अरब के रास्तों के मुतअल्लिक़ पेशीनगोई एक मर्तबा आप (ﷺ) ने अदी बिन हातिम (र.अ) से फर्माया : “ऐ अदी ! अगर तेरी उम्र लम्बी होगी तो तू देखेगा के ऊँट पर सवार अकेली औरत हिरा (जगह) से चलेगी, यहाँ तक के काबा का तवाफ करेगी। और अल्लाह के अलावा उस को किसी का डर न होगा, चुनान्चे हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मैंने वह जमाना अपनी आँखों से देखा, के एक औरत हिरा से अकेली ऊँट पर सवार हो कर आई और काबा का तवाफ भी किया: उस को अल्लाह के अलावा किसी का डर न था।” 📕 हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा
जख्मी हाथ का अच्छा हो जाना एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) खाना खा रहे थे, इतने में हज़रत जरहद अस्लमी (र.अ) हाजिरे खिदमत हुए, हुजूर ने फ़र्माया: खाना खा लीजिए, हज़रत जरहद के दाहिने हाथ में कुछ तकलीफ थी, लिहाजा उन्होंने अपना बायाँ हाथ बढ़ाया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: दाहिने हाथ से खाओ, हज़रत जरहदने (र.अ) फर्माया : इस में तकलीफ है, तो आप (ﷺ) ने उनके हाथ पर फूंक मारी, तो वह ऐसा ठीक हुआ के उन को मौत तक फिर वह तकलीफ महसूस नहीं हुई। 📕 तबरानी कबीर : २१०८
हज़रत उमर (र.अ) के हक में दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत उमर के लिये दुआ फ़र्माई के: "ऐ अल्लाह ! उमर बिन खत्ताब (र.अ) के जरिये इस्लाम को इज्जत व बुलन्दी अता फ़र्मा", चुनान्चे ऐसा ही हुआ के अल्लाह तआला ने इस्लाम को हज़रत उमर (र.अ) के जरिये वह बुलन्दी और शौकत अता फर्माई के दुनिया उस का एतेराफ करती है। 📕 इब्ने माजा : १०५
बकरी का दूध देना हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) फरमाते हैं के मैं मकामे जियाद में उकबा बिन अबी मुईत की बकरियाँ चरा रहा था, इतने में मुहम्मद (ﷺ) और हजरत अबू बक्र (र.अ) हिजरत करते हुए मेरे पास पहुँचे और कहने लगे: तुम हम को दूध पिला सकते हो? मैंने कहा: यह बकरियाँ मेरे पास अमानत हैं मैं इन का दूध कैसे पिला सकता हूँ? तो फर्माया: अच्छा ठीक है इतना तो करो के जिस बकरीने अभी तक बच्चा नहीं जना उसको ले आओ, तो मैंने ऐसी बकरी हाज़िर कर दी। आप (ﷺ) ने उसके थनों पर जैसे ही हाथ फेरा थनों में…
कुबा के कुंवें में पानी का भर जाना हजरत अनस (र.अ) एक मर्तबा कुबा तशरीफ ले गए, वहाँ के लोगों से पूछा कुंवा कहाँ है? लोगों ने बतलाया। वहाँ पहुँच कर देखा तो फ़रमाया हाँ यह वही कुंवाँ है जिस में से लोग अपनी जरूरत के लिये पानी ले जाया करते थे तो पानी बहुत कम हो जाता था। एक बार आप (ﷺ) इस कुंवे पर तशरीफ लाए और बड़ा डोल भर कर पानी निकलवाया और उसमें से कुछ पिया और बढ़िया पानी से या तो वुजू किया या फिर उस में अपना मुबारक थूक डाला और फिर फ़रमाया : इस को कुंवे में डाल दो। हज़रत अनस…
कब्र के बारे में ख़बर देना हजरत अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ) फर्माते हैं के: जब हम लोग हुजूर (ﷺ) के साथ ताइफ जा रहे थे तो रास्ते में हमारा गुजर एक कब्र के पास से हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : यह अबू रिग़ाल की कब्र है जो कौमे समूद का एक फर्द था। मक्का की जमीन उसको अपने से दूर कर रही थी तो वह वहाँ से निकल गया जब वह यहाँ पहुँचा तो उसको वही अज़ाब आ पहुँचा जो उसकी कौम पर आया था और फिर यहीं दफन कर दिया गया। और उस की निशानी यह है के उस के साथ उस की…
हुजूर (ﷺ) की दुआ की बरकत एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अली (र.अ) को काज़ी बना कर यमन भेजा, तो हज़रत अली कहने लगे: या रसूलल्लाह! मैं तो एक नौजवान आदमी हूँ मैं उन के दर्मियान फैसला (कैसे) करूँगा? हालाँकि मैं ! तो यह भी नहीं जानता के फैसला क्या चीज है ? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मेरे सीने पर अपना हाथ मुबारक मारा और फर्माया : ऐ अल्लाह ! इस के दिल को खोल दे और हक बात वाली जबान बना दे, हजरत अली फरमाते हैं के अल्लाह की कसम ! उस के बाद मुझे कभी भी दो आदमियों के दर्मियान फैसला करने में शक…
