25 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
हुजूर (ﷺ) ग़ारे सौर में
रसूलअल्लाह (ﷺ) और हज़रत अबू बक्र (र.अ) दोनों मक्का छोड़ कर गारे सौर में पहुँच चुके थे। उधर मुश्रिकीनने पीछा करना शुरू किया और तलाश करते हुए गारे सौर के बिल्कुल मुँह के करीब पहुंच गए।
उस वक़्त हजरत अबू बक्र (र.अ) ने कहा : या रसूलल्लाह ! उन में से किसी ने एक क़दम भी आगे बढ़ाया, तो हमें देख लेगा।
हुजूर (ﷺ) ने फर्माया “घबराओ नहीं अल्लाह हमारे साथ है।” अल्लाह तआला ने दोनों हज़रात की अपनी कुदरत से हिफाज़त फ़रमाई। और वह लोग वापस हो गए। हजरत अबू बक्र (र.अ) ने अपने बेटे अब्दुल्लाह से यह कह दिया था के वह मुशरिकों के दर्मियान होने वाली बातें रात के वक़्त आकर बता दिया करें।
चुनान्चे वह रात के वक्त गार में आकर मुश्रिकों की साजिशों की इत्तेला हुजूर (ﷺ) को दे देते थे और हज़रत अस्मा बिन्ते अबू बक्र (र.अ) खाना वगैरह पहुँचाया करती थीं। इस तरह तीन दिन यहाँ गुज़रे फिर मदीना की तरफ रवानगी हुई।
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
हवा में निज़ामे कुदरत
हवा में अल्लाह का निजामे कुदरत देखो के उस ने हवा पर बादलों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की कैसी डयूटी लगा रखी है के वह बराबर बादलों को ऐसी जमीन पर ले जाकर बारिश बरसाती हैं, जहाँ की जमीन सूखी और पानी के लिये प्यासी हो।
अगर अल्लाह तआला बादलों पर यह ज़िम्मेदारी न लगाता तो बादल पानी के बोझ से बोझल हो कर एक ही जगह पर ठहरे रहते और हमारे बाग़ात और खेतियाँ सूखे रह कर जाया हो जाते।
यकीनन अल्लाह वह बड़ी अजीम जात है जिस का हुक्म बादलों पर भी से चलता है।
3. एक फर्ज के बारे में
बीमार की नमाज़
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“नमाज़ खड़े होकर अदा करो: अगर ताक़त न हो तो बैठ कर अदा करो, और अगर उस पर भी कदरत नहो तो पहलू के बल लेट कर अदा करो।”
फायदा : अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने पर क़ादिर न हो तो रुकू व सज्दा के साथ बैठ कर पढ़े, अगर रुकू व सज्दे पर भी कादिर न हो, तो बैठ कर इशारे से पढ़े और अगर बैठ कर पढ़ने की ताकत न रखता हो तो लेट कर पढ़े।
4. एक सुन्नत के बारे में
खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“रहमान (अल्लाह) की इबादत करो और खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो (चाहे उस से जान पहचान हो या न हो) तुम जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
कुरआन पढ़ना और उस पर अमल करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिसने कुरआन पढ़ा और उसके हुक्मों पर अमल किया, तो उसके माँ बाप को कयामत के दिन ऐसा ताज पहनाया जाएगा, जिस की रोशनी आफताब की रोशनी सभा ज्यादा होगी, अगर वह आफताब तुम्हारे घरों में मौजूद हो।”
6. एक गुनाह के बारे में
बुरे आमाल की नहूसत
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“खुश्की और तरी (यानी पूरी दुनिया) में लोगों के बुरे आमाल की वजह से हलाकत व तबाही फैल गई है, ताके अल्लाह तआला उन्हें उन के बाज़ आमाल (की सज़ा) का मजा चखा दे, ताके वह अपने बुरे आमाल से बाज आ जाएँ।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया में उम्मीदों का लम्बा होने का फितना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“मुझे अपनी उम्मत पर सब से ज़ियादा डर ख्वाहिशात और उम्मीदों के बढ़ जाने का है, ख्वाहिशात हक़ से दूर कर देती हैं और उम्मीदों का लम्बा होना आखिरत को भुला देता है, यह दुनिया भी चल रही है और हर दिन दूर होती चली जा रही है और आखिरत भी चल रही है और हर दिन करीब होती जा रही है।”
(यानी हर वक़्त ज़िन्दगी कम होती जा रही है और मौत करीब आती जा रही है, इसलिये आखिरत की तैयारी में लगे रहना चाहिए)
8. आख़िरत के बारे में
जहन्नम का जोश
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब जहन्नम (क़यामत के झुटलाने वालों) को दूर से देखेगी, तो वह लोग (दूर ही से) उस का जोश व खरोश सुनेंगे और जब वह दोज़ख़ की किसी तंग जगह में हाथ पाँव जकड़ कर डाल दिये जाएंगे, तो वहाँ मौत ही मौत पुकारेंगे। (जैसा के मुसीबत में लोग मौत की तमन्ना करते हैं)।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
जियादा देर धूप में बैठने के नुक्सानात
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“धूप में बैठने से बचो, क्योंकि उस से कपड़े खराब होते हैं (बदन से) बदबू फूटने लगती है और दबी हुई बीमारियाँ उभर आती हैं।”
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
हलीला से हर बीमारी का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“हलील-ए-सियाह को पिया करो इस लिए के यह जन्नत के पौदों में से एक पौदा है, जिस का मजा कड़वा होता है मगर हर बीमारी के लिए शिफा है।”
नोट: हलील-ए-सियाह को हिन्दी में काली हड़ कहते हैं। जिसे सिल पर घिस कर पीते हैं, यह कब्ज को खत्म करती है और बादी बवासीर में मुफीद है।
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