अरबों की अखलाक़ी हालत
रसूलुल्लाह (ﷺ) से पहले अरबों की अखलाकी हालत बहुत ज़्यादा बिगड़ चुकी थी। जुल्म व सितम, चोरी व डाका जनी, ज़िनाकारी और बदकारी बिल्कुल आम थी। जुआ खेलने और शराब […]
रसूलुल्लाह (ﷺ) से पहले अरबों की अखलाकी हालत बहुत ज़्यादा बिगड़ चुकी थी। जुल्म व सितम, चोरी व डाका जनी, ज़िनाकारी और बदकारी बिल्कुल आम थी। जुआ खेलने और शराब […]
हिजरत के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सब से पहले एक मस्जिद की तामीर फ़रमाई, जिस को आज “मस्जिदे नब्वी” के नाम से जाना जाता है। उस के लिये वही जगह […]
सुलतान नूरुद्दीन जंगी १७ शव्वाल सन ५११ हिजरी में पैदा हुए, बड़े ही नेक और इबादत गुज़ार थे। अपने वालिद इमादुद्दीन जंगी के बाद मुल्के शाम के बादशाह बने। अपनी हुकूमत […]
इमाम अबुल हसन अली अशअरी (रह.) मशहूर सहाबी हज़रत अबू मूसा अशअरी की औलाद में थे। आपके जमाने में इस्लाम का एक फ़िर्का जो मुअतजिला के नाम से जाना जाता […]
शेख अब्दुल कादिर जीलानी (रह.) की विलादत बा सआदत ईरान के शहर गीलान में सन ४७० हिजरी में हुई, आप हजरत हसन की नस्ल से हैं, जब अठारा साल के हुए […]
आपका इस्मे गिरामी मुस्लिम बिन हज्जाज और कुनिय्यत अबुल हसन थी। आपकी विलादत वा सआदत सन २०४ हिजरी में अरब के मशहूर कबीला बनू कुशौर में हुई, इब्तेदाई तालीम अपने […]
रसूलुल्लाह (ﷺ) की नुबुव्वत से चंद साल क़ब्ल खान-ए-काबा को दोबारा तामीर करने की जरुरत पेश आई। तमाम कबीले के लोगों ने मिल कर खान-ए-काबा की तामीर की, लेकिन जब […]
उम्मुल मोमिनीन हज़रत खदीजा (र.अ) को जो फज़ल व कमाल अल्लाह तआला ने अता फ़रमाया था, उस में कयामत तक कोई खातून शरीक नहीं हो सकती, उन्होंने सब से पहले […]
नुबुव्वत मिलने का वक़्त जितना करीब होता गया, उतना ही रसूलुल्लाह (ﷺ) तन्हाई को जियादा ही पसन्द करने लगे। सबसे अलग हो कर अकेले रहने से आप को बड़ा सुकून […]
कुफ्फार व मुशरिकीन मुसलमानों पर बहुत ज्यादा जुल्म व सितम ढाते थे और दीने हक कबूल करने की वजह से उन के साथ इन्तेहाई बे रहमाना सुलूक करते थे। चुनान्चे […]
दादा अब्दुल मुत्तलिब के इन्तेकाल के बाद हुज़ूर (ﷺ) अपने चचा अबू तालिब के साथ रहने लगे। वह अपनी औलाद से ज़्यादा आपसे मुहब्बत करते थे, जब वह तिजारत की […]
हज इस्लाम के पांच अरकान में से एक रुक्न है जो सन ९ हिजरी में फर्ज किया गया। लिहाजा इस फरीजे की अदायगी के लिए इसी साल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने […]
छटी सदी हिजरी में अब्दुर्रहमान बिन जौज़ी (रह.) एक बहुत बड़े मुहद्दिस, मोअरिंख, मुसन्निफ और खतीब गुजरे हैं। सन ५०८ हिजरी में बगदाद में पैदा हुए, बचपन में बाप का […]
हज़रत रुकय्या (र.अ) हुजूर (ﷺ) की दूसरी साहबज़ादी (बेटी) थीं, वह पहले अबू लहब के बेटे उत्बा के निकाह में थीं, जब हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिली और लोगों को […]
नुबुव्वत मिलने के बाद भी हुजूर (ﷺ) बादस्तूर गारे हिरा जाया करते थे। शुरू में सूरह अलक़ की इब्तेदाई पाँच आयतें नाज़िल हुईं, फिर कई दिनों तक कोई वहीं नाज़िल […]
कुरैश ने जब यह देखा के सहाबा-ए-किराम हबशा जा कर सुकून व इत्मीनान के साथ जिंदगी गुजार रहे हैं, तो उन्होंने मशविरा कर के अम्र बिन आस और अब्दुल्लाह बिन […]
हजरत अबू ज़र गिफ़ारी (र.अ) का पूरा नाम जुंदुब बिन जुनादा था, हजरत अबू ज़र पहले शख्स हैं जिन्होंने हुजूर (ﷺ) की पहली मुलाकात के वक़्त अस्सलामु अलैकूम कहा था; […]
औरंगजेब आलमगीर (रह.) शाहजहाँ के तीसरे बेटे पंद्रह जीकादा सन १०२७ हिजरी में अर्जुमंद बानो (मुमताज़ महल) के बत्नसे पैदा हुए, इब्तिदाई तालीम शेख अबुल वाइज़ हरगामी से और इल्म […]
जंगे बद्र के दिन हज़रत कतादा बिन नोअमान (र.अ) की आँख में तीर लग गया, जिस की वजह से खून रुखसार पर बहने लगा, तो सहाबा (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) […]
