“मुसलमान आपस में एक दूसरे के भाई है (अगर उनके दरमियान लड़ाई हो जाए)तो अपने दो भाइयों के दर्मियान सुलह करा दिया करो,और अल्लाह से डरते रहा करो,ताके तुम पर रहम किया जाए।”
आपस में दुश्मनी रखने का गुनाह आपस में दुश्मनी रखने का गुनाह रसलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "हर पीर व जुमेरात को (अल्लाह की बारगाह में) आमाल पेश किए जाते है, अल्लाह तआला उन दिनों में हर ऐसे आदमी की मगफिरत फर्मा देता है जो अल्लाह के साथ किसी को शरीक नहीं करता मगर ( उन दो आदमियों की मगफिरत नहीं करता ) जिन के दर्मियान दुश्मनी हो। अल्लाह तआला फर्माता है जब तक यह दोनों सुलह व सफाई न कर लें उन को उसी हाल पर छोड़े रखो।" 📕 मुस्लिम: ६५४६
पडोसी का एहतराम किया करो ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो अल्लाह और आखिरत के दिन पर ईमान रखता हो उसे अपने पडोसी का इकराम करना चाहिये। सहाबा ने पुछा: या रसुलल्लाह (ﷺ) पड़ोसी का क्या हक़ है ? फरमाया : अगर वह तुम से कुछ माँगे तो उस को दे दिया करो।" 📕 तरगीब व तरहीब : ३६५७
सब के साथ हुस्ने सुलूक (अच्छा बर्ताव) करो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “तुम सब अल्लाह की इबादत करो, उस के साथ किसी को शरीक न करो, माँ बाप, रिश्तेदारों, यतीमों, मिस्कीनों, करीबी पड़ोसियों और दूर के पड़ोसियों, पास बैठने वालों, मुसाफिरों और जो लोग तुम्हारे मातहत हों, सब के साथ हुस्ने सुलूक (अच्छा बर्ताव) करो और अल्लाह तआला तकब्बुर (घमंड) करने वाले और शेखी (बढ़ाई) मारने वाले को बिलकुल पसंद नहीं करता।" 📕 सूरह निसा:३६
बीमार की नमाज़ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "नमाज़ खड़े होकर अदा करो: अगर ताक़त न हो तो बैठ कर अदा करो, और अगर उस पर भी कदरत नहो तो पहलू के बल लेट कर अदा करो।" 📕 बुखारी : १९१७ फायदा : अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने पर क़ादिर न हो तो रुकू व सज्दा के साथ बैठ कर पढ़े, अगर रुकू व सज्दे पर भी कादिर न हो, तो बैठ कर इशारे से पढ़े और अगर बैठ कर पढ़ने की ताकत न रखता हो तो लेट कर पढ़े।
अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ और अपने बीमारों का सदके से इलाज करो और अल्लाह तआला सामने आजिजी से इस्तकबाल करो।” 📕 तबरानी कबीर : १००४४
पड़ोसी को तकलीफ देने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जिसने अपने पड़ोसी को तकलीफ दी, उस ने मुझे तकलीफ दी और जिस ने मुझे तकलीफ दी उस ने अल्लाह को तकलीफ दी और जिसने अपने पड़ोसी से झगड़ा किया, उसने मुझ से झगड़ा किया और जिसने मुझ से झगड़ा किया तो उसने अल्लाह से झगड़ा किया।” 📕 तरगीब व तरहीब : ३६४५
अल्लाह तआला से जो वादा करो उस को पूरा किया करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "जब तुम बात किया करो, तो इन्साफ का ख्याल रखा करो, अगरचे वह शख्स तुम्हारा रिश्तेदार ही हो और अल्लाह तआला से जो अहद करो उस को पूरा किया करो, अल्लाह तआला ने तुम्हें इस का ताकीदी हुक्म दिया है। ताके तुम याद रखो (और अमल करो)। 📕 सूरह अन्आमः १५३
कुरआन को गौर से सुनना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: “जब कुरआन पढ़ा जाए, तो इसको पूरी तवज्जोह और गोर से सूना करो और खामोश रहा करो; ताकि तूम पर रहम किया जाए।” 📕 सूरह अराफः २०४
