Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- ग़ज़व-ए-खन्दक
- 2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा
- कब्र के बारे में ख़बर देना
- 3. एक फर्ज के बारे में
- वारिसीन के दर्मियान विरासत तकसीम करना
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- सैलाबी बारिश रोकने की दुआ
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- मेहमान का इकराम करने की फ़ज़ीलत
- 6. एक गुनाह के बारे में
- हक को झुटलाने की सज़ा
- 7. दुनिया के बारे में
- माल व औलाद की मुहब्बत
- 8. आख़िरत के बारे में
- कब्र में नमाज की तमन्ना
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- सिर दर्द से हिफाजत
- 10. नबी की नसीहत
- हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है
24 Jumada-al-Awwal | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
ग़ज़व-ए-खन्दक
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यहूद की बद अहदी और साजिशों की वजह से मदीना से निकल जाने का हुक्म दिया, तो वह खैबर और वादियुलकुरा में जा बसे, मगर वहाँ पहुँच कर भी उन की अदावत और दुश्मनी की आग ठंडी नहीं हुई। उन्होंने मुसलमानों को सफह-ए-हस्ती से मिटाने के लिये बनू नज़ीर के २० सरदारों का एक वफ़्द कुरैशे मक्का के पास भेजा और उन्हें रसूलुल्लाह (ﷺ) से मुक़ाबले और जंग के लिये आमादा किया।
किनाना बिन रबी ने बनू गितफान को खैबर की जमीन व बागात की आधी पैदावार देने का वादा कर के मुसलमानों के खिलाफ जंग करने पर तय्यार किया, इस तरह अबू सुफियान कुरैशे मक्का और बनू सुलैम, बनू साद वगैरा क़बाइल के इत्तेहाद से दस हजार का लश्करे जर्रार ले कर मुसलमानों को खत्म करने के इरादे से मदीना की तरफ रवाना हो गया।
To be Continued…
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा
कब्र के बारे में ख़बर देना
हजरत अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ) फर्माते हैं के:
जब हम लोग हुजूर (ﷺ) के साथ ताइफ जा रहे थे तो रास्ते में हमारा गुजर एक कब्र के पास से हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : यह अबू रिग़ाल की कब्र है जो कौमे समूद का एक फर्द था।
मक्का की जमीन उसको अपने से दूर कर रही थी तो वह वहाँ से निकल गया जब वह यहाँ पहुँचा तो उसको वही अज़ाब आ पहुँचा जो उसकी कौम पर आया था और फिर यहीं दफन कर दिया गया।
और उस की निशानी यह है के उस के साथ उस की कब्र में सोने की एक टहनी भी रखी गई थी। अगर तुम इस कब्र को खोदोगे तो वह सोने की टहनी जरूर मिलेगी, तो लोग कब्र की तरफ लपके और कब्र खोदी, देखा तो उस के साथ वह टहनी रखी हुई थी।
📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुबुबह : २५५५
3. एक फर्ज के बारे में
वारिसीन के दर्मियान विरासत तकसीम करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“माल (विरासत) को किताबुल्लाह के मुताबिक हक़ वालों के दर्मियान तकसीम करो।”
फायदा : अगर किसी का इन्तेकाल हो जाए और उस ने माल छोड़ा हो, तो उस को तमाम हक वालों के दर्मियान तकसीम करना वाजिब है, बगैर किसी शरई वजह के किसी वारिस को महरूम करना या अल्लाह तआला के बनाए हुए हिस्से से कम देना जाइज नहीं है ।
4. एक सुन्नत के बारे में
सैलाबी बारिश रोकने की दुआ
हज़रत अनस (र.अ) बयान करते हैं के,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने बारिश रोकने के लिये यह दुआ की :
तर्जमा : ऐ अल्लाह ! हमारे अतराफ में बारिश बरसा, हम पर बारिश न बरसा।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
मेहमान का इकराम करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब कभी भी कोई मुसलमान अपने मुसलमान भाई से मुलाकात के लिये जाए और मेजबान मेहमान का एजाज व इकराम करने की गर्ज से मेहमान को तकिया पेश करे तो अल्लाह तआला उस मेजबान की मग़फिरत फरमा देगा।”
6. एक गुनाह के बारे में
हक को झुटलाने की सज़ा
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“हमने उन (कौमे आद) के लोगों को उन चीजों की कुदरत दी थी के जिन की कुदरत तुम को नहीं दी और हमने उन को कान और आँखें और दिल अता किए थे। चूँकि वह अल्लाह की आयतों का इनकार करते थे, इसलिये न उन के कान उन के कुछ काम आए, न उन की आँखें और न उन के दिल; और जिस अजाब का वह मजाक उड़ाया करते थे उसी ने उन को आ घेरा।”
7. दुनिया के बारे में
माल व औलाद की मुहब्बत
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(माल व औलाद की) कसरत और (दुनिया के सामान पर) फख्र ने तुम को (अल्लाह की याद से) ग़ाफिल कर दिया है, यहाँ तक के तुम कब्रिस्तान जा पहुँचते हो, हरगिज़ ऐसा न करो, तुमको बहुत जल्द मालूम हो जाएगा।”
8. आख़िरत के बारे में
कब्र में नमाज की तमन्ना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब मय्यित को क़ब्र में रख दिया जाता है, तो उस को सूरज गुरूब होता हुआ दिखाई देता है, तो वह बैठ कर आँखें मलने लगता है और कहता है, मुझे नमाज पढ़ने दो।”
📕 इब्ने माजा : ४२७२, अन जाबिर (र.अ)
9. तिब्बे नबवी से इलाज
सिर दर्द से हिफाजत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“हम्माम (गुस्ल खाना) से निकलने के बाद कदमों को ठन्डे पानी से धोना सिर दर्द से हिफाजत का जरिया है।”
10. नबी की नसीहत
हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है और सच और नेकी जन्नत में दाखिल करने वाले हैं। तुम झूट से बचो क्योंकि वह गुनाह का रास्ता बताता है और झूट और गुनाह जहन्नम में दाखिल करने वाले हैं।”
📕 तबरानी कबीर :१६२५१, अन मुआविया बिन अबी सुफियान (र.अ)
Discover more from उम्मते नबी ﷺ हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.