हज़रत जैनब हुजूर (ﷺ) की सब से बड़ी साहबजादी (बेटी) थीं, नुबुव्वत मिलने से तकरीबन दस साल पहले हजरत खदीजा (र.अ) से पैदा हुई, रसूलुल्लाह (ﷺ) की दावत के शुरु […]
आप का नाम सुलेमान और वालिद का नाम अशअस था, अबू दाऊद आप का शुरू ही से लकब था, आप की विलादत बा सआदत सन २०२ हिजरी में शहर “सजिस्तान” में हुई। आपने इल्म […]
Salahuddin Ayyubi (R.h) सुलतान सलाहुद्दीन अय्यूबी (रह.) जिन्हें “फ़ातिहे बैतुल मुकद्दस” कहा जाता है, छटी सदी हिजरी के बड़े ही नामवर और कामयाब बादशाह गुज़रे हैं। वालिद की तरफ़ निसबत करते हुए […]
जब मस्जिदे नबवी की तामीर हुई, तो उस के एक तरफ चबूतरा बनाया गया था, जिस को सुफ़्फ़ा कहा जाता है। यह जगह इस्लामी तालीम व तरबियत और तब्लीग व […]
मक्का के मुसलमान जब कुफ्फार व मुशरिकीन की तकलीफों से परेशान हो कर सिर्फ अल्लाह, उसके रसूल और दीने इस्लाम की हिफाजत के लिये अपना माल व दौलत, साज व […]
हज़रत सालेह अलैहि सलाम हजरत हूद अलैहि सलाम के तकरीबन सौ साल बाद पैदा हुए। कुरआन में उन का तजकिरा ८ जगहों पर आया है। अल्लाह तआला ने उन्हें कौमे […]
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने देखा के कुफ्फारे कुरैश इस्लाम कबूल करने के बजाए बराबर दुश्मनी पर तुले हुए हैं। तो हुजूर (ﷺ) हज के मौसम के इंतज़ार में रहने लगे […]
जब दुनिया में बसने वाले इंसान जहालत व गुमराही में भटकते हुए आखरी हद तक पहुँच गए। अल्लाह तआला ने उनकी हिदायत व रहनुमाई का फैसला फ़रमाया और शिर्क व […]
कुफ्फारे मक्का के जुल्म व सितम और रोकथाम के बावजूद इस्लाम तेजी से बढ़ता रहा, यह देख कर कुफ्फारे मक्का ने तदबीर सोची के मुहम्मद (ﷺ) और उन के खानदान […]
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हजरत दिह्या कलबी (र.अ) के हाथ रूम के बादशाह हिरकल (Hercules) के नाम दावती खत भेजा, जिस का मजमून यह था – “यह खत अल्लाह के रसूल […]
ग़ज़व-ए-खन्दक की वजह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यहूद की बद अहदी और साजिशों की वजह से मदीना से निकल जाने का हुक्म दिया, तो वह खैबर और वादियुलकुरा में जा बसे, […]
२५. रबीउल अव्वल सन ५ हिजरी में रसूलुल्लाह (ﷺ) को इत्तेला मिली के शाम की सरहद से करीब दौमतुल जन्दल के मुरिक क़बाइल ने काफलों पर डाके डाल रखे हैं और […]
रजी और बीरे मऊना का अलमनाक हादसा जंगे उहुद के बाद मुशरिकिन ने धोके से मुसलमानों को कत्ल करने की साजिश शुरू कर दी, माहे सफर सन ४ हिजरी में […]
शराब की हुरमत का हुक्म अल्लाह तआला ने मुसलमानों को इस्लामी माहौल में जिन्दगी गुजारने और अहकामे इलाही पर अमल करने के लिये मदीने का साजगार माहौल अता किया, ताके […]
गजवा-ए-उहुद में हुजूर (ﷺ) के सहाबा ने जिस वालिहाना मुहब्बत व फिदाकारी का मुजाहरा किया उस का तसव्वुर भी रहती दुनिया तक आलमे इस्लाम को रूहानी जज़्बे से माला माल […]
जब कूफ्फारे कूरैश बादशाह नजाशी के दरबार से अपनी कोशिश में नाकाम हो कर निकले, तो अम्र बिन आस ने कहा के मैं कल बादशाह के सामने ऐसी बात कहूँगा, […]
रसूलुल्लाह (ﷺ) की जौज-ए-मोहतरमा हज़रत ख़दीजा (र.अ) और चचा अबू तालिब हर वक्त आप (ﷺ) का साथ दिया करते थे। एक मर्तबा अबू तालिब बीमार हो गए और इंतकाल का […]
हजरत खदीजा बिन्ते खुवैलिद (र.अ) बड़ी बा कमाल और नेक सीरत खातून थीं, उनका तअल्लुक कुरैश के मुअज्जज खानदान से था, वह खुद भी बाअसर और कामयाब तिजारत की मालिक थीं। उनकी […]
हारूत व मारूत क़दीम ज़माने में शहरे बाबुल (Babylon) में रहने वाले यहुदियों के दर्मियान जादू बहुत ज़्यादा आम हो गया था वह लोग जादू के ज़रिये अजीब व ग़रीब […]
हमराउल असद पर तीन रोज कयाम ग़ज़व-ए-उहुद के बाद अबू सुफियान अपना लश्कर ले कर मक्का वापस जाते हुए मकामे रोहा में पहुँच कर कहने लगा,हमें मुकम्मल तौर पर फतह […]
जंग-ए-उहुद में मुसलमानों की आज़माइश ग़ज़वा-ए-उहुद में मुसलमानों ने बड़ी बहादुरी से मुशरिकीने मक्का का मुकाबला किया, जिस में पहले फतह हुई, मगर बाद में एक चूक की वजह से […]