अपनी जानों पर ज़ुल्म न करो:
अल्लाह ताला ज़ुल्म से बचने के बारे में इरशाद फरमाता है:
और अपने आप को क़त्ल न करो। और जो शख्स जोरो ज़ुल्म से नाहक़ ऐसा करेगा (ख़ुदकुशी करेगा) तो (याद रहे कि) हम बहुत जल्द उसको जहन्नुम की आग में झोंक देंगे यह ख़ुदा के लिये आसान है।
सूरह निसा 4:29-30
और अल्लाह की राह में ख़र्च करो और अपने हाथ जान हलाकत मे न डालो और नेकी करो बेशक अल्लाह नेकी करने वालों को दोस्त रखता है।
सूरह बकराह 2:195
अल्लाह ने ज़ुल्म को हराम कर दिया:
(ऐ रसूल) तुम साफ कह दो कि हमारे परवरदिगार ने तो तमाम बदकारियों को ख्वाह (चाहे) ज़ाहिरी हो या बातिनी और गुनाह और नाहक़ ज्यादती करने को हराम किया है।
सूरह अल-अराफ 7:33
रसूलुल्लाह (ﷺ) हदीसे कुदसी बयान करते हुए फर्माते हैं के अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ मेरे बन्दो! मैंने अपने ऊपर जुल्म को हराम कर दिया है और उस को तुम्हारे दर्मियान भी हराम कर दिया है, लिहाजा तुम एक दूसरे पर जुल्म मत किया करो।”
तौबा करने वालो को अल्लाह मुआफ करता है:
(आदम और हव्वा) दोनों अर्ज क़रने लगे, ऐ हमारे पालने वाले हमने अपने ऊपर ज़ुल्म किया है, और अगर तू हमें माफ न फरमाएगा और हम पर रहम न करेगा तो हम बिल्कुल घाटे में ही रहेगें।
सूरह अल-अराफ 7:23
अल्लाह हर ज़ुल्म से पाक है:
अल्लाह तो हरगिज़ बंदो पर कुछ भी ज़ुल्म नहीं करता, मगर लोग खुद अपने ऊपर ज़ुल्म किया करते हैं।
सूरह यूनुस 10:44
शिर्क भी एक ज़ुल्म है:
“लुकमान (अ.स.) ने अपने बेटे को हिदायत करते हुए कहा के बेटा अल्लाह के साथ किसी को शरीक ना करना, शिर्क तो बड़ा ज़ुल्म अज़ीम है।”
सूरह लुकमान 31:13
शिर्क के ज़ुल्म से जो बच गया उसके लिए अमन है:
जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अपने ईमान को ज़ुल्म (शिर्क) से आलूदा नहीं किया उन्हीं लोगों के लिए अमन (व इतमिनान) है और यही लोग हिदायत याफ़ता हैं।
सूरह अल-अनआम 6:82
अल्लाह की रहमत से मायूस न हो:
ऐ नबी कह दो! के ऐ मेरे बंदो जिन्होनें अपनी जानो पर ज़ुल्म (ज़ायदती) की है, अल्लाह की रहमत से मायूस न हो जाओ, यकीनन अल्लाह सारे गुनाह माफ़ कर देता है, वो तो गफूर अर-रहीम है।
सूरह अज़-ज़ुमर 39:53
अल्लाह मुआफ करने पर क़ादिर है:
और (रसूल) जब उन (नाफरमान) लोगों ने (नाफ़रमानी करके) अपनी जानों पर जुल्म किया था, अगर तुम्हारे पास चले आते और अल्लाह से माफ़ी मॉगते और रसूल (तुम) भी उनकी मग़फ़िरत चाहते तो बेशक वह लोग अल्लाह को बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान पाते।
सूरह निसा 4:64
सुभान अल्लाह !
۞ अल्लाह ताला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफ़ीक़ अता फरमाए।
۞ हमे हर तरह के ज़ुल्म बचाये।
۞ जबतक हमे ज़िंदा रखे इस्लाम और इमां पर जिन्दा रखे।
۞ खात्मा हमारा ईमान पर हो।
वा आखीरु दा-वाना अल्हम्दुलिल्लाही रब्बिल आलमीन। अमीन।