक्र से गाफिल न हो जाएं। यहा तक कि खतीब मिम्बर से उसका जिक्र करना तक छोड़ देगें। (अहमद-16788)
5. अरबों की तादाद काफी कम हो जाएगी। लोग दज्जाल के डर से पहाड़ों में जा छिपेगें। (मुस्लिम-7393)
6. “खुशहाली का फ़ित्ना” एक ऐसे शख्स के ज़रिये उठेगा जो खुद को मेरे अहले बैअत से बताएगा हालांकि उसका मुझसे कोई तअल्लुक न होगा। फिर लोग एक ऐसे शख्स को अपना हाकिम बना लेगें जो इस लायक बिल्कुल न होगा। इसके बाद फित्नों का दौर शुरु हो जाएगा। आदमी सुबह को मोमिन होगा और शाम को काफिर हो जाएगा। ऐसे में जल्दी ही दज्जाल ज़ाहिर हो जाएगा।” (अबु दाऊद 4242)
7. “खुरुजे दज्जाल के वक्त मदीना बेहतरीन ज़मीन होगी। उसके हर सुराख पर फ़रिश्ता तैनात होगा जो दज्जाल को मदीना में दाखिल होने से रोकेगा। ऐसे वक्त मदीना में तीन ज़लज़ले आएगें और कोई मुनाफिक ख्वाह मर्द हो या औरत ऐसा न होगा जो मदीना से निकल कर दज्जाल से जा न मिले। इनमें से ज्यादातर औरतें होगी। यह वह दिन होगा जब मदीना अपने मैल कुचैल को इस तरह निकाल देगा जैसे लुहार की भट्टी लोहे के मैल कुचैल को दूर कर देती है।
दज्जाल के साथ 70 हजार यहूदी होगें। जिनमें से हर एक ने हरे रंग की रेशमी चादर, ताज व जैवरात से सजी तलवार पहन रखी होगी।” (अहमद 14158)
दज्जाल कैसा दिखता है ?
वह छोटे कद, मज़बूत जिस्म और बड़े सर वाला होगा। उसकी दोनों आंखें ऐबदार होंगी। दाई आंख अंगूर की तरह फूली हुई होगी और बांई आंख पर चमड़ा आया हुआ होगा। बाल घने व घुघराले होगें। सफेद रंगत वाला होगा और उसकी दोनों आंखों के बीच ‘काफिर’ लिखा होगा।
तमीमदारी रजि. की ‘दज्जाल व जस्सासा’ वाली हदीस के मुताबिक वह एक समन्दरी जजीरे में कैद है। आप सल्ल. के जमाने में मौजूद था। तमीमदारी रजि. व उनके साथियों ने उसे जज़ीरों में जकड़ा हुआ देखा था। कयामत से पहले जब अल्लाह चाहेगा शदीद गुस्सा करने की वजह से उसकी जंजीरे टूट जाएगी और वह कैद से निकल जाएगा।” (मुस्लिम-7386, इब्ने माजा-4077)
जमीन पर दज्जाल की रफ्तार
उसकी रफ्तार उस बारिश की तरह होगी जिसके पीछे हवा हो। मतलब यह कि वह बहुत तेजी से ज़मीन के हर हिस्से में पहुंच जाएगा।
वह ज़मीन में 40 रोज़ तक फिरेगा। उनमें का एक दिन एक साल की तरह, एक दिन एक महीने के बराबर और एक दिन एक हफ्ते के बराबर होगा। बाकी के दिन आम दिनों की तरह होगें, गधे पर सवार होगा।
उसके दोनों कानों के बीच 40 हाथ का फासला होगा, लोगों से कहेगा कि मैं तुम्हारा रब हूं हालाकिं वह एक आंख से काना होगा और तुम्हारा रब ऐसा नहीं है। उसकी दोनों आंखों के बीच काफ़िर लिखा होगा जिसे हर मोमिन पढ़ लेगा। चाहे वह पढ़ा लिखा हो या अनपढ़। (अहमद-14158, मुस्लिम-7365, अबु दाऊद-4318)
“वह मशरिक की तरफ से आएगा। उसका इरादा मदीना में दाखिल होने का होगा। मगर उहद पहाड़ के पीछे फ़रिश्ते उसे रोक कर उसका रुख शाम (सीरिया) की तरफ फैर देगें।” (मुस्लिम 3351)
दज्जाल के फ़ितने
1. उसके साथ जन्नत व जहन्नम होगी। उसकी आग असल में जन्नत होगी और उसकी जन्नत हकीकत में जहन्नम होगी।”
2. उसके साथ पानी और आग होगी। उसकी आग असल में ठण्डा पानी होगी और उसका पानी हकीकत में आग होगी। तुममे से जो कोई दज्जाल को पाए तो उसे चाहिए कि उसकी आग में कूद जाए क्योंकि वह ठण्डा मीठा पानी होगा।” (बुखारी-7130, मुस्लिम-7370)
