सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा
क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में


१. इस्लामी तारीख

उम्मुल मोमिनीन हजरत आयशा (र.अ)

Hazrat Ayesha Razi Allah Tala Anhu Biography in Hindi

उम्मुल मोमिनीन हजरत आयशा (र.अ)

उम्मुल मोमिनीन हजरत आयशा (र.अ) बिन्ते अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) इल्म व फज्ल, खैर व बरकत, अख्लाक व किरदार, जुर्रत व हिम्मत और हौसलामंदी में बेमिसाल थीं, हक बात किसी की परवाह किए बगैर, बे खौफ होकर कह दिया करती थीं।

इनकी पैदाइश नुबुव्वत के चौथे साल में मक्का मुकर्रमा में हुई, बचपन से ही बेहद जहीन और अक्लमंद थीं।

घर में खादिमा होने के बावजूद अपना काम खुद किया करती थीं। गरीबों की मदद, यतीमों की परवरिश, मेहमान नवाजी और राहे खुदा में बड़ी दर्या दिली से खर्च करती थीं, एक मर्तबा अमीर मुआविया ने उन की खिदमत में बतौरे हदिया एक लाख दिर्हम भेजा, तो शाम होने तक सब गरीबों में तकसीम कर दिया।

इस के साथ ही अल्लाह की इबादत, हुजूर (ﷺ) की सुन्नत की पैरवी और शरीयत के एक एक हुक्म पर बड़े एहतेमाम से अमल किया करती थीं, नमाज़े तहज्जुद व चाश्त की बहुत पाबंद थीं और अक्सर रोजे रखा करती थीं शरीअत के खिलाफ़ छोटी छोटी बातों से भी बचा करती थीं।

📕 इस्लामी तारीख


२. अल्लाह की कुदरत

मेअदे का निज़ाम ( Digestive System )

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Highlights

गौर करने योग्य सिस्टम: शरीर के अंदर पाचन प्रणाली (digestive system) का सटीक कार्य, जो गिज़ा को खून में बदलकर शरीर को पोषण पहुँचाता है।
कुदरत का अद्भुत कार्य: हर कदम पर अल्लाह की कुदरत और हिकमत को महसूस करना चाहिए, जो इस जटिल तंत्र को नियंत्रित कर रही है।
अल्लाह की कुदरत: यह सारा निज़ाम अल्लाह के क़दमों का किया हुआ काम है, जो पूरी तरह से बिना किसी बुराई के चलता है।

मेअदे का निज़ाम ( Digestive System )

हमें इन्सानी जिस्म के अन्दर जो निज़ाम चल रहा है उस पर गौर करना चाहिये,

इन्सान जब लुकमा मुंह में डालता है वह मेअदे में पहुँचता है,
मेअदा उस को पकाता है, फिर उस गिजा का जो अच्छा हिस्सा होता है,
उस को बारीक रगों के रास्ते से जिगर तक पहुँचाता है।

फिर जिगर उस को खून में तब्दील करता है,
उस खून को बारीक रगों के रास्ते से पूरे जिस्म में बक्रदे जरूरत सप्लाई करता है,

और मेअदे में जो फासिद माद्दा होता है वह पेशाब व पाखाने के रास्ते से बाहर निकल जाता है।

तो हमे गौर करना चाहिए के अंदर का यह सारा निजाम कौन चला रहा है,
बिला शुबा वही अल्लाह वदहू लाशरीक है।

📕 अल्लाह की कुदरत


३. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

दरख्त का नबी (ﷺ) की गवाही देना

हजरत इब्ने उमर (र.अ) फर्माते हैं के हम एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ सफर में थे के –

एक देहाती आप (ﷺ) की खिदमत में आया, तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया : तुम गवाही दो, इस बात की के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और उस का कोई शरीक नही और मुहम्मद उस के बन्दे और रसूल हैं, तो वह कहने लगा, तुम्हारी इस बात पर गवाह कौन है?

