मन्नत (Mannat/Wish/Votive) की हकीकत

हदीस: हजरते अनस और अबू हुरैरा (रजिअल्लाहु अन्हु) से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने एक बूढ़े को देखा जो अपने दोनों बेटों के बीच में टेक लगाये (सहारा लिए) चल रहा था,
आप (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया : इसको क्या हुआ है ?
उसके बेटों ने कहा की ‘इसने मन्नत ली है (पैदल हज्ज पर जाने की)’
तो आप (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया : ऐ बूढ़े सवारी पर बैठ जा क्यूंकि अल्लाह तआला मोहताज़ नहीं है तेरा और तेरी मन्नत का |
(सहीह मुस्लिम : हदीस न. : 4029, 4030)

हदीस: हजरते इब्ने उमर (रजिअल्लाहु अन्हु) से रिवायत है की, रसूल अल्लाह (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने मन्नत मानने से इनकार किया और फ़रमाया की मन्नत किसी चीज़ को नहीं रोकती |”
(सहीह बुखारी : हदीस नम्बर : 6608)

हदीस: हजरते अबू हुरैरा (रजिअल्लाहु अन्हु) से रिवायत है की, रसूल अल्लाह (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया :
“(अल्लाह तआला फ़रमाता है) मन्नत इंसान को ऐसी कोई चीज़ नहीं देती जो मैंने उसकी तकदीर में न लिखी हो, बल्कि वो तकदीर ही देती है जो मैंने उसके लिए मुकर्रर कर दी है, मैं उसके (मन्नत के) ज़रिये कंजूस का माल निकलवा लेता हूँ |”
(सहीह बुखारी: हदीस नम्बर : 6609)

मन्नत या नज़र मांगना कैसा है ?

Taqdeer, Mohtaj, Wish, Maal, Kanjus

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