जंगे ओहद
जंगे ओहद जंगे बद्र की शिकस्त से कुरैशे मक्का के हौसले तो पस्त हो गए थे, मगर उन में ग़म व गुस्से की आग भड़क रही थी, उस आग ने […]
जंगे ओहद जंगे बद्र की शिकस्त से कुरैशे मक्का के हौसले तो पस्त हो गए थे, मगर उन में ग़म व गुस्से की आग भड़क रही थी, उस आग ने […]
सन २ हिजरी में रमजान के रोजे फर्ज हुए। इसी साल सदक-ए-फित्र और जकात का भी हुक्म नाजिल हुआ। रमजान के रोजे से पहले आशूरा का रोज़ा रखा जाता था, […]
जब मुसलमान अपने दीन व ईमान की हिफाज़त के लिये हिजरत कर के मदीना चले गए और खुश्शवार माहौल में लोगों को इस्लाम की दावत देनी शुरू की, लोग इस्लाम […]
मदीना तय्यिबा में मुख्तलिफ कबीले आबाद थे, उन में मुशरिकों के दो कबीले औस और खजरज थे, उन के अकसर अफराद इस्लाम में दाखिल हो गए थे, इस्लाम से पहले […]
मुनाफिक उस शख्स को कहते हैं जो जबान से अपने आप को मुसलमान जाहिर करे, मगर दिल में कुफ्र छुपाए रखे, जब मुसलमान हिजरत कर के मदीना आ गए तो […]
ग़ज़व-ए-बद्र में ७० मुश्रिकीन कैद हुए, जिन को मदीना मुनव्वरा लाया गया, हुजूर (ﷺ) ने कैदियों को सहाबा में तकसीम कर दिया, उन के साथ हुस्ने सुलूक और भलाई करने […]
मुसलमानों को सफह-ए-हस्ती से मिटाने के लिये मुश्रिकीने मक्का एक हज़ार का फौजी लश्कर लेकर मक्का से निकले, सब के सब हथियारों से लैस थे, जब हुजूर (ﷺ) को इत्तेला […]
मदीना तय्यिबा में मुख्तलिफ नस्ल व मज़हब के लोग रहते थे, कुफ्फार व मुश्रिकीन के साथ यहुद भी एक लम्बे जमाने से आबाद थे। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मदीना पहुँचने के […]
हजरत इब्ने उमर (र.अ) फ़र्माते हैं के हुजूर (ﷺ) ने जमात की नमाज के लिये जमा करने का मशवरा किया, तो सहाब-ए-किराम (र.अ) ने मुख़्तलिफ राएँ पेश की, किसी ने […]
तुफाने नूह के बाद हज़रत नूह (अ.) के परपोते इमलाक़ बिन अरफख्शज बिन साम बिन नूह यमन में बस गए थे। अल्लाह तआला ने उन को अरबी जबान इलहाम की, […]
वह मुबारक घर जहाँ आप (ﷺ) ने कयाम फर्माया रसूलुल्लाह (ﷺ) जब मक्का से हिजरत कर के मदीना आए, तो यहाँ के लोगों ने आप (ﷺ) का पुर जोश इस्तिकबाल […]
कुबा में चौदा दिन कयाम फ़र्मा कर रसूलुल्लाह (ﷺ) मदीना तय्यिबा के लिये रवाना हो गए, जब लोगों को आप के तशरीफ लाने का इल्म हुआ, तो खुशी में सब […]
मदीना मुनव्वरा से तक़रीबन तीन मील के फासले पर एक छोटी सी बस्ती कुबा है, यहाँ अन्सार के बुहत से खानदान आबाद थे और कुलसूम बिन हदम उन के सरदार […]
जब मदीना तय्यिबा के लोगों को यह मालूम हुआ के रसूलुल्लाह (ﷺ) मक्का से हिजरत कर के मदीना तशरीफ ला रहे हैं, तो उन की खुशी की इन्तेहा न रही, […]
रसूलुल्लाह (ﷺ) हिजरत के दौरान गारे सौर में जुमा, सनीचर और इतवार तीन दिन रहे, फिर जब मक्का में शोर व हंगामे में कमी हुई तो मदीना के लिये निकलने […]
रसूलअल्लाह (ﷺ) और हज़रत अबू बक्र (र.अ) दोनों मक्का छोड़ कर गारे सौर में पहुँच चुके थे। उधर मुश्रिकीनने पीछा करना शुरू किया और तलाश करते हुए गारे सौर के […]
रसूलअल्लाह (ﷺ) को जब अल्लाह ताला के हुक्म से हिजरत की इजाजत मिली, तो उसकी इत्तेला हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) को दे दी, और जब हिजरत का वक्त आया, […]
कुरैश को जब मालूम हुआ के मोहम्मद (ﷺ) भी हिजरत करने वाले हैं, तो उन को बड़ी फिक्र हुई के अगर मोहम्मद (ﷺ) भी मदीना चले गए, तो इस्लाम जड़ […]
मक्का मुकरमा में मुसलमानों पर बेपनाह जुल्म व सितम हो रहा था, इस लिये रसूलल्लाह (ﷺ) ने दूसरी बैते अकबा के बाद मुसलमानों को मदीना जाने की इजाज़त दे दी। […]
मदीना मुनव्वरा में हजरत मुसअब बिन उमैर (र.अ) की दावत और मुसलमानों की कोशिश से हर घर में इस्लाम और पैगम्बरे इस्लाम का तजकेरा होने लगा था, लोग इस्लाम की […]
