पहाड़ों में भी अल्लाह तआला की अजीब व गरीब कुदरत कारफ़र्मा है,
जब बारिश होती है तो पहाड़ों में पानी के जखीरे जमा हो जाते हैं, फिर थोड़ा थोड़ा कर के चश्मों, नहरों की शक्ल में पानी बहता है, इस तरह जमीन के दूर दराज के मक़ामात तक को सैराब करता है, बाज़ पहाड़ों पर बर्फ की शक्ल में पानी महफूज हो जाता है, जो सूरज की गरमी से बकद्रे जरूरत थोड़ा थोड़ा पिघल कर नदियों, नालों और नहरों में जाकर जमीन वगैरा को सैराब करता है और कहीं कहीं पहाड़ों पर बड़े बड़े हौज़ भी होते हैं, जिस में पानी स्टाक रहता है। यह अल्लाह का कितना बड़ा निज़ाम है।
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जमीन में मानने वालों और यकीन करने वालों के लिये बहुत सी निशानियाँ हैं।”
[सूरह जारियात २०]