हज़रत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के:
“ख़ुदा की कसम ! मैं दिन में सत्तर से जियादा मर्तबा अल्लाह तआला से तौबा व इस्तिगफार करता हूँ।”
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- हज़रत याह्या (अलैहि सलाम) हज़रत याहया (अलैहि सलाम) हज़रत ज़करिया (अ.स) के फ़रज़न्द और अल्लाह तआला के नबी थे। वह नेक लोगों के सरदार और जुहद व तक़वा में बेमिसाल थे। अल्लाह तआलाने बचपन से ही इल्म हिकमत से नवाज़ा था। उन्होंने शादी नहीं की थी, मगर उसके बावजूद उनके दिल में गुनाह का…
- कसरत से अल्लाह का जिक्र करना अब्दल्लाह बिन अबी औफ़ (र.अ) बयान करते हैं के : “रसुलल्लाह (ﷺ) कसरत से (अल्लाह का) जिक्र फरमाते, बेजा बात ना फरमाते, नमाज़ लम्बी पढ़ते, खुत्बाब मुख्तसर देते और बेवाओं और मिस्कीनों की जरुरत पूरी करने के लिए चलने में आर और शर्म महसूस न फरमाते।” 📕 नसई : १४१५
- कसरत से सज्दा करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "कसरत से सज्दा किया करो क्योंकि जब तुम सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के लिये सज्दा करोगे तो अल्लाह तआला उस के बदले तुम्हें एक दर्जा बुलंद करेगा और तुम्हारा एक गुनाह माफ करेगा।" 📕 मुस्लिम: 1093
- मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है" तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।" 📕 बैहेकी फी शोअबिलईमान: १९५८,अन इब्ने…
- हजरत अबूज़र गिफारी (र.अ) हजरत अबू ज़र गिफ़ारी (र.अ) का पूरा नाम जुंदुब बिन जुनादा था, हजरत अबू ज़र पहले शख्स हैं जिन्होंने हुजूर (ﷺ) की पहली मुलाकात के वक़्त अस्सलामु अलैकूम कहा था; हुजूर (ﷺ) ने जवाब में वालेकुमस्सालाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुह फ़रमाया। इस तरह सलाम करने का रिवाज शूरू हुआ। हज़रत…
- जन्नत हासिल करने के लिये दुआ करना जन्नत हासिल करने के लिये इस दुआ को कसरत से माँगे: तर्जमा: (ऐ मेरे रब!) मुझ को जन्नत की नेअमतों का वारिस बना दे। 📕 सूरह शोअरा: ८५
- हजरत रुकय्या बिन्ते रसूलुल्लाह (र.अ) हज़रत रुकय्या (र.अ) हुजूर (ﷺ) की दूसरी साहबज़ादी (बेटी) थीं, वह पहले अबू लहब के बेटे उत्बा के निकाह में थीं, जब हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिली और लोगों को दावत देना शुरू किया, तो अबू लहब के हुक्म पर उत्बा ने हजरत रुकय्या (र.अ) को तलाक दे दी, फिर…