अकबा, मिना के करीब एक घाटी का नाम है, जहाँ सन ११ नबवी में मदीना से 6 अफराद ने आकर दीने इस्लाम कबूल किया था, इस के दूसरे साल सन […]
मदीना में जियादा तर आबादियाँ क़बील-ए-औस व खज़रज की थीं, यह लोग मुशरिक और बुत परस्त थे। उनके साथ यहूद भी रहते थे। जब कभी क़बील-ए-औस व खजरज से यहूद […]
हिजरत से एक साल पहले हजूर (ﷺ) को सातों आसमानों की सैर कराई गई, जिस को “मेअराज” कहते हैं। क़ुरआने करीम में भी सराहत के साथ इस का तज़केरा आया […]
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ताइफ जा कर वहाँ के सरदारों और आम लोगों को दीने हक़ की दावत दी, मगर वहाँ के लोगों ने इस्लाम कबूल करने के बजाए, रसूलुल्लाह (ﷺ) […]
सन १० नबवी में अबू तालिब के इंतकाल के बाद कुफ्फारे मक्का ने हुजूर (ﷺ) को बहुत जियादा सताना शुरू कर दिया, तो अहले मक्का से मायूस हो कर आप […]
जब कुफ्फार व मुशरिकीन ने मुसलमानों को बेहद सताना शुरू किया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा-ए-किराम को इजाजत दे दी के जो चाहे अपनी जान और ईमान की हिफाजत के […]
हजरत तल्हा बिन उबैदुल्लाह (र.अ) का शुमार भी उन दस लोगों में होता है जिन को रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया ही में जन्नत की खुशखबरी सुना दी थी। आप इस्लाम […]
जैसा के हर दौर के लोगों ने अपने जमाने के नबी का इनकार किया और उनके साथ बुरा सुलूक किया, ऐसे ही बल्के इससे मी ज़ियादा बुरा सुलूक नबीए करीम […]
हज़रत नूह (अ.) साढ़े नौ सौ साल तक अपनी कौम को दावत देते रहे और कौम के अफराद बार बार अजाब का मुतालबा करते रहे, साथ ही अल्लाह तआला ने […]
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) लोगों की नाराजगी की परवा किये बगैर बराबर बुत परस्ती से रोकते रहे लोगों को सच्चे दीन की दावत देते रहे, तो कुरैश के सरदारों ने आप […]
गारे हिरा में हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिलने और वही उतरने का जो वाकिआ पेश आया था, वह जिंदगी का पहला वाकिआ था, इस लिये फितरी तौर पर आप को […]
अरब में जुल्म व सितम और चोरी व डाका जनी आम थी, लोगों के हुक़ूक़ पामाल किये जाते कमजोरों का हक़ दबाया जाता था। इस जुर्म में अवाम व खवास […]
हज़रत मरयम बिन्ते इमरान (अ.स) बनी इस्राईल के एक शरीफ़ घराने में पैदा हुई, क़ुरान में 12 जगह उन का नाम आया है और उन के नाम से एक मुकम्मल […]
हज़रत याहया (अलैहि सलाम) हज़रत ज़करिया (अ.स) के फ़रज़न्द और अल्लाह तआला के नबी थे। वह नेक लोगों के सरदार और जुहद व तक़वा में बेमिसाल थे। अल्लाह तआलाने बचपन […]
हज़रत ज़करिया (अ.स) अल्लाह तआला के मुन्तखब करदा नबी और बनी इस्राईल के रहनुमा थे। उन्होंने हज़रत ईसा (अ.स) का ज़माना पाया था। तमाम अम्बियाए किराम का दस्तूर था वह […]
हजरत इस्हाक़ (अ.) की विलादत बा सआदत अल्लाह तआला की एक बड़ी निशानी है, क्योंकि उन की पैदाइश ऐसे वक्त में हुई जब के उन के वालिद हजरत इब्राहीम (अ.) की […]
हज़रत जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) भी उन खुशनसीब लोगों में हैं जिन को रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया में ही है। जन्नत की खुशखबरी सुना दी थी। आप इस्लाम लाने वालों […]
रसूलुल्लाह (ﷺ) पर मैदाने अरफात में जुमा के दिन अस्र के बाद आख़री हज के मौके पर एक लाख से जाइद सहाब-ए-किराम के दर्मियान कुरआन की आयत नाज़िल हुई, वही […]
९ जिल हज्जा १० हिजरी में हुजूर (ﷺ) ने मैदाने अरफ़ात में एक लाख से ज़ियादा सहाब-ए-किराम के सामने आखरी खुतबा दिया, जो इल्म व हिकमत से भरा हुआ था […]
फतहे मक्का के बाद जब पूरे अरब में मजहबे इस्लाम की खूबियाँ अच्छी तरह वाजेह हो गई और लोग फौज दर फ़ौज शिर्क व बुतपरस्ती को छोड़ कर इस्लाम कबूल […]