हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) फरमाते हैं के मैं मकामे जियाद में उकबा बिन अबी मुईत की बकरियाँ चरा रहा था, इतने में मुहम्मद (ﷺ) और हजरत अबू बक्र (र.अ) हिजरत करते हुए मेरे पास पहुँचे और कहने लगे: तुम हम को दूध पिला सकते हो?
मैंने कहा: यह बकरियाँ मेरे पास अमानत हैं मैं इन का दूध कैसे पिला सकता हूँ? तो फर्माया: अच्छा ठीक है इतना तो करो के जिस बकरीने अभी तक बच्चा नहीं जना उसको ले आओ, तो मैंने ऐसी बकरी हाज़िर कर दी।
आप (ﷺ) ने उसके थनों पर जैसे ही हाथ फेरा थनों में दूध भर आया फिर उसको एक प्याले में दूहा, उस में से आप (ﷺ) ने पिया फिर हज़रत अबू बक्र (र.अ) को और फिर मुझ को पिलाया और थनों से कहा सुकड़ जाओ तो वह थन अपनी पहली हालत पर लौट आए।
📕 तबरानी कबीर: ८३७४, अन इब्ने मसऊद (र.अ)
Discover more from उम्मते नबी ﷺ हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.