शिर्क और कत्ल करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "अल्लाह तआला हर गुनाह को माफ कर सकता है, मगर उस आदमी को माफ नहीं करेगा, जो शिर्क की हालत में मर जाए, दूसरा वह आदमी जो किसी (बेगुनाह) मुसलमान भाई को जानबूझ कर क़त्ल कर दे।" 📕 अबू दाऊद: ४२७०
गुस्सा ना किया करो : हदीस गुस्सा ना किया करो : हदीस अबू हुरैरा (रज़ि) से वर्णित है के : एक आदमी ने पैगंबर (ﷺ) से कहा, "मुझे सलाह दीजिये!" पैगंबर (ﷺ) ने कहा, "गुस्सा करने से बचो और उग्र मत बनो।" आदमी ने (वही) बार-बार पूछा, और पैगंबर (ﷺ) ने प्रत्येक मामले में कहा, "क्रोध…
कत्ल और आतंकवाद को इस्लाम का समर्थन नहीं वो लोग जो अपने क़त्लो-गारत और दहशतगर्दी के कामों को इस्लाम के आदेशानुसार बतलातें हैं वो कुरान और पैगम्बर (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) की तालीमों का अपमान करतें है। क्योंकि कुरान वो ग्रंथ है जिसने एक कत्ल के अपराध को पूरी इंसानियत के कत्ल करने के अपराध के बराबर रखा और कहा:…
दीनदार औरत से निकाह करो हुस्न, खानदान और मालदारी की वजह से निकाह न करो एक और रिवायत में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तुम औरतों से (सिर्फ) उन के हुस्न व जमाल की वजह से शादी न करो क्योकि हुस्न व जमाल खत्म होने वाला है और न उनकी मालदारी की वजह से शादी…
नज़र का फ़ित्ना - अपनी नज़रे नीची रखे और अपनी… नज़र एक ऐसा फ़ित्ना हैं जिस पर कोई रोक नही जब तक कोई इन्सान खुद अपनी नज़र को बुराई से न फ़ेर ले। अमूमन नज़र के फ़ित्ने से आज का इन्सान महफ़ूज़ नही क्योकि टीवी, अखबार, मिडिया के ज़रीये जिस तरह इन्सान के जज़्बात को जिस तरह भड़काने का मौका…
गुनाह और जुल्म व ज्यादती की बातें न करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “ऐ ईमान वालो! जब तुम आपस में खुफिया बातें करो, तो गुनाह और जुल्म व ज्यादती और रसुल की नाफ़रमानी की बातें न किया करो, बलके भलाई और परहेजगारी की बातें किया करो और अल्लाह से डरते रहो, जिसके पास तुम सब जमा…
हर मामले में इंसाफ करो कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : " ऐ ईमान वालो ! अल्लाह तआला के लिये सच्चाई पर कायम रहने वाले और इन्साफ के साथ शहादत (गवाही) देने वाले बन जाओ और किसी कौम की दुश्मनी तुम्हें इस बात पर आमादा न कर दे, के तुम इन्साफ न करो (बल्कि…
मोमिन को नाहक़ क़त्ल करने की सज़ा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "हर गुनाह के बारे में अल्लाह से उम्मीद है के वह माफ कर देगा, सिवाए उस आदमी के जो अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक करने की हालत में मरा हो या उस ने किसी मोमिन को जान बूझ कर क़त्ल किया हो।" 📕…
किसी की मुसीबत पर खुशी का इजहार मत करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तम अपने किसी भाई की मुसीबत पर खुशी का इजहार मत करो। (अगर एसा करोगे तो हो सकता है के) अल्लाह तआला उसको उस मुसीबत से नजात दे दे और तुम को उस मुसीबत में मुब्तला कर दे।" 📕 तिर्मिजी: २५०६