शेख अब्दुल कादिर जीलानी (रह.) की विलादत बा सआदत ईरान के शहर गीलान में सन ४७० हिजरी में हुई, आप हजरत हसन की नस्ल से हैं, जब अठारा साल के हुए तो इल्मे दीन का मरकज बगदाद इल्म हासिल करने के लिए तशरीफ़ लाए, दुनिया उन के इल्म व फजल और तकवाह के कायल है, अल्लाह तआला ने आप की ज़बान में बड़ी तासीर दी थी,कोई मजलिस ऐसी ना होती, जिस में यहूदी या ईसाई इस्लाम कबूल न करते हों और बहुत से लोग फ़िस्क व फुजूर से तौबा न करते हों।
हजरत अब्दुल कादिर जीलानी बड़े मुत्तक़ी और परहेज़गार थे, उन के जमाने में लोग दुनिया की तरफ ऐसे मुतवज्जेह हो गए थे जैसे उन्हें आखिरत की तरफ़ जाना ही नहीं है, चुनांचे आप के वाज़ व नसीहत की वजह से लोगों ने आखिरत की तय्यारी का रुख किया। सन ५६१ हिजरी में नब्वे साल की उम्र में आप ने वफ़ात पाई।
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