हज़रत ईसा (अलैही सलाम) का मिशन था लोगों को शैतान की गुलामी और गुनाहों की दलदल से निकालना। इसके लिए वे चाहते थे कि लोग दीनदारी का दिखावा न करें बल्कि सचमुच दीनदार बनें। इसीलिए उन्होंने कहा कि
» मति: “अरे कपटी यहूदी धर्मशास्त्रियों और फरीसियों! तुम्हारा जो कुछ है, तुम उसका दसवाँ भाग, यहाँ तक कि अपने पुदीने, सौंफ और जीरे तक के दसवें भाग को परमेश्वर को देते हो। फिर भी तुम व्यवस्था की महत्वपूर्ण बातों यानी न्याय, दया और विश्वास का तिरस्कार करते हो। तुम्हें उन बातों की उपेक्षा किये बिना इनका पालन करना चाहिये था। 24 ओ अंधे रहनुमाओं! तुम अपने पानी से मच्छर तो छानते हो पर ऊँट को निगल जाते हो।
– (मत्ती 23 : आयत 23 व 24)
यहां पर भी हज़रत ईसा (अलैही सलाम) ने शरीअत को रद्द नहीं किया बल्कि लोगों को डांटा कि वे शरीअत के अहम हुक्मों पर अमल नहीं कर रहे हैं।
♥ हज़रत ईसा (अलैही सलाम) का मिशन था ‘सत्य पर गवाही देना‘. उन्होंने कहा कि
» मति: “हे सब परिश्रम करने वालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ। मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो और मुझसे सीखो।
– (मत्ती 11 : आयत 28 व 29)
हज़रत ईसा (अलैही सलाम) का जूआ लादने के लिए ज़रूरी था कि जो जूआ उन पर पहले से लदा है वे उसे उतार फेंके, लेकिन जो फ़रीसी वग़ैरह इन ग़रीब लोगों पर अपना जूआ लादे हुए थे वे कब चाहते थे कि लोग उनके नीचे से निकल भागें।
» मति की इंजील: ‘तब फ़रीसियों ने बाहर जाकर यीशु के विरोध में सम्मति की, कि यीशु का वध किस प्रकार करें।
– (मत्ती 12 : आयत 14)
♥ नक़ली खुदाओं की दुकानदारी का ख़ात्मा था हज़रत ईसा (अलैही सलाम) का मिशन !
नबी के आने से नक़ली खुदाओं की खुदाई का और उनके जुल्म का ख़ात्मा होना शुरू हो जाता है, इसलिये इनसानियत के दुश्मन हमेशा नबी का विरोध करते हैं और आम लोगों को भरमाते हैं।
तब नबी का उसके देश में निरादर किया जाता है, उसे उसके देश से निकाल दिया जाता है और यरूशलम का इतिहास है कि वहां के लोगों ने बहुत से नबियों को क़त्ल तक कर डाला।
हज़रत ईसा (अलैही सलाम) के साथ किया गया शर्मनाक बर्ताव और उन्हें क़त्ल करने की नाकाम कोशिश भी उसी परम्परा का हिस्सा थी।
हज़रत ईसा (अलैही सलाम) का मिशन, अल्लाह का मिशन था और अल्लाह के कामों को रोकना किसी के बस में है नहीं. :
♥ आखि़रकार जब ईसा (अलैही सलाम) के काम में रूकावट डाली गई और उन्हें ज़ख्मी कर दिया गया तो उन्हें कुछ वक्त के लिए आराम की ज़रूरत पड़ी। अल्लाह तआला ने उन्हें दुनिया से उठा लिया, सशरीर और ज़िन्दा। लेकिन उनके उठा लिए जाने से अल्लाह तआला का मिशन तो रूकने वाला नहीं था। सो ईसा (अलैही सलाम) ने दुनिया से जाने से पहले कहा था कि
» यूहन्ना: ‘मैं तुमसे सच कहता हूं कि मेरा जाना तुम्हारे लिए अच्छा है। जब तक मैं नहीं जाऊंगा तब तक वह सहायक तुम्हारे पास नहीं आएगा। परन्तु यदि मैं जाऊंगा तो मैं उसे तुम्हारे पास भेज दूंगा। जब वह आएगा तब संसार को पाप, धार्मिकता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा।’
– (यूहन्ना 16 : आयत 6-8)
» यूहन्ना: ‘मुझे तुमसे और भी बहुत सी बातें कहनी हैं। परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा तब तुम्हें सम्पूर्ण सत्य का मार्ग बताएगा। वह मेरी महिमा करेगा , क्योंकि जो मेरी बातें हैं, वह उन्हें तुम्हें बताएगा।
– (यूहन्ना 16 : आयत 12-14)
हज़रत ईसा (अलैही सलाम) की भविष्यवाणी पूरी हुई और दुनिया में हज़रत मुहम्मद (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) तशरीफ़ लाए। उन्होंने गवाही दी कि ईसा कुंवारी मां के बेटे थे और मसीह थे। अल्लाह के सच्चे नबी थे, मासूम थे। वे ज़िन्दा आसमान पर उठा लिए गए और दोबारा ज़मीन पर आएंगे और मानव जाति के दुश्मन ‘दज्जाल‘ (एंटी क्राइस्ट) का अंत करेंगे। जो बातें मसीह कहना चाहते थे लेकिन कह नहीं पाए, वे सब बातें पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने दुनिया को बताईं और उन्होंने संसार को पाप, धार्मिकता और न्याय के विषय में निरूत्तर किया।
आज ज़मीन पर 153 करोड़ से ज़्यादा मुसलमान आबाद हैं। हर एक मुसलमान सिर्फ़ उनकी गवाही की वजह से ही ईसा को अल्लाह का नबी और मसीह मानते हैं। मरियम को पाक और उनकी पैदाइश को अल्लाह का करिश्मा मानते हैं। क्या ईसा (अलैही सलाम) के बाद दुनिया में हज़रत मुहम्मद (सलल्लाहो अलैहि वसल्लम) के अलावा कोई और पैदा हुआ है जिसने ईसा (अलैही सलाम) की सच्चाई के हक़ में इतनी बड़ी गवाही दी हो और अल्लाह की शरीअत को ज़मीन पर क़ायम किया हो ?
Isa (Alaihay Salam) , Bible