हज़रत हबीब बिन अबी फुदैक (र.अ) फ़र्माते हैं के मेरे वालिद की आँखें सफेद हो गईं थीं जिस की वजह से उनको कोई चीज़ नज़र नहीं आती थी, तो एक दिन मेरे वालिद हुजूर (ﷺ) की ख़िदमत में जाना चाहते थे तो मुझे साथ ले लिया, जब हम वहाँ पहुँचे तो हुजूर (ﷺ) ने पूछा यह क्या हुआ ? मेरे वालिद ने फर्माया मैं अपने ऊँट को तेल लगा रहा था इतने में मेरा पैर साँप के अँडे पर पड़ गया तब से मेरी यह हालत हो गई है, तो हुजूर (ﷺ) ने उनकी आँखों पर दम किया, आँखें उसी वक़्त अच्छी हो गईं।
हज़रत हबीब फ़र्माते हैं के मेरे वालिद ८० बरस की उम्र में भी सूई में धागा पिरो लिया करते थे।
काफिर का मरऊब हो जाना हज़रत जाबिर (र.अ) फर्माते हैं के हम रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ एक ग़ज़वे में जा रहे थे, रास्ते में एक जगह पड़ाव डाला, तो लोग इधर उधर दो दो, तीन तीन की जमात बना कर दरख्तों के नीचे आराम करने लगे, रसूलुल्लाह (ﷺ) भी एक दरख्त के नीचे आराम फरमाने के लिये तशरीफ ले गए, और अपनी तलवार उस दरख्त पर लटका कर सो गए, रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़र्माते हैं के मैं सोया हुआ था के एक आदमी आया और उस ने मेरी तलवार ले ली, अचानक मैं बेदार हुआ तो क्या देखता हूँ के वह तलवार लिये मेरे सर पर…
कब्र के बारे में ख़बर देना हजरत अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ) फर्माते हैं के: जब हम लोग हुजूर (ﷺ) के साथ ताइफ जा रहे थे तो रास्ते में हमारा गुजर एक कब्र के पास से हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : यह अबू रिग़ाल की कब्र है जो कौमे समूद का एक फर्द था। मक्का की जमीन उसको अपने से दूर कर रही थी तो वह वहाँ से निकल गया जब वह यहाँ पहुँचा तो उसको वही अज़ाब आ पहुँचा जो उसकी कौम पर आया था और फिर यहीं दफन कर दिया गया। और उस की निशानी यह है के उस के साथ उस की…
दरख्त का नबी (ﷺ) की गवाही देना हजरत इब्ने उमर (र.अ) फर्माते हैं के हम एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ सफर में थे के - एक देहाती आप (ﷺ) की खिदमत में आया, तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया : तुम गवाही दो, इस बात की के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और उस का कोई शरीक नही और मुहम्मद उस के बन्दे और रसूल हैं, तो वह कहने लगा, तुम्हारी इस बात पर गवाह कौन है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: यह सलम का दरख्त, वह दरख्त मैदान के किनारे पर था, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस को बुलाया, तो वह जमीन को चीरता हुआ आप…
हज़रत साबित (र.अ) के लिये पेशीनगोई हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा आप (ﷺ) ने हज़रत साबित बिन कैस (र.अ) से फरमाया था: "क्या तुम इस पर राजी नहीं के एक अच्छी जिन्दगी बसर करो और शहीद की मौत मरोऔर फिर जन्नत में दाखिल हो जाओ? तो हजरत साबित ने फरमाया : या रसूलल्लाह (ﷺ) हाँ क्यों नहीं। चुनान्चे हज़रत साबित (र.अ) ने अच्छी जिन्दगी बसर कीऔर फिर अल्लाह की राह में शहीद हो गए।" 📕 मुअजमे कबीर लित तबरानी : १२९६
