26. रबी उल आखिर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

26. रबी उल आखिर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

26 Rabi-ul-Akhir | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हुजूर (ﷺ) ग़ारे सौर में

रसूलअल्लाह (ﷺ) और हज़रत अबू बक्र (र.अ) दोनों मक्का छोड़ कर गारे सौर में पहुँच चुके थे। उधर मुश्रिकीनने पीछा करना शुरू किया और तलाश करते हुए गारे सौर के बिल्कुल मुँह के करीब पहुंच गए।

उस वक़्त हजरत अबू बक्र (र.अ) ने कहा : या रसूलल्लाह ! उन में से किसी ने एक क़दम भी आगे बढ़ाया, तो हमें देख लेगा।

हुजूर (ﷺ) ने फर्माया “घबराओ नहीं अल्लाह हमारे साथ है।” अल्लाह तआला ने दोनों हज़रात की अपनी कुदरत से हिफाज़त फ़रमाई। और वह लोग वापस हो गए। हजरत अबू बक्र (र.अ) ने अपने बेटे अब्दुल्लाह से यह कह दिया था के वह मुशरिकों के दर्मियान होने वाली बातें रात के वक़्त आकर बता दिया करें।

चुनान्चे वह रात के वक्त गार में आकर मुश्रिकों की साजिशों की इत्तेला हुजूर (ﷺ) को दे देते थे और हज़रत अस्मा बिन्ते अबू बक्र (र.अ) खाना वगैरह पहुँचाया करती थीं। इस तरह तीन दिन यहाँ गुज़रे फिर मदीना की तरफ रवानगी हुई।

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा

ऊंटों के मुतअल्लिक़ खबर देना

गज़व-ए-बनू मुस्तलिक में हज़रत जुवैरिया (र.अ) को मुसलमानों ने कैद कर लिया था, तो उन के वालिद आप (ﷺ) की खिदमत में बतौर फिदया के ऊंट लेकर हाज़िर हुए, लेकिन उनमें से दो ऊंटों को वादि-ए-अक़ीक़ में एक तरफ बाँध दिया था और आकर कहा : मेरी बेटी को मेरे हवाले कर दीजिये और उसके फिदये में यह ऊँट हाज़िर हैं।

आप (ﷺ) ने फर्माया : वह दो ऊँट कब लाओगे जो तुम को ज़्यादा पसंद हैं और जिन को बाँध कर आए हो? वालिद ने कहा : मैं गवाही देता हूँ के आप अल्लाह के रसूल (ﷺ) हैं, यह राज तो मेरे अलावा कोई नहीं जानता था और फिर वो ईमान ले आये।

📕 तारीखे दिमश्क लिइब्ने असाकिर : २१७/३


3. एक फर्ज के बारे में

बीवी की विरासत में शौहर का हिस्सा

कुरआन में अल्लाह ताआला फ़र्माता है :

“तुम्हारे लिए तुम्हारी बीवियों के छोड़े हुए माल में से आधा हिस्सा है, जब के उन को कोई औलाद न हो और अगर उन की औलाद हो, तो तुम्हारी बीवियो के छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है (तुम्हें यह हिस्सा) उन की वसिय्यत और कर्ज अदा करने के बाद मिलेगा।”

📕 सूरह निसा १२


4. एक सुन्नत के बारे में

मौत की सख्ती के वक़्त की दुआ

हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के,
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने मौत से पहले यह दुआ पढ़ी थी :

तर्जमा: ऐ अल्लाह! मौत की सख्तियों और बेहोशियों पर मेरी मदद फ़र्मा।

📕 तिर्मिजी : ९७८


5. एक अहेम अमल की फजीलत

वुजू कर के इमाम के साथ नमाज अदा करना

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने अच्छी तरह मुकम्मल वुजू किया, फिर फर्ज नमाज अदा करने के लिये गया और इमाम के साथ नमाज पढी, उसके (सगीरा गुनाह) माफ कर दिये जाते हैं।”

📕 इब्ने खुजैमा १४०९


6. एक गुनाह के बारे में

कुफ्र की सज़ा जहन्नम है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग कुफ्र करते हैं तो अल्लाह तआला के मुकाबले में उन का माल और उन की औलाद कुछ काम नहीं आएगी और ऐसे लोग ही जहन्नम का इंधन होंगे।”

📕 सूरह आले इमरान : १०


7. दुनिया के बारे में

आखिरत दुनिया से बेहतर है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“तुम दुनियावी जिंदगी को मुकद्दम रखते हो, हालांके ! आखिरत दुनिया से बेहतर है और बाकी रहने वाली है (इसलिए आखिरत ही की तय्यारी करो)।”

📕 सूरह आला : १६ ता १७


8. आख़िरत के बारे में

हौजे कौसर की कैफियत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“हौज़े कौसर के बर्तन सितारों के बराबर होंगे, उस से जो भी इन्सान एक घूंट पी लेगा तो हमेशा के लिए उसकी प्यास बुझ जाएगी।”

📕 इब्ने माजा: ४३०३


9. तिब्बे नबवी से इलाज

बीमार को परहेज़ का हुक्म

एक मर्तबा उम्मे मुन्जिर (र.अ) के घर पर रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ साथ हजरत अली (र.अ) भी खजूर खा रहे थे, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: “ऐ अली! बस करो, क्योंकि तुम अभी कमजोर हो।”

📕 अबू दाऊद: ३८५६

फायदाः बीमारी की वजह से चूंकि सारे ही आज़ा कमज़ोर हो जाते हैं, जिन में मेअदा भी है, इस लिए ऐसे मौके पर खाने पीने में एहतियात करना चाहिए और मेअदे में हल्की और कम ग़िज़ा पहुँचनी चाहिए ताके सही तरीके से हज़्म हो सके।


10. नबी की नसीहत

लोगों के लिये वही चीज पसंद करो जो तुम अपने लिये पसंद करते हो

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

तक़वा व परहेजगारी इख्तियार करो, सब से बड़े इबादत गुजार बन जाओगे
और थोड़ी चीज पर रजामन्द हो जाओ सब से बड़े शुक्रगुज़ार बन जाओगे
और लोगों के लिये वही चीज पसंद करो जो तुम अपने लिये पसंद करते हो,
तुम (सच्चे) मोमिन बन जाओगे
और तुम अपने पड़ोसी के साथ हुस्ने सुलूक करो (पक्के) मुसलमान बन जाओगे
और कम हँसा करो, क्योंकि ज्यादा हँसने से दिल मुर्दा हो जाता है।”

📕 इब्ने माजा : ४२१७


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