“आप माता-पिता बड़े “वह” हैं. छोटी गलतियों पर मुझे मारते पीटते रहते हैं बुरा भला कहते हैं दूसरों का गुस्सा भी मुझ पर निकालते हैं.
– ऐसा करते हुए आप भूल जाते हैं कि आप भी कभी बच्चे थे.
– मेरी इच्छा है कि आप अपने आप में परिवर्तन पैदा करें अपने क्रोध और भावनात्मक तरीके पर नियंत्रण रखें.
– क्योंकि मुझे आपकी मदद, दोस्ती, प्यार और मार्गदर्शन की जरूरत है.
– आइए एक दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं ताकि हंसते मुस्कुराते और एक दूसरे को समझते हुए जिंदगी गुजा़री जा सके…”
– (आपका बेटा / बेटी)
1. जब कोई अच्छा काम करूँ तो मुझे शाबाश ज़रूर दें. इससे मेरी हिम्मत बढ़ती हैं और खुशी का अहसास होता है.
2. मुझमें ऐसी महारतें पैदा करें जो जिंदगी भर मेरे साथ रहें.
3. अपने वादे के पूरा करें क्योंकि जब आप किसी अच्छे काम पर मुझे पुरस्कार देने का वादा करते हैं, लेकिन नहीं देते तो मेरी नज़रों में आपका वह सम्मान नहीं रहता जो रहना चाहिए था।
4. जब कोई गलती हो जाए तो मेरे साथ प्लीज़ चींख चिल्ला कर बात न करें. आपको लाल पीला देख कर मैं अपने आप को भयभीत और बिखरा बिखरा सा महसूस करता / करती हूँ.
5. मेरी वर्तमान गलती के साथ पिछली गलतियों की सूची न दुहरायें बड़ों से भी गलतियां होती हैं. जबकि में तो अभी बच्चा हूँ.
6. मुझे निकम्मा, मूर्ख और गदहा कहकर न पुकारें. क्या आपके शब्दकोश में मेरे लिए अच्छे शब्द नहीं.
7. कभी कभी मेरे दोस्तों / सहेलियों को आयोजन के साथ खाने पर बुलाएँ हमारे इकट्ठे खाना खाने से मुझे प्रेम और भाईचारे का पाठ मिलता है.
8. यदि संभव हो तो कम से कम एक समय का खाना मेरे साथ जरूर खाएं.
9. मुझे अपने रिश्तेदारों के बारे में जानकारी दें और समय समय पर उनसे मुलाकात भी कराएं।
10. आप बड़े हैं और मैं छोटा. इसलिए मेरी गलतियों को क्षमा कर के अपने बड़ा होने का सबूत दें और अच्छी तरह से मेरी सुधार करें.