माँ बाप की नाफरमानी से बचो : क़ुरान हदीस की रौशनी में | Maa Baap ki Nafarmani se bachey: Quran Hadees ki Roshni mein

۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞

अपने माँ बाप को उफ्फ तक न कहो:

“और तुम्हारे रब ने फ़रमाया है की, उसके सिवा किसी की ईबादत ना करो और अपने माँ बाप के साथ भलाई करते रहो और अगर तुम्हारे सामने उनमें से एक या दोनों बुढ़ापे को पहुँच जाये तो उन्हे उफ़ भी न कहो और ना उन्हें झिड़को और उनसे अदब से बात करो और उनके सामने शफ़कत से आजज़ी के साथ झुके रहो और कहो की एह मेरे रब! जैसे उन्होंने मुझे बचपन से पाला है इसी तरह तू भी उन पर रहम फरमा।”

📕 सुरह बनी इसराईल 17:23-24


बाप जन्नत का मरकजी दरवाज़ा है:

✦ हदीस : रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया वालिद (father) जन्नत का दरमियाना (बीच का) दरवाज़ा है इसलिए तेरी मर्ज़ी उसे जाया कर या मेहफ़ूज़ रख।

📕 जामिया तिरमिज़ी, जिल्द 1, 1959-हसन


माँ बाप की रज़ा में अल्लाह की रज़ा है:

✦ हदीस : रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया अल्लाह सुब्हानहु की रजा वालिद (या वालिदैन) की ख़ुशी में है और अल्लाह सुब्हानहु का गुस्सा वालिद (या वालिदैन) की नाराज़गी में है।

📕 जामिया तिरमिज़ी, जिल्द 1, 1960-हसन


माँ बाप की नाफरमानी कबीरा गुनाह है:

✦ हदीस: रसूलअल्लाह (ﷺ) से बड़े (कबीरा) गुनाहों के बारे में पूछा गया तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया :
(1) अल्लाह के साथ किसी को शरीक करना, (2) वालिदैन (माँ बाप) की नाफरमानी करना, (3) किसी की नाहक़ जान लेना, (4) और झूठी गवाही देना (ये सब कबीरा गुनाह हैं)

📕 सहीह बुखारी, जिल्द 4, 2653


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3 Comments

  1. Tho bhi bardash karna chaiye. Tum bachpan mein unllog ku kitna sitai tumhe hosh nahi tha woh log raat raat bhar jaag ke tumhe sulatey thy ehsan yaad karn…Hum aaj Bardash nahi karty….Agar unlog gaalt hai tho Allah unse sawal Jawab karega tum faisla math Bas neki karo unke sath Hatta ke tumhe ghar se nekal diya jaye woh karenge nahi waisa….Sirf Maa baap ki baat jab nahi sunna hai agar woh shrik karne ke liye Majboor kiye jaye tho.. Allah ke khatir…

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