धर्म आत्मज्ञान के लिए है तथा आस्था, कर्म और संस्कृति का संगम जब होता है

धर्म आत्मज्ञान के लिए है।

“आस्था, कर्म और संस्कृति का संगम जब होता है तब धर्म प्रबुद्ध होता है। इन में से एक की भी कमी धर्म की आत्मा को नष्ट कर देती है।”

Rate this post

Related Posts: