23 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

मेअराज का सफर

हिजरत से एक साल पहले हजूर (ﷺ) को सातों आसमानों की सैर कराई गई, जिस को “मेअराज” कहते हैं। क़ुरआने करीम में भी सराहत के साथ इस का तज़केरा आया है। जब आपकी उम्र मुबारक ५१ साल ९ माह हुई, तो रात के वक़्त आपको मस्जिदे हराम लाया गया और जमजम और मकामे इब्राहिम के दर्मियान से बुराक नामी सवारी पर हजरत जिबईल (अ.स.) के साथ बैतूल मकदीस तशरीफ लाए। यहाँ आपने तमाम अम्बियाए किराम की इमामत फर्माई।

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

जख्मी हाथ का अच्छा हो जाना

एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) खाना खा रहे थे, इतने में हज़रत जरहद अस्लमी (र.अ) हाजिरे खिदमत हुए, हुजूर ने फ़र्माया: खाना खा लीजिए, हज़रत जरहद के दाहिने हाथ में कुछ तकलीफ थी, लिहाजा उन्होंने अपना बायाँ हाथ बढ़ाया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: दाहिने हाथ से खाओ, हज़रत जरहदने (र.अ) फर्माया : इस में तकलीफ है, तो आप (ﷺ) ने उनके हाथ पर फूंक मारी, तो वह ऐसा ठीक हुआ के उन को मौत तक फिर वह तकलीफ महसूस नहीं हुई।

📕 तबरानी कबीर : २१०८

3. एक फर्ज के बारे में

वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“हम ने इन्सानों को अपने वालिदैन के साथ हुस्ने सुलूक ही करने का हुक्म दिया है।”

📕 सूरह अहकाफ:१५

फायदा: वालिदैन की इताअत फ़रमाबरदारी करना, उनके साथ अच्छा सलूक करना और उनके सामने अदब के साथ पेश आना इन्तेहाई जरूरी है।

4. एक सुन्नत के बारे में

इत्र लगाना

हजरते आयशा (र.अ) से मालूम किया गया के
रसूलुल्लाह इत्र लगाया करते थे? उन्होंने फ़रमाया :

“हाँ मुश्क वगैरह की उम्दा खुशबु लगाया करते थे।”

📕 निसाई: ५११९

5. एक अहेम अमल की फजीलत

तहज्जुद की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

”जब कोई आदमी रात को अपनी बीवी को बेदार करता है और अगर उस पर नींद का ग़लबा हो, तो उसके चेहरे पर पानी छिडक कर उठाता है और फिर दोनों अपने घर में खड़े होकर रात का कुछ हिस्सा अल्लाह की याद में गुज़रते हैं तो उन दोनों की मग़फिरत कर दी जाती है।”

📕 तबरानी कबीर:3370, अन अबी मालिक (र.अ)

6. एक गुनाह के बारे में

किसी के वालिदैन को बुरा भला कहने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) फरमाते है :

“(शिर्क के बाद) कबीरा गुनाहों में सबसे बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने वालिदैन पर लानत करें”

पूछा गया : ऐ अल्लाह के रसूल! आदमी अपने वालिदैन पर कैसे लानत करेगा?

इर्शाद फ़रमाया :
“वह दूसरे के वालिदैन को बुरा भला कहे फिर वह आदमी उस के वालिदैन को बुरा भला कहे।”

📕 बुखारी : ५९७३

7. दुनिया के बारे में

नाफ़र्मानों से नेअमतें छीन ली जाती हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“वह नाफरमान लोग कितने ही बाग, चश्मे, खेतियाँ और उम्दा मकानात
और आराम के सामान जिन में वह मजे किया करते थे,
(सब) छोड़ गए,
हम ने इसी तरह किया और उन सब चीज़ों का वारिस एक दूसरी कौम को बना दिया।
फिर उन लोगों पर न तो आसमान रोया और न ही जमीन
और नही उन को मोहलत दी गई।”

📕 सूर दुःखान: २५ ता २९

8. आख़िरत के बारे में

जहन्नमियों का खाना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जहन्नम वालों का आज न कोई दोस्त होगा और न कोई खाने की चीज़ नसीब होगी, सिवाए जख्मों के धोवन के जिस को बड़े गुनहगारों के सिवा कोई न खाएगा।

📕 सूरह हाक्का : ३५ ता ३७


“दोज़खियों को खौलते हुए चश्मे का पानी पिलाया जाएगा, उन को कांटेदार दरख्त के अलावा कोई खाना नसीब न होगा, जो न मोटा करेगा और न भूक को दूर करेगा।”

📕 सूर-ए-गाशीया: ५ ता ७

9. तिब्बे नबवी से इलाज

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

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