मफहूम-ऐ-हदीस ﷺ
अल्लाह के नबी (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने एक रोज़ सहाबा से फ़रमाया:
“क्या मै तुम्हे उस चीज़ के बारे में न बता दू जिसका दर्जा रोज़े , नमाज़ , सदके से भी ज्यादा ?” लोगो ने जवाब दिया: ए अल्लाह के रसूल! हमे जरुर बताये!
आप (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया:
“उन लोगों में सुलह और शांति करा देना जिनमे फूट पड़ी हो, यक़ीनन आपस में नाइत्तेफाकी और लडाई बर्बादी लाने वाली चीज़ है.”
📕 सुनन अबू दावुद, किताब-अल-अदब, हदिस ४९१९
अफ़सोस की बात है के –
आज हमने दींन का पैगाम अपने गैरमुस्लिम दोस्त और भाइयो को नहीं बताया यही वजह है के उन्होंने इस अमन के दींन का मुआज़ना दहशतगर्दी से कीया, अल्लाह हम सब को इखलास के साथ दावते इस्लाम पोहचाने की तौफीक दे !