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आज जब महिला अधिकारों की बात हर मंच पर होती है, बहुत से लोग यह नहीं जानते कि इस्लाम ने 1400 साल पहले ही महिलाओं को सम्मान की ऊँचाई पर बैठा दिया था।
🔍 अन्य धर्मों में नारी की स्थिति
अगर आप इतिहास की किताबें पलटें या धार्मिक व्यवस्थाओं को गहराई से देखें, तो पाएंगे कि अधिकतर धर्मों और सभ्यताओं में महिलाओं को दोयम दर्जे का माना गया।
- उन्हें समाज की बुराइयों की जड़ कहा गया।
- उन्हें पुरुषों की भोग की वस्तु समझा गया।
- और वे अपने अधिकारों से वंचित रहीं।
लेकिन इस अंधेरे दौर में एक रौशनी आई – इस्लाम।
🕌 इस्लाम में महिला का स्थान
इस्लाम ही वह धर्म है जिसने हव्वा की बेटी को बराबरी का दर्जा दिया।
क़ुरआन में कहा गया है:
“महिलाओं के लिए भी वैसे ही अधिकार हैं जैसे मर्दों के अधिकार उन पर हैं।”
— (सूरः बक़रः 2:228)
इस्लाम ने महिला को हर रिश्ते में सम्मान दिया — माँ, बेटी, बहन, पत्नी, विधवा, और यहां तक कि खाला (मौसी) के रूप में भी।
👩👧 माँ के रूप में सम्मान
माँ के बारे में इस्लाम में विशेष आदेश दिए गए हैं:
🕊 क़ुरआन कहता है:
“… और हमने इंसान को उसके माता-पिता के बारे में ताकीद की है…”
— (सूरः लुक़मान 14)
🌟 हदीस में तीन बार माँ को प्राथमिकता दी गई:
एक व्यक्ति ने पूछा: “मेरे अच्छे व्यवहार का सबसे अधिक अधिकारी कौन है?”
मुहम्मद (सल्ल.) ने कहा: “तुम्हारी माँ।”
फिर पूछा: “फिर कौन?”
कहा: “तुम्हारी माँ।”
फिर पूछा: “फिर?”
कहा: “तुम्हारी माँ।”
और फिर चौथी बार कहा: “तुम्हारे पिता।”
💍 पत्नी के रूप में सम्मान
इस्लाम में पत्नियों से अच्छा व्यवहार करने की हिदायत है:
“और उनके साथ भले तरीके से रहो।”
— (सूरः निसा 4:19)
हदीस में कहा गया:
“अगर पत्नी की एक आदत नापसंद हो, तो दूसरी आदत जरूर पसंद आएगी।”
— (सहीह मुस्लिम)
👧 बेटी के रूप में सम्मान
इस्लाम में बेटियों को बोझ नहीं, जन्नत की कुंजी माना गया।
“जिसने दो बेटियों की परवरिश की और उनका अच्छा निकाह किया, वह क़ियामत के दिन मेरे साथ होगा।”
— (सहीह मुस्लिम)
“बेटियों की देखभाल करना नरक से पर्दा बन जाएगा।”
👭 बहन के रूप में सम्मान
“जिसके पास तीन बहनें हों और उसने उनके साथ अच्छा व्यवहार किया, वह स्वर्ग में जाएगा।”
— (मुस्नद अहमद)
👩🦳 विधवा के रूप में सम्मान
विधवा को भी इस्लाम में अत्यधिक सम्मान दिया गया।
“विधवा और निर्धन की देखभाल करने वाला ऐसा है जैसे रोज़ा रखता हो और रात में इबादत करता हो।”
— (सहीह बुखारी)
👵 खाला (मौसी) के रूप में सम्मान
“खाला, माँ के समान होती है।”
— (सहीह बुखारी)
📌 निष्कर्ष:
इस्लाम नारी का सम्मान करता है, उसे अधिकार देता है, और हर रूप में इज़्ज़त प्रदान करता है।
आज के समाज को इस्लाम की इन शिक्षाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए ताकि महिलाओं को सच्चा सम्मान मिले — ना कि केवल नारों में, बल्कि व्यवहार में भी।
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