हज़रत उमर (र.अ) के हक में दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत उमर के लिये दुआ फ़र्माई के: "ऐ अल्लाह ! उमर बिन खत्ताब (र.अ) के जरिये इस्लाम को इज्जत व बुलन्दी अता फ़र्मा", चुनान्चे ऐसा ही हुआ के अल्लाह तआला ने इस्लाम को हज़रत उमर (र.अ) के जरिये वह बुलन्दी और शौकत अता फर्माई के दुनिया उस का एतेराफ करती है। 📕 इब्ने माजा : १०५
जख्मी हाथ का अच्छा हो जाना एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) खाना खा रहे थे, इतने में हज़रत जरहद अस्लमी (र.अ) हाजिरे खिदमत हुए, हुजूर ने फ़र्माया: खाना खा लीजिए, हज़रत जरहद के दाहिने हाथ में कुछ तकलीफ थी, लिहाजा उन्होंने अपना बायाँ हाथ बढ़ाया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: दाहिने हाथ से खाओ, हज़रत जरहदने (र.अ) फर्माया : इस में तकलीफ है, तो आप (ﷺ) ने उनके हाथ पर फूंक मारी, तो वह ऐसा ठीक हुआ के उन को मौत तक फिर वह तकलीफ महसूस नहीं हुई। 📕 तबरानी कबीर : २१०८
ख़ुशहाली आम होने की खबर देना हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मुझ से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “अगर तेरी उम्र जियादा होगी तो तू देखेगा के आदमी मिट्टी भर सोना और चाँदी खैरात के लिये लाएगा और मोहताज को तलाश करेगा, लेकिन उसे कोई (सद्का) लेने वाला नहीं मिलेगा।” 📕 बुखारी: ३५१५ वजाहत: उलमा ने लिखा है के हजरत अदी बिन हातिम (र.अ) की उम्र १२० साल हुई और यह पेशीनगोई हज़रत उमर बिन अब्दुल अजीज (र.) के जमाने में पूरी हुई के ज़कात लेने वाला कोई मोहताज व मुफलिस नहीं मिलता था।
हुजूर (ﷺ) के हाथों की बरकत हज़रत आइज़ बिन अम्र (र.अ) को जंगे हुनैन में दौराने जंग चेहरे पर एक चोट लगी, जिस की वजह से चेहरा, दाढ़ी और सीना खून आलूद हो गया, तो हुजूर (ﷺ) ने अपने हाथ से उस को साफ किया और उन के हक में दुआ फ़रमाई। रावी फ़र्माते हैं के हज़रत आइज़ (र.अ) ने अपनी ज़िन्दगी में यह वाकिआ बहुत मर्तबा सुनाया, चुनान्चे जब आप की वफात हुई तो गुस्ल देते हुए हम ने वह जगह (जिस पर खून साफ करते वक़्त हुजूर (ﷺ) का हाथ मुबारक लगा था) बिल्कुल सफेद और चमकदार पाई। 📕 तबरानी कबीर : १४४६०
बकरी का दूध देना हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) फरमाते हैं के मैं मकामे जियाद में उकबा बिन अबी मुईत की बकरियाँ चरा रहा था, इतने में मुहम्मद (ﷺ) और हजरत अबू बक्र (र.अ) हिजरत करते हुए मेरे पास पहुँचे और कहने लगे: तुम हम को दूध पिला सकते हो? मैंने कहा: यह बकरियाँ मेरे पास अमानत हैं मैं इन का दूध कैसे पिला सकता हूँ? तो फर्माया: अच्छा ठीक है इतना तो करो के जिस बकरीने अभी तक बच्चा नहीं जना उसको ले आओ, तो मैंने ऐसी बकरी हाज़िर कर दी। आप (ﷺ) ने उसके थनों पर जैसे ही हाथ फेरा थनों में…
गूंगे का अच्छा होना रसूलुल्लाह (ﷺ) हज्जतुल विदाअ में जब जमर-ए-अकबा की रमी कर के वापस होने लगे, तो एक औरत अपने एक छोटे बच्चे को लेकर हाज़िरे खिदमत हुई और अर्ज़ किया: या रसूलल्लाह (ﷺ) ! मेरे इस बच्चे को ऐसी बीमारी लग गई है के बात भी नहीं कर सकता, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक बर्तन में पानी मंगवाया और दोनों हाथों को धोया और कुल्ली की और फिर वह बरतन उस औरत के हवाले करने के बाद फ़र्माया: “इसमें से बच्चे को पिलाती रहना और थोड़ा थोड़ा इसपर छिड़कती रहना और अल्लाह तआला से शिफा की दुआ करती रहना।” हज़रत उम्मे जूंदूब (र.अ) फ़र्माती…
