27 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

हज़रत खदीजा (र.अ) की फजीलत व खिदमात

उम्मुल मोमिनीन हज़रत खदीजा (र.अ) को जो फज़ल व कमाल अल्लाह तआला ने अता फ़रमाया था, उस में कयामत तक कोई खातून शरीक नहीं हो सकती, उन्होंने सब से पहले हुजूर (ﷺ) की नुबुव्वत की तसदीक करते हुए ईमान कबूल किया।

सख्त आज़माइश में आप (ﷺ) का साथ देना, इस्लाम के लिए हर एक तकलीफ़ को बर्दाश्त करना, रंज व गम के मौके पर आप (ﷺ) को तसल्ली देना, यह उन की वह सिफ़ात हैं, जो उन्हें दीगर उम्महातुल मोमिनीन से मुमताज कर देती हैं।

अल्लाह तआला ने (फ़रिश्ते) जिब्रईले अमीन के जरिए उन्हें सलाम भेजा। खुद पैगंबर (ﷺ) ने फ़रमाया “अल्लाह की कसम! मुझे खदीजा से अच्छी बीवी नहीं मिली”, वह उस वक्त मुझ पर ईमान लाई जब लोगों ने इन्कार किया। उस ने उस वक्त मेरी नुबुव्वत की तसदीक की जब लोगों ने मुझे झुटलाया, उसने मुझे अपना माल व दौलत अता किया जब के दूसरे लोगों ने महरूम रखा। हकीकत यह है के इब्तिदाए इस्लाम में उन्होंने दीन की इशाअत व तबलीग में अपनी जानी व माली खिदमात अंजाम देकर पूरी उम्मत पर बड़ा एहसान किया है।

अल्लाह तआला उन्हें इस का बेहतरीन बदला अता फरमाए। (आमीन), सन १० नब्वी में ६५ साल की उम्र में (वफ़ात पाई और मक्का के हुजून नामी कब्रस्तान (यानी जन्नतुल माला) में दफन की गई।

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

हुजूर (ﷺ) को गैबी मदद

सहाब-ए-किराम फर्माते हैं के हम एक सफर में अल्लाह के रसूल के साथ चार सौ आदमी थे।

हम लोगों ने ऐसी जगह पड़ाव डाला जहाँ पीने के लिये पानी नहीं था। हम सब घबरा गए, इतने में एक छोटी सी बकरी अल्लाह के रसूल (ﷺ) के सामने आकर खड़ी हो गई। आपने उस का दूध दूहा और फिर खूब सैर हो कर पिया और अपने सहाबा को भी पिलाया हत्ता के सब सैर हो गए।

उसके बाद उस बकरी को बाँध दिया गया, सुबह को उठ कर देखा, तो वह बकरी गायब थी। हुजूर (ﷺ) को खबर दी गई, तो आप (ﷺ) ने फर्माया: “जो अल्लाह उसको लाया था वही उसे ले गया।”

📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुबबह: २३८१

3. एक फर्ज के बारे में

बीमार की नमाज़

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“नमाज़ खड़े होकर अदा करो: अगर ताक़त न हो तो बैठ कर अदा करो, और अगर उस पर भी कदरत नहो तो पहलू के बल लेट कर अदा करो।”

📕 बुखारी : १९१७

फायदा : अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने पर क़ादिर न हो तो रुकू व सज्दा के साथ बैठ कर पढ़े, अगर रुकू व सज्दे पर भी कादिर न हो, तो बैठ कर इशारे से पढ़े और अगर बैठ कर पढ़ने की ताकत न रखता हो तो लेट कर पढ़े।

4. एक सुन्नत के बारे में

सोने से पहले बिस्तर झाड़ लेना

हजरत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तुम में से कोई बिस्तर पर आए तो उसे किसी कपडे से झाड़ ले, उसे नहीं मालूम के बिस्तर में क्या है।“

📕 अबू  दाऊद: ५०५०

5. एक अहेम अमल की फजीलत

बीवियों के साथ अच्छा सुलूक करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“ईमान वालों में ज़ियादा मुकम्मल ईमान वाले वह लोग हैं, जो अखलाक में ज्यादा अच्छे हैं और तुम में सबसे अच्छे वह लोग हैं जो अपनी बीवियों के साथ अच्छा बरताव करते हैं।”

📕 तिर्मिज़ी: ११६२

6. एक गुनाह के बारे में

ईमान को झुटलाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जिस शख्स ने बुखल किया और लापरवाही करता रहा और भली बात (ईमान) को झुटलाया, तो हम उसके लिये तकलीफ व मुसीबत का रास्ता आसान कर देंगे (यानी जहन्नम में पहुँचा देंगे)।”

📕 सूर-ए-लैल: ८ ता १०

7. दुनिया के बारे में

खाने पीने की चीजों में गौर करने की दावत

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

इन्सान को अपने खाने में गौर करना चाहिये के हम ने खूब पानी बरसाया, फिर हम ने अजीब तरीके से जमीन को फाड़ा, फिर हम ने उस ज़मीन में से ग़ल्ला, अंगूर, तरकारी, ज़ैतून और खजूर, घने बाग़, मेवे और चारा पैदा किया। यह सब तुम्हारे और तुम्हारे जानवरों के फायदे के लिये हैं।”

📕 सूरह अबस: २४ ता ३२

8. आख़िरत के बारे में

कम दर्जे वाले जन्नती का इनाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

अदना दर्जे का जन्नती वह होगा, जिस के एक हज़ार महल होंगे, हर दो महलों के दर्मियान एक साल के बराबर चलने का फासला होगा, यह जन्नती दूर के महलों को इसी तरह देखेगा जिस तरह करीब के महलों को देखेगा, हर एक महल में खूबसूरत गहरी सियाह आँखों वाली हूर होंगी और उमदा बागात और (खिदमत के लिये) लड़के होंगे, जिस चीज़ की भी वह तलब करेगा, उसको पेश कर दी जाएगी।”

📕 तरगीब : ५२८०, अन इब्ने उमर (र.अ)

9. तिब्बे नबवी से इलाज

तबीअत के मुवाफिक ग़िज़ा से इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जब मरीज़ कोई चीज खाना चाहे, तो उसे खिलाओ।”

📕 कन्जुल उम्माल : २८१३७

फायदा: जो गिजा चाहत और तबी अत के तकाजे से खाई जाती है, वह बदन में जल्द असर करती है, लिहाजा मरीज़ किसी चीज़ के खाने का तकाज़ा करे, तो उसे खिलाना चाहिये। हाँ अगर गिजा ऐसी है के जिस से मर्ज बढ़ने का कवी इमकान है, तो जरूर परहेज करना चाहिये।

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

मौसमी फलों के फवाइद

कुरान में अल्लाह तआला फ़र्माता है

“जब वह दरख्त फ़ल ले आएँ तो उन्हें खाओ।”

📕 सूरह अनाम: १४१

फायदा: मौसमी फलों का इस्तेमाल सेहत के लिए बेहद मुफीद है और बहुत सी बीमारियों से हिफ़ाज़त का ज़रिया है, लिहाज़ा अगर गुंजाइश हो तो ज़रूर इस्तेमाल करना चाहिए।

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