अल्लाह तआला का कितना अच्छा इन्तज़ाम है के दुनिया में जो चीजें बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होती हैं उन को बहुत ज्यादा आम कर दिया है जसे हवा, पानी वगैरा; अगर हम खाए जाने वाले जानवरों में से बकरे पर गौर करें, तो हम देखेंगे के दुनिया में रोजाना लाखों की तादाद में और बकर ईद के दिनों में अरबों की तादाद में बकरे जबह किए जाते हैं, लेकिन कभी यह बात सामने नहीं आती के बकरों की नस्ल में कमी हो गई, क्यों कि अल्लाह तआला जियादा इस्तेमाल होने वाली चीज़ों में बरकत अता फरमाता हैं।
अल्लाह का बा बरकत निजाम
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बारिश में कुदरती निज़ाम अल्लाह तआला बादलों के जरिये इतनी बुलन्दी से बारिश बरसाता हैं के अगर वह अपनी रफ्तार में से ज़मीन पर गिरती तो जमीन में बड़े बड़े गढ़े हो जाते और तमाम जानदार, हैवानात, पेड़ पौधे, खेती-बाड़ी सब फ़ना हो जाते। लेकिन अल्लाह तआला ने फिजा में अपनी कुदरत से इतनी रुकावटें खड़ी कर दी हैं के तेज रफ्तार बारिश उनसे गुजर कर जब ज़मीन पर आती है तो इन्तेहाई धीमी हो जाती है, जिस से दूनिया की तमाम चीजें तबाह व बरबाद होने से महफुज हो जाती हैं। बेशक यह अल्लाह का कुदरती निजाम है जो बारिश को इतने अच्छे…
नाक के बाल (अल्लाह की कुदरत) अल्लाह तआला ने हर छोटी बड़ी चीज को हिकमत व मसलेहत के साथ पैदा फ़र्माया है, इन्सान ऑक्सीजन के बगैर जिन्दा नहीं रह सकता, इस लिये अल्लाह तआला ने साँस के जरिये ताजी हवा को खींचने और गंदी हवा को बाहर निकालने का निज़ाम बना दिया। मगर अल्लाह की कुदरत व हिकमत का कमाल देखिये के उस ने फ़ज़ा में मौजूद ग़र्द व गुबार से बचने के लिये नाक के अन्दर बाल और चिकना माद्दा पैदा कर दिया जिस की वजह से जरासीम माददे अन्दर तक नहीं जा पाते, इस तरह इन्सान नाक और फेफड़ों की बहुत सी बीमारियों से…
मेअदे का निज़ाम ( Digestive System ) मेअदे का निज़ाम ( Digestive System ) हमें इन्सानी जिस्म के अन्दर जो निज़ाम चल रहा है उस पर गौर करना चाहिये, इन्सान जब लुकमा मुंह में डालता है वह मेअदे में पहुँचता है, मेअदा उस को पकाता है, फिर उस गिजा का जो अच्छा हिस्सा होता है, उस को बारीक रगों के रास्ते से जिगर तक पहुँचाता है। फिर जिगर उस को खून में तब्दील करता है, उस खून को बारीक रगों के रास्ते से पूरे जिस्म में बक्रदे जरूरत सप्लाई करता है, और मेअदे में जो फासिद माद्दा होता है वह पेशाब व पाखाने के रास्ते से बाहर निकल…
तीन आदमी अल्लाह की जमानत में है रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "तीन आदमी की अल्लाह ने जमानत ले रखी है, अगर वह जिन्दा रहें तो बक्रद्रे जरूरत रोजी मिलती है और अगर वफात पा जाएं तो अल्लाह तआला जन्नत में दाखिल फ़र्माता है (एक वह) जो घर में दाखिल होते वक़्त सलाम करे तो अल्लाह तआला उस का जामिन है, (दूसरा वह) जो मस्जिद गया, तो अल्लाह तआला उसका जामिन है, (तीसरा) राहे ख़ुदा में निकलने वाले का अल्लाह तआला जामिन है।" 📕 सही इब्ने हिब्वान : ५००
अल्लाह तआला पूरी कायनात का रब है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “सुन लो ! अल्लाह तआला ही का काम है पैदा करना और हुक्म चलाना, वह बड़े कमालात वाला अल्लाह है, जो तमाम आलम का पर्वरदिगार है।” 📕 सूर-ए-आराफ़ : ५४ खुलासा: पूरी दुनिया का रब अल्लाह तआला के अलावा कोई नहीं है। लिहाजा हमारे लिए जरूरी है के हम उस पर ईमान लाएँ और उस का हुक्म मानें।
अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "बिलाशुबा अल्लाह तआला शिर्क को मुआफ नहीं करेगा। शिर्क के अलावा जिस गुनाह को चाहेगा, माफ कर देगा और जिसने अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक किया, तो उसने अल्लाह के खिलाफ बहुत बड़ा झूट बोला।" 📕 सूरह निसा: ४४
अल्लाह तआला से जो वादा करो उस को पूरा किया करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "जब तुम बात किया करो, तो इन्साफ का ख्याल रखा करो, अगरचे वह शख्स तुम्हारा रिश्तेदार ही हो और अल्लाह तआला से जो अहद करो उस को पूरा किया करो, अल्लाह तआला ने तुम्हें इस का ताकीदी हुक्म दिया है। ताके तुम याद रखो (और अमल करो)। 📕 सूरह अन्आमः १५३
हर मामले में इंसाफ करो कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : " ऐ ईमान वालो ! अल्लाह तआला के लिये सच्चाई पर कायम रहने वाले और इन्साफ के साथ शहादत (गवाही) देने वाले बन जाओ और किसी कौम की दुश्मनी तुम्हें इस बात पर आमादा न कर दे, के तुम इन्साफ न करो (बल्कि हर मामले में) इंसाफ करो, यह परहेजगारी के ज्यादा करीब है और अल्लाह तआला से डरते रहो बेशक जो कुछ तुम करते हो अल्लाह तआला उसे बाखबर है।" 📕 सूर-ए-मायदा : ८
साँस लेने का निज़ाम, बलग़म के फायदे जब हम गर्द व गुबार वाली हवा में साँस लेते हैं तो मिट्टी के ज़र्रात भी उस में शामिल हो जाते हैं। जिनसे हिफाजत के लिये अल्लाह तआला ने नाक से फेफड़े तक हवा के रास्ते में बलगम पैदा कर दिया है जो हवा की नालियों को तर (गिला) रखता है, जब हवा उन नालियों से गुज़रती है तो उस में मौजूद गर्द व गुबार बलग़म से चिपक जाते हैं और साफ सुथरी हवा फेफड़े में पहुँच जाती है, फिर बलगम के जरिये यह गर्द व गुबार साँस की नालियों के बाहर आ जाता है। सुबहानल्लाह ! अल्लाह ने अपनी कुदरत…
नाक - कुदरते इलाही की निशानी नाक - कुदरते इलाही की निशानी अल्लाह तआला ने इंसान के चेहरे पर नाक बनाई जिस से चेहरे की रौनक बढ़ जाती है और चेहरा खूबसूरत व खुशनुमा मालूम होता है। फिर उस में अल्लाह ने दो नथने बनाए उनमें कुव्वते हास्सा और शाम्मा (महसूस करने और सूंघने की ताकत) रख दी जिससे नाक खाने पीने की चीजों की बू सूंघ कर फौरन कैफियत का पता लगा देती है। यही नाक ताजा हवा को भी सूंघती है, जो दिल की गिजा है जिस से अन्दरून की हरारत बरकरार रहती है। गौर तो करो, यह सारा निजाम किसने बनाया है ?…
अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो और हर शख्स को इस बात पर गौर करना चाहिये के उस ने कल (आखिरत) के लिये क्या आगे भेजा है और अल्लाह से डरते रहो और अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है।" 📕 सूरह हश्र १८
पहाड़ों में पानी का जखीरा पहाड़ों में भी अल्लाह तआला की अजीब व गरीब कुदरत कारफ़र्मा है, जब बारिश होती है तो पहाड़ों में पानी के जखीरे जमा हो जाते हैं, फिर थोड़ा थोड़ा कर के चश्मों, नहरों की शक्ल में पानी बहता है, इस तरह जमीन के दूर दराज के मक़ामात तक को सैराब करता है, बाज़ पहाड़ों पर बर्फ की शक्ल में पानी महफूज हो जाता है, जो सूरज की गरमी से बकद्रे जरूरत थोड़ा थोड़ा पिघल कर नदियों, नालों और नहरों में जाकर जमीन वगैरा को सैराब करता है और कहीं कहीं पहाड़ों पर बड़े बड़े हौज़ भी होते हैं, जिस में…
इन्सान की पैदाइश तीन अंधेरों में काइनात की सब से हसीन तरीन मख्लूख “इन्सान” जिस के लिये अल्लाह तआला ने इस कारखान ए आलम को वुजूद बख्शा है, उसकी तखलीख अल्लाह तआला जहाँ कर रहा हैं, वह जगह न बहुत बड़ी है और न वहाँ रोशनी का इन्तज़ाम है, न वहाँ कोई काम करने वाले हैं, बल्के अल्लाह तआला एक तंग जगह माँ के पेट में तीन अंधेरों में उसकी तख़लीक़ कर रहा हैं। जब के दुनिया में मेनू फैक्चरिंग जहाँ होती है, वह जगह कई एकड़ों में फैली हुई होती है, रोशनी और कुमकुमे लगे होते हैं और बेशुमार काम करने वाले होते हैं, यहाँ कुछ भी…
बुढ़ापे में रिज़्क में बरकत की दुआ बुढ़ापे में रिज्क में बरकत के लिये यह दुआ पढ़ें : ( اللهم اجعل أوسع رزقك على عند كبر سنئ وانقطاع غمري ) तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मेरी बड़ी उम्र में अपना रिज्क मुझपर ज़्यादा कर दे। 📕 मुस्तदरक : १९८७. अन आयशा रज़ि०
अल्लाह से मुहब्बत रसूल अल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अल्लाह तआला से मुहब्बत रखो, इस वजह से के वह तूमको खाने के लिये अपनी नेअमतें देता है और मुझ से मुहब्बत रखो, इस वजह से के अल्लाह तआला को मुझ से मुहब्बत है।" 📕 तिर्मिज़ी: ३७८९