सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो [कुरआन ३:१०३] सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “तुम सब मिल कर अल्लाह की रस्सी को मजबूत पकड़े रहो (यानी कुरआन करीम के बताए हए तरीके और रास्ते पर चलो) और आपस में नाइत्तेफाक्री मत करो (अगर तुम नाइत्तेफाक्री की वजह से आपस में बिखर गए तो दुश्मन के मुकाबले में तुम नाकाम हो जाआगे और तुम्हारी कुव्वत व ताकत खत्म हो जाएगी)।” 📕 सूरह आले इमरान: १०३
गुनाह और जुल्म व ज्यादती की बातें न करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “ऐ ईमान वालो! जब तुम आपस में खुफिया बातें करो, तो गुनाह और जुल्म व ज्यादती और रसुल की नाफ़रमानी की बातें न किया करो, बलके भलाई और परहेजगारी की बातें किया करो और अल्लाह से डरते रहो, जिसके पास तुम सब जमा किये जाओगे।" 📕 सूरह मुजादला : 58:9
अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "यह ( कुरआन ) एक बाबरकत किताब है, जिस को हम ने आप पर इस लिये नाजिल किया है के लोग उस की आयतों में गौर व फिक्र करें और अक्लमंद लोग उस से नसीहत हासिल करे। 📕 सूरह साद : २९
गुनाह देख कर खामोश ना रहो कुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है - "तुम ऐसे अज़ाब से बचो, जो सिर्फ गुनाह करने वालों ही पर नहीं आएगा, बल्कि गुनाह देख कर खामोश रहने वालों को भी अपनी पकड़ में लेगा खूब जान लो के अल्लाह सख्त सज़ा देने वाला है।" 📕 सूर-ए-अनफाल: २५
सच्चे लोगों के साथ रहो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: “ऐ ईमान वालो! अल्लाह तआला से डरते रहो और सच्चे लोगों के साथ रहो।” 📕 सूर-ए-तौबा: ११९
जन्नत में दाखिल करने वाले आमाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “अल्लाह तआला की इबादत करते रहो, खाना खिलाते रहो और सलाम फैलाते रहो, (इन आमाल की वजह से जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।” 📕 तिर्मिज़ी : १८५५, अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ)
सूरह इख्लास तिहाई कुरआन के बराबर है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “क्या तुम में से कोई यह नहीं कर सकता के एक रात में तिहाई कुरआन पढ़ ले ?” सहाब-ए-किराम ने अर्ज किया: भला कोई कैसे तिहाई कुरआन पढ़ लेगा? आपने फर्माया: – सूरह इखलास तिहाई कुरआन के बराबर है।” 📕 मुस्लिम: १८८६, अन अबी दरदा (र.अ)
बदन की हड्डी कुदरत की निशानी Highlights • हड्डियों की अद्भुत संरचना: करीब २४८ हड्डियाँ जिनकी संरचना अलग-अलग रूपों में है और ये शरीर के ढांचे को मजबूत करती हैं।• कुदरत की योजना: अल्लाह की कुदरत से हड्डियाँ न केवल शरीर को खड़ा रखने में मदद करती हैं, बल्कि हर हड्डी का अपना विशेष कार्य है।• अल्लाह की कारीगरी: इंसान के शरीर में इस तरह की विविधता और सही संरचना केवल अल्लाह की असीम कुदरत से ही संभव है। उस कादिरे मुतलक की कारीगरी को देखिये। उस ने एक कतरे से इंसानी जिस्म में क्या क्या कारीगरी की है। उस में अल्लाह तआला ने मुख्तलिफ किस्म…