माँ बाप की नाफरमानी से बचो : क़ुरान हदीस की रौशनी में | Maa Baap ki Nafarmani se bachey ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ अपने माँ बाप को उफ्फ तक न कहो: "और तुम्हारे रब ने फ़रमाया है की, उसके सिवा किसी की ईबादत ना करो और अपने माँ बाप के साथ भलाई करते रहो और अगर तुम्हारे सामने उनमें से एक या दोनों बुढ़ापे को पहुँच जाये तो उन्हे उफ़ भी न कहो और ना उन्हें झिड़को और उनसे अदब से बात करो और उनके सामने शफ़कत से आजज़ी के साथ झुके रहो और कहो की एह मेरे रब! जैसे उन्होंने मुझे बचपन से पाला है इसी तरह तू भी उन पर रहम फरमा।" 📕 सुरह बनी इसराईल 17:23-24 बाप…
लोगों के लिये वही चीज पसंद करो जो तुम अपने लिये पसंद करते हो रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तक़वा व परहेजगारी इख्तियार करो, सब से बड़े इबादत गुजार बन जाओगे और थोड़ी चीज पर रजामन्द हो जाओ सब से बड़े शुक्रगुज़ार बन जाओगे और लोगों के लिये वही चीज पसंद करो जो तुम अपने लिये पसंद करते हो, तुम (सच्चे) मोमिन बन जाओगे और तुम अपने पड़ोसी के साथ हुस्ने सुलूक करो (पक्के) मुसलमान बन जाओगे और कम हँसा करो, क्योंकि ज्यादा हँसने से दिल मुर्दा हो जाता है।" 📕 इब्ने माजा : ४२१७
आपस में झगड़ा न करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: “तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो और आपस में झगड़ा न करो, वरना तुम बुजदिल हो जाओगे और दुश्मन के मुकाबले में तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी और (मुसीबत के वक्त) सब्र करो, बेशक अल्लाह तआला सब्र करने वालों के साथ है।” 📕 सूर-ए-अन्फाल : 46
फिजूलखर्ची मत किया करो कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है: "ऐ आदम की औलाद! तुम हर मस्जिद की हाज़री के वक्त अच्छा लिबास पहन लिया करो और खाओ पियो और फिजूलखर्ची मत किया करो, बेशक अल्लाह तआला फुजूल खर्ची करने वालों को पसन्द नहीं करता।" 📕 सूरह आराफ़: ३१
अपनी जानों पर जुल्म ना करो: कुरआन अपनी जानों पर ज़ुल्म न करो: अल्लाह ताला ज़ुल्म से बचने के बारे में इरशाद फरमाता है: और अपने आप को क़त्ल न करो। और जो शख्स जोरो ज़ुल्म से नाहक़ ऐसा करेगा (ख़ुदकुशी करेगा) तो (याद रहे कि) हम बहुत जल्द उसको जहन्नुम की आग में झोंक देंगे यह ख़ुदा के लिये आसान है। सूरह निसा 4:29-30 और अल्लाह की राह में ख़र्च करो और अपने हाथ जान हलाकत मे न डालो और नेकी करो बेशक अल्लाह नेकी करने वालों को दोस्त रखता है। सूरह बकराह 2:195 अल्लाह ने ज़ुल्म को हराम कर दिया: (ऐ रसूल) तुम साफ कह…
दो आदतें: दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देखे ... रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो शख्स दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देख कर उस की पैरवी करे और दुनियावी मामले में अपने से कमतर को देख कर अल्लाह तआला की अता करदा फजीलत पर उस की तारीफ करे, तो अल्लाह तआला उस को (इन दो आदतों की वजह से) सब्र करने वाला और शुक्र करने वाला लिख देता हैं। और जो शख्स दीनी मामले में अपने से कमतर को देखे और दूनीयावी मामले में अपने से ऊपर वाले को देख कर अफसोस करे, तो अल्लाह तआला उसको साबिर व शाकिर नहीं लिखता।" 📕 तिर्मिज़ी : २५१२
अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "यह ( कुरआन ) एक बाबरकत किताब है, जिस को हम ने आप पर इस लिये नाजिल किया है के लोग उस की आयतों में गौर व फिक्र करें और अक्लमंद लोग उस से नसीहत हासिल करे। 📕 सूरह साद : २९