सुल्तान महमूद ग़ज़नवी (रह.)
सुल्तान महमूद ग़ज़नवी (रह.) इस्लामी तारीख में बड़े नामवर बादशाह गुज़रे हैं, आप मिर सुबुकतगीन के बेटे थे, सन ३५७ हिजरी में पैदा हुए और आला तालीम हासिल की, वालिद साहब के इन्तेकाल के बाद हुकूमत की बाग डोर संभाली और उस को मजबूत करते चले गए। आप ने अपने दौरे हुकूमत में कई इलाके फतह किये और अमन व अमान काइम किया। जुल्म व ज़ियादती को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे, मुस्लिम व गैर मुस्लिम हर एक के साथ इन्साफ़ का मामला करते थे।
रिया (प्रजा) की पूरी खबर रखते थे और उन की जरूरियात को बड़े एहतमाम से पूरा करते। गैर मुस्लिमों के मजहब
और उन की इबादत गाहों का भी बड़ा लिहाज रखते, उन को उन का पूरा हक देते और मजीद इनामात से भी नवाज़ते, अल्बत्ता बेहयाई और फ़ितनों के अड्डों को बेखौफ़ व खतर सफह-ए-हसती से मिटा देते।
सुल्तान महमूद इल्म व फ़ज़ल में भी बहुत आगे थे। अहले इल्म और अस्हाबे कमाल के बड़े कद्रदाँ थे। खास ग़ज़नी में बहुत बड़ा मद्रसा तामीर कराया और उस के इखराजात के लिए एक बड़ा फंड मुकर्रर कर दिया।
आप के दारूस्सलतनत में इतने अरबाबे कमाल जमा हो गये थे के एशिया के किसी बादशाह को यह फक्र हासिल न था, तकरीबन ३५ साल तक इकतिदार को रौनक बख्शने के बाद यह आदिल, मुन्सिफ़, रिआया परवर, खुदा तर्स, उलमा नवाज़ और अज़ीम काइद व सरबराह सन ४२१ हिजरी में इस दारे फ़ानी से रूखसत हो गया, जिस के मिसाली कारनामे कयामत तक तारीख के औराक में महफूज रहेंगे।
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