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: यह सलम का दरख्त, वह दरख्त मैदान के किनारे पर था, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस को बुलाया, तो वह जमीन को चीरता हुआ आप (ﷺ) के सामने खड़ा हो गया, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस से तीन मर्तबा गवाही चाही, तो उस ने तीन मर्तबा गवाही दी के आप सच्चे रसूल हैं, फिर वह अपनी जगह चला गया।

📕 सुनने दार्मी:१६,अन इब्ने उमर (र.अ)


४. एक फ़र्ज़ अमल के बारे में

जन्नत में दाखले के लिये ईमान शर्त है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस शख्स की मौत इस हाल में आए, के वह अल्लाह तआला पर और क़यामत के दिन पर ईमान रखता हो, तो उससे कहा जाएगा, के तूम जन्नत के आठों दरवाज़ों में से जिस से चाहो दाखिल हो जाओ।”

📕 मुसनदे अहमद : ९८


5. एक सुन्नत अमल के बारे में

मोहताजगी व जिल्लत से पनाह माँगना

रसूलुल्लाह (ﷺ)  ने फ़रमाया :
फक्र व मोहताजगी और जिल्लत से इस तरह पनाह माँगा करो :

हम अल्लाह की पनाह चाहते हैं, फक्र व फाका और जिल्लत से और इससे के हम किसी पर जुल्म करें, या हम पर कोई जुल्म करे।

📕 इब्ने माजा : ३८४२


6. एक अहेम अमल की फजीलत

बेवा और मिस्कीन की मदद करने की फजीलत

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“बेवा और मिस्कीन के कामों में जद्दो जहद करने वाला अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले के बराबर है।”

📕 बुखारी : ५३५३ अन अबी हुरैरह (र.अ)


7. एक गुनाह के बारे में

तिजारत में झूट बोलने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
ताजिर लोग बड़े गुनहगार होते हैं

लोगों ने कहा : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! क्या अल्लाह तआला ने तिजारत को हलाल नहीं किया?

आप (ﷺ) ने फ़रमाया :
“हाँ बेशक, लेकिन वह कसम खा कर गुनहगार होते हैं और बात करते हुए झूट बोलते हैं।”

📕 मुस्तदरक : २१४५


8. दुनिया के बारे में

दुनिया चाहने वालों का अन्जाम

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो कोई दुनिया ही चाहता है, तो हम उस को दुनिया में जितना चाहते हैं, जल्द देते हैं फिर हम उस के लिए दोजख मुकर्रर कर देते हैं, जिस में (ऐसे लोग कयामत के दिन) जिल्लत व रुसवाई के साथ ढकेल दिए जाएंगे।”

📕 सूर-ए-बनी इसराईलः १८ 


9. आख़िरत के बारे में

कयामत के दिन पूरा पूरा बदला दिया जाएगा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जब हम उन लोगों को उस दिन जमा करेंगे, जिस के आने में कोई शक नहीं और हर एक आदमी को उस के आमाल का पूरा पूरा बदला दिया जाएगा और उन पर कोई जुल्म नहीं किया जाएगा।”

📕 सूर:आले इमरान : २५


10. तिब्बे नबवी से इलाज

आबे जमजम के फवाइद

हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ.) कहते के
मैंने रसूलअल्लाह (ﷺ) को फरमाते हुए सुना:

“जमजम का पानी जिस निय्यत से पिया जाए, उस से वही फायदा हासिल होता है।”

📕  इब्ने माजाह ३०६२


11. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

गुनाह देख कर खामोश ना रहो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“तुम ऐसे अज़ाब से बचो, जो सिर्फ गुनाह करने वालों ही पर नहीं आएगा, बल्कि गुनाह देख कर खामोश रहने वालों को भी अपनी पकड़ में लेगा खूब जान लो के अल्लाह सख्त सज़ा देने वाला है।”

📕 सूर-ए-अनफाल: २५