शबे बरात से पहले मुआफ़ी मांगना कैसा?

शबे बरात से पहले मुआफ़ी मांगना कैसा ?

👉🏽 आजकल व्हाट्सऐप और फेसबुक पर शबे बारात के हवाले से लोग एक दूसरे से अपनी गलतियों की मुआफ़ी मांग रहे हे और ये समज रहे हे हमने मुआफ़ी का हक्क अदा कर दिया.!

🔅 इंसान के दो हक्क है एक हकुकुल्लाह और दुसरा हुकुकुल ईबाद🔅

👉🏽 एक अल्लाह(عَزَّوَجَلَّ) का हक्क है जैसे की… हमने नमाज़ नही पड़ी, रोज़ा नहीं रखा तो इस रात में आप अल्लाह(عَزَّوَجَلَّ) से मुआफ़ी मांगे अल्लाह(عَزَّوَجَلَّ) रहीम है मुआफ़ फरमा देगा.!

✒लैकीन किसी बन्दे का हक्क आपने दबाया, किसी का दील दुखाया या तक़लीफ पोहचाई तो उससे मिल कर मुआफ़ी मांग कर हक्क मुआफ़ नहीं करायेंगे तब तक अल्लाह(عَزَّوَجَلَّ) भी मुआफ़ नहीं करेंगा और अगर यहाँ मुआफ़ नहीं करवाया तो क़यामत में तमाम अपनी नेकिया हक़दार को देनी होगी और आप नेकियों के बा’वजूद ख़ाली होंगे फिर क़यामत का अंजाम आपके सामने है.!

👉🏽 और शरीयत का मसला है जो गुनाह ख़ुफ़िया हो उसकी तोबा और मुआफ़ी भी ख़ुफ़िया होगी और जो गुनाह एलानिया हो उसकी तोबा और मुआफ़ी भी एलानिया होगी व्हाट्सऐप और फेसबुक पे भेजने से मुआफ़ नहीं हो जायेगी.!

✒ यही वजह है के हमारे नबी-ऐ-करीम(ﷺ) का जब इस दनिया से जाने का वक़्त क़रीब आया तो आपने मदीना शरीफ के सारे लोगो को जमा कर के यही काम किया.!

👉🏽 हम आपसे गुज़ारीश करते है की… अगर आप को लगता है के फ़ला के साथ मैंने गलत किया शर्माये नहीं, नबी-ऐ-करीम(ﷺ) की सुन्नत पर अमल करते हुवे खुद उनके पास जाये और मुआफ़ी मांगे और मुआफ़ करवाये इसी में हमारी भलाई है.! इस नेक काम के लिए हमारा नफ़्स हमें रोकेगा, हमारा गुरुर और घमंड रोकेगा मगर हमें नफ़्स को हराना हे.!

✒ लेकिन कुछ हमारे ऐसे भाई हैं जो व्हाट्सऐप और फेसबुक पर ऐसे लोगों से माफी मांगते हैं जिनसे हमारा कोई ताल्लुक ही नहीं.!

👉🏽 मगर आजकल व्हाट्सऐप और फेसबुक पर अपनी गलतियों की मुआफ़ी मांगने की धूम मची है इसलिये की शबे बरात के दिन नामये आमाल तबदील होते है.! में तो ये कहता हुं की आप हर एक से मुआफ़ी मांगे.! और मुआफ़ी मांगनी भी चाहिये.! यक़ीनन इस में कोई शक नही की इस तरह मुआफ़ी मांगना भी सही व दुरुस्त है.! लेकिन अफ़सोस सद अफ़सोस…

➡️ जिनकी बे रुखी, गलत हरकतों और गंदे कामों से घर में माँ-बाप नाराज़ पड़े हैं.!
➡️ भाई-बहन, रिश्तेदार व पड़ोसी रूठे बैठे हैं.!
➡️ मोहल्ले वाले तंग व परेशान हैं.!

👉🏽 वो लोग माँ-बाप, भाई-बहन, रिश्तेदार व पड़ोसियों से मुआफ़ी मांग कर उन्हे राज़ी करने के बजाए, व्हाट्सऐप और फेसबुक के चंद रोज़ा अंजान दोस्तो से माफी मांगने और उन्हे मनाने में लगे हैं, अरे भाई.! जिनका हक्क पहले है, पहले उनसे तो मुआफ़ी मांग लो, पहले उन्हें तो राज़ी कर लो.!

इंशाअल्लाहुल अजीज़ , अल्लाह तआला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे।

इस पोस्ट को ज़्यादा से ज़्यादा लोगो तक पहोचाये। जजाकल्लाह खैर।

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