19 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
इमाम अबू दाऊद (रह.)
आप का नाम सुलेमान और वालिद का नाम अशअस था, अबू दाऊद आप का शुरू ही से लकब था, आप की विलादत बा सआदत सन २०२ हिजरी में शहर “सजिस्तान” में हुई।
आपने इल्म हासिल करने के लिए मिस्र, जजीरा, इराक और खुरासान वगैरा के सफ़र किए, आप बड़े बड़े हुफ्फाज़े हदीस और फुकहा में से एक है, लेकिन फ़न्ने हदीस में आप का एक खास मकाम है, आप की शान में यह कहा जाता है के आप के लिये, हदीसे इसी तरह आसान और सहल कर दी गई थीं, जिस तरह हजरत दाऊद के लिए लोहे को नर्म कर दिया गया था और बाज़ उलमा फ़र्माते हैं के इमाम अबू दाऊद दुनिया में हदीस के लिए और आखिरत में जन्नत के लिए पैदा किये गए हैं और हम ने उन से अच्छा और अफ़ज़ल किसी को नहीं देखा।
आप ने बेशमार किताबें लिखी, जिनमें बलंद पाया किताब “सुनन अबी दाऊद” है, जो चार हजार आठ सौ हदीस पर मुश्तमिल है, आप खुद फरमाते है के मैं ने नबी (ﷺ) की पाँच लाख हदीसों में से चार हजार आठ सौ हदीस इस किताब में लिखा है। आप की वफ़ात बसरा में १६ शव्वाल सन ३७५ हिजरी को हुई।
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
बेहोशी से शिफ़ा पाना | हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा
हज़रत जाबिर (र.अ) फ़र्माते हैं के –
“एक मर्तबा मैं सख्त बीमार हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) और हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) दोनों हज़रात मेरी इयादत को तशरीफ़ लाए, यहां पहुँच कर देखा के मैं बेहोश हूँ तो आप (ﷺ) ने पानी मंगवाया और उससे वुजू किया और फिर बाकी पानी मुझपर छिड़का, जिससे मुझे इफ़ाका हुआ और मैं अच्छा हो गया।“
3. एक फर्ज के बारे में
इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है …
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।”
फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।
4. एक सुन्नत के बारे में
घर वालों से नेक बरताव करना
हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के –
आप (ﷺ) ने ग़ज़वे के अलावा कभी भी किसी को अपने हाथ से नहीं मारा और न कभी किसी खादिम को मारा और न ही कभी किसी औरत को मारा।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
नमाजों को सही पढ़ने पर मगफिरत का वादा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“पाँच नमाजें अल्लाह तआला ने फर्ज की हैं, जिस ने उन के लिऐ अच्छी तरह वुजू किया और ठीक वक्त पर उन को पढ़ा और रुकू व सज्दह जैसे करना चाहिये वैस हो किया, तो ऐसे शख्स के लिये अल्लाह तआला का पक्का वादा है, के वह उसको बख्श देगा। और जिस ने ऐसा नहीं किया तो लिए अल्लाह तआला का कोई वादा नहीं, चाहेगा तो उसको बख्श देगा और चाहेगा तो सजा देगा।”
6. एक गुनाह के बारे में
अल्लाह और रसूल की नाफरमानी का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो शख्स अल्लाह और उस के रसूल की नाफर्मानी करेगा, और उसकी (मुकर्रर की हुई) हदों से आगे बढ़ेगा तो अल्लाह तआला उस को आग में दाखिल करेगा, जिसमें वह हमेशा रहेगा, और उसको जलील व रुस्वा करने वाला अजाब होगा।”
📕 सूरह निसा १४
“जो शख्स अल्लाह और उसके रसूल का कहना न माने वह खुली हुई गुमराही में है।”
📕 सूर-ए-अहजाब: ३६
“बिला शुबा जो लोग अल्लाह और उस के रसूल को (उन का हुक्म न मान कर) तकलीफ देते हैं, अल्लाह तआला उन पर दुनिया व आखिरत में लानत करता है। और उन के लिये जलील करने वाला अज़ाब तय्यार कर रखा है।”
📕 सूरह अहज़ाब : ५७
7. दुनिया के बारे में
दुनिया में खाना पीना चंद रोज़ा है
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –
“तुम (दुनिया में) थोड़े दिन खा लो और (उससे) फायदा उठालो, बेशक तुम मुजरिम हो (यानी यह दुनियवी ज़िंदगी चंद रोज़ की है, अगर उसके पीछे पड़ कर अपनी आखिरत की ज़िंदगी को भुला दोगे, तो क़यामत के दिन तुम मुजरिम बन कर उठोगे)।”
8. आख़िरत के बारे में
अहले जन्नत की उम्र
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जन्नती लोग जन्नत में बगैर दाढ़ी के सुरमा लगाए हुए
तीस या तैंतीस साला नौजवान की शकल में
दाखिल होंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
वरम (सूजन) का इलाज
हज़रत अस्मा (र.अ) के चेहरे और सर में वरम (सूजन) हो गया,
तो उन्होंने हजरत आयशा (र.अ) के जरिये आप (ﷺ) को इस की खबर दी। चुनान्चे हुजूर (ﷺ) उन के यहाँ तशरीफ़ ले गए और दर्द की जगह पर कपड़े के ऊपर से हाथ रख कर तीन मर्तबा यह दुआ फ़रमाई।
اللهم أذْهِبْ عَنْهَا سُولَهُ وَفَحْشَهُ بِدَعْوَةٍ بَيْكَ الطَّيِّبِ الْمُبَارَكَ الْمَكِينِ عِندَكَ ، بسم الله
फिर इर्शाद फ़र्माया : यह कह लिया करो, चुनांचे उन्हों ने तीन दिन तक यही अमल किया तो उन का वरम जाता रहा।
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
मोतदिल गिज़ा का इस्तेमाल
खीरा (ककड़ी) के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) खजूर के साथ खीरे खाते थे।
फायदा : मुहद्विसी ने किराम फ़र्माते हैं के खजूर चूँकि गर्म होती है इस लिये आप (ﷺ) उस के साथ ठंडी चीज खीरा (ककड़ी) इस्तेमाल फर्माते थे ताके दोनों मिलकर मोतदिल हो जाएं।
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