रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो औरत इत्र लगा कर लोगों के पास से गुजरे, ताके लोग उस की खुश्बू महसूस करें, तो वह ज़ानिया है और हर (देखने वाली) आँख जिनाकार होगी।”
📕 तिर्मिज़ी : २७८६, अबी मूसा (र.अ)
ज़ानिया: जीना करने वाली खातून
तमाम गुनाह वाले आमाल के बारे में तफ्सील में जानकारी कुरान और हदीस की रौशनी में।
रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो औरत इत्र लगा कर लोगों के पास से गुजरे, ताके लोग उस की खुश्बू महसूस करें, तो वह ज़ानिया है और हर (देखने वाली) आँख जिनाकार होगी।”
📕 तिर्मिज़ी : २७८६, अबी मूसा (र.अ)
ज़ानिया: जीना करने वाली खातून
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“तुम जुल्म व सितम करने से बचो ! क्योंकि जुल्म व सितम की सज़ा दूसरी सजाओं के मुकाबले में सबसे जल्दी मिलती है। और वालिदैन की नाफर्मानी से बचो! अल्लाह की कसम वालिदैन का नाफ़र्मान जन्नत की खुश्बू भी नहीं पाएगा। जब के जन्नत की खुश्बू एक हजार साल की दूरी से महसूस होती है।”
इब्ने उमर रज़िअल्लाहु अ़न्हु से रिवायत है कि,
अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया:
“तीन लोगों पर अल्लाह ने जन्ऩत हराम कर दी है।
शराब से मस्त रहने वाला, मां बाप से बदसुलूकी करने वाला
और दय्यूस जो अपने घर में ख़बासत (यानी बेहयाई) पर इक़रार कर ले (यानी उसे होने दे)।”
📕 मुस्नद अहमद; रावी: इब्ने उमर
📕 स़ही़ह़ अल जामे 3052-स़ही़ह़
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने शराबनोशी की, अल्लाह तआला चालीस रात तक उस से खुश नहीं होगा। अगर वह (उसी हाल में) मर गया तो कुफ्र की हालत में मरेगा और अगर तौबा कर ली तो अल्लाह तआला उस की तौबा क़बूल फ़र्माएगा और अगर फिर शराब पी तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों का पीप पिलाएगा।”
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐसी सरगोशी (खुफिया मश्वरा) सिर्फ शैतान की तरफ से है जो के मुसलमानों को रंज में मुब्तला कर दे, और वह अल्लाह की मशिय्यत व इरादे के बगैर (मुसलमानों को) कुछ भी नुकसान नहीं पहुँचा सकता और मुसलमानों को अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिये।”
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“हमने उन (कौमे आद) के लोगों को उन चीजों की कुदरत दी थी के जिन की कुदरत तुम को नहीं दी और हमने उन को कान और आँखें और दिल अता किए थे। चूँकि वह अल्लाह की आयतों का इनकार करते थे, इसलिये न उन के कान उन के कुछ काम आए, न उन की आँखें और न उन के दिल; और जिस अजाब का वह मजाक उड़ाया करते थे उसी ने उन को आ घेरा।”
रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़रमाते हैं के :
“क्या मैं तुम्हें जहन्नमी लोगों के बारे में न बताऊँ ?
हर सख्त मिजाज, बद अख्लाक और
तकब्बुर करने वाला ( जहन्नमी है )”
रसलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“हर पीर व जुमेरात को (अल्लाह की बारगाह में) आमाल पेश किए जाते है,
अल्लाह तआला उन दिनों में हर ऐसे आदमी की मगफिरत
फर्मा देता है जो अल्लाह के साथ किसी को शरीक नहीं करता मगर
( उन दो आदमियों की मगफिरत नहीं करता ) जिन के दर्मियान दुश्मनी हो।
अल्लाह तआला फर्माता है जब तक यह दोनों
सुलह व सफाई न कर लें उन को उसी हाल पर छोड़े रखो।”
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स मेरी उम्मत की किसी छोटी या बड़ी जमात का जिम्मेदार बने फिर उनके दर्मियान अदल व इन्साफ न करे तो अल्लाह तआला उसको औंधे मुंह जहन्नम में डाल देगा।“
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“यक़ीनन जो लोग अल्लाह तआला से अहेद कर के उस अहेद को और अपनी क़स्मों को थोड़ी सी कीमत पर फरोख्त कर डालते हैं, तो ऐसे लोगों का आखिरत में कोई हिस्सा नहीं और न अल्लाह तआला उनसे बात करेगा और न कयामत के दिन (रहमत की नज़र से) उनकी तरफ देखेगा और न उन को पाक करेगा और उन के लिये दर्दनाक अजाब होगा।”
