13 जमादी-उल-अव्वल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

Sirf 5 minute ka Madarsa Day 133

13 Jumada-al-Awwal | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

रमज़ान की फरज़ियत और ईद की खुशी

सन २ हिजरी में रमजान के रोजे फर्ज हुए। इसी साल सदक-ए-फित्र और जकात का भी हुक्म नाजिल हुआ।

रमजान के रोजे से पहले आशूरा का रोज़ा रखा जाता था, लेकिन यह इख्तियारी था, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) मदीना तशरीफ लाए, तो देखा के अहले मदीना साल में दो दिन खेल, तमाशों के जरिये खुशियाँ मनाते हैं, तो आप (ﷺ) ने उनसे दरयाफ्त किया के इन दो दिनों की हकीकत क्या है? सहाबा ने कहा : हम ज़माना-ए-जाहिलियत में इन दो दिनों में खेल, तमाशा करते थे।

चुनान्चे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“अल्लाह तआला ने इन दो दिनों को बेहतर दिनों से बदल दिया है, वह ईदुल अजहा और ईदुल फित्र है, बिल आख़िर १ शव्वाल सन २ हिजरी को पहली मर्तबा ईद मनाई, अल्लाह तआला ने ईद की खुशियाँ व मसर्रतें मुसलमानों के सर पर फतह व इज्जत का ताज रखने के बाद अता फ़रमाई।”

जब मुसलमान अपने घरों से निकल कर तक्बीर व तौहीद और तस्बीह व तहमीद की आवाजें बुलन्द करते हुए मैदान में जाकर नमाजे ईद अदा कर रहे थे, तो दिल अल्लाह की दी हुई नेअमतों से भरे हुए थे, इसी जज्बा-ए-शुक्र में दोगाना नमाज़ में उनकी पेशानी अल्लाह के सामने झुकी हुई थी।

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

काइनात की सबसे बड़ी मशीनरी

इन्सान इस कायनात की सबसे बड़ी मशीनरी है, अल्लाह तआला ने इस को किस अजीब साँचे में ढाला है, एक नुत्फे से तदरीजी तौर पर जमा हुआ खून बनाया, जमे हुए खून से गोश्त का लोथड़ा बनाया फिर हड्डियाँ बनाई फिर एक ढाँचा तय्यार किया फिर उस में सारे आजा नाक, कान, आँखें, दिल, दिमाग, हाथ, पैर, बेहतरीन तरतीब से फिट किए।

यह सारा निजामे कुदरत एक छोटी सी अंधेरी कोठरी में चल रहा है, जिस माँ के पेट में यह बच्चा तय्यार हो रहा है उस माँ को भी पता नहीं, न उस के के बाप को पता है के क्या हो रहा है इस निजामे कुदरत को देख कर बे साख्ता जबान पर आ जाता है, “बाबरकत है वह अल्लाह की ज़ात जो बेहतरीन तख़्लीक़ करने वाली है।”

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

हज़रत मुहम्मद (ﷺ) को आखरी नबी मानना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“(हज़रत मुहम्मद (ﷺ) ) अल्लाह के रसूल और खातमुन नबिय्यीन हैं।”

📕 सूरह अहज़ाब : ४०

वजाहत: रसूलुल्लाह (ﷺ) अल्लाह के आखरी नबी और रसूल हैं, लिहाजा आप (ﷺ) को आख़री नबी और रसूल मानना और अब क़यामत तक किसी दूसरे नए नबी के न आने का यकीन रखना फर्ज है।


4. एक सुन्नत के बारे में

इस्मिद सुरमा लगाना

हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ) फरमाते हैं के,

“रसूलुल्लाह (ﷺ) से हर रात सोने से पहले तीन मर्तबा इस्मिद सुरमा लगाया करते थे।”

📕 मुस्तदरक हाकिम: ८२४९


5. एक अहेम अमल की फजीलत

किसी इज्जत की हिफाज़त करने का सवाब

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जिस ने पीठ पीछे अपने भाई की इज्जत की हिफाजत की। अल्लाह तआला अपनी जिम्मेदारी से उस को (जहन्नम की) आग से आज़ाद कर देगा।”

📕 तबरानी कबीर : १९९१६


6. एक गुनाह के बारे में

मोमिन को नाहक़ क़त्ल करने की सज़ा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“हर गुनाह के बारे में अल्लाह से उम्मीद है के वह माफ कर देगा, सिवाए उस आदमी के जो अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक करने की हालत में मरा हो या उस ने किसी मोमिन को जान बूझ कर क़त्ल किया हो।”

📕 अबू दाऊद: ४२७०


7. दुनिया के बारे में

दुनिया मोमिनों के लिये कैदखाना है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“दुनिया मोमिन के लिये कैदखाना है और काफिर के लिये जन्नत है।”

📕 मुस्लिम : ७४१७

वजाहत: शरीअत के अहकाम पर अमल करना, नफसानी ख्वाहिशों को छोड़ना, अल्लाह और उसके रसूल के हुक्मों पर चलना नफ्स के लिये कैद है और काफिर अपने नफ्स की हर ख्वाहिश को पूरी करने में आज़ाद है, इस लिये गोया दुनिया ही उसके लिये जन्नत का दर्जा रखती है। अगरचे के आख़िरत में उसके लिए रुस्वाई है और मोमिन के लिए जन्नत।


8. आख़िरत के बारे में

बुरे लोगों का अंजाम

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जो शख्स झुटलाने वाले गुमराहों में से होगा, तो खौलते हुए गरम पानी से उसकी मेहमानवाजी होगी और उसे दोजख में दाखिल किया जाएगा।”

📕 सूरह वाकिआ: ९२ ता ९४


9. तिब्बे नबवी से इलाज

कै (उल्टी) के जरिये इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने कै (Vomit) की और फिर वुजू फ़रमाया।

📕 तिर्मिजी : ८७

वजाहत : अल्लामा इब्ने कय्यिम (रह.) लिखते हैं : कै(उलटी) से मेअदे की सफाई होती है और उस में ताकत आती है, आँखों की रौशनी तेज होती है, सर का भारी पन खत्म हो जाता है। इस के अलावा और भी बहुत से फवायद हैं।


10. क़ुरान की नसीहत

ऐ ईमान वालो! तुम सब अल्लाह तआला से तौबा करो

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“ऐ ईमान वालो! तुम सब के सब अल्लाह तआला से तौबा कर लो,
ताके तुम कामयाब हो जाओ।”

📕 सूरह नूर: ३१

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