रसूलुल्लाह (ﷺ) हज्जतुल विदाअ में जब जमर-ए-अकबा की रमी कर के वापस होने लगे,
तो एक औरत अपने एक छोटे बच्चे को लेकर हाज़िरे खिदमत हुई और अर्ज़ किया: या रसूलल्लाह (ﷺ) ! मेरे इस बच्चे को ऐसी बीमारी लग गई है के बात भी नहीं कर सकता,
तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक बर्तन में पानी मंगवाया और दोनों हाथों को धोया और कुल्ली की और फिर वह बरतन उस औरत के हवाले करने के बाद फ़र्माया: “इसमें से बच्चे को पिलाती रहना और थोड़ा थोड़ा इसपर छिड़कती रहना और अल्लाह तआला से शिफा की दुआ करती रहना।”
हज़रत उम्मे जूंदूब (र.अ) फ़र्माती हैं के एक साल बाद मेरी उस औरत से मुलाकात हुई, तो मैंने पूछा : बच्चे का क्या हाल है ? तो उस ने कहा : (अल्हम्दुलिल्लाह) ठीक हो गया और इतनी जियादा समझ आ गई के जितनी बड़े लोगों में भी नहीं होती।