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“जो लोग अल्लाह और उसके रसूल से लड़ते हैं, जमीन में फसाद करने की कोशिश करते हैं, ऐसे लोगों की बस यही सजा है के वह कत्ल कर दिये जाएं या सूली पर चढ़ा दिये जाएँ या उनके हाथ और पाँव मुखालिफ जानिब से काट दिये जाएं या वह मुल्क से बाहर निकाल दिये जाएँ। यह सजा उन के लिये दुनिया में सख्त रुसवाई (का जरिया) है और आखिरत में उनके लिये बहुत बड़ा अजाब है।”
रसूलअल्लाह सलअल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया
“क़यामत के दिन मुतक़ब्बीर (घमंड करने वाले) लोगों को मैदान ए महशर में छोटी छोटी चिटीयों की मानिंद लोगो की सूरतों में लाया जाएगा, उन्हें हर जगह ज़िल्लत ढांपे रहेगी, फिर वो जहन्नम के एक ऐसे क़ैद खाने की तरफ हांके जाएँगे जिसका नाम बुलस है, उसमे इन्हें भड़कती हुई आग उबालेगी, वो उसमे जहन्नमियो के ज़ख्मों के पीप पीएँगे जिस से तीनत अल-खबाल कहते हैं, यानी सड़ी हुई बदबूदार कीचड़”
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“मेरे सब उम्मती जन्नत में जाएंगे मगर जिसने इन्कार कर दिया (वह जन्नत में दाखिल न होगा। ) अर्ज़ किया गया : या रसूलल्लाह (ﷺ) इन्कार कौन करेगा? फ़रमाया : जिसने मेरी इताअत की जन्नत में दाखिल हो गया और जिसने मेरी फ़रमानी की तो उसने इन्कार किया।“
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग हमारी आयतों का इन्कार करते रहे हैं, तो वही बडबख्त हैं, (जिन को बाएँ हाथ में नाम-ए-आमाल दिया जाएगा) उन पर चारों तरफ से बंद की हुई आग को मुसल्लत कर दिया जाएगा।”
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जिस शख्स ने बुखल किया और लापरवाही करता रहा और भली बात (ईमान) को झुटलाया, तो हम उसके लिये तकलीफ व मुसीबत का रास्ता आसान कर देंगे (यानी जहन्नम में पहुँचा देंगे)।”
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो आदमी ऐसे लोगों के दर्मियान रह कर गुनाह के काम करता हो के वह उस को रोकने पर कादिर हों, मगर फिर भी न रोकें तो अल्लाह तआला मरने से पहले उन को भी उस गुनाह के अज़ाब में मुब्तला कर देगा।”
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला ने शराब और उस की कीमत, मुरदार और उसकी कीमत, खिन्जीर और उसकी क़ीमत को हराम कर दिया है।”
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“यतीमों के माल उन को देते रहा करो और पाक माल को नापाक माल से न बदलो और उन का माल अपने मालों के साथ मिला कर मत खाओ ऐसा करना यकीनन बहुत बड़ा गुनाह है।”
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“खुश्की और तरी (यानी पूरी दुनिया) में लोगों के बुरे आमाल की वजह से हलाकत व तबाही फैल गई है, ताके अल्लाह तआला उन्हें उन के बाज़ आमाल (की सज़ा) का मजा चखा दे, ताके वह अपने बुरे आमाल से बाज आ जाएँ।”
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग रसूलुल्लाह (ﷺ) के हुक्म की खिलाफ वरजी करते हैं,
उनको इस से डरना चाहिये के कोई आफत उन पर आ पड़े
या कोई दर्दनाक अज़ाब उन पर आ जाए।”
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जब इन्सान के सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो कहता है के यह पहले लोगों के किस्से कहानियां हैं। हरगिज़ नहीं! बल्के उन के बुरे कामों के सबब उन के दिलों पर जंग लग गया है।”
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी औरत पर लानत फर्माई जो मर्द की नक्ल इख्तियार करती हैं और ऐसे मर्द पर लानत फ़रमाई जो औरतों की मुशाबहत इख्तियार करता है।
खुलासा: मर्द का औरतों की शक्ल व सूरत इख्तियार करना और औरत का मर्दो की शक्ल इख्तियार करना नाजाइज़ और हराम है।
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“उस शख्स से बड़ा ज़ालिम कौन होगा, जो अल्लाह पर झूट बाँधे, जब के उसे इस्लाम की दावत दी जा रही हो और अल्लाह ऐसे जालिमों को हिदायत नहीं दिया करता।”
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“उस शख्स के लिये हलाकत है, जो लोगों को हँसाने के लिये कोई बात कहे और उसमें झूट बोले, उसके लिये हलाकत है, हलाकत है।”
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो लोग खुदा के दीन में झगड़ते हैं, जब के वह दीन लोगों में मक़बूल हो चुका है (लिहाजा) उन लोगों की बहस उन के रब के नजदीक बातिल है, उनपर खुदा का ग़ज़ब है और सख्त अजाब (नाज़िल होने वाला है)।”
