मुसलमान केवल कुरान और हदीस पर विचार कर के बहुत जल्द उस मुकाम पर पहुंच सकते हैं जहां अत्यधिक विकसित देश कई सालों की रिसर्च और अरबों डॉलर खर्च कर के पहुँचे हैं..
दुनिया के मशहूर वैज्ञानिक, वर्तमान समय में भौतिकी के सबसे बड़े शोधकर्ता फ्रैंक ट्रिपलर (Frank Trippler) की चार सौ पेज की मशहूर किताब Physics of Morality (फिज़िक्स आफ मोरॉलिटी) का वर्णन किया… जिसके एक अध्याय Omega Point Theory (ओमेगा प्वाइंट थ्योरी) में उसने अपने एक शोध में ब्रह्मांड के अंजाम, आखिरत (परलोक), दोबारा उठाया जाना, जन्नत और दोज़ख (नरक) का वर्णन करते हुए स्वीकार किया कि ये बिल्कुल ऐसा ही है जैसे मुसलमानों की आसमानी किताब कुरान की सूरे बक़रा, सूरे अल-नजम और सूरे अलक़यामह में बताया गया है.
और इस रिसर्च के मुताबिक़ परलोक का रूप बिल्कुल सूरे मुल्क की आयत जैसा है।….
असल में फ्रैंक ट्रिपलर तो साइंस और भौतिकी पढ़ते पढ़ते कुरान की सच्चाई तक जा पहुँचा और फिछले कई दशकों की सबसे बड़ी थ्योरी लेकर आ गया लेकिन हम भी अजीब लोग हैं सच्चाई की ये किताब हमारे घरों में, अलमारियों में, खूबसूरत जुज़दानों में और तावीज़ों में पड़ी रहती है और जो पुकार पुकार कर कहती है कि ”मुझ पर विचार तो करो‘ मुझ पर विचार तो करो।’
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