Dua e Qunoot | Witr ki Namaz mein padhne ki Dua

दुआए कुनूत, वित्र के बाद की तस्बीह | Dua e Qunoot | Witr ki Namaz mein padhne ki Dua

✦ दुआए कुनूत: Dua e Qunoot ✦

اللَّهُمَّ اهْدِنِي فِي مَنْ هَدَيْتَ ، وَ عَافِنِي فِي مَنْ عَافَيْتَ ، وَتَوَلَّنِي فِيمَنْ تَوَلَّيْتَ، وَبَارِكْ لِي فِيمَا أَعْطَيْتَ ، وَقِنِي شَرَّ مَا قَضَيْتَ، فَإِنَّكَ تَقْضِي وَلَا يُقْضَى عَلَيْكَ، وَإِنَّهُ لَا يَذِلُّ مَنْ وَالَيْتَ ، تَبَارَكْتَ رَبَّنَا وَ تَعَالَيتَ۔ 

अल्लाहुम्मदिनी फीमन हदैत, वआफिनी फीमन आफैत व तवल्लनी फीमन तवल्लैत, वबारिक ली फीमा अस्त, वकिनी शर-र मा कज़ैत, फइन्न-क तकज़ी वायुकज़ा अलैक, वइन्नहू ला यजिल्लु मंव वालैत, तबारक – रब्बना व तआलैत. 

दुआ के खातिमह पर यह दरुद पढ़ना चाहिए :
( व सल्लल्लाहु अलन्नबिय्य )

तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! मुझे हिदायत दे उन में जिन को तूने हिदायत दी और मुझे आफियत (चैन) दे उन में जिनको तूने आफियत दी और मुझे दोस्त बना उन में जिन को तूने दोस्त बनाया और मुझे बरकत दे उस में जो तूने मुझे दिया है और मुझे उस बुराई से बचा जिस का तूने फैसला किया है, पस बेशक तू ही फैसला करता है और तेरे ऊपर किसी का फैसला नहीं होता, बेशक वह ज़लील नहीं होता जिस को तू दोस्त रखे, तू बरकतवाला है हमारे रब और तू बुलंद ( ऊँचा, अज़ीम ) है । 

(और अल्लाह की रहमत हो नबी पर)

📕 सहीह तिर्मिज़ीलिलअलबानी : किताबुलवित्र ( 1/464)
📕 तफसीर इब्ने कसीर : सूरह अहज़ाब आयत 56 की तफसीर

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