2 Jumada-al-Awwal | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
मदीना मुनव्वरा
तुफाने नूह के बाद हज़रत नूह (अ.) के परपोते इमलाक़ बिन अरफख्शज बिन साम बिन नूह यमन में बस गए थे। अल्लाह तआला ने उन को अरबी जबान इलहाम की, फिर उन की औलाद ने अरबी बोलना शुरू कर दिया, यह अरब के इलाकों में चारों तरफ फैले, इस तरह पूरे जज़ीरतुल अरब में अरबी जबान आम हो गई, उसी जमाने में मदीना की बुनियाद पड़ी, इमलाक़ की औलाद में तुब्बा नामी एक बादशाह था, जिस ने यहूदी उलमा से आखरी नबी की तारीफ और यसरिब (मदीना) में उन की आमद की खबर सुन रखी थी, इस लिये शाह तुब्बा ने यसरिब में एक मकान हुजूर (ﷺ) के लिये तय्यार कर के एक आलिम के हवाले कर दिया और वसिय्यत की के यह मकान नबी ए आखिरुज ज़माँ की आमद पर उन्हें दे देना, अगर तुम जिन्दा न रहो तो अपनी औलाद को इस की वसिय्यत कर देना।
चुनान्चे हुजूर (ﷺ) की ऊँटनी हजरत अबू अय्यूब अन्सारी (र.अ) के मकान पर रुकी थी, हजरत अबू अय्यूब (र.अ) उन आलिम ही की औलाद में से थे, जिन को शाहे तुब्बा ने मकान हवाले किया था, साथ ही शाह तुब्बा ने एक खत भी हुजूर (ﷺ) के नाम लिखा, जिस में आप (ﷺ) से मुहब्बत, ईमान लाने और ज़ियारत के शौक़ को जाहिर किया था। हुजूर (ﷺ) की हिजरत के बाद यसरिब का नाम बदल कर “मदीनतुर रसूल” यानी रसूल का शहर रखा गया।
To be Continued …
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा
आँखों की बीनाई का लौट आना
हज़रत हबीब बिन अबी फुदैक (र.अ) फ़र्माते हैं के मेरे वालिद की आँखें सफेद हो गईं थीं जिस की वजह से उनको कोई चीज़ नज़र नहीं आती थी, तो एक दिन मेरे वालिद हुजूर (ﷺ) की ख़िदमत में जाना चाहते थे तो मुझे साथ ले लिया, जब हम वहाँ पहुँचे तो हुजूर (ﷺ) ने पूछा यह क्या हुआ ? मेरे वालिद ने फर्माया मैं अपने ऊँट को तेल लगा रहा था इतने में मेरा पैर साँप के अँडे पर पड़ गया तब से मेरी यह हालत हो गई है, तो हुजूर (ﷺ) ने उनकी आँखों पर दम किया, आँखें उसी वक़्त अच्छी हो गईं।
हज़रत हबीब फ़र्माते हैं के मेरे वालिद ८० बरस की उम्र में भी सूई में धागा पिरो लिया करते थे।
📕 दलाइलु न्नुबुव्वह लि अबी नुऐम : ३८४
3. एक फर्ज के बारे में
नमाज़ छोड़ने का नुकसान
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस शख्स की एक नमाज़ भी फौत हो गई वह ऐसा है के गोया उस के घर के लोग और माल व दौलत सब छीन लिया गया।”
4. एक सुन्नत के बारे में
बुरे लोगों की सोहबत से बचने की दुआ
अपने आप को और अपनी औलाद को बुरे लोगों की सोहबत से बचाने के लिये यह दुआ पढ़े:
“Rabbi najjinee waahlee mimma yaAAmaloon”
तर्जमा: ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे अहल व अयाल को उनके (बुरे) काम से नजात अता फ़र्मा।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
अल्लाह की राह में अपनी जवानी लगाने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जिसने अपनी जवानी अल्लाह के रास्ते में गुजार दी, तो कयामत के दिन उस के लिये एक नूर होगा।”
6. एक गुनाह के बारे में
रसूल (ﷺ) के हुक्म को न मानने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग रसूलुल्लाह (ﷺ) के हुक्म की खिलाफ वरजी करते हैं,
उनको इस से डरना चाहिये के कोई आफत उन पर आ पड़े
या कोई दर्दनाक अज़ाब उन पर आ जाए।”
7. दुनिया के बारे में
हलाक करने वाली चीजें
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“हर ऐसे शख्स के लिये बड़ी ख़राबी है, जो ऐब लगाने वाला और ताना देने वाला हो,
जो माल जमा करता हो और उस को गिन गिन कर रखता हो
और ख़याल करता हो के उस का (यह) माल हमेशा उस के पास रहेगा। हरगिज़ ऐसा नहीं है, वह ऐसी आग में डाला। जाएगा जिसमें जो कुछ पड़ेगा वह उस को तोड़फोड़ कर रख देगी।”
8. आख़िरत के बारे में
क़यामत के दिन खुश नसीब इन्सान
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“कयामत के दिन लोगों में से वह खुश नसीब मेरी शफाअत का मुस्तहिक होगा, जिसने सच्चे दिल से “कलिम-ए-तय्यिबा” “ला इलाहा इलल्लाहु” पढ़ा होगा।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
आबे ज़म ज़म से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जमीन पर सबसे बेहतरीन पानी आबे जम जम है, यह खाने वाले के लिये खाना और बीमार के लिये शिफा है।”
10. नबी की नसीहत
बाएँ हाथ से ना खाएं और ना पियें
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“तुम में से कोई अपने बाएँ हाथ से हरगिज़ न खाए और न बाएँ हाथ से पिये, क्योंकि शैतान अपने बाएँ हाथ से खाता पीता है।”