सिला रहमी करना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "जो लोग अल्लाह के अहद को तोड़ते हैं, उस को मजबूत कर लेने के बाद और उन तअल्लुक़ात को तोड़ते हैं, जिन के जोड़ने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया है और जमीन में फसाद मचाते हैं, यही लोग नुकसान उठाने वाले हैं।" 📕 सूरह बकरा : २७ फायदा: रिश्ते, नाते और तअल्लुक़ात को बरकरार (सिला रहमी करना) रखना और उस को खत्म न करना बहुत जरूरी है।
अहले जन्नत का हाल कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "जो लोग अपने रब से डरते रहे, वह गिरोह के गिरोह हो कर जन्नत की तरफ रवाना किए जाएंगे, यहाँ तक के जब उस (जन्नत) के पास पहुंचेंगे और उस के दरवाजे (पहले से) खुले हुए होंगे और जन्नत के मुहाफ़िज़ (फरिश्ते) उन से कहेंगे, तुम पर सलामती हो, अच्छी तरह (मजे में) रहो, जाओ जन्नत में हमेशा हमेशा के लिये दाखिल हो जाओ।" 📕 सूरह जुमर : ७३
नमाज़ में खामोश रहना (एक फर्ज अमल) हज़रत जैद बिन अरकम (र.अ) फर्माते हैं : (शुरू इस्लाम में) हम में से बाज़ अपने बाज़ में खड़े शख्स से नमाज की हालत में बात कर लिया करता था, फिर यह आयत नाजिल हुई: तर्जमाः अल्लाह के लिये खामोशी के साथ खड़े रहो (यानी बातें न करो)। फिर हमें खामोश रहने का हुक्म दे दिया गया और बात करने से रोक दिया गया। 📕 तिर्मिज़ी : ४०५ फायदा: नमाज़ में बातचीत न करना और खामोश रहना जरूरी है।
अपनी जानों पर जुल्म ना करो: कुरआन अपनी जानों पर ज़ुल्म न करो: अल्लाह ताला ज़ुल्म से बचने के बारे में इरशाद फरमाता है: और अपने आप को क़त्ल न करो। और जो शख्स जोरो ज़ुल्म से नाहक़ ऐसा करेगा (ख़ुदकुशी करेगा) तो (याद रहे कि) हम बहुत जल्द उसको जहन्नुम की आग में झोंक देंगे यह ख़ुदा के लिये आसान है। सूरह निसा 4:29-30 और अल्लाह की राह में ख़र्च करो और अपने हाथ जान हलाकत मे न डालो और नेकी करो बेशक अल्लाह नेकी करने वालों को दोस्त रखता है। सूरह बकराह 2:195 अल्लाह ने ज़ुल्म को हराम कर दिया: (ऐ रसूल) तुम साफ कह…
दीनी भाई की जियारत की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जिस ने किसी मरीज़ की इयादत की, या किसी दीनी भाई की जियारत की, तो एक पुकारने वाला (फरिश्ता) कहता है। तुम (दुनिया में) अच्छे रहो, तुम्हारा (अच्छे कामों की तरफ) चलना मुबारक हो और तुम ने (अपने इस अमल के जरिये) जन्नत का बुलंद दर्जा हासिल कर लिया है।" 📕 तिर्मिज़ी: २००८
अहले जहन्नम पर दर्दनाक अजाब कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “बेशक जक्कूम का दरख्त बड़े मुजरिम का खाना होगा, जो तेल की तलछट जैसा होगा, वह पेट में तेज़ गर्म पानी की तरह खौलता होगा (कहा जाएगा) उस गुनहगार को पकड़ लो और घसीटते हुए दोजख के बीच में ले जाओ,फिर उसके सर पर तकलीफ देने वाला खौलता हुआ पानी डालो,(फिर कहा जाएगा) अज़ाब का मज़ा चख ! तू अपने आप को बड़ी इज्जत व शान वाला समझता था, यही वह अजाब है जिसके बारे में तुम शक किया करते थे।” 📕 सूरह दुखान : ४३ ता ५०
हज व उमरह एक साथ की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “हज और उमरह को एक साथ किया करो इस लिए के वह दोनों फक्र और गुनाहों को खत्म कर देते हैं, जैसा के भट्टी लोहे और सोने चांदी के मैल को खत्म कर देती है और हज्जे मबरूर (मक़बूल) का बदला तो सिर्फ जन्नत ही है।” 📕 तिर्मिज़ी: ८१०, अन इब्ने मसूद (र.अ)