तमाम हिन्दोस्तानी भाई बहनों को यौम-ए-आज़ादी मुबारक (Happy Independence Day)
ये आज़ादी हमें याद दिलाती है, कि हम उन ज़ालिम अंग्रेजो से मुकाबला कर के कभी उनके चंगुल से छूट न पाएँ, इसलिए 1857 की आज़ादी की पहली जंग के बाद अंग्रेजो ने “Divide and Rule” की पॉलिसी अपना कर हमें आपस मे लड़वाने की साज़िश रची।
और हम वाकई मे अंग्रेज़ो को छोड़ कर आपस मे ही उलझ गए … और दोस्तों जब तक हम आपस मे लड़ते रहे, तब तक आज़ाद भी न हो सके।
आज़ाद हम तब हुए जब हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हर भाई ने नफरत भुला कर एक दूजे के कन्धे से कन्धा मिलाकर अंग्रेज़ो को धक्का दिया।
हमारे देश मे सत्ता पाने के लिए कुछ लोग आज भी हिन्द की अवाम के बुनियादी मुद्दों से ध्यान हटाकर उन्हें कौम ओर मज़हब के नाम पर उसे आपस मे उलझाए रखना चाहते हैं, और अवाम उलझ उलझकर बेहाल हो रही है।
*क्या ये वक्त नहीं है दोस्तों कि हम जंग ए आज़ादी से सबक लें, और आने वाली नस्लों को एक बेहतर हिन्दोस्तान देने के लिए आज आपस के झगड़े खत्म कर के ज़ुल्म और नाइन्साफी के खिलाफ एक आवाज बन जाएं।
*इतिहास बड़े काम की चीज है दोस्तों, अगर हम उससे सबक लेकर गलत दिशाओं मे उठते अपने कदमों को रोक लें तो जरुर हमारा देश पूरी तरह से आजाद हो जायेगा उन लोगों के नापाक इरादो से जो आज भी अंग्रजो की स्कीम “फूट डालो और राज करो” के नियमो के माध्यम से हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई को आपस में लडवाकर उनकी लाशो पर अपनी रोटिया सेक रहे है।
“वतन हमारा रहे शादक़ाम और आबाद ।
हमारा क्या है, हम रहें रहें, रहें न रहें ॥”
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