गूंगे का अच्छा होना रसूलुल्लाह (ﷺ) हज्जतुल विदाअ में जब जमर-ए-अकबा की रमी कर के वापस होने लगे, तो एक औरत अपने एक छोटे बच्चे को लेकर हाज़िरे खिदमत हुई और अर्ज़ किया: या रसूलल्लाह (ﷺ) ! मेरे इस बच्चे को ऐसी बीमारी लग गई है के बात भी नहीं कर सकता, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक बर्तन में पानी मंगवाया और दोनों हाथों को धोया और कुल्ली की और फिर वह बरतन उस औरत के हवाले करने के बाद फ़र्माया: “इसमें से बच्चे को पिलाती रहना और थोड़ा थोड़ा इसपर छिड़कती रहना और अल्लाह तआला से शिफा की दुआ करती रहना।” हज़रत उम्मे जूंदूब (र.अ) फ़र्माती…
ख़ुशहाली आम होने की खबर देना हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मुझ से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “अगर तेरी उम्र जियादा होगी तो तू देखेगा के आदमी मिट्टी भर सोना और चाँदी खैरात के लिये लाएगा और मोहताज को तलाश करेगा, लेकिन उसे कोई (सद्का) लेने वाला नहीं मिलेगा।” 📕 बुखारी: ३५१५ वजाहत: उलमा ने लिखा है के हजरत अदी बिन हातिम (र.अ) की उम्र १२० साल हुई और यह पेशीनगोई हज़रत उमर बिन अब्दुल अजीज (र.) के जमाने में पूरी हुई के ज़कात लेने वाला कोई मोहताज व मुफलिस नहीं मिलता था।
एक प्याला खाने में बरकत हज़रत समुरह बिन जुन्दुबई (र.अ) फ़र्माते हैं के: “एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास कहीं से एक प्याला आया जिस में खाना था, तो उस को आपने सहाबा को खिलाया, एक जमात खाना खा कर फ़ारिग होती फिर दूसरी जमात बैठती, यह सिलसिला सुबह से जोहर तक चलता रहा, एक आदमी ने हज़रत समुरह (र.अ) से पूछा क्या खाना बढ़ता था, तो हज़रत समुरह (र.अ) ने फर्माया : इस में तअज्जुब की क्या बात है, खाना आस्मान से उतरता था।“ 📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुबुह : २३४२
हराम लुकमे का गले से नीचे न उतरना एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) किसी की नमाजे नजाजा पढ़ कर वापस आ रहे थे, रास्ते में एक आदमी एक औरत की तरफ से खाने की दावत देने आया, तो हजर (र.अ) ने दावत कुबूल फ़रमा ली और रसूलुल्लाह (ﷺ) अपने सहाबा के साथ उस औरत के घर तशरीफ ले गए। जब खाना सामने रखा गया, तो सब से पहले हुजूर (ﷺ) ने लुकमा उठाया और फिर सहाबा ने खाना शुरू कर दिया, लेकिन वह लुकमा हजर (ﷺ) के गले से नीचे नहीं उतर रहा था, तो आप (ﷺ) ने फरमाया : मुझे लगता है के यह बकरी मालिक की इजाजत…
आँख की रोशनी का तेज होना हज़रत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के आप (ﷺ) अंधेरे में इस तरह देखते थे, जिस तरह रौशनी और उजाले में देखते थे। 📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुबुब्यह: २३२६
आँखों की बीनाई का लौट आना हज़रत हबीब बिन अबी फुदैक (र.अ) फ़र्माते हैं के मेरे वालिद की आँखें सफेद हो गईं थीं जिस की वजह से उनको कोई चीज़ नज़र नहीं आती थी, तो एक दिन मेरे वालिद हुजूर (ﷺ) की ख़िदमत में जाना चाहते थे तो मुझे साथ ले लिया, जब हम वहाँ पहुँचे तो हुजूर (ﷺ) ने पूछा यह क्या हुआ ? मेरे वालिद ने फर्माया मैं अपने ऊँट को तेल लगा रहा था इतने में मेरा पैर साँप के अँडे पर पड़ गया तब से मेरी यह हालत हो गई है, तो हुजूर (ﷺ) ने उनकी आँखों पर दम किया, आँखें उसी…
काफिर का मरऊब हो जाना हज़रत जाबिर (र.अ) फर्माते हैं के हम रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ एक ग़ज़वे में जा रहे थे, रास्ते में एक जगह पड़ाव डाला, तो लोग इधर उधर दो दो, तीन तीन की जमात बना कर दरख्तों के नीचे आराम करने लगे, रसूलुल्लाह (ﷺ) भी एक दरख्त के नीचे आराम फरमाने के लिये तशरीफ ले गए, और अपनी तलवार उस दरख्त पर लटका कर सो गए, रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़र्माते हैं के मैं सोया हुआ था के एक आदमी आया और उस ने मेरी तलवार ले ली, अचानक मैं बेदार हुआ तो क्या देखता हूँ के वह तलवार लिये मेरे सर पर…
थोड़ी सी खजूर में बरकत हज़रत नोमान बिन बशीर (अ.स) की बहन बयान करती हैं के, खन्दक की खुदाई के मौक़े पर मेरी वालिदा अमरा बिन्ते रवाहा ने मुझे बुलाया और मेरे दामन में एक लब (दोनों हथेली) भर कर खजूर दी और फ़रमाया “यह अपने वालिद और मामू अब्दुल्लाह बिन रवाहा को दे आओ, चुनान्चे मैं चली, वहाँ पहुँच कर अपने वालिद और मामू को तलाश करने लगी, इतने में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मुझे देख लिया, तो फ़रमाया ऐ बेटी इधर आओ ! मैं आप (ﷺ) के पास पहुँची, तो आप ने पूछा यह क्या है? मैंने कहा यह थोड़ी सी खजूर है मेरी…
MD. Salim Shaikh
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