3. “वह एक कौम के पास आएगा तो वह कौम उस पर ईमान ले आएगी। वह आसमान को हुक्म देगा तो वह बारिश बरसाना शुरु कर देगा। जमीन को हुक्म देगा तो वह पैदावार देना शुरु कर देगी। भेड़ बकरियां जब चर कर लौटेंगी तो उनके थन दूध से लबरेज होगें।
फिर जब वह एक दूसरी कौम के पास जाएगा तो वह उस पर ईमान नहीं लाएगी। सुबह जब वह कौम अपने खेतों को देखेगी तो फसलें बर्बाद हो चुकी होंगी और जमीन बन्जर। वह उस बन्जर जमीन को हक्म देगा तो ज़मीन से खजाने निकल कर शहद की मक्खियों की तरह होकर उसके पीछे-पीछे चलेगें। (मुस्लिम 7373)
4. “दज्जाल जब एक देहाती से कहेगा कि अगर मैं तुम्हारे मर चुके मां-बाप को ज़िन्दा कर दूं तो क्या तुम मुझे अपना रब मान लोगे ? वह हामी भर लेगा तो दौ शैतान उसके मां-बाप की शक्ल में उसके सामने आ जाएगें और कहेगें कि बेटा! इसका कहा मानो, यही तुम्हारा रब है।” (इब्ने माजा-4077, सही अल जामेअ-7885)
“वह एक जवान को तलवार मार कर उसके दो टुकडे कर देगा। फिर कहेगा कि मैं इसे ज़िन्दा कर दूंगा मगर यह मुझे अपना रब नहीं मानेगा। वह मुर्दा उसके कहने पर उठ खड़ा होगा। यह जवान से पूछेगा कि मेरा रब कौन है तो वह कहेगा कि मेरा रब अल्लाह है और तू अल्लाह का दुश्मन दज्जाल है।” (इब्ने माजा-4077)
अब सवाल यह है कि जिन लोगों की जिन्दगी में वह जाहिर हो, वो उसके फ़ितने से बचने के लिए क्या करें?
फितना ए दज्जाल से बचने के तरीके
1. दज्जाल से दूर रहे –
“जो कोई दज्जाल के बारे में सुने तो वह उससे दूर रहे।” (मुस्लिम 7395)
“दज्जाल से भाग कर पहाड़ो में छुप जाएं।” (मुस्लिम 7395)
2. अल्लाह से मदद तलब करें –
“जो शख्स उसकी आग के फिरने में फंस जाए वह अल्लाह से मदद चाहे। (इब्ने माजा-4077)
3. अल्लाह के अस्मा व सिफात का इल्म हासिल करे –
“दज्जाल एक आंख से काना है और अल्लाह तआला हरगिज़ ऐसा नहीं है।” (बुखारी-7131)
4. सूरह कहफ़ के शुरु की दस आयतों की तिलावत करें –
“जो कोई सूरह कहा की इब्तेदाई दस आयात याद कर लेगा वह दज्जाल के फ़ितने से महफूज रहेगा।” (मुस्लिम 1883)
5. हरमैन शरफैन में से किसी एक में पनाह ले –
इसलिए कि “दज्जाल मक्का व मदीना में दाखिल नहीं हो सकेगा।” (अहमद 11945 सही)
6. लोगों को दज्जाल से आगाह करते रहे –
“दज्जाल उस वक्त तक नहीं निकलेगा जब तक कि लोग उसके ज़िक्र से गाफिल न हो जाएं।” (अहमद 16788)
7. इल्मे दीन हासिल करें –
“जिसने दज्जाल से कहा कि हमारा रब अल्लाह है हम उसी पर भरोसा करते हैं और उसी की तरफ हम लौट कर जाएगें और तुझसे बचने के लिए हम अल्लाह ही की पनाह चाहते हैं तो ऐसे शख्स पर दज्जाल का कोई असर नही चलेगा।” (अहमद हसन)
8. नमाज़ के आखिर में दज्जाल के फित्ने से अल्लाह की पनाह मांगे –
आखिरी तश्हूद में सलाम फैरने से पहले यह दुआ करें- “अल्लाहुम्मा इन्नी आऊजुबिका मिन अज़ाबिल कब्रि व मिन अज़ाबिल जहन्नमा व मिन फित्नति महयाया व ममाति व मिन फित्नति मसीहि दज्जाल“
यानि ऐ अल्लाह ! मैं तुझसे कब्र व जहन्नम के अजाब से, जिन्दगी व मौत के फित्ने से और मसीह दज्जाल के फ़ित्ने से पनाह मांगता हूं। (मुस्लिम-1324, नाई-1309, इब्ने माजा-909, अबु दाऊद-983, बुखारी-1377, अहमद-7236)
दज्जाल को कौन मारेगा ?
