26 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
औस और खजरज में मुहब्बत और यहूद की दुश्मनी
मदीना तय्यिबा में मुख्तलिफ कबीले आबाद थे, उन में मुशरिकों के दो कबीले औस और खजरज थे, उन के अकसर अफराद इस्लाम में दाखिल हो गए थे, इस्लाम से पहले उन दोनों क़बीलों में हमेशा लड़ाई रहा करती थी। आप (ﷺ) की आमद के मौके पर ईमान क़बूल करने की वजह से दोनों कबीलों के दर्मियान मुहब्बत पैदा हो गई और एक दूसरे के भाई बन गए।
इसी तरह यहूदियों के तीन कबीले बनू नजीर, बनू कुरैजा और बनू कैनुकाअ आबाद थे। रसूलल्लाह (ﷺ) जब हिजरत कर के मदीना पहुँचे, तो यहूदियों के मजहबी हुकूक की हिफाजत और मुसलमानों के दीन की दावत व इशाअत के पेशे नज़र उन से चंद शर्तों पर मुआहदा कर लिया, यहूदी इस के बावजूद इस्लाम और मुसलमानों की बढ़ती हुई ताकत को देख कर हसद करने लगे और अन्दर ही अन्दर इस्लाम के खिलाफ साजिश करने लगे।
जब उन की नफरत व अदावत और बद अहदी हद से बढ़ गई, तो उन को अपनी शरारत और साजिशों की सजा भुगतनी पड़ी।
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
हवा में निज़ामे कुदरत
हवा में अल्लाह का निजामे कुदरत देखो के उस ने हवा पर बादलों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की कैसी डयूटी लगा रखी है के वह बराबर बादलों को ऐसी जमीन पर ले जाकर बारिश बरसाती हैं, जहाँ की जमीन सूखी और पानी के लिये प्यासी हो।
अगर अल्लाह तआला बादलों पर यह ज़िम्मेदारी न लगाता तो बादल पानी के बोझ से बोझल हो कर एक ही जगह पर ठहरे रहते और हमारे बाग़ात और खेतियाँ सूखे रह कर जाया हो जाते।
यकीनन अल्लाह वह बड़ी अजीम जात है जिस का हुक्म बादलों पर भी से चलता है।
3. एक फर्ज के बारे में
क़ज़ा नमाजों की अदायगी
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो कोई नमाज पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो (उसका कफ्फारा यह है के) जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।”
फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए
या सोने की हालत में नमाज़ का वक़्त गुज़र जाए, तो बाद में उसको पढ़ना फर्ज है।
4. एक सुन्नत के बारे में
इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से अल्लाह की पनाह मांगना
रसूलुल्लाह (ﷺ) अक्सर यह दुआ किया करते थे :
तर्जमा: “ऐ अल्लाह ! मैं आपस के इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से तेरी पनाह चाहता हूँ।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
मुतअल्लिक़ीन की खबरगीरी करना एक बेहतरीन सुन्नत
हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) बयान करते हैं के :
“अहले ताल्लुक में से कोई शख्स अगर तीन दिन तक न आता (या उस से मुलाक़ात न होती) तो आप (ﷺ) उसके मुतअल्लिक़ मालूमात फरमाते, अगर वह बाहर (सफर में) होता तो उस के लिये दुआ करते, अगर यह मौजूद होता तो आप उससे मुलाकात फ़रमाते, अगर बीमार होता तो उसकी इयादत फरमाते।
6. एक गुनाह के बारे में
सहाबा की सीरत को दागदार बनाने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“मेरे सहाबा के बारे में अल्लाह से डरते रहना, मेरे बाद उनको निशाना मत बनाना।
जो उनसे मुहब्बत करेगा वह मुझसे मुहब्बत की बिना पर उन से मुहब्बत करेगा
और जो उनसे बुग्ज रखेगा वह मुझसे बुग्ज की बिना पर उन से बुग्ज रखेगा
और जिसने उन को तकलीफ दी उसने मुझ को तकलीफ दी
और जिसने मुझ को तकलीफ दी गोया उस ने अल्लाह को तकलीफ पहुँचाई
और जिसने अल्लाह को तक्लीफ पहुँचाई
करीब है के अल्लाह तआला उसको अजाब में पकड़ ले।”
7. दुनिया के बारे में
सब से बड़ा तक़वे वाला कौन है
एक शख्स ने रसूलल्लाह (ﷺ) की खिदमत में आकर अर्ज़ किया:
“ऐ अल्लाह के रसूल लोगों में सब से बड़ा जाहिद कौन है ?”
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“वह आदमी जो कब्र और उस की बोसीदगी को न भूले और दुनिया की जरूरत से ज़ियादा जेब व जीनत को छोड़ दे, बाकी रहने वाली (आखिरत) को फना हो जाने वाली (दनिया) पर तरजीह दे, आने वाले कल को अपनी (जिन्दगी का) दिन शुमार न करे और अपने आप को मुर्दो की फहेरिस्त में शुमार करे (तो यह सबसे बड़ा ज़ाहिद है)”
8. आख़िरत के बारे में
कुफ्र की सज़ा जहन्नम है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग कुफ्र करते हैं तो अल्लाह तआला के मुकाबले में उन का माल और उन की औलाद कुछ काम नहीं आएगी और ऐसे लोग ही जहन्नम का इंधन होंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
कद्दू (दूधी) से इलाज
۞ हदीस: हज़रत अनस (र.अ) फर्माते हैं के,
“मैंने खाने के दौरान रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा के
प्याले के चारों तरफ से कद्दू तलाश कर के खा रहे थे,
उसी रोज़ से मेरे दिल में कद्दु की रग़बत पैदा हो गई।”
फायदा : अतिब्बा ने इस के बे शुमार फवायद लिखे हैं और अगर बही के साथ पका कर इस्तेमाल किया जाए तो
बदन को उम्दा ग़िज़ाइयत बख्शता है, गरम मिजाज और बुख़ार जदा लोगों के लिये यह गैर मामूली तौर पर नफा बख्श है।
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
बड़ी बीमारियों से हिफ़ाज़त
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स हर महीने तीन दिन सुबह के वक्त शहद को चाटेगा तो उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं होगी।”
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