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“यह काफिर लोग (एक दूसरे से) कहते हैं के इस कुरआन को मत सुना करो और उस के दौरान शोर मचाया करो, उम्मीद है के इस तरह तुम ग़ालिब आ जाओगे। उन काफिरों को हम सख्त अज़ाब का मज़ा चखाएँगे और यकीनन हम उनको बुरे आमाल का बदला देंगे, जो वह किया करते थे।”
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़र्माता है
“ऐ ईमान वालो! सच्ची बात यह है के शराब, जुवा, बूत और फाल खोलने के तीर, यह सब शैतान के नापाक काम है, लिहाजा तुम इनसे बचो! ताके तुम अपने मकसद में कामयाब हो जाओ।”
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जो शख्स जान बूझकर नमाज़ छोड़ देता है, अल्लाह तआला उसके सारे आमाल बेकार कर देता है और अल्लाह का ज़िम्मा उस से बरी हो जाता है जब तक के वह अल्लाह से तौबा न कर ले।”
मेअराज की रात रसूलुल्लाह (ﷺ) का गुज़र ऐसे लोगों पर हुआ जिन के सरों को कुचला जा रहा था, जब सर कुचल दिया जाता तो दोबारा फिर अपनी हालत पर लौट आता, फिर कुचल दिया जाता, इस अजाब में जर्रा बराबर कमी नहीं होती थी, हुजूर (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से पूछा : यह कौन लोग है?
हजरत जिब्रईल ने जवाब में फ़र्माया :
यह वह लोग हैं जिन के चेहरे नमाज़ के वक्त भारी हो जाते थे, (यानी नमाज़ से मुंह चुराते थे)।
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब उन के रसूल उन के पास खुली हुई दलीलें ले कर आए, तो वह लोग अपने उस दुनियावी इल्म पर नाज़ करते रहे, जो उन्हें हासिल था, आखिरकार उनपर वह अज़ाब आ पड़ा जिस का वह मज़ाक़ उड़ाया करते थे।”
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिस कौम में ज़िना आम होता है, उस में ताऊन और ऐसी बीमारियां फ़ैल जाती हैं जो पहले नहीं थीं और जो लोग नाप तौल में कमी करते हैं, तो वह लोग कहत साली, परेशानियों और बादशाह (हुकुमरानों) के जुल्म के शिकार हो जाते हैं।”
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने अपने मातहत पर किसी ऐसी बात की तोहमत लगाई जिस से वह बरी है तो उस पर क़यामत के दिन हद जारी की जाएगी। मगर यह के वह कही हुई बात उस में मौजूद हो।”
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“ताजिर लोग बड़े गुनहगार होते हैं।
लोगों ने कहा : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! क्या अल्लाह तआला ने तिजारत को हलाल नहीं किया?
आप (ﷺ) ने फ़रमाया :
“हाँ बेशक, लेकिन वह कसम खा कर गुनहगार होते हैं और बात करते हुए झूट बोलते हैं।”
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जो चाँदी के बर्तन में पानी वगैरा पीते हैं वह अपने पेट में जहन्नम की आग भर रहे हैं।”
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स शोहरत के लिए दुनिया में कपड़े पहनेगा, अल्लाह तआला उसको कयामत के दिन रुसवाई के कपड़े पहनाएगा और फिर उसमें आग भड़काएगा।”
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“मेरी हदीस को बयान करने में एहतियात करो और वही बयान करो जिस का तुम्हें यक़ीनी इल्म हो, जो शख्स जान बूझ कर मेरी तरफ से कोई गलत बात बयान करे, वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।”
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग कुफ्र करते हैं तो अल्लाह तआला के मुकाबले में उन का माल और उन की औलाद कुछ काम नहीं आएगी और ऐसे लोग ही जहन्नम का इंधन होंगे।”
सईद इब्न ज़ैद (रदी अल्लाहू अन्हु) से रिवायत है की
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“सब से बड़ा सूद ये है की आदमी नाहक़ किसी मुसलमान की बेइज़्ज़ती करे।”
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स कुछ (रिश्वत) ले कर नाहक फ़ैसला करे, तो अल्लाह तआला उसे इतनी गहरी जहन्नम में डालेगा, के पाँच सौ बरस तक बराबर गिरते चले जाने के बावजूद, उसकी तह तक न पहुँच पाएगा।”
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“हर गुनाह के बारे में अल्लाह से उम्मीद है के वह माफ कर देगा, सिवाए उस आदमी के जो अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक करने की हालत में मरा हो या उस ने किसी मोमिन को जान बूझ कर क़त्ल किया हो।”