जमात के मुतअल्लिक़ ख़बर देना एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) अपने सहाबा से गुफ्तगू फ़रमा रहे थे, दौराने गुफ्तगू इर्शाद फ़रमाया : अभी तुम्हारे पास इस तरफ से मश्रिक वालों की एक बा अख़्लाक़ जमात आएगी, चुनान्चे हज़रत उमर (र.अ) खड़े हो कर उस तरफ चले, थोड़े ही दूर पहुँचे थे के सामने से तेरा अफराद पर मुश्तमिल एक जमात आई, हज़रत उमर (र.अ) ने पूछा : कौन हो, जमात ने कहा : हम कबील-ए-बनी अब्दे कैस से तअल्लुक रखते हैं। हजरत उमर (र.अ) ने पूछा : क्या इस शहर में तिजारत के इरादे से आए हो? तो उन्होंने फरमाया ‘नहीं।’ हज़रत उमर (र.अ) ने फरमाया…
एक प्याला खाने में बरकत हज़रत समुरह बिन जुन्दुबई (र.अ) फ़र्माते हैं के: “एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास कहीं से एक प्याला आया जिस में खाना था, तो उस को आपने सहाबा को खिलाया, एक जमात खाना खा कर फ़ारिग होती फिर दूसरी जमात बैठती, यह सिलसिला सुबह से जोहर तक चलता रहा, एक आदमी ने हज़रत समुरह (र.अ) से पूछा क्या खाना बढ़ता था, तो हज़रत समुरह (र.अ) ने फर्माया : इस में तअज्जुब की क्या बात है, खाना आस्मान से उतरता था।“ 📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुबुह : २३४२
कुबा के कुंवें में पानी का भर जाना हजरत अनस (र.अ) एक मर्तबा कुबा तशरीफ ले गए, वहाँ के लोगों से पूछा कुंवा कहाँ है? लोगों ने बतलाया। वहाँ पहुँच कर देखा तो फ़रमाया हाँ यह वही कुंवाँ है जिस में से लोग अपनी जरूरत के लिये पानी ले जाया करते थे तो पानी बहुत कम हो जाता था। एक बार आप (ﷺ) इस कुंवे पर तशरीफ लाए और बड़ा डोल भर कर पानी निकलवाया और उसमें से कुछ पिया और बढ़िया पानी से या तो वुजू किया या फिर उस में अपना मुबारक थूक डाला और फिर फ़रमाया : इस को कुंवे में डाल दो। हज़रत अनस…
ऊंटों के मुतअल्लिक़ खबर देना गज़व-ए-बनू मुस्तलिक में हज़रत जुवैरिया (र.अ) को मुसलमानों ने कैद कर लिया था, तो उन के वालिद आप (ﷺ) की खिदमत में बतौर फिदया के ऊंट लेकर हाज़िर हुए, लेकिन उनमें से दो ऊंटों को वादि-ए-अक़ीक़ में एक तरफ बाँध दिया था और आकर कहा : मेरी बेटी को मेरे हवाले कर दीजिये और उसके फिदये में यह ऊँट हाज़िर हैं। आप (ﷺ) ने फर्माया : वह दो ऊँट कब लाओगे जो तुम को ज़्यादा पसंद हैं और जिन को बाँध कर आए हो? वालिद ने कहा : मैं गवाही देता हूँ के आप अल्लाह के रसूल (ﷺ) हैं, यह…
अरब के रास्तों के मुतअल्लिक़ पेशीनगोई एक मर्तबा आप (ﷺ) ने अदी बिन हातिम (र.अ) से फर्माया : “ऐ अदी ! अगर तेरी उम्र लम्बी होगी तो तू देखेगा के ऊँट पर सवार अकेली औरत हिरा (जगह) से चलेगी, यहाँ तक के काबा का तवाफ करेगी। और अल्लाह के अलावा उस को किसी का डर न होगा, चुनान्चे हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मैंने वह जमाना अपनी आँखों से देखा, के एक औरत हिरा से अकेली ऊँट पर सवार हो कर आई और काबा का तवाफ भी किया: उस को अल्लाह के अलावा किसी का डर न था।” 📕 हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा
MD. Salim Shaikh
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