दज्जाल जब ईसा अलैहि. को देखेगा तो इस तरह पिघलने लगेगा जैसे पानी में नमक। वह भागेगा मगर ईसा अलैहि. उसे बाब लुद्द (जो फिलीस्तीन में है) के करीब जा पकड़ेगें और नेजा मार कर उसे मौत के घाट उतार देगें।
फिर ईसा अलैहि. दज्जाल का नेजे पर लगा हुआ खून लोगों को दिखाएगें। (मुस्लिम 7279 इब्ने माजा 4077)
दज्जाल का इन्कार करने वाले
माजी करीब में कुछ उलैमा ऐसे भी गुजरे हैं जिन्होंने दज्जाल का इन्कार किया और इस मसअले में खता कर गए। जैसे –
1. शैख़ मुहम्मद अब्दह की नज़र में दज्जाल की कोई हकीकत नहीं, यह सिर्फ खुराफात है।
2. मुहम्मद फहीम – इनकी नज़र में दज्जाल से मुराद शर व फ़साद का फैलाव है।
3. किसी ने कहा दज्जाल ज़ाहिर तो होगा मगर उसके साथ फित्ने और जन्नत जहन्नम नहीं होगें।
4. तो किसी की नज़र में दज्जाल वगैरह तो अफ़साने हैं।
इनमें से अक्सर का कहना है कि दज्जाल का जिक्र कुरआन में नहीं है। हालांकि इर्शादे बारी है “जिस रोज तुम्हारे रब की कुछ निशानियां आ जाएंगी तो जो शख्स पहले से ईमान वाला न होगा। उस वक्त उसका ईमान लाना कुछ फायदा न देगा।” (अनआम आयत 158) में दज्जाल का जिक्र है।
जिसकी वजाहत इस हदीस से होती है। जब तीन चीजें ज़ाहिर हो जाएगी तो किसी ऐसे शख्स का ईमान लाना उसे फायदा न देगा जो पहले से मोमिन नहीं होगा। 1. खुरुजे दज्जाल, 2. खरुजे दाब्बा (जमीन से एक बड़े जानवर का निकलना।) और 3. सूरज का मगरिब से तुलूअ होना।“ (मुस्लिम 398, तिर्मिजी 3072)
आखिर में यह जान लें कि “शिर्के खफ़ी दज्जाल से ज्यादा खतरनाक है।” (अहमद) साथ ही “गुमराह पेशवा” (उलैमा) दज्जाल के फ़ित्ने से ज्यादा खोफ़नाक है। (अहमद, सिलसिला अहादीस सहीहा-1989)
हज़रत उमर रजि. ने फरमाया था “खबरदार” तुम्हारे बाद कुछ ऐसे लोग आने वाले हैं जो रजम (संगसार) दज्जाल, शफाअत और अज़ाबे कब्र का इनकर करेगें। वह इस बात का भी इन्कार करेगें कि अल्लाह एक कौम को जहन्नम से निकाल कर जन्नत में दाखिल करेगा। हालांकि वोह जलकर कोयला हो चुके होगें। (अहमद)
फित्नों वाली अहादीस को जानकर हम ना उम्मीद न हों बल्कि अपने ईमान में पुख्तगी लाएं और साबित कदम रहें।
अल्लाह से दुआ है कि वह हमें फ़ित्ना ए दज्जाल से महफूज रखे, हमारी ख़ताओं से दरगुज़र फरमाए और हमें अपने दीन की सीधी राह पर चलाए। आमीन।
आपका दीनी भाई
✒️ मुहम्मद सईद
09214836639
09887239649