वफ्दे नजरान की मदीने में आमद

1 Islami Traikh Islamic History in hindi

नजरान यमन के एक शहर का नाम है। यहाँ के लोग ईसाई थे। सन ९ हिजरी में रसूलुल्लाह (र.अ)  ने अहले नजरान को इस्लाम की दावत दी। तो साठ अफराद पर मुश्तमिल एक वफ़्द आप की ख़िदमत में हाजिर हुआ। जिन में शुरहबील बिन वदाआ, अब्दुल्लाह, जब्बार बिन कैस जैसे बड़े बड़े पादरी थे। और काफले का अमीर अब्दुल मसीह आकिब था।

उन्होंने हजरत ईसा (अ.स)  के बारे में सवालात किये। जिनके जवाब में अल्लाह तआला ने सूर-ए-आले इमरान की इब्तेदाई अस्सी आयतें नाजिल फ़रमाई। इन आयात में अल्लाह तआला की तरफ से हज़रत ईसा (अ.स)  की बगैर बाप की पैदाइश, उन की नुबुव्वत, व रिसालत, मजहबे इस्लाम की सच्चाई और यहूद व नसारा के एतेरजात का साफ साफ जवाब दिया गया।

मगर उन्होंने मानने से इन्कार कर दिया। तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन को मुबाहला (जिस फरीक का अक़ीदा बातिल हो उस पर अल्लाह की लानत और हलाकत की दुआ करने) की दावत दी। हुजूर (ﷺ) हज़रत हसन, हुसैन, हज़रत अली और फातिमा (र.अ)  को ले कर मैदान में आ गए। मगर नजरान के पादरियों को मुबाहला करने की हिम्मत नहीं हुई। फिर आप (ﷺ) ने फर्माया : अगर यह लोग मुबाहला करते, तो पूरी वादी आग से भर जाती और तमाम अहले नजरान हलाक हो जाते, इस के बाद उन्होंने सालाना जिज़या (टेक्स) अदा करने पर सुलह कर ली।

जिज़ये की वसूलयाबी के लिये अमीने उम्मत हजरत अबू उबैदा (र.अ)  को उन के साथ भेज दिया। उनकी तब्लीग और दावती कोशिशों से इस पूरे इलाके में इस्लाम फैल गया।

📕 इस्लामी तारीख

To be Continued …


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