सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा
क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में


१. इस्लामी तारीख

गजवा-ए-बदर

मुसलमानों को सफह-ए-हस्ती से मिटाने के लिये मुश्रिकीने मक्का एक हज़ार का फौजी लश्कर लेकर मक्का से निकले, सब के सब हथियारों से लैस थे, जब हुजूर (ﷺ) को इत्तेला मिली, तो आप (ﷺ) उन के मुकाबले के लिये अपने जाँनिसार सहाबा को ले कर मदीना से निकले, जिन की तादाद तीन सौ तेरा या कुछ ज़ायद थी, जब के मुसलमानों के पास सत्तर ऊँट, दो घोड़े और आठ तलवारें थीं, यह मैदाने बद्र में हक व बातिल की पहली जंग थी, मुश्रिकीन ने पहले ही से पानी के चश्मों पर कब्जा कर लिया था।

जिस की वजह से मुसलमानों को खुश्क रेगिस्तान में पड़ाव डालना पड़ा, जहाँ वुजू और गुस्ल हत्ता के पीने के लिये भी पानी मौजूद नहीं था, चुनान्चे हुजूर (ﷺ) सहाबा की सफें दुरुस्त फ़रमा कर खेमे में तशरीफ ले गए और सज्दे की हालत में यह दुआ फर्माई: “ऐ अल्लाह! अगर आज तूने इस मुट्ठी भर जमात को हलाक कर दिया, तो रुए ज़मीन पर तेरी इबादत करने वाला कोई नहीं रहेगा।” अल्लाह तआला ने इस दुआ की बरकत से बारिश नाजिल फर्माई, जिस से तमाम ज़रूरतें पूरी हो गईं, मैदाने जंग भी साज़ गार हो गया: जिस की वजह से मुसलमानों को शानदार फतह नसीब हुई।

कुरैश के ७० अफराद मारे गए, ७० अफराद कैद किये गए, जब के मुसलमानों में से १४ सहाबा शहीद हुए।

📕 इस्लामी तारीख


२. अल्लाह की कुदरत

बारिश में कुदरती निज़ाम

अल्लाह तआला बादलों के जरिये इतनी बुलन्दी से बारिश बरसाता हैं के अगर वह अपनी रफ्तार में से ज़मीन पर गिरती तो जमीन में बड़े बड़े गढ़े हो जाते और तमाम जानदार, हैवानात, पेड़ पौधे, खेती-बाड़ी सब फ़ना हो जाते। 

लेकिन अल्लाह तआला ने फिजा में अपनी कुदरत से इतनी रुकावटें खड़ी कर दी हैं के तेज रफ्तार बारिश उनसे गुजर कर जब ज़मीन पर आती है तो इन्तेहाई धीमी हो जाती है, जिस से दूनिया की तमाम चीजें तबाह व बरबाद होने से महफुज हो जाती हैं। 

बेशक यह अल्लाह का कुदरती निजाम है जो बारिश को इतने अच्छे अन्दाज में बरसाता है।

📕 अल्लाह की कुदरत


३. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

कब्र के बारे में ख़बर देना

हजरत अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ) फर्माते हैं के: 

जब हम लोग हुजूर (ﷺ) के साथ ताइफ जा रहे थे तो रास्ते में हमारा गुजर एक कब्र के पास से हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : यह अबू रिग़ाल की कब्र है जो कौमे समूद का एक फर्द था।

मक्का की जमीन उसको अपने से दूर कर रही थी तो वह वहाँ से निकल गया जब वह यहाँ पहुँचा तो उसको वही अज़ाब आ पहुँचा जो उसकी कौम पर आया था और फिर यहीं दफन कर दिया गया।

और उस की निशानी यह है के उस के साथ उस की कब्र में सोने की एक टहनी भी रखी गई थी। अगर तुम इस कब्र को खोदोगे तो वह सोने की टहनी जरूर मिलेगी, तो लोग कब्र की तरफ लपके और कब्र खोदी, देखा तो उस के साथ वह टहनी रखी हुई थी।

📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुबुबह : २५५५


४. एक फ़र्ज़ अमल के बारे में

वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“हम ने इन्सानों को अपने वालिदैन के साथ हुस्ने सुलूक ही करने का हुक्म दिया है।”

📕 सूरह अहकाफ:१५

फायदा: वालिदैन की इताअत फ़रमाबरदारी करना, उनके साथ अच्छा सलूक करना और उनके सामने अदब के साथ पेश आना इन्तेहाई जरूरी है।


5. एक सुन्नत अमल के बारे में

दाई करवट सोना

हज़रत बरा बिन आजिब (र.अ) बयान करते हैं के

“रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बिस्तर पर तशरीफ लाते,
तो दाई (right) करवट पर आराम फर्माते।”

📕 बुखारी : ६३१५


6. एक अहेम अमल की फजीलत

मेहमान का इकराम करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“जब कभी भी कोई मुसलमान अपने मुसलमान भाई से मुलाकात के लिये जाए और मेजबान मेहमान का एजाज व इकराम करने की गर्ज से मेहमान को तकिया पेश करे तो अल्लाह तआला उस मेजबान की मग़फिरत फरमा देगा।” 

📕 तबरानी सगीर :७६२


7. एक गुनाह के बारे में

शराबी की सज़ा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“जिस ने शराबनोशी की, अल्लाह तआला चालीस रात तक उस से खुश नहीं होगा। अगर वह (उसी हाल में) मर गया तो कुफ्र की हालत में मरेगा और अगर तौबा कर ली तो अल्लाह तआला उस की तौबा क़बूल फ़र्माएगा और अगर फिर शराब पी तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों का पीप पिलाएगा।”

📕 मुस्नदे अहमद : २७०५६


8. दुनिया के बारे में


9. आख़िरत के बारे में

जहन्नम का जोश

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जब जहन्नम (क़यामत के झुटलाने वालों) को दूर से देखेगी, तो वह लोग (दूर ही से) उस का जोश व खरोश सुनेंगे और जब वह दोज़ख़ की किसी तंग जगह में हाथ पाँव जकड़ कर डाल दिये जाएंगे, तो वहाँ मौत ही मौत पुकारेंगे। (जैसा के मुसीबत में लोग मौत की तमन्ना करते हैं)।”

📕 सूर-ए-फुरकान : १२ ता १३


10. तिब्बे नबवी से इलाज

जोड़ों के दर्द का इलाज

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़र्माया :

अंजीर खाओ (फिर उस की अहमियत बताते हुए इर्शाद फर्माया) अगर मैं कहता के जन्नत से कोई फल उतरा है तो यही है, क्यों कि जन्नत के फलों में गुठली नहीं है।”

(और अंजीर का यही हाल है) लिहाजा इसे खाओ, इस लिए के यह बवासिर को खत्म करता है और जोड़ो के दर्द में मुफीद है।”

📕 कंजुल उम्माल: २८२७६


11. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

वसिय्यत के लिए दो इंसाफ पसंद लोग गवाह हो

कूरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“ऐ ईमान वालो ! जब तुम में से किसी को मौत आने लगे वसीय्यत के वक्त शहादत के लिये तूम (मुसलमानों) में से दो इन्साफ पसन्द आदमी गवाह होने चाहिये या फिर तुम्हारे अलावा दूसरी कौम के लोग गवाह होने चाहिये। जैसे तुम सफर में गए हो, फिर तुम्हें मौत का हादसा आ जाए।”

📕 सूरह मायेदा: १०६