अवेन्ज़ोअर (Avenzoar) (1094–1162): जो लोग मेडिसिन से ताल्लुक रखते है वो ज़रूर इस नाम को जानते होंगे। इनका असल नाम “इब्न ज़ुहर” था। यह वो थे जिन्होंने बहुत सारे ऐसे आलात(इक्यूपमेंट) ईजाद किये जिसके ज़रिये सर्जरी की जाती है,.. मॉडर्न सर्जरी !!!
बहुत सारे आलात फिर चाहे वो ब्लेड की शक्लें हो , मुख़तलिफ़ किस्म के औज़ार हो ये इन्ही की देन है। और वो औज़ार जो इन्होने ईजाद किये आज भी मौजूद है ऐसे घरो के अंदर जहाँ लोग जमा करते है मुख्तलिफ पुरानी चीज़, ऐसे म्यूजियम में आज भी जमा है जो इस दौर में इस्तेमाल हो रहे है!
– हु-बा-हु वैसे ही थे वो जैसे उन्होंने बनाये,
– चाहे फिर वो दांतो के इलाज के लिए औज़ार हो, पेट चीरने का मुआमला हो और ऑपरेशन करने का मुआमला हो,..
– चाहे फिर आँखों के अंदर से मोतिया बिन्द (आई केट्रैक्ट) निकालने का मुआमला हो !! मुसलमान इस फन में माहिर थे ….
यहाँ तक के मुसलमान ७०० साल यूरोप के पहले से “आई केट्रैक्ट” होलो निड्ल के जरये आसानी से निकाल लेते थे और युरोप ने ये प्रक्टिस १४०० साल के बाद शुरू की वो भी डरते-डरते की कहीं इंसान अँधा न हो जाए।
लेकिन मुसलमान ७ वी सदी तक मोतिया बिन्द निकाल लेते थे आसानी से इतने महारत रखते थे इस फील्ड और इस फन में।
यह मुसलमानो की देन है क्यूंकि उनके रब ने हुक्म दिया की “इक़रा बिस्मे रब्ब-अल-लज़ी ख़लाक़ा (पढ़ अपने रब के नाम से जिस ने पैदा किया)”
– तो बस अपने रब का नाम लेकर पढ़ लिया और हर उलूम के अंदर महारत हासिल कर ली,
– जो-जो नाफ़े और हलाल इल्म था सब हासिल कर लिया …
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