सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा
क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में


१. इस्लामी तारीख

काबील और हाबील

काबील और हाबील

काबील और हाबील हज़रत आदम के दो बेटे थे। दोनों के दर्मियान एक बात को लेकर झगड़ा हो गया। काबील ने हाबील को क़त्ल कर डाला, ज़मीन पर यह पहली मौत थी और इस बारे में अभी तक आदम की शरीअत में कोई हुक्म नहीं मिला था। इस लिये काबील परेशान था के भाई की लाश को क्या किया जाए। अल्लाह तआला ने एक कव्वे के जरिये उस को दफन करने का तरीका सिखाया। यह देख कर काबील कहने लगा : “हाए अफसोस! क्या मैं ऐसा गया गुज़रा हो गया के इस कव्वे जैसा भी न बन सका।”

जानिए : काबिल ने हाबिल को क्यों मारा ?

फिर उसने अपने भाई को दफन कर दिया। यहीं से दफन करने का तरीक़ा चला आ रहा है।

हुजूर (ﷺ) ने काबील के मुतअल्लिक फर्माया :
“दुनिया में जब भी कोई शख्स जुल्मन कत्ल किया जाता है तो उस का गुनाह हज़रत आदम के बेटे (काबील) को जरूर मिलता है, इस लिये के वह पहेला शख्स है जिसने जालिमाना क़त्ल की इब्तेदा की और यह नापाक तरीका जारी किया” [मस्नदे अहमद: ३६२३]

इसी लिये इन्सान को अपनी ज़िन्दगी में किसी गुनाह की इजाद नही करनी चाहिये ताके बाद में उस गुनाह के करने वालों का वबाल उसके सर न आए।

तफ्सीली जानकारी के लिए पढ़े :
हज़रत आदम अलैहि सलाम ~ क़सस उल अंबिया

📕 इस्लामी तारीख


२. अल्लाह की कुदरत

ऊंटों के मुतअल्लिक़ खबर देना

गज़व-ए-बनू मुस्तलिक में हज़रत जुवैरिया (र.अ) को मुसलमानों ने कैद कर लिया था, तो उन के वालिद आप (ﷺ) की खिदमत में बतौर फिदया के ऊंट लेकर हाज़िर हुए, लेकिन उनमें से दो ऊंटों को वादि-ए-अक़ीक़ में एक तरफ बाँध दिया था और आकर कहा : मेरी बेटी को मेरे हवाले कर दीजिये और उसके फिदये में यह ऊँट हाज़िर हैं।

आप (ﷺ) ने फर्माया : वह दो ऊँट कब लाओगे जो तुम को ज़्यादा पसंद हैं और जिन को बाँध कर आए हो? वालिद ने कहा : मैं गवाही देता हूँ के आप अल्लाह के रसूल (ﷺ) हैं, यह राज तो मेरे अलावा कोई नहीं जानता था और फिर वो ईमान ले आये।

📕 तारीखे दिमश्क लिइब्ने असाकिर : २१७/३


३. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

कुबा के कुंवें में पानी का भर जाना

हजरत अनस (र.अ) एक मर्तबा कुबा तशरीफ ले गए, वहाँ के लोगों से पूछा कुंवा कहाँ है?

लोगों ने बतलाया। वहाँ पहुँच कर देखा तो फ़रमाया हाँ यह वही कुंवाँ है जिस में से लोग अपनी जरूरत के लिये पानी ले जाया करते थे तो पानी बहुत कम हो जाता था।

एक बार आप (ﷺ) इस कुंवे पर तशरीफ लाए और बड़ा डोल भर कर पानी निकलवाया और उसमें से कुछ पिया और बढ़िया पानी से या तो वुजू किया या फिर उस में अपना मुबारक थूक डाला और फिर फ़रमाया : इस को कुंवे में डाल दो। हज़रत अनस (र.अ) फर्माते हैं के उस दिन से पानी कभी कम नहीं हुआ।

📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुबुवह : २३८०


४. एक फ़र्ज़ अमल के बारे में

इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है …

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।”

📕 इब्ने माजा: २२४

फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।


5. एक सुन्नत अमल के बारे में

बुढ़ापे में रिज़्क में बरकत की दुआ

बुढ़ापे में रिज्क में बरकत के लिये यह दुआ पढ़ें :

( اللهم اجعل أوسع رزقك على عند كبر سنئ وانقطاع غمري )

तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मेरी बड़ी उम्र में अपना रिज्क मुझपर ज़्यादा कर दे।

📕 मुस्तदरक : १९८७. अन आयशा रज़ि०


6. एक अहेम अमल की फजीलत

मस्जिदे नबवी में चालीस नमाज़ों का सवाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस ने मेरी मस्जिद में चालीस नमाज़े अदा की और कोई नमाज़ कजा नहीं की, तो उस के लिए जहन्नम से बरात और अज़ाब से नजात लिख दी जाती है और निफ़ाक से बरी कर दिया जाता है।”

📕 मुसनदे अहमद : १२९४१, अन अनस (र.अ)


7. एक गुनाह के बारे में


8. दुनिया के बारे में

दुनियावी ख्वाहिशों को पूरा करने का अंजाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स दुनिया में अपनी ख्वाहिशों को पूरा करता है, वह आखिरत में अपनी ख्वाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है।”

📕 बैहाकि फी शोअबिल ईमान : ९३९०

नोट: अपनी तमाम चाहतों को इसी में पूरी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये वरना आखिरत में महरूम हो जाएगा।


9. आख़िरत के बारे में

जन्नतुल फिरदौस का दर्जा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तुम अल्लाह तआला से सवाल करो, तो जन्नतुल फिरदौस का सवाल किया करो, क्योंकि वह जन्नत का सबसे अफजल और बुलंद दर्जा है और उसके ऊपर रहमान का अर्श है और उसीसे जन्नत की नहरें निकलती हैं।”

📕 बुखारी: ७४२३, अन अबी हुरैरा (र.अ)


10. तिब्बे नबवी से इलाज

मिस्वाक के फायदे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया :

“मिस्वाक मुंह की सफाई और अल्लाह की रज़ामंदी का ज़रिया है।”

📕 नसई : ५, अन आयशा (र.अ)

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम मिस्वाक के फवाइद में लिखते हैं, यह दाँतों में चमक पैदा करती है, मसूड़ों में मज़बूती और मुँह की बदबू ख़त्म करती है, जिससे दिमाग़ पाक व साफ हो जाता है। यह बलग़म को काटती है, निगाह को तेज़ और आवाज़ को साफ करती है और भी इस के बहुत से फवाइद हैं।


11. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत