Sunnat – Ummate Nabi ﷺ https://ummat-e-nabi.com Quran Hadees Quotes Sun, 18 Feb 2024 14:24:28 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.3 https://ummat-e-nabi.com/wp-content/uploads/2023/09/favicon-96x96.png Sunnat – Ummate Nabi ﷺ https://ummat-e-nabi.com 32 32 179279570 Adab e Mubashrat Download Hindi Pdf | मुबाशरत / हमबिस्तरी के आदाब https://ummat-e-nabi.com/adab-e-mubashrat-dwonload-hindi-pdf/ https://ummat-e-nabi.com/adab-e-mubashrat-dwonload-hindi-pdf/#respond Wed, 17 Jan 2024 16:57:36 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=24738 Aadabe Mubasharat hindiमुबाशरत / हमबिस्तरी के आदाब Adab e Mubashrat Download Hindi Pdf S*x Positions Banned in Islam hindi हमबिस्तरी का तरीका और गलतफहमियों के बारे में मुकम्मल जानकारी डाउनलोड करे हिंदी […]

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मुबाशरत / हमबिस्तरी के आदाब

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हमबिस्तरी का तरीका और गलतफहमियों के बारे में मुकम्मल जानकारी डाउनलोड करे हिंदी में पीडीऍफ़

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Islamic Quiz 304 : Jab ek Musalman kisi dusre Musalman se juda ho toh usko kya kahna chahiye? https://ummat-e-nabi.com/islamic-quiz-304/ Sat, 09 Dec 2023 09:25:03 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=51692 Jab ek Musalman kisi dusre Musalman se juda ho toh usko kya kahna chahiye?Jab ek Musalman kisi dusre Musalman se juda ho toh usko kya kahna chahiye?

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Islamic Quiz 304

Jab ek Musalman kisi dusre Musalman se juda ho toh usko kya kahna chahiye?

Options Are 👇

A. Allah Hafiz

B. Assalamualaikum warahmatullahi wabarakatuh

C. Fi Amanillah

D. Ma As salam

Get Answer

Sahih jawab hai : Option ( B )

✅ Assalamualaikum warahmatullahi wabarakatuh

Hadees: Abu Hurairah (R.A) se riwayat hai ke,
RasoolAllahu ﷺ ne farmaya:

“Jab tum mein se koi shaksh majlis mein aaye to Salam kahe aur tum mein se jab koi majlis khatam kar ke uthey tab bhi salam kahe.”

📕 Sunan Abu Dawud, Hadees 1765-Sahih


Hadees: Abu Hurairah (R.A) se riwayat hai ke,
RasoolAllahu ﷺ ne farmaya:

“Jab tum mein se koi majlis mein pauche to unhe salam kare aur phir agar waha baithna ho to baith jaye aur jab (jane ke liye) khada ho to phir salam kare.”

📕 Jamia Tirmidhi , Vol 2, 602-Hasan


Note: Hamare bahut se Musalman Hazraat jaate waqt ALLAH hafiz ya fi amanilah kahte hain, jabki sunnat aur behtar tareeqa ye hai ki juda hote waqt bhi Salam kaha jaye. aur salaam ke sath ye bhi kahe to koi harz nahi.. Tafseeli jankari ke liye is mukhtsar si video ka mutala kare.

Allah Hafiz Ya Salam ke Alawa Kuch aur Kalimat Kehna Sahih hai by Adv. Faiz Syed

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हमबिस्तरी का तरीका | Sex Etiquette in Islam https://ummat-e-nabi.com/humbistari-ka-tarika-hindi/ https://ummat-e-nabi.com/humbistari-ka-tarika-hindi/#respond Sat, 30 Sep 2023 20:31:02 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=39280 Humbistari ka Tarika | Islam about Sex Etiquette in Hindiनिकाह, हमबिस्तरी / जिमा / Sex का तरीका और आदाब व मसाइल, Humbistari ka Tarika | Islam about Sex Etiquette in Hindi

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हमबिस्तरी (जिमा) का तरीक़ा

हमबिस्तरी / जिमा का तरीका और इसके चंद आदाब व मसाइल
Humbistari ka Tarika | Islam about Sex Etiquette in Hindi

जवानी की दहलीज़ और फ़ितरी सुकून

दीने इस्लाम इन्सानी ज़िंदगी के तमाम तक़ाज़े ब-हुस्न व खूबी पूरा करता है, बल्कि जिंदगी के तमाम उम्र के लिए पाकीज़ा उसूल और फ़ितरी निज़ाम पेश करता है। 

अल्लाह तआला हक़ बात कहने से नहीं शरमाता, उसने हमें अपने पैग़म्बर के ज़रिए ज़िंदगी की छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात बतला दी। निकाह और बीवी से जिमा / हमबिस्तरी शर्मगाह की हिफ़ाज़त के साथ अफ़्ज़ाइशे नस्ल का सबब है फिर अल्लाह इतनी बड़ी बात कैसे नहीं बतलाता, यह भी हमें बतला दिया। 

आज हम जिस दौर से गुज़र रहे हैं इसमें बुराई फ़ैशन और बे-हयाई आम सी बात हो गई है। अल्लाह ने हमें कुफ्र व जलालत से निजात देकर ईमान व हिदायत की तौफ़ीक़ बख़्शी है, हमें हमेशा अपना क़दम बढ़ाने से पहले सोचना है कि कहीं कोई ग़लती तो नहीं हो रही है, हर हर क़दम फूंक फूंक कर उठाना है। 

पैदाइश के बाद जब कोई जवानी की दहलीज़ पे क़दम रखता है तो उसे फ़ितरी सुकून हासिल करने के लिए शरीके हयात की ज़रूरत पेश आती है, इस्लाम ने शरीके हयात बनाने के लिए निकाह का पाकीज़ा निज़ाम पेश किया है। निकाह से इन्फ़िरादी और समाजी दोनों सतह पे फ़साद व बिगाड़ का उन्सुर ख़त्म हो जाता है और घर से लेकर समाज तक एक सॉलेह मुआशरे की तामीर होती है ।


निकाह, हमबिस्तरी / जिमा / Sex

निकाह करके दो अजनबी आपसी प्यार व मुहब्बत में इस क़द्र डूब जाते हैं जहां अजनबिय्यत अनक़ा और अपनाइयत क़दीम रिश्ता नज़र आता है। मियाँ बीवी एक दूसरे का लिबास बन जाते हैं, पाकीज़ा ताल्लुक़ यानी अक़्दे निकाह के बाद आपस की सारी अजनबिय्यत और सारा पर्दा उठ जाता है गोया दोनों एक जां दो क़ालिब हो जाते हैं। 

यह अल्लाह का बन्दों पर बड़ा अहसान है। मियाँ बीवी के जिन्सी मिलाप को अरबी में जिमा और उर्दू में हमबिस्तरी से तब्बीर करते हैं। 

 जिस तरह इस्लाम ने निकाह का पाकीज़ा निज़ाम दिया है इसी तरह जिमा / हमबिस्तरी के भी साफ़ सुथरे रहनुमा उसूल दिए हैं, इन उसूलों की जानकारी हर मुस्लिम मर्द व ख़ातून पर ज़रूरी है।

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यहूदियों का ख़याल था कि बीवी की अगली शर्मगाह में पीछे से जिमा करने से लड़का अँगा पैदा होगा, अल्लाह ने इस ख़याल की तरदीद करते हुए फ़रमाया:

يتناؤ گذر گف وارگه ی شه

तुम्हारी बीवियां तुम्हारी खेतियां हैं, लिहाज़ा तुम अपनी खेतियों में जिधर से चाहो आओ।

📕 अल-बक़रा:223

इस आयत का मतलब यह है कि बीवी की अगली शर्मगाह में जिस तरह से चाहें जिमा कर सक्ते हैं, शौहर के लिए बीवी की अगली शर्मगाह ही हलाल है और पिछली शर्मगाह में जिमा करना हराम है, चुनांचे इस बात को अल्लाह ने इस आयत से पहले बयान किया है। अल्लाह का फ़रमान है:

ويسألونك عن الحيض قل هو أي قالوا البناء في الحيض ولا تقربوه ك يظهر فإذا تطن قوه من حيث أمره الله إن الله يحب التوابين ويحب المتطرين

आप से हैज़ के बारे में सवाल करते हैं कह दीजिए कि वह गन्दगी है हालते हैज़ में औरतों से अलग रहो और जब तक वह पाक ना हो जाएं इनके क़रीब ना जाओ, हाँ जब वह पाक हो जाएं तो उनके पास जाओ जहां से अल्लाह ने तुम्हें इजाज़त दी है अल्लाह तौबा करने वालों को और पाक रहने वालों को पसन्द फ़रमाता है।

📕 अल-बक़रा: 222

यहां पर अल्लाह हुक्म दे रहा है कि हैज़ की हालत में बीवी से जिमा ना करो

और जब हैज़ से पाक होकर गुस्ल कर ले तो उसके साथ उस जगह से हमबिस्तरी / जिमा करो जिस जगह जिमा करने की इजाजत दी है। हैज़ अगली शर्मगाह से आता है, हैज़ का खून आने तक जिमा  करना मना है और जब हैज़ बंद हो जाए तो इसी जगह जिमा करना है जहां से खून आ रहा था।

“निसाउकुम हर्सल लकुम्” की तफ़्सीर सहीह अहादीस से भी मुलाहिज़ा फ़रमा लें ताकि बात मज़ीद वाज़ेह हो जाए। रावी हदीस इब्न अब्बास रज़ियल्लाहू अन्हुमा बयान करते हैं जब यह आयत नाज़िल हुई:

أي مقبلا  نساؤكم حرث لكم فأتوا حركة أتى ومديرات ومستلقیاتی یعنی بنيك موضع الوكي

तुम्हारी बीवियां तुम्हारी खेती हैं लिहाज़ा तुम जिस तरीके से चाहो उन से जिमा करो यानी ख़्वाह आगे से ख़्वाह पीछे से ख़्वाह लिटा कर यानी औलाद वाली जगह से। 

📕 सहीह अबी दाऊद: 2164

एक दूसरी रिवायत में इन अब्बास ही से मरवी है।

ثم أقبل وأدبر، والق اگه حرث لكم فأتوا حرثكم أتى البر والحيضة

तुम्हारी बीवियां तुम्हारी खेती हैं लिहाज़ा तुम जिस तरीके से चाहो इन से जिमा करो ख़्वाह बीवी से आगे से सोहबत करो चाहे पीछे की तरफ़ से करो मगर पिछली शर्मगाह से बचो और हैज़ की हालत में जिमा करने से बचो। 

📕 सहीह अत-तिर्मिज़ी:2 98 0

आज के पुर फ़ितन दौर में मियाँ बीवी को इस्लाम की यह बात जाननी चाहिए और इसे ही अमली ज़िंदगी में नाफ़िज़ करना चाहिए, जो लोग फ़हश वीडियोज़ देख कर ग़लत तरीके से मनी ख़ारिज करते हैं इसकी जिंदगी से हया निकल जाती है, लम्हा बह लम्हा बे-हयाई की राह चलने लगता है। 

याद रखें, बीवी से इस्लामी तरीके से जिमा करना भी बाइसे सवाब है। नबी (ﷺ) का फ़रमान है:

قه، قالوا: يا رسول الله، أيأتي أكت كا شهوته وفي بع أيگ ويكون له فيها أج؟ قال: أرأيت لو وضعها في خرابي أكان عليه فيها و ژر فگذلك إذا وضعها في الحلال كان له أجر

और (बीवी से जिमा करते हुए) तुम्हारे उजू में सदक़ा है। सहाबा किराम ने पूछा: ऐ अल्लाह के रसूल ! हम में से कोई अपनी ख़्वाहिश पूरी करता है तो क्या इस में भी अज्र मिलता है? आप (ﷺ) ने फ़रमाया: बताओ अगर वह यह (ख़्वाहिश) हराम जगह पूरी करता तो क्या उसे इसका गुनाह होता? इसी तरह जब वह इसे हलाल जगह पूरी करता है तो उसके लिए अज्र है।

📕 सहीह मुस्लिम:1006

हमबिस्तरी के चंद आदाब व मसाइल

अब नीचे जिमा / हमबिस्तरी के चंद आदाब व मसाइल ज़िक्र किए जाते हैं। 

1) हमबिस्तरी की निय्यत

बीवी से हमबिस्तरी / जिमा इफ़्फ़त व अस्मत की हिफ़ाज़त, अफ़्ज़ाइशे नस्ल और हराम काम से बचने की निय्यत से हो, ऐसी सूरत में अल्लाह ना सिर्फ़ हमबिस्तरी पे अज्र देगा बल्कि नेक औलाद से भी नवाज़ेगा और दुनियावी व उख़रवी बरकतों से नवाज़ेगा।


2) हमबिस्तरी की अहमियत

हमबिस्तरी शहवत रानी नहीं है बल्कि ज़ौजैन के लिए सुकूने क़ल्ब और राहते जां है, इसलिए क़ब्ल अज़ जिमा शौहर बीवी से ख़ुश तबई की बात करे और जिमा के लिए ज़हनी तौर पर और जिस्मानी तौर पर राज़ी करे। 


3) हमबिस्तरी की दुआ

Humbistari ki Dua in Hindi

हमबिस्तरी से पहले यह दुआ पढ़ना सुन्नत से साबित है:

بشير الله الله جبنا الشيطان وجب الشيطان مار تا

“ऐ अल्लाह! हमें शैतान से अलाहिदा(मेहफ़ूज़) रख और तू जो औलाद हमें इनायत फ़रमाए उसे भी शैतान से दूर रख।” फिर अगर उन्हें बच्चा दिया गया तो शैतान उसे कोई नुक्सान नहीं पहुंचा सकेगा।

📕 सहीह अल-बुख़ारी:3271

4) हमबिस्तरी की जगह :

हमबिस्तरी की जगह आवाज़ सुनने वाला और देखने वाला कोई ना हो यानी ढकी छुपी जगह हो और जिमा की हद तक शर्मगाह खोलना काफ़ी है। 

लेकिन एक दूसरे को देखना और मुकम्मल बरहना होना आपस में जाइज़ है, जिस हदीस में मजकूर है कि जिमा के वक़्त बीवी की शर्मगाह देखने से अंधे पन की बीमारी लाहिक़ होती है; इसे शेख़ अल्बानी ने मौजू हदीस क़रार दिया है। 


5) हैज़ की हालत में हमबिस्तरी करने का गुनाह और कफ़्फ़ारा :

हालते ऐहराम और हालते रोज़ा हमबिस्तरी करना मना है, बाक़ी दिन व रात के किसी भी हिस्से में जिमा कर सक्ते हैं। हालते हैज़ और हालते निफ़ास में सिर्फ हमबिस्तरी करना मना है मगर हमबिस्तरी के इलावा बीवी से लज्ज़त अन्दोज़ होना जाइज़ है।

अगर किसी ने हैज़ की हालत में हमबिस्तरी कर लिया तो एक दीनार या निस्फ़ दीनार सदक़ा करना होगा, साथ ही अल्लाह से सच्ची तौबा करे ताकि आइन्दा अल्लाह का हुक्म तोड़ कर इस गुनाह का इर्तिकाब ना करे। यही हुक्म निफ़ास की हालत में हमबिस्तरी का है अलबत्ता सहीह क़ौल की रौशनी में मुस्तहाज़ह से हमबिस्तरी करना जाइज़ है।


6) हमल के दौरान

दौराने हमल बीवी से जिमा करना जाइज़ है, ताहम शौहर को इस हालत में हमेशा बीवी की नफ़्सियात, सेहत और आराम का ख़याल रखना चाहिए। 

हमल की मशक्कत बहुत सख़्त है, कुरआन ने इसे दुख पर दुख कहा है। इसलिए बाज़ हालात डॉक्टर इस दौराने हमबिस्तरी करने से शौहर को मना करते हैं लिहाज़ा इस सिलसिले में तिब्बी मशवरे पर अमल किया जाए, खुसूसन हमल के आख़िरी अय्याम काफ़ी दुशवार गुज़ार होते हैं इन दिनों हमबिस्तरी करना पुर-ख़तर साबित हो सकता है।


7) रुजू की निय्यत से हमबिस्तरी करना कैसा ?

तलाकशुदा (मुतल्लक़ा) रजइय्या की इद्दत में हमबिस्तरी करना रजअत है कि नहीं इस पे अहले इल्म में मुख़्तलिफ़ अक़वाल हैं, इनमें क़ौल मुख़तार यह है कि अगर शौहर ने रुजू की निय्यत से हमबिस्तरी किया है तो रुजू साबित होगा और अगर बग़ैर रुजू की निय्यत से हमबिस्तरी कर लिया तो इससे रुजू नहीं होगा मसलन शहवत उभर जाने से इद्दत में हमबिस्तरी कर लेना। 


8) हमबिस्तरी के दौरान शहवत की बातें करना कैसा ?

लोग हमबिस्तरी के दौरान शहवत की बातें करने से मुताल्लिक़ सवाल करते हैं तो इसमें कोई हर्ज नहीं है, ना ही ऐब की बात है, हाँ फ़हश और बेहूदह बातें जिस तरह आम हालात में ममनू (मना) हैं इसी तरह दौराने हमबिस्तरी भी ममनू होंगी। 


9) हमबिस्तरी  के लिए जिन्सी कुव्वत वाली दवाई का इस्तेमाल कैसा ? 

Is It Permissible To Use Viagra?

हमबिस्तरी से पहले शहवत भड़काने के लिए जिन्सी कुव्वत वाली अदवियात (दवाई) का इस्तिमाल जिस्म के लिए नुकसानदेह है, लिहाज़ा इस चीज़ से बचा करें, हाँ किसी आदमी में जिन्सी कमज़ोरी हो तो माहिर तबीब से इसका इलाज कराएं इसमें कोई मुज़ाइक़ा नहीं है। 


10) हमबिस्तरी लिए जायज़ कैफ़ियात (तरीके) ?

बीवी की अगली शर्मगाह में जिमा करना हैज़ व निफ़ास से पाकी की हालत में जाइज़ है और हमबिस्तरी करने के लिए बीवी से बोस व किनार होना, ख़ुश तबई करना, हमबिस्तरी के लिए तय्यार करने के वास्ते आज़ाए बदन ब-शुमूले शर्मगाह छूना या देखना जाइज़ व हलाल है। 

फिर अगली शर्मगाह में हमबिस्तरी के लिए जो कैफ़िय्यत व हैअत इख़्तियार की जाए तमाम कैफ़ियात जाइज़ हैं ।

याद रहे जिमा / हमबिस्तरी की ख़्वाहिश बेदार होने और इसका मुतालबा करने पर ना शौहर बीवी से इनकार करे और ना ही बीवी शौहर से इनकार करे।


11) शर्मगाह को छूना और देखना कैसा है ?

Is Oral Sex Permissible in Islam?

शौहर के लिए बीवी की शर्मगाह छूने और देखने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन उसे चूमना बे-हयाई है। इसी तरह बीवी के लिए मर्द की शर्मगाह छूने और देखने में कोई हर्ज नहीं है मगर उसे चूमना और मूंह में दाखिल करना बे-हयाई है। 

इन दो बातों का एक जुमले में खुलासा यह है कि औरत की शर्मगाह चूमना और मूंह सेक्स (ओरल सेक्स) करना सरापा बे-हयाई है और इस्लाम की पाकीज़ा तालीमात के ख़िलाफ़ है। 


12) गैर फ़ितरी तरीके से बचे :

69 position halal in islam hindi?

मियाँ बीवी का एक दूसरे से गैर फ़ितरी तरीके से (जैसे ६९ पोजीशन में) मनी ख़ारिज करवाना भी मुताद्दिद जिस्मानी नुक़सानात के साथ बे-हया लोगों का रास्ता इख़्तियार करना है। मोमिन हर काम में हया का पहलू मद्दे-नज़र रखता है। 

उमूमन शौहर अपनी बीवी को ग़ैर फ़ितरी तरीक़ा मुबाशरत अपनाने और बे-हयाई का रास्ता इख़्तियार करने की दावत देता है ऐसी औरत के सामने अहेदे रसूल की उस अन्सारी औरत का वाक़िया होना चाहिए जिसके कुरैशी यानी मुहाजिर शौहर ने उससे अपने यहां के तरीके से हमबिस्तरी करना चाहा, जो अन्सारी के यहां मारूफ़ ना था, तो उसकी बीवी ने इस बात से इनकार किया और कहा हम सिर्फ एक ही अंदाज़ से जिमा के क़ाइल हैं लिहाज़ा वही तरीक़ा अपनाओ या मुझ से दूर रहो। 

यहां तक कि बात रसूलुल्लाह (ﷺ) तक पहुंच गई और उस वक़्त कुरआन की आयत (निसाउकुम हर्मुल् लकुम् फ़अतु हर्सकुम् अन्नी शिअतुम) नाज़िल हुई जिसकी तफ़सीर ऊपर गुज़र चुकी है। वाक़िए की तफ़्सील देखें: (सहीह अबी दाऊद:2164) 


13) औरत की पिछली शर्मगाह में जीमा करने का गुनाह 

Does Anal Sex Break Nikah?

नबी (ﷺ) का फ़रमान है कि जो शख़्स अपनी बीवी की दुबुर में आता है, वह मलऊन (लानती) है।

📕 सहीह अबी दाऊद: 2162

लिहाज़ा कोई मुसलमान लानती काम करके ख़ुद को क़हरे इलाही का सज़ावार ना बनाए। किसी से ऐसा घिनौना काम सरज़द हो गया हो तो वह फ़ौरन अल्लाह से तौबा करके गुनाह माफ़ करा ले। 

जहां तक लोगों का यह ख़याल करना कि बीवी की पिछली शर्मगाह में जिमा करने से निकाह बातिल हो जाता है सो ऐसी बात की कोई हक़ीक़त नहीं है।


14) फिरसे हमबिस्तरी  कैसे करे ?

एक ही रात में दोबारा जिमा / फिरसे हमबिस्तरी करने से पहले अगर मयस्सर हो तो गुस्ल कर लिया जाए, या वुजू कर लिया जाए। बगैर वुजू के भी दोबारा जिमा / हमबिस्तरी कर सक्ते हैं। 


15) हालते जनाबत, ग़ुस्ल, ज़िक्र व अज़्कार

मर्द की शर्मगाह, औरत की शर्मगाह में दाख़िल होने से औरत व मर्द दोनों पर गुस्ल वाजिब हो जाता है चाहे मनी का इन्जाल हो या ना हो। 

हालते जनाबत में सोया जा सकता है ताहम फ़ज्र से पहले या जो वक़्त हो उस नमाज़ के वास्ते गुस्ल कर ले ताकि बिला ताख़ीर वक़्त पे नमाज़ पढ़ सके। 

हालते जनाबत में कुरआन की तिलावत नहीं कर सक्ते मगर ज़िक्र व अज़्कार, दुआ व सलाम, काम काज, बात चीत, खना पीना सब जाइज़ हैं हत्ता कि सहरी भी खा सकते हैं। 


16) हमबिस्तरी की हालत में अज़ान का जवाब कैसे दे ?

जब जिमा / हमबिस्तरी की हालत में अज़ान होने लगे या इक़ामत की आवाज़ सुनाई दे तो इस अमल को जारी रखने में कोई हर्ज नहीं ताहम इससे जल्द फ़राग़त हासिल करके और गुस्ल करके नमाज़ अदा करें। 

याद रहे अज़ान सुनने के बाद भी क़स्दन बिस्तर पर लेटे रहना हत्ता कि इक़ामत होने लगे तब जिमा / हमबिस्तरी करना हमारी कोताही और नमाज़ से ग़फ़लत है। 

जहां तक अज़ान के जवाब का मस्अला है तो यह सब पर वाजिब नहीं बल्कि फ़र्जे किफ़ाया और बड़े अज्र व सवाब का हामिल है इसलिए मियाँ बीवी से बात चीत या बोस व किनार के दौरान जवाब देना चाहें तो देने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन जिमा / हमबिस्तरी के वक़्त अज़ान का जवाब देने से उलमा ने मना किया है, जब इस अमल से फ़ारिग़ हो जाएं तो बक़िया कलिमात का जवाब दे सकते हैं। 


17) मनी शर्मगाह के बाहर ख़ारिज करना कैसा है ?

औलाद के दरमियान ज़रूरत के तहत वक़्फ़ा करने की निय्यत से जिमा करते हुए मनी शर्मगाह के बाहर ख़ारिज करना जाइज़ है, शौकियह ऐसा करने से बहरसूरत बचना चाहिए क्योंकि निकाह का अहम मक्सद अफ़्ज़ाइशे नस्ल है। 


18) हमबिस्तरी की बातें लोगों में बयान करना कैसा है ?

मियाँ बीवी की ख़लवत और जिमा / हमबिस्तरी की बातें लोगों में बयान करना बेहयाई की अलामत है, रसूलुल्लाह ने इस अमल से उम्मत को मना फ़रमाया है। 

इस बात से इन बे-हयाओं को नसीहत लेना चाहिए जो जिमा / हमबिस्तरी की तस्वीर या वीडियो बनाते हैं फिर उसे लोगों में फैलाते हैं। नऊजु बिल्लाह कितने मलऊन हैं फ़हश वीडियोज़ बनाने, फैलाने और देखने वाले। 

नबी (ﷺ) का फ़रमान है:

मेरी तमाम उम्मत व माफ़ कर दिया जाएगा मगर जो ऐलानिया गुनाह करते हैं। अलानिय्यह गुनाह करने का मतलब यह है कि एक शख़्स रात के वक़्त गुनाह करता है बावजूद कि अल्लाह तआला ने उसके गुनाह पर पर्दा डाला होता है लेकिन सुब्ह होते ही वह कहने लगता है: ऐ फुलां! मैंने रात फुलां फुलां बुरा काम किया था, रात गुज़र गई थी और उसके रब ने उसका गुनाह छुपा रखा था जब सुब्ह हुई तो वह ख़ुद पर दिए गए अल्लाह के पर्दे खोलने लगा।

📕 सहीह अल बुख़ारी:6069

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अल्लाह तआला हमारे अन्दर इस्लामी गैरत व हमिय्यत पैदा कर दे, 

हया की दौलत से माला-माल कर दे,
बे-हयाई से कोसों मील दूर कर दे 

और मरते दम तक इस्लाम की पाकीज़ा तालीमात पे इख्लास के साथ अमल करते रहने की तौफ़ीक़ बख़्शे। 
आमीन, अल्लाहुम्मा अमीन।

*मक़बूल अहमद सलफ़ी *
इस्लामिक दअवह सेंटर, शुमाली ताइफ़ (मिस्रह)

हिन्दी: अक़ील अहमद औरंगाबादी 

और भी देखे :

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Mehman ke Sath Khao, Kyunki Wo Sharmata hai https://ummat-e-nabi.com/apne-mehman-ke-sath-khao-kyunki-wo/ https://ummat-e-nabi.com/apne-mehman-ke-sath-khao-kyunki-wo/#respond Mon, 18 Sep 2023 10:28:19 +0000 https://ummat-e-nabi.com/apne-mehman-ke-sath-khao-kyunki-wo/ Hadees Mehman ke Sath Khao, Kyunki Wo Sharmata haiHadees of the Day Mehman ke Sath Khao, Kyunki Wo Sharmata hai TRANSLITERATION Ummahatul Momineen Ayesha (R.A.) se riwayat hai ke, Nabi-e-Kareem (ﷺ) ne farmaya: “Apne Mehman ke Sath khao, […]

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Hadees of the Day

Mehman ke Sath Khao, Kyunki Wo Sharmata hai

TRANSLITERATION

Ummahatul Momineen Ayesha (R.A.) se riwayat hai ke,
Nabi-e-Kareem (ﷺ) ne farmaya:

“Apne Mehman ke Sath khao, kyunki wo tanha khane me Sharm karta hai.”


HINDI

अपने मेहमान के साथ खाओ क्यूंकि वो तनहा खाने में शर्म करता है।


MARATHI

आपल्या पाहुण्या बरोबर जेवा कि ज्यामुळे जेवतांना तो लाजणार नाही.


GUJARATI

અપને મેહમાન કે સાથ ખાઓ, ક્યુ કે વો તન્હા ખાને મે શર્મ મેહસૂસ કરતા હૈ.


ENGLISH

Eat with your guest, because he may feel shy to eat alone.

📕 Shoaib Ul Iman, Hadees 9633

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28. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/28-safar/ https://ummat-e-nabi.com/28-safar/#respond Fri, 15 Sep 2023 13:05:26 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=35775 28. Safar | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसाहजरत यूनुस (अ.स), हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा : थोड़े से पानी में बरकत, सब से पहले नमाज़ का हिसाब, गुनाहों से तौबा करने की दुआ, कुरआन को झुटलाने का गुनाह, छींक की दुआ और जवाब …

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28. Safar | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत यूनुस (अ.स)

हज़रत यूनुस अलैहि सलाम अल्लाह के बर्गुजीदा नबी और अम्बियाए बनी इस्राईल में से हैं। आप की पैदाइश इराक के मशहूर शहर “नैनवा” में हुई। अल्लाह तआला ने आप को इसी शहर की हिदायत के लिये नबी बनाया था, यह कौम कुफ्र व शिर्क में मुब्तला हो गई थी।

आप उन्हें एक अर्से तक एक अल्लाह की इबादत की दावत देते रहे, मगर उन्होंने आप की दावत को कबूल न किया और कुफ्र व शिर्क पर जमे रहे और आपका मजाक उड़ाया। जब आमतौर पर ऐसा होने लगा, तो हज़रत यूनुस उनके लिये अज़ाबे इलाही की बददुआ कर के वहाँ से रवाना हो गए। आप के बस्ती से रवाना हो जाने के बाद कौम पर अज़ाबे इलाही के आसार दिखाई देने लगे।

कौम को यकीन हो गया के हजरत यूनुस (र.अ) अल्लाह के सच्चे नबी थे। लिहाजा कौम के तमाम लोग और उनके सरदार बस्ती से बाहर एक मैदान में जमा हो कर खूब रोए और अपने गुनाहों की माफी माँगी और शिकं से तौबा की, अल्लाह तआला ने उन की तौबा कबूल फ़रमाई और उन्हें अजाब से बचा लिया।

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा

थोड़े से पानी में बरकत

हज़रत जियाद बिन हारिस फरमाते हैं मैं एक सफर में आप (ﷺ) के साथ था।

दौराने सफर आप (ﷺ) ने मुझसे पूछा: ऐ मेरे भाई! तुम्हारे पास कुछ पानी है?
मैंने अर्ज किया : हाँ! मश्कीजे में है, मगर थोड़ासा है, वह आपको काफी न होगा,
तो आप (ﷺ) ने फर्माया: उसको किसी बर्तन में निकाल कर मेरे पास ले आओ!

चुनान्चे में गया और एक बर्तन में निकाल कर ले आया। आप (ﷺ) ने अपना दस्ते मुबारक उस में रखा, मैं देख रहा था के आप (ﷺ) की उंगलियों के दर्मियान से पानी का चश्मा फव्वारे की तरह फूटने लगा और फिर सब ने उस से वुजू किया।

📕 तबरानी कबीर: ५१४७, अन जियाद बिन हारिस (र.अ)
📕 हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा


3. एक फर्ज के बारे में

सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“सब से अव्वल जिस चीज़ का बन्दे से कयामत में हिसाब होगा, वह नमाज़ है, अगर वह ठीक उतरी तो उस के सारे आमाल ठीक उतरेंगे और अगर वह खराब निकली तो उसके सारे आमाल खराब निकलेंगे।”

📕 तबरानी फ़िल औसत: १९२९.अन अनस (र.अ)


4. एक सुन्नत के बारे में

गुनाहों से तौबा करने की दुआ

हजरत अबू मूसा अशअरी (र.अ) फर्माते हैं के,
रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ माँगते थे:

“ऐ अल्लाह! मेरे जाने, अन्जाने में हुए गुनाहों को माफ फ़र्मा।”

📕 मुस्लिम: ६९०१


5. एक अहेम अमल की फजीलत

मस्जिद से कूड़ा करकट दूर करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“मस्जिद से कूड़ा करकट साफ करना बड़ी आँखों वाली हूरों का महर है।”

📕 तबरानी कबीर : २४५८


6. एक गुनाह के बारे में

कुरआन को झुटलाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“उस शख्स से बड़ा जालिम कौन हो सकता है, जो अल्लाह पर झूट बोले और जब उस के पास सच्ची बात (कुरआन) आए, तो उस को झुटलाए, क्या ऐसे काफिरों का ठिकाना जहन्नम में नहीं होगा।”

📕 सूरह जुमुर ३२


7. दुनिया के बारे में

रिज्क हिकमते खुदावंदी से मिलता है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“अगर अल्लाह तआला अपने (सब) बन्दों के लिये रिज्क में ज़ियादती कर देता, तो ज़रूर जमीन में फसाद करने लगते, लेकिन वह जिस कदर चाहता है, अन्दाजे के मुताबिक़ रोज़ी उतारता है और वह अपने बन्दों से बाखबर और (उन को) देखने वाला है।”

📕 सूरह शूरा २७


8. आख़िरत के बारे में

चालीस साल तक अजाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जहन्नम में बुख्ती ऊँटों की गर्दनों के बराबर (मोटे) साँप है, उनमें से एक ने भी एक दफा डस लिया, तो उस का जहर चालीस साल तक बाकी रहेगा। इसी तरह जहन्नम में हामिला खच्चरों की मानिंद (मोटे) बिच्छू हैं, उन में जो कोई एक दफा डसेगा, तो उस की तकलीफ चालीस साल तक महसूस होगी।”

📕 मुस्नदे अहमद १७२६७


9. तिब्बे नबवी से इलाज

सेहत के लिये एहतियाती तदबीर

हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ) फर्माते हैं के,

रसूलुल्लाह (ﷺ) खाने पीने की चीजों में फूंक नहीं मारते थे और न बर्तन में साँस लेते थे।

📕 इब्ने माजा ३२८८ : ३९७३

फायदा: अतिब्बा कहते हैं के जो हवा सॉस के जरिये बाहर निकलती है, उसमें मर्ज के एतबार से लाखों जरासीम होते हैं, जब इन्सान बर्तन में तीन फूंक मारेगा या सॉस लेगा, तो वह जरासीम उस में फैल कर सेहत के लिये नुकसान देह साबित हो सकते है।


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

छींक की दुआ और जवाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

तुम में से किसी को छींक आए तो अलहम्दुलिल्लाह (तमाम तारीफें अल्लाह के लिए है) कहे और उसका भाई या उसका साथी यरहामुकल्लाह (अल्लाह तुम पर रहम करे) कहे, जब साथी यरहामुकल्लाह कहे तो उसके जवाब में छींकने वाला फिर से ये कहे यहदिकुमुल्लाह वा यूस्लिहु बालकूम (यानी अल्लाह तुम्हे सीधे रास्ते पर रखे और तुम्हारे हालत दुरस्त करे)।

📕 सही बुखारी, जिल्द 7, 6224

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Jo Mehmaan Nawazi na kare usme koi Khair nahi https://ummat-e-nabi.com/jo-mehmaan-nawazi-na-kare-usme-koi-khair-nahi/ https://ummat-e-nabi.com/jo-mehmaan-nawazi-na-kare-usme-koi-khair-nahi/#respond Sun, 03 Sep 2023 09:20:12 +0000 https://ummat-e-nabi.com/us-shakhs-me-koi-khair-nahi-jo-mehman-nawazi-nahi-karta/ Jo Mehmaan Nawazi na kare usme koi Khair nahiHadees of the Day Jo Mehmaan Nawazi na kare usme koi Khair nahi TRANSLITERATION Uqba bin Aamir (R.A) se riwayat hai ke, Nabi-e-Kareem (ﷺ) ne farmaya: “Us shakhs me koi […]

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Hadees of the Day

Jo Mehmaan Nawazi na kare usme koi Khair nahi

TRANSLITERATION

Uqba bin Aamir (R.A) se riwayat hai ke,
Nabi-e-Kareem (ﷺ) ne farmaya:

“Us shakhs me koi Khair (Bhalayee) nahi jo Mehman nawazi nahi karta.”


HINDI

“उस शख्स में कोई खैर नहीं जो मेहमान नवाजी नहीं करता।”


MARATHI

पाहुणचार न करणारा माणूस सभ्य नसतो.


GUJARATI

ઉસ આદમી મે કોઇ ભલાઈ નહીં, જિસ મે મેહમાન નવાઝી નહીં.


ENGLISH

He who doesn’t have the courtesy to be hospitable to his guests has no goodness in him.

📕 Musnad Ahmed, Hadees 17419

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Mehman Nawazi ki Fazilat aur Sunnat https://ummat-e-nabi.com/mehmaan-nawazi-ki-sunnat/ https://ummat-e-nabi.com/mehmaan-nawazi-ki-sunnat/#respond Tue, 15 Aug 2023 21:45:41 +0000 https://ummat-e-nabi.com/mehmaan-nawazi-ki-sunnat/ Mehman Nawazi ki Fazilat aur Sunnat Uqba bin Aamir (R.A.) se riwayat hai ki, RasoolAllah (ﷺ) ne farmaya: “Us shakhs me koi Khair (Bhalayee) nahi jo mehman nawazi nahi karta” […]

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Mehman Nawazi ki Fazilat aur Sunnat

Uqba bin Aamir (R.A.) se riwayat hai ki,
RasoolAllah (ﷺ) ne farmaya:

“Us shakhs me koi Khair (Bhalayee) nahi jo mehman nawazi nahi karta”

📕 Masnad Ahmed 7088 -Sahih Al-Silsila As-Sahiha – 193


✦ Hadith: RasoolAllah (ﷺ) ne farmaya:

“Jo shakhs Allah aur aakhirat ke din par yaqeen rakhta ho usko apne mehman ki izzat karni chahiye”

📕 Sahih Bukhari, Jild 7, Hadees 6135


✦ Hadith: Abu Hurairah (R.A.) ka bayan hai,
Nabi-e-kareem (ﷺ) ne farmaya –

“(Mehman Nawazi Ke Mutabik) Sunnat ye hai ki Aadmi Mehmaan ko Darwaze tak rukhsat karne jaye”

📕 Ibne Majah

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10 Muharram / Ashura ke Roze ki Fazilat https://ummat-e-nabi.com/muharram-ka-roza/ https://ummat-e-nabi.com/muharram-ka-roza/#respond Fri, 28 Jul 2023 04:41:39 +0000 https://ummat-e-nabi.com/muharram-ka-roza/ 10 Muharram Ashura ke roze ki fazilatHadees of the Day ★ Ashure ka Roza ۞ Hadees: Abdullah bin Abbas (R.A.) se riwayat hai ki, Jab Allah ke Rasool (ﷺ) ne Ashure ke Din 10 Muharram ka […]

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Hadees of the Day

★ Ashure ka Roza

۞ Hadees: Abdullah bin Abbas (R.A.) se riwayat hai ki,
Jab Allah ke Rasool (ﷺ) ne Ashure ke Din
10 Muharram ka Roza rakha aur Hukm (Order) kiya is Rozey ka,
tou logo ne Arz kiya, Ya RasoolAllah(ﷺ) ! ye din to aisa hai ki
iski Taazim Yahud aur Nasara karte hain.

Tou Aap (ﷺ) ne farmaya ki Jab Agla Saal aayega to
In’ sha’ Allah Hum 9 ka Roza Rakhege,

Aakhir Agla Saal na aane paya ki Aap (ﷺ) is dunia se Rukhsat kar gaye.
(isliye hum Musalman 9 aur 10 dono ka Roza rakhte hain).

📕 Sahih Muslim, Vol 3, 2666


★ Aashura ke Roze ki Fazilat:

۞ Hadees: Abu Qatada al-Ansari (R.A.) se riwayat hai ki,

RasoolAllah (ﷺ) se Ashura (10 Muharram) ke din ke Rozey ke bare mein pucha tou
Aap (ﷺ) ne farmaya –

‘Ye Guzrey huye Saal ke Gunahon ka kaffara hai.’

📕 Sahih Muslim, Vol 3, 2747


★ Yahudi Ashure ka Roza kyu Rakhte they ?

10th Muharram ko Allah Ta’ala ne Hazrath Musa (Alaihi Salam) ki Ummat ko Firoun ki Qaid se Azad karwaya aur Firoun ko Paani me Garkh Kar diya tha.

Lihaja is ke Shukrane ke taur par Musaa (Alaihi salam) ki Ummat ye Ashoora ka Roza rakhti thi, aur Ummat-e-Mohammadiya ko 9 aur 10 ya phir 10 aur 11 ka Roza Rakhna hai.
Ta’ake Yahud aur Nasara se Musabahat na ho aur unki mukhalifat ho.

Ulema Unki Mukhalifat ke talluk se kehte hai ke unki Mukhalifat ka hukm isiliye kyunki wo Qoum bhi Aizaz paane ke baad Allah aur uske Nabiyo ke Hukm ki mukhalifat karne lag gaye they. lihaja unki mukhalifat me hume ek ke bajaye 2 roze rakhne ka hukm mila.


★ 10 Muharram ko Sharbat baantna kaisa hai?

Aam taur par Log 10th Muharram ko (Sharbat, Juices) baant’te hai aur puchne par bolte hai ke Nawase Rasool Husain RaziAllahu Anhu Pyaase Shaheed huwe they isliye hum Sharbat baat te hai, ye sarasar Galat hai Sharbat baantna.

Jabki Hum logo ko chahiye ke hum 10th moharram ke din Roza rakhe jaisa Rakhne ka Hukm hai, Pados me aur logo ke ghar Iftar bhejna chahiye taake logo ko pata chale ke is din Roza rakhna hai naa ke Roza Todna.

NOTE: 9 aur 10 ya phir 10 aur 11 ka Roza Rakh sakte hai.

Allah Ta’ala hume kehney sunney sey ziyada amal ki toufeeq aata farmaye. Ameen

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♫ Napaki ki Halat me kya Saher kar sakte hai? https://ummat-e-nabi.com/napaki-ki-halat-me-kya-saher-kar-sakte-hai/ https://ummat-e-nabi.com/napaki-ki-halat-me-kya-saher-kar-sakte-hai/#respond Thu, 23 Mar 2023 20:31:21 +0000 https://ummat-e-nabi.com/napaki-ki-halat-me-kya-saher-kar-sakte-hai/ Napaki ki Halat me Kya Saher kar Sakte haiNapaki ki Halat me kya Saher kar sakte hai? Ramzan me Rozo ke liye Napaki ke halat me kya sehar karna durust hoga? Agar haa tou Gusl ka sahi wakt […]

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Napaki ki Halat me kya Saher kar sakte hai?

Ramzan me Rozo ke liye Napaki ke halat me kya sehar karna durust hoga?
Agar haa tou Gusl ka sahi wakt kounsa hai?

Tafseeli jankari ke liye is mukhtasar se Audio bayan ka muta’ala kare. jazakAllahu khairan kaseera.

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♫ Roza koun log nahi rakh sakte aur Bewajah Roza Chorne ka Azab https://ummat-e-nabi.com/roza-koun-log-nahi-rakh-sakte-aur-roza-chorne-ka-azab/ https://ummat-e-nabi.com/roza-koun-log-nahi-rakh-sakte-aur-roza-chorne-ka-azab/#respond Thu, 23 Mar 2023 20:29:55 +0000 https://ummat-e-nabi.com/roza-koun-log-nahi-rakh-sakte-aur-roza-chorne-ka-azab/ Roza koun log nahi rakh sakte aur Bewajah Roza Chorne ka AzabRoza Chorne ka Azab Kin Logo ko Roza na rakhne ki chooth hai aur bewajah Roza chorne ka azab kitna khatarnak ho sakta hai? tafseeli jankari ke liye is audio […]

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Roza Chorne ka Azab

Kin Logo ko Roza na rakhne ki chooth hai aur bewajah Roza chorne ka azab kitna khatarnak ho sakta hai? tafseeli jankari ke liye is audio clip ka mutala kare.

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♫ “Roza Lag raha” Bolna kaisa hai? https://ummat-e-nabi.com/roza-lag-raha-bolna-kaisa-hai/ https://ummat-e-nabi.com/roza-lag-raha-bolna-kaisa-hai/#respond Thu, 23 Mar 2023 20:28:12 +0000 https://ummat-e-nabi.com/roza-lag-raha-bolna-kaisa-hai/ Roza Lag raha" Bolna kaisa hai ?“Roza Lag raha” Bolna kaisa hai? Aksar Roze me Kamzori Aane ki wajah se Log ajib ajib baate kehne lagte hai, to kya aisa kehna jayaz hai ? tafseeli jankari […]

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“Roza Lag raha” Bolna kaisa hai?

Aksar Roze me Kamzori Aane ki wajah se Log ajib ajib baate kehne lagte hai, to kya aisa kehna jayaz hai ? tafseeli jankari ke liye is mukhtasar se audio bayan ka mutala karte hai,. jazakAllah khairan kaseera.

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♫ Kin Cheezon ke karne se Roza toot jata hai? https://ummat-e-nabi.com/kin-cheezon-ke-karne-se-roza-toot-jata-hai/ https://ummat-e-nabi.com/kin-cheezon-ke-karne-se-roza-toot-jata-hai/#respond Thu, 23 Mar 2023 20:27:38 +0000 https://ummat-e-nabi.com/kin-cheezon-ke-karne-se-roza-toot-jata-hai/ ♫ Kin Cheezon ke karne se Roza toot jata hai ?Kin Cheezon ke karne se Roza toot jata hai? Roza kin Cheezo se toot sakta hai? wo kounse amal hai jiski wajah se roza toot’ta hai, tafseeli jankari ke liye […]

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Kin Cheezon ke karne se Roza toot jata hai?

Roza kin Cheezo se toot sakta hai? wo kounse amal hai jiski wajah se roza toot’ta hai, tafseeli jankari ke liye is mukhtasar se audio bayan ko jarur suney, jazakAllahu khairan kaseera.

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♫ Saher aur Iftar Ka Tariqa aur Kuch Galat Fahmiya https://ummat-e-nabi.com/saher-aur-iftar-ka-tariqa/ https://ummat-e-nabi.com/saher-aur-iftar-ka-tariqa/#respond Thu, 23 Mar 2023 20:26:52 +0000 https://ummat-e-nabi.com/saher-aur-iftar-ka-tariqa/ Saher aur Iftar ka Tariqa aur kuch Galat FahmiyaSaher Aur Iftar ka Tariqa aur Kuch Ghalat Fahmiya Saher aur Iftar Kaise kare, uska mukammil Tariqa aur uske talluk se Kuch Galat Fahmiyo ka ijala janne ke liye is […]

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Saher Aur Iftar ka Tariqa aur Kuch Ghalat Fahmiya

Saher aur Iftar Kaise kare, uska mukammil Tariqa aur uske talluk se Kuch Galat Fahmiyo ka ijala janne ke liye is mukhtsar si audio clip ka jarur mutala kare.

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♫ Ramzan me Roze ki Halat me Humbistari karne ka Gunaah aur uska Kaffara https://ummat-e-nabi.com/roze-ki-halat-me-humbistari-karne-ka-gunaah-aur-uska-kaffara/ https://ummat-e-nabi.com/roze-ki-halat-me-humbistari-karne-ka-gunaah-aur-uska-kaffara/#respond Thu, 23 Mar 2023 20:26:31 +0000 https://ummat-e-nabi.com/roze-ki-halat-me-humbistari-karne-ka-gunaah-aur-uska-kaffara/ Ramzan me Roze ki Halat me Humbistari karne ka Gunaah aur uska KaffaraRamzan me Roze ki Halat me Humbistari karne ka Gunaah aur uska Kaffara Roze ki Halat me miya biwi ka aapas me humbistari karna kitna bada gunah hai, aur uska […]

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Ramzan me Roze ki Halat me Humbistari karne ka Gunaah aur uska Kaffara

Roze ki Halat me miya biwi ka aapas me humbistari karna kitna bada gunah hai, aur uska kaffara kya hai ? tafseeli jankari ke liye is mukhtasar se audio bayan ka mutala kare. jazakAllahu khairan kaseera.

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♫ Ramzan me Aurat ko Haiz (Menses) aajaye tou kya kare? https://ummat-e-nabi.com/ramzan-me-aurat-ko-haizmenses-aajaye-to-kya-kare/ https://ummat-e-nabi.com/ramzan-me-aurat-ko-haizmenses-aajaye-to-kya-kare/#respond Thu, 23 Mar 2023 20:26:03 +0000 https://ummat-e-nabi.com/ramzan-me-aurat-ko-haizmenses-aajaye-to-kya-kare/ Ramzan me Aurat ko Haiz (Menses) aajaye tou Kya kare♫ Ramzan me Aurat ko Haiz (Menses) aajaye tou kya kare? Ramzan me Aurat ko Roze ki halat me Haiz Aajaye tou kya kare? tafsili jankari ke liye is Audio […]

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♫ Ramzan me Aurat ko Haiz (Menses) aajaye tou kya kare?

Ramzan me Aurat ko Roze ki halat me Haiz Aajaye tou kya kare?
tafsili jankari ke liye is Audio clip ka muatala kare, jazakAllah khair.

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♫ Shab-e-Meraj ka Waqia | Download Audio Mp3 https://ummat-e-nabi.com/shabe-meraj-ka-waqia/ https://ummat-e-nabi.com/shabe-meraj-ka-waqia/#respond Sat, 18 Feb 2023 07:23:47 +0000 https://ummat-e-nabi.com/shabe-meraj-ka-waqia/ इसरा और मेराज एक चमत्कार – Isra Aur Meraj Ka SafarShab e Meraj ka hakiki waqia kya hai?, isme Ummate Muslima ko kounsa tohfa mila aur isme Kiye jaane wale amaal kis hadd tak Sunnat se sabit hai? tafseeli jankari […]

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Shab e Meraj ka hakiki waqia kya hai?, isme Ummate Muslima ko kounsa tohfa mila aur isme Kiye jaane wale amaal kis hadd tak Sunnat se sabit hai? tafseeli jankari ke liye is video bayan ka jarur mutala karey aur isey jyada se jyada share karne me humara tawoon kare.

♫ Shab-e-Meraj Ka Waqia

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Insan Uske Sath Jis se wo Mohabbat karta hai https://ummat-e-nabi.com/insan-uske-sath-jisse-wo-mohabbat-karta-hai/ https://ummat-e-nabi.com/insan-uske-sath-jisse-wo-mohabbat-karta-hai/#respond Thu, 12 Jan 2023 13:36:11 +0000 https://ummat-e-nabi.com/insan-uske-sath-jisse-wo-mohabbat-karta-hai/ Hadees: Insan Uske Sath Jis se wo Mohabbat karta hai [Sahih Bukhari 6169]Hadees of the Day Insan Roz-e-Qayamat Uske Sath hoga Jis se Wo Mohabbat karta hai Ek Ansari Sahabi Jinka chehra bada Ghamjada tha, Woh RasoolAllah (ﷺ) ke Paas Aaye, RasoolAllah […]

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Hadees of the Day

Insan Roz-e-Qayamat Uske Sath hoga Jis se Wo Mohabbat karta hai

Ek Ansari Sahabi Jinka chehra bada Ghamjada tha, Woh RasoolAllah (ﷺ) ke Paas Aaye, RasoolAllah (ﷺ) ne Unki Pareshani ka Sabab Pucha.

Tou Unhone Kaha “Aye Allah ke Rasool(ﷺ)! Ek Gham Mujhe khaye ja raha hai, ke Mai yeh Sochta hu ke Aaj Dunia me Aapka Chehra Mubarak dekhey bagair Hum reh nahi patey, chalte aur phirtey, uthtey aur baithtey jab bhi aapki yaad aati, Aapse aa kar Hum mil letey, aapka didaar karte aur hume Sukun milta hai.

lekin Mai yeh soch kar Gham kha raha hu ke Roze Qayamat tou Aap Ambiya (Alaihi Salaam) ke sath honge, waha hum Aapka Didaar na kar payenge.”

Aap (ﷺ) is par Khamosh rahe, fir Aap (ﷺ) par Allah Taala ki janib se yeh Aayat nazil hui –

Jo Koi Allah aur Rasool ki farmabardari karey Woh (Roze Qayamat) Unn Logon ke Sath hoga Jin per Allah Ta’ala ne Inaam kiya hai Jaisey Nabi aur Siddique aur Shaheed aur Nek Log yeh Kya hi Behtareen Rafiq hai.

📕 Al-Quran; Surah Nisa: 4:69

Aur fir Aap(ﷺ) ne farmaya –

Al-Maru Ma’ Man Ahab” Yaani Insan (Qayamat Ke Din) Uskey Saath hoga Jis se Wo Mohabbat karta hai.”

📕 Sahih Bukhari, 6169

Aur Hazrate Anas bin Malik (R.A) kehte hai ke, Iss Hadees ko Sun’ne se jyada hume kabhi kisi Hadees par aesi khushi nahi hui, ke Insan Uske Sath Jis se wo Mohabbat karta hai aur Hum Jantey hai ke Hum RasoolAllah (ﷺ) se Mohabbat karte hai, Lihaja Humara Hisaab bhi RasoolAllah ke sath hoga.

* Tou Jisney RasoolAllah se Mohabbat ki Yaani RasoolAllah ki Ita’at ki. Wo RasoolAllah ke sath hai,

* Jisney Filmstaro ki Itteba ki Unsey Mohabbat ki, Unkey Tareeko ko Apnaya, Wo unke saath hoga,

* Jisney Sportstars ko pasand kiya, Unkey Tareeke par chala wo unke sath hai,

* Jisney Kuffaro ko pasand kiya, Unkey Tarsh ko Apnaya aur unkey tareeko par chala wo Unkey saath hai.


SABAQ:

Lihaja Hume Chahiye ke Zindagi ke tamam Shobo me RasoolAllah (ﷺ) ko Apna Usma-tul-Hasna (Ideal aur Role Model) maaney aur Aap (ﷺ) ki Sunnato par Amal ko Lazim aur farz jaaney,..

♥ In sha Allah – Ul – Azeez
Allah Taala Hume kehne sun ne se jyada amal ki taufiq ata farmaye,
Allah Taala Hume RasoolAllah (ﷺ) ki Sunnato ka muttabe banaye,
Jab tak hume Zinda rakhey Islam aur Imaan par zinda rakhey.
Khatma Humara Imaan par ho.
Wa Akhiru Dawana Anilhamdulillahe Rabbil A’lameen !!!

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Har Mahine 3 Din Subah ke Waqt Shehad chatne ki Fazilat https://ummat-e-nabi.com/har-mahine-3-din-subah-ke-waqt-shahad-chatne-ki-fazilat/ https://ummat-e-nabi.com/har-mahine-3-din-subah-ke-waqt-shahad-chatne-ki-fazilat/#respond Thu, 05 Jan 2023 09:56:18 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=42364 Jo Shahks har mahine 3 din subhah Shahad chatega HadeesHadees of the Day Har Mahine 3 Din Subah ke Waqt Shahad chatne ki Fazilat Abu Hurairah (R.A) se riwayat hai ke,Allah ke Rasool (ﷺ) ne farmaya: “Jo Shakhs har […]

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Hadees of the Day

Har Mahine 3 Din Subah ke Waqt Shahad chatne ki Fazilat

Abu Hurairah (R.A) se riwayat hai ke,
Allah ke Rasool (ﷺ) ne farmaya:

“Jo Shakhs har mahine 3 din subah ke waqt Shehad chatega, toh usey koi badi beemari nahi hogi.”

📕 Ibne Majah: Hadees 3450


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Allah ki Hidayat ko Chupane Wale par Lanat https://ummat-e-nabi.com/allah-ki-hidayat-ko-chupane-wale-par-lanat/ https://ummat-e-nabi.com/allah-ki-hidayat-ko-chupane-wale-par-lanat/#respond Fri, 30 Dec 2022 18:53:33 +0000 https://ummat-e-nabi.com/allah-ki-nazil-ki-huyee-hidayat-ko-chupaya-na-karo/ Allah ki Hidayat ko Chupane Wale par LanatHadees-e-Nabwi (ﷺ) Allah ki Hidayat ko Chupane Wale par Lanat Usman (R.A) ne Wuzu kiya tou Ek Shakhs se farmaya, “Main Tumko Ek Hadees Sunata hu agar Quraan Paak ki […]

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Hadees-e-Nabwi (ﷺ)

Allah ki Hidayat ko Chupane Wale par Lanat

Usman (R.A) ne Wuzu kiya tou Ek Shakhs se farmaya,
“Main Tumko Ek Hadees Sunata hu agar Quraan Paak ki Ek Aayat (Nazil) na hoti tou Main ye Hadees Tumko na sunata ke,

RasoolAllah (ﷺ) ne farmaya –

“Jab bhi koi Achchi tarah Wuzu karta hai aur Namaz parhta hai tou Uskey Ek Namaz se Dusri Namaz ke parhney tak ke Gunnah muaf kar diye Jaatey hain.”
(Sahih Bukhari; Vol 1, Hadees: 153)

Urwah (R.A) kahtey hain Wo Ye Aayat ye hai –

“Jo Log Allah ki Uss Nazil ki Huyee Hidayat ko Chupatey hain Jo Usney logon ke liye Apni Kitab me bayan ki hai, Un par Allah ki Lanat hai aur (Dusrey) Lanat karney walon ki lanat hai”
(Surah Al-Baqrah 2:159)

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Paani Gataghat na piyo warna falah beemari hoti hai https://ummat-e-nabi.com/paani-gataghat-na-piyo-warna-falah-beemari-hoti-hai/ https://ummat-e-nabi.com/paani-gataghat-na-piyo-warna-falah-beemari-hoti-hai/#comments Fri, 23 Dec 2022 09:08:45 +0000 https://ummat-e-nabi.com/paani-choos-kar-piyo/ Paani Gataghat na piyo warna falah beemari hoti haiHadees of the Day Paani Gataghat na piyo warna falah beemari hoti hai Ibne Abi Husain (R.A.) se riwayat hai ke,Allah ke Rasool (ﷺ) ne farmaya: ❝ Tum Paani Choos […]

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Hadees of the Day

Paani Gataghat na piyo warna falah beemari hoti hai

Ibne Abi Husain (R.A.) se riwayat hai ke,
Allah ke Rasool (ﷺ) ne farmaya:

❝ Tum Paani Choos kar piyo aur gataagat naa piyo, is (gataagat peene) ki wajah se jigar ki beemari hoti hai.

📕 Sunan Kubra Baihaqi 15055

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30. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/30-safar/ https://ummat-e-nabi.com/30-safar/#respond Tue, 27 Sep 2022 01:01:00 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=35912 30. Safar | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसाहज़रत उज़ैर (अ.स), सज्दा-ए-सहव करना, मोमिन के हक़ में दुआ, बरकत वाला निकाह, रसूलुल्लाह (ﷺ) के हुक्म को ना मानने का गुनाह,जनाज़े को दफ़नाने में देर ना करो …

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30. Safar | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हज़रत उज़ैर (अ.स)

हज़रत उज़ैर (अ.स) बनी इस्राईल के नबी और हज़रत हारून (अ.स) की नस्ल से हैं। अल्लाह तआला ने सूर-ए-तौबा में उन का तज़केरा किया है। वह तौरात के हाफिज़ और बड़े आलिम थे, जब बुख़्त नस्र बादशाह ने बनी इस्राईल को शिकस्त दे कर फलस्तीन और बैतुल मक़दिस बिल्कुल तबाह कर दिया और उन को ग़ुलाम बना कर बाबुल ले गया और तौरात के तमाम नुस्खों को जला कर राख कर दिया। 

और वह तौरात जैसी अज़ीम आसमानी किताब से महरूम हो गए, तो अल्लाह तआला ने हज़रत उज़ैर (अ.स)  को दोबारा बैतुल मक़दिस आबाद करने का हुक्म दिया, उन्होंने उसकी वीरानी को देख कर हैरत का इज़हार किया, तो अल्लाह तआला ने सौ साल तक उन पर नींद तारी कर दी। 

जब सौ साल सोने के बाद बेदार होकर देखा के बैतुलमक़दिस आबाद हो चुका है, तो हज़रत उज़ैर (अ.स)  ने पूरी तौरात सुनाई और उसे आखिर तक लिखाया, इस अज़ीम कारनामे की वजह से यहूदी उन्हें अकीदत में खुदा का बेटा कहने लगे और आज भी फलस्तीन में यहूद का एक फिरका हज़रत उज़ैर (अ.स)  को ख़ुदा का बेटा कहता है। और उनका मुजस्समा बना कर उस की इबादत करता है।  (नौजूबिल्लाह)

कुरआन पाक में अल्लाह तआला ने उनके इस गलत अक़ीदे की इसलाह फ़रमाई के वह अल्लाह के बन्दे और उस के सच्चे रसूल हैं, फलस्तीन के दोबारा आबाद होने के बाद पचास साल तक लोगों की इस्लाह करते हुए तकरीबन ४८५ साल कब्ले मसीह इराक के गाँव “साइराबाद” में इन्तेकाल फ़रमाया।

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा

हज़रत खुबैब (र.अ) के हक़ में दुआ

गज़व-ए-बद्र के मौके पर हज़रत खुबैब (र.अ) का कंधा जख्मी हो गया,
आप (ﷺ) ने अपना मुबारक थूक उस पर लगाया, तो बाजू अपनी जगह पर जुड़ कर ठीक हो गया। 

📕 बैहक़ी फी दलाइलिन्नुबुव्वह : ९६४
📕 हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा


3. एक फर्ज के बारे में

सज्दा-ए-सहव करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तुम में से किसी को (नमाज़ में) भूल चूक हो जाए, तो सज्दा-ए-सहव कर ले।”

📕 मुस्लिम १२८३

फायदा : अगर नमाज़ में कोई वाजिब से छूट जाए या वाजिबात और फराइज़ में से किसी को अदा करने में देर हो जाए तो सज्द-ए-सब करना वाजिब है, इस के बगैर नमाज़ नहीं होती।


4. एक सुन्नत के बारे में

मोमिन के हक़ में दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फ़रमाते :

“ऐ अल्लाह ! अगर किसी मोमिन को मैं ने बुरा भला कहा हो तो क़यामत के दिन उस कहने के बदले में उसे अपना क़ुर्ब नसीब फ़रमा।”

📕 बुखारी : २३६१, अन अबी हुरैरह (र.अ)


5. एक अहेम अमल की फजीलत

बरकत वाला निकाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“सब से ज़्यादा बरकत वाला निकाह वह है, जिस में कम से कम खर्च हो।”

📕 शोअबुलईमान : ६२९५, अन आयशा (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

रसूलुल्लाह (ﷺ) के हुक्म को ना मानने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग रसूलुल्लाह (ﷺ) के हुक्म की खिलाफ़वर्ज़ी करते हैं, उन को इस से डरना चाहिये के कोई आफ़त उन पर आ पड़े या उन पर कोई दर्दनाक अज़ाब आ जाए।”

📕 सूरह नूर : ६३


7. दुनिया के बारे में

आखिरत की कामयाबी दुनिया से बेहतर है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“तुम लोगों को जो कुछ दिया गया है, वह सिर्फ दुनियवी ज़िन्दगी (में इस्तेमाल की) चीज़ें हैं और जो कुछ (अज्र व सवाब) अल्लाह के पास है, वह इस (दुनिया) से कहीं बेहतर और बाक़ी रहने वाला है।”

📕 सूरह शूरा ३६


8. आख़िरत के बारे में

दाढ़ और चमड़े की मोटाई

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“(जहन्नम में) काफिर की एक दाद या एक दाँत उहुद (पहाड़) के बराबर होगी और उसकी खाल की मोटाई तीन दिन चलने (सफर) के बराबर होगी।”

📕 मुस्लिम : ७१८५, अन अबी हुरैरह (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

नशा आवर चीज़ो से एहतियात

हज़रत उम्मे सलमा (र.अ) फर्माती हैं के,

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हर नशे वाली और अक़ल में खराबी पैदा करने वाली चीज़ों से रोका है।

📕 अबूदाऊद: ३६८६

फायदा: अतिब्बा लिखते हैं के नशे वाली चीज़ों के नुक़सानदेह असरात सब से ज़्यादा दिमाग पर ज़ाहिर होते हैं. लिहाज़ा उस से बचने की सख्त ज़रूरत है।


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

जनाज़े को दफ़नाने में देर ना करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जनाज़े को जल्दी ले जाओ, अगर मुर्दा नेक है, तो उस की भलाई की तरफ जल्दी पहुँचाओ और अगर वह बद है तो उसको जल्दी अपनी गर्दन से उतार फेंको।”

📕 बुखारी : १३१५, अन अबी हुरैरह (र.अ)

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20. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/20-safar/ https://ummat-e-nabi.com/20-safar/#respond Fri, 16 Sep 2022 02:30:00 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=35417 20. Safar | Sirf Panch Minute ka Madarsaहज़रत शमवील (अ.स.), हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा : ऊँट का हुजूर की फर्माबरदारी करना, एक फर्ज: जमात से नमाज़ पढ़ने की ताकीद, एक अहम अमल : कुरआन को गौर से सुनना ...

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20. Safar | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हज़रत शमवील (अ.स.)

हजरत शमवील (अ.स) का सिलसिला-ए-नसब हजरत हारून (अ.स.) से मिलता है, बनी इस्राईल जब सर जमीने फलस्तीन में दाखिल हो गए, तो उन पर एक ऐसा जमाना गुज़रा, के उन में न कोई नबी या रसूल थे और न ही कोई हाकिम, चुनाचे पड़ोसी कौमें उन पर हमला करती रहतीं। ऐसे जमाने में बनी इस्राईल की इस्लाह व कयादत के लिये अल्लाह तआला ने हज़रत शमवील (अ.स.) को नबी बनाया। 

उन्होंने क़ौम की दरख्वास्त पर हजरत तालूत को उन का बादशाह बनाया, बाज़ लोगों ने एतराज किया, तो हजरत शमवील (अ.स.) ने फर्माया: “यह अल्लाह तआला के हुक्म से है और उसकी निशानी यह में है के तूम्हारा सन्दुक़ जिस में नबियों की मीरास थी और जिस को कौमे अमालेका लेकर चली गई थी। फरिश्ते वह सन्दूक ला कर देंगे”, चुनान्चे ऐसा ही हुआ, फरिश्तों ने वह सन्दूक हजरत तालूत को पहुंचा दिया और हजरत तालूत बादशाह बना दिये गए। 

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा

ऊँट का हुजूर की फर्माबरदारी करना

हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ) फर्माते हैं के एक मर्तबा हम रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ सफर से आए, जब हम लोग बनू नज्जार के बाग़ के पास पहुंचे, तो देखा के बाग में एक ऊँट बैठा हुआ है, जो बहुत गुस्से में था, बाग़ में जो भी जाता, उस पर हमला कर देता।

रसूलुल्लाह (ﷺ) बाग़ में दाखिल हुए और ऊँट को अपने पास बुलाया, तो वह आया और रसूलुल्लाह (ﷺ) के सामने मुँह के बल जमीन पर बैठ गया, फिर आपने उस की नकील मंगवाई और उस को पहना कर उस के मालिक के हवाले कर दिया और सहाबा की तरफ मुतवज्जेह हो कर फर्माया, के जमीन व आसमान के दर्मियान जितनी भी चीजें है, वह जानती हैं के मैं अल्लाह का रसूल हूँ, सिवाए गैर ईमानवाले इन्सान व जिन्नात के।

📕  दलाइलु न्नुबुय्वह लिलअसफहानी :२७०
📕 हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा


3. एक फर्ज के बारे में

जमात से नमाज़ पढ़ने की ताकीद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“मर्दो को चाहिये के वह जमात को छोड़ने से रूक जाएँ; वरना मैं उन के घरों में आग लगवा दूंगा।”

📕 इब्ने माजा : ७९५

नोट: जमात छोड़ने वालों के लिये हदीसों में बह सख्त वईर्दै बयान की गई है, इस लिये तमाम मुसलमान मर्दो पर जमात का एहतेमाम करना बहुत जरूरी है।


4. एक सुन्नत के बारे में

इल्म की ज़ियादती के लिये दुआ

इल्म की जियादती के लिये इस दुआ का एहतमाम करना चाहिये

“रब्बी जिदनी इल्मा”

तर्जमा: ऐ परवरदिगार! मेरे इल्म में ज़ियादती अता फ़र्मा।

📕 सूरह ताहा : ११४


5. एक अहेम अमल की फजीलत

कुरआन को गौर से सुनना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जो शख्स कुरआन की एक आयत सुनने के लिये भी कान लगा दे, उस के लिये ऐसी नेकी लिखी जाती है जो बढ़ती चली जाती है और जो शख्स उस आयत को पढ़े, वह आयत उस शख्स के लिये कयामत के दिन एक नूर होगा जो उस की नेकी के बढ़ने से भी जियादा है।”

📕 मुस्नदे अहमदः ८२८९, अन अबी हुरैरह (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

अहेद तोड़ने वालों का अंजाम

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग अल्लाह से पुख्ता अहेद करने के बाद तोड़ डालते हैं और जिन तअल्लुकात के जोड़ने का अल्लाह ने हुक्म दिया है, उनको तोड़ते हैं और जमीन में फसाद फैलाते हैं, उन्हीं लोगों पर अल्लाह की फिटकार होगी और आखिरत में उनके लिये बड़ी खराबी होगी।”

📕 सूरह रअद: २५

खुलासा: रोजी का जिम्मा अल्लाह तआला पर है, लिहाजा रोजी की तंगी के डर से बच्चों को मार डालना या हमल गिराना या पैदाइश से बचने की कोई और तदबीर इख्तियार करना जैसा के आज के दौर में हो रहा है बहुत ही बड़ा गुनाह और हराम काम है।


7. दुनिया के बारे में

नाफर्मान क़ौमों की हलाकत की वजह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“हम ने ऐसी कितनी बस्तियों को हलाक कर डाला, जिन के रहने वाले अपने सामाने-ऐश पर फक्र किया करते थे। अब उनके यह मकानात पड़े हुए हैं, जिनको हलाक होने के बाद से अब तक बसना नसीब नहीं हुआ, मगर बहुत थोड़ी देर के लिये, आखिर कार हम ही उन के वारिस हुए।”

📕 सूरह कसस: ५८

खुलासा: दुनिया के साजो सामान पर इतराना नहीं चाहिये, क्योंकि अल्लाह तआला उस को कभी भी हमसे छीन सकता हैं, जैसे के हमसे पहले कितने ही आलीशान मकानात को तबाह कर दिया और आज उसका नाम व निशान भी बाक़ी नहीं रहा।


8. आख़िरत के बारे में

दुनिया की आग जहन्नम की आग से डरती है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम्हारी यह आग जहन्नम की आग का सत्तरवाँ हिस्सा है, अगर यह दो मर्तबा पानी से न बुझाई जाती तो तुम उस से नफा न हासिल कर सकते। यह आग अल्लाह तआला से दुआ करती है के वह उस को दोबारा जहन्नम में न डाले।”

📕 इब्ने माजाह : ४३१८. अन अनसन (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

जम ज़म के फवायद

हज़रत इब्ने अब्बास ने ज़मजम के बारे में फर्माया:

“यह (जमज़म) एक मुकम्मल खूराक है और बीमारियों के लिये शिफा बख्श भी है।”

📕 बैहकी फी शोअबिल इमांन : ३९७३


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

नींद से उठकर सीधे बर्तन में हाथ ना डाले

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तुम में से कोई नींद से उठे, तो पानी के बरतन में हाथ डालने से पहले तीन मर्तबा अपने हाथ को धोले।”

📕 मुस्लिम: ६४६

इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।

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19. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/19-safar/ https://ummat-e-nabi.com/19-safar/#respond Thu, 15 Sep 2022 05:16:37 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=35294 19. Safar | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसाइस्लामी तारीख: हजरत यसआ (अ.), अल्लाह की कुदरत: फलों में रस, वसिय्यत पूरी करना, अल्लाह की किसी मखलूक को सताने का गुनाह, हलक के कव्वे का इलाज …

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19 Safar | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत यसआ (अ.)

हजरत यसआ (अ.) का तजकेरा कुरआने करीम के “सूरह अन्आम” और “सूरह साद” दो जगह आया है। जिस में उन की फजीलत व अजमत की खबर दी है, वह एक मालदार घराने के फरजन्द थे, इलाक-ए-सामरा के रहने वाले थे, यह इलाका कन-आन (फलस्तीन) में यरोशलग के शिमाल व मग़रिब में बहरे रूम के साहिल के करीब वाले है।

हजरत यसआ हज़रत इलयास के चचाज़ाद भाई और उन के नाइब व खलीफा थे। शुरू में उन्हीं के साथ रहते थे। जब हजरत इलयास (अ.) का इन्तेकाल हुआ तो अल्लाह तआला ने बनी इस्राईल की हिदायत व रहनुमाई के लिये उन को नबी बनाया।

वह हज़रत इलयासही की तरह कौमे बनी इस्राईल को तौरात पर अमल करने की तरगीब, देते और हक़ बात मानने और सीधे रास्ते पर चलने का हुक्म दिया करते थे और शिर्किया बातों से बचे रहने की ताकीद करते थे।

नुबुव्वत के साथ सियासी सूझ बूझ और जंगी तदबीरों से भी खूब वाकिफ थे।

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

फलों में रस

अल्लाह तआला ने हमारे फायदे के लिये बहुत से किस्म के फलदार दरख्त पैदा फरमाए। जिन पर मौसम के लिहाज से फल उगाता है। उन में से बाज फल खट्टे और बाज़ मीठे होते हैं फिर बाज़ फलों में लज़ीज़ और उमदा रस पैदा कर देता है। आम, सन्तरा, मोसम्बी और अंगूर जैसे फलों से हम मज़ेदार जूस निकाल कर पीते हैं।

आखिर उन फलों में उमदा व लज़ीज़ रस कौन पैदा करता है?
बिलाशुबा अल्लाह ही अपनी कुदरत से हमारे लिये उन फलों में रस पैदा करता है।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

वसिय्यत पूरी करना

कुरआन में अल्लाह तआला ने चंद वारिसों के हिस्सों का जिक्र करने के बाद फर्माया :

“(यह सब वरसा के हिस्सों की तक्सीम) मय्यित की वसिय्यत को पूरा करने और कर्ज अदा करने के बाद की जाएगी।”

खुलासा : मय्यित ने अगर किसी के हक में कुछ वसिय्यत की हो, तो वारिसों को उन का हिस्सा देने से पहले मय्यित के छोड़े हुए माल के तिहाई हिस्से से उस की वसिय्यत पूरी करना वाजिब है।

📕 सूरह निसा: १२


4. एक सुन्नत के बारे में

वजू के बाद तौलिये का इस्तेमाल करना

हजरत आयशा (र.अ) बयान करती हैं के “रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास एक कपड़े का टुक्ड़ा (रुमाल की तरह) था जिस से वुजू के बाद पोछते थे।”

📕 तिर्मिज़ी: ५३


5. एक अहेम अमल की फजीलत

बेचा हुआ माल वापस लेना

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स किसी मुसलमान के खरीदे हुए माल को (वापस करने पर) वापस ले ले, तो अल्लाह तआला क़यामत के दिन उस के गुनाह माफ फर्मा देगा।”

📕 अबू दाऊद : ३४६०, अन अबी हुरैरह (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

अल्लाह की किसी मखलूक को सताने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“एक बेदर्द और बेरहम औरत इसलिये जहन्नम में डाली गई के उस ने एक बिल्ली को बाँध के भूका मार डाला, न तो उसे कुछ खिलाया और न उसे छोड़ा के वह जमीन के कीड़े मकोड़ों से अपनी गिजा हासिल कर लेती।”

📕 बुखारी: ३३१८, अन इब्ने उमर (र.अ)


7. दुनिया के बारे में

दुनियावी ऐश व इशरत से बचना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत मआज को जब यमन भेजा तो फर्माया के नाज़ व नेअमत की जिन्दगीसे बचना, इसलिये के अल्लाह के बन्दे ऐश व इशरत में जिन्दगी बसर करने वाले नहीं होते।

📕 मुस्नदे अहमद : २१६१३


8. आख़िरत के बारे में

जन्नत के बालाखाने किस के लिये ?

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो लोग अपने रब से डरते हैं, तो उन के लिये (जन्नत के) ऐसे बालाखाने हैं, जिन के ऊपर और बालाखाने बने हुए हैं, उन के नीचे नहरें जारी होंगी, अल्लाह ने (उनसे यह) वादा किया है और अल्लाह तआला वादा खिलाफ़ी नहीं करता।”

📕 सूरह जुमर: २०


9. तिब्बे नबवी से इलाज

हलक के कव्वे का इलाज

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अपनी औलाद को हलाक न करो, जब किसी औरत के बच्चे को गले की तकलीफ हो तो ऊदे हिन्दी को पानी से रगड़कर उसकी नाक में चढाए।”

📕 बुखारी : ५७१३, अन उम्मे कैस बिन्ते मिहसन (र.अ)

फायदा: कव्वा गोश्त का लटकता हुआ वह छोटा सा टुक्ड़ा है, जो आदमी के शुरू हलक में होता है।


10. कुरआन की नसीहत

अल्लाह तआला का अहद पूरा किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“तुम अल्लाह तआला का अहद पूरा किया करो, जब के तुम उसको अपने जिम्मे करलो और कसमों को (भी) पुख्ता करने के बाद मत तोड़ा करो।”

📕 सूरह नहल : ९१

इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।

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18. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/18-safar/ https://ummat-e-nabi.com/18-safar/#respond Wed, 14 Sep 2022 09:02:33 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=35263 18. Safar | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसाहज़रत इलयास (अ.), एक फर्ज: कर्ज अदा करना, नमाज़ में तशहुद के बाद की दुआ, औलाद का क़त्ल गुनाहे कबीरा है, अल्लाह के अलावा किसी और की कसम ना खाओ…

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18 सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
18 Safar | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हज़रत इलयास (अ.)

हजरत इलयास (अ.) उरदुन के एक इलाका “जलआद” में पैदा हुए, कुरआन पाक में आप का नाम इलयास और इलयासीन दोनों तरह जिक्र किया गया है।

अल्लाह तआला ने आप को अहले शाम की इस्लाह के लिये नबी बनाकर भेजा था। आप की दावत का इलाक़ा शाम का मशहूर शहर “बालबक्क” था। जो दिमश्क़ से तक़रीबन दो किलो मिटर की दूरी पर वाले है। उस शहर में बाल नाम का सोने का एक बहुत 10 बड़ा बुत था, वह लोग उसे अपना खुदा समझते थे।

हजरत इलयास (अ.) ने उन्हें एक अल्लाह तआला की इबादत की तरफ बुलाया और उनके बादशाह को दावत दी। उन लोगों ने आपकी दावत को कबूल न किया और आपके कत्ल के दरपे हो गए। आप वहाँ से चले गए और जब बादशाह मर गया, तो आप वापस आए और नए बादशाह को दावत दी, तो उसने और उस की पूरी कौम ने ईमान कबूल कर लिया।

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

अरब के रास्तों के मुतअल्लिक़ पेशीनगोई

एक मर्तबा आप (ﷺ) ने अदी बिन हातिम (र.अ) से फर्माया : 

“ऐ अदी ! अगर तेरी उम्र लम्बी होगी तो तू देखेगा के ऊँट पर सवार अकेली औरत हिरा (जगह) से चलेगी, यहाँ तक के काबा का तवाफ करेगी। और अल्लाह के अलावा उस को किसी का डर न होगा, चुनान्चे हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मैंने वह जमाना अपनी आँखों से देखा, के एक औरत हिरा से अकेली ऊँट पर सवार हो कर आई और काबा का तवाफ भी किया: उस को अल्लाह के अलावा किसी का डर न था।”

📕 हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा


3. एक फर्ज के बारे में

कर्ज अदा करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“कर्ज की अदाएगी पर कुदरत रखने के बावजुद टाल मटोल करना जुल्म है

📕 बुखारी : २४००, अन अबी हुरैरह (र.अ)

खुलासा: अगर किसी ने क़र्ज़ ले रखा है और उसके पास कर्ज अदा करने के लिये माल है, तो फिर कर्ज अदा करना जरूरी है, टाल मटोल करना जाइज नहीं है।


4. एक सुन्नत के बारे में

नमाज़ में तशहुद के बाद यह दुआ पढ़े

हज़रत अबू बकर ने हुजूर (ﷺ) से कहा के मुझे ऐसी दुआ सीखा दीजीए जीस को में अपनी नमाज में पढ लिया करू। आप (ﷺ) ने फर्माया के यह दुआ पढ़ लिया करो:

अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘इनदिका, वर ‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम

तर्जुमा: ए अल्लाह हमने अपनी जान पर बहुत जुल्म किया है और गुनाहों को तेरे सिवा कोई माफ नहीं कर सकता हमारी मग फिरत फरमा ऐसे मग फिरत जो तेरे पास से हो और हम पर रहम कर बेशक तू बड़ा मग फिरत करने वाला और रहम करने वाला है।

📕 बुखारी : ८३४


4. एक अहेम अमल की फजीलत

एक आँसू से जहन्नम के समन्दर बुझ सकते हैं

रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास हजरत जिब्रईल (अ.) तशरीफ़ लाए जब के आप के पास एक शख्स बैठा रो रहा था। हजरत जिब्रईल ने पूछा: यह कौन है? आपने फर्माया: फलाँ शख्स है, तो जिब्रईल (अ.) ने फर्माया: हम इन्सान के सब आमाल का वजन करेंगे, मगर रोने का नहीं (कर सकेंगे) क्योंकि अल्लाह तआला ऑसू के एक कतरे से जहन्नम के कई समन्दर बुझा देंगे।

📕 अज्जुद लिअहमद बिन हम्बल : १४७


5. एक गुनाह के बारे में

औलाद का क़त्ल गुनाहे कबीरा है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“ग़ुरबत (गरीबी) के डर से अपनी औलाद को कत्ल न करो,
हम तुम को भी रिज्क देते हैं और उन को भी।”

📕 सूरह अन्आम: १५१

खुलासा: रोजी का जिम्मा अल्लाह तआला पर है, लिहाजा रोजी की तंगी के डर से बच्चों को मार डालना या हमल गिराना या पैदाइश से बचने की कोई और तदबीर इख्तियार करना जैसा के आज के दौर में हो रहा है बहुत ही बड़ा गुनाह और हराम काम है।


6. दुनिया के बारे में

दुनियावी ज़िन्दगी की मिसाल

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“दुनिया की जिन्दगी की मिसाल ऐसी है जैसा के हमने आसमान से पानी बरसाया हो, फिर उसकी वजह से जमीन के पेड़ पौधे पैदा होकर खूब गुंजान हो गए हों (फिर यह किसी हादसे का शिकार होकर) रेजा रेजा हो जाएं के उसको हवा उडाए फिरती हो।”

📕 सूरह कहफ: ४५

खुलासा: जिस तरह पानी बरसने की वजह से जमीन के पेड़ पौधे खूब हरेभरे हो जाते हैं, फिर किसी आफत का शिकार हो कर सब खत्म हो जाता है, इसी तरह दुनियावी जिन्दगी है, के आज सब कुछ मौजूद है और जब मौत आएगी, तो कुछ भी बाकी नहीं रहेगा।


7. आख़िरत के बारे में

काफिर के लिये पचास हज़ार साल की कयामत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“काफिर को पचास हजार साल तक कयामत में खड़ा किया जाएगा, जिस तरह से उस ने दुनिया में कोई (इंदल्लाह काबिले कबूल नेक) अमल नहीं किया और काफिर जहन्नम को देख रहा होगा और समझ रहा होगा के वह चालीस साल की मसाफत से मुझे घेरने वाली है।“

📕 मुसनदे अहमद: ११३१७


8. तिब्बे नबवी से इलाज

जिगर की हिफाज़त का तरीका

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तुम में से कोई पानी पिये तो ठहर ठहर कर चुस्की लेकर पिये और गटागट न पिये क्योंकि इससे जिगर में दर्द होता है।”

📕 बैहकी फी शोअबिल ईमान: ५७५२


9. नबी (ﷺ) की नसीहत

अल्लाह के अलावा किसी और की कसम ना खाओ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अपने माँ बाप और बुतों की क़सम न खाओ और न ही अल्लाह के अलावा किसी और की कसम खाओ (अगर कसम खाने की जरूरत पड़ जाए तो सिर्फ अल्लाह की सच्ची क़सम खाओ।”

📕 नसई : ३८००, अन अबी हुरैरह (र.अ)

इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।

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17. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/17-safar/ https://ummat-e-nabi.com/17-safar/#respond Tue, 13 Sep 2022 02:30:00 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=35243 17. Safar | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसाहजरत हिज्कील (अ.), रेशम का कीड़ा, नमाज़े जनाज़ा फर्जे किफाया है, हाथ पैर की उंगलियों का खिलाल करना, एक गुनाह: हराम माल से सद्का करना …

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17 Safar | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत हिज्कील (अ.)

हजरत मूसा (अ.) के बाद बनी इस्राईल में अम्बियाए किराम का सिलसिला एक लम्बी मुद्दत तक चलता रहा, उन्हीं में से हज़रत हिज्कील (अ.) भी हैं। उन के वालिद का बचपन ही में इन्तेकाल हो गया था।

नुबुवत के बाद एक जमाने तक वह बनी इस्राईल की रहनुमाई करते रहे और हक़ की राह दिखाते रहे। हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) और दीगर सहाब-ए-किराम से रिवायत है के बनी इस्राईल की एक बड़ी जमात से हजरत हिज्कील ने एक कौम से जंग करने का हुक्म दिया, तो पूरी जमात मौत के डर से भागकर एक वादी में आबाद हो गई और यह समझने लगी के अब हम मौत से महफूज हो गए हैं।

अल्लाह तआला ने उनके इस ग़लत अक़ीदे की इस्लाह के लिये उनपर मौत तारी कर दी। एक हफ्ते के बाद जब उधर से हजरत हिजकील (अ.) का गुज़र हुआ, तो उन की हालत पर अफसोस करते हुए अल्लाह तआला से दोबारा जिन्दगी अता करने की दुआ फर्माई।

अल्लाह तआला ने दुआ कबूल फ़रमाई और उनको दोबारा जिन्दा कर दिया, ताके उन की जिन्दगी दूसरों के लिये इबरत व नसीहत का बाइस बने। कुरआने करीम में भी इस वाकिए का तज़केरा किया गया है।

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

रेशम का कीड़ा

अल्लाह तआला ने एक खास किस्म की तितली पैदा फ़रमाई है, उस के अंडों से रेशम के कीड़े निकलते हैं। यह दरख्तों के हरे भरे पत्तों को खाते रहते हैं और उन के मुंह से रेशम का बारीक और कीमती तार निकलता रहता है जिसे वह अपने बदन पर लपेटते रहते हैं।

फिर उसके तार को गर्म पानी में डालते हैं और उसके रेशों से धागा तय्यार करके रेशम के कीमती कपड़े तय्यार करते हैं, जो बाजार में भारी कीमत में बिकते हैं।

आखिर इस नन्हे से कीड़े को उम्दा रेशम तय्यार करने की सलाहियत किसने अता फर्माई। यक़ीनन यह अल्लाह ही की कुदरत है।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

नमाज़े जनाज़ा फर्जे किफाया है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सात चीजों का हुक्म दिया, जिसमें से एक जनाजे में शरीक होना भी है।

📕 बुखारी : १२३९

नोट: नमाज़े जनाजा फर्जे किफाया है, फ़र्ज़ किफाया ऐसे फ़र्ज़ को कहते हैं जो हर एक पर फर्ज हो, लेकिन उनमें से किसी ने भी अगर अदा कर दिया तो सबकी तरफ से काफी हो जाएगा।


4. एक सुन्नत के बारे में

हाथ पैर की उंगलियों का खिलाल करना

हज़रत आयशा (र.अ) बयान करती हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) वुजू फर्माते, तो उंगलियों का खिलाल, फर्माते, एड़ियों को रगड़ते और फरमाते: “उंगलियों का खिलाल करो, अल्लाह तआला उनके दर्मियान जहन्नम की आग दाखिल न करेगा।”

📕 दारे कुतनी : ३२६


5. एक अहेम अमल की फजीलत

मौत को याद रखना

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “दिलों को भी जंग लग जाता है, जैसे लोहे में पानी पहुँचने के बाद जंग लग जाता है।” अर्ज किया गया : या रसूलअल्लाह! वह कौन सी चीज़ है जिस से दिलों की सफाई हो जाए। आप (ﷺ) ने फर्माया: “मौत को कसरत से याद करना और कुरआन का पढ़ना।”

📕 बैहकी शोअबुल ईमान : १९५८


6. एक गुनाह के बारे में

हराम माल से सद्का करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“बगैर वुजू के नमाज़ क़बूल नहीं होती, इसी तरह हराम माल से सद्का कबूल नहीं होता।”

📕 तिर्मिज़ी: १, अन इब्ने उमर (र.अ)


7. दुनिया के बारे में

मुसीबतें किस पर आसान

हज़रत अली (र.अ) फर्माते हैं के:

“जो शख्स दुनिया से बेरगबती इख्तियार करेगा, उस पर मुसीबतें आसान हो जाएँगी और जो मौत को याद करता रहेगा वह भलाई में जल्दी करेगा।”

📕 शोअबुल ईमान लिल बैहकी : १०२२२


8. आख़िरत के बारे में

क़यामत के दिन मुन्किरों का मातम

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“बस कयामत के दिन एक सख्त ललकार होगी, तो यकायक सब देखने लगेंगे। यह मुन्किर कहेंगे : हाए हमारी बरबादी! यह तो वही बदले का दिन है। कहा जाएगा : (हाँ) यह वही फैसले का दिन है, जिसको तुम झुटलाया करते थे।”

📕 सूरह साफ्फात : १९ ता २१


9. तिब्बे नबवी से इलाज

ठंडे पानी से बुखार का इलाज

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम में से किसी को जब बुखार आए, तो सहरी के वक़्त ठंडा पानी (उसके बदन पर) तीन रात तक छिड़का जाए।”

📕 मुस्तदरक: ८२२६, अन अनस बिन मालिक (र.अ)

फायदा: आज जदीद तरीक़-ए-इलाज के मुताबिक डॉक्टर हजरात भी बुखार के मरीज के सर पर ठंडे पानी की पट्टी रखने का मश्वरा देते हैं।


10. कुरआन की नसीहत

अल्लाह के रसूल (ﷺ) तुम्हारी तरफ हक़ बात ले कर आ चुके है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“ऐ इन्सानो! बेशक तुम्हारे पास यह रसूल हक़ बात ले कर तुम्हारे रब की तरफ से आ चुका है, लिहाजा तुम ईमान ले आओ, यह ईमान लाना तुम्हारे लिये बेहतर होगा, अगर तुम इन्कार करते हो, तो खूब समझ लो के आस्मानों और जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला सब कुछ जानने वाला बड़ी हिकमत वाला है।”

📕 सूरह निसा : १७०

इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।

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Libas / Kapde Pahne aur Utarne ki Duayein https://ummat-e-nabi.com/kapde-pehanne-ki-dua/ https://ummat-e-nabi.com/kapde-pehanne-ki-dua/#respond Sat, 20 Aug 2022 02:08:49 +0000 https://ummat-e-nabi.com/kapde-pehanne-ki-dua/ Libas / Kapde Pahne aur Utarne ki DuayeinAlhamdu lillaahil-ladhee kasaanee haadhath-thawba wa razaqaneehi min ghayri hawlin minnee wa laa quwwah

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Kapda pahanne ki dua

❝ الحَمْدُ لِلهِ الَّذِي كَسَانِي هَذَا الثَّوْبَ وَرَزَقَنِيهِ مِنْ غَيْرِ حَوْلٍ مِنِّي وَلَا قُوَّةٍ ❞

Alhamdu lillaahil-ladhee kasaanee haadhath-thawba wa razaqaneehi min ghayri hawlin minnee wa laa quwwah

अल्हम दुलिल लाहिल लज़ी कसानी हाज़ा व रज़क़निही मिन गैरी हव्लिम मिन्नी वला कुव्वह

तर्जुमा : तमाम तारीफ़ अल्लाह के लिए है जिस ने मुझे ये कपडा पहनाया और मेरी ताक़त कुव्वत के बगैर मुझ को ये अत फरमाया

📕 Abu Dawood Hadith:4023by www.ummat-e-nabi.com/home,
📕 Tirmizi Hadith:3458,
📕 Ibne Majah Hadith:3285 


Naya Libas pehne ki dua

नया कपड़ा पहनने की दुआ – Invocation when putting on new clothes

❝ اللَّهُمَّ لَكَ الْحَمْدُ أَنْتَ كَسَوْتَنِيهِ ، أَسْأَلُكَ مِنْ خَيْرِهِ وَخَيْرِ مَا صُنِعَ لَهُ ، وَأَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّهِ وَشَرِّ مَا صُنِعَ لَهُ ❞

अल्लाहुम्म लकल हम्दु अन्त कसव्-तनीहि अस्अलु-क ख़ैरहू व खैर मा सुनिअ – लहु, वअऊजुबि – शर्रिही वशर – रिमा सुनिअ – लहु 

Allaahumma lakal-hamdu anta kasawtaneehi, as’aluka min khayrihi wa khayri maa suni‛a lahu, wa ’a‛oodhu bika min sharrihi wa sharri maa suni‛a lah

(Aye Allah! tere hi liye tamaam tareefe hain, tuney hi mujhe yeh libaas pahnaya, main tujh se iss libaas ki aur jis ke liye yeh banaya gaya hai uski bhalayi ka sawaal karta hoon. aur main iske sharr aur jis ke liye ise banaya gaya hai uske sharr se teri panaah mein aata hoon.)

(ऐ अल्लाह! तेरे ही लिए तारीफ़ है। तूने मुझे यह पहनाया, मैं तुझसे इसकी भलाई और जिस चीज़ के लिए इसे बनाया गया है, उसकी भलाई चाहता हूं। तथा इसकी बुराई और जिस चीज़ के लिए इसे बनाया गया है, उसकी बुराई से तेरी पनाह चाहता हूं।)

📕 Abu Dawood Hadith: 4020,
📕 Tirmizi Hadith:1767


Naya libaas pahanne wale ko kya dua di jaye?

नया कपड़ा पहनने वाले को क्या दुआ दी जाए – Invocations for someone who has put on new clothes

تُبْلِي وَيُخْلِفُ اللهُ تَعَالَى

〘 tublee wa yukhlifullaahu ta‛aalaa 〙

तुब्ली व युरिव्लफुल्लाहु तआला

(Tu ise boseedah kare aur Allah ta’la iske baad tumhein mazeed ataa farmaaye.)

(तू इसे पुराना कर और अल्लाह तआला इसके बाद और ज़्यादा कपड़े दे।)

(May you wear it out and Allah replace it (with another).’ The intended meaning: A supplication for long life.)

📕 Abu Dawood:4020, Sahih Abu Dawud 2/760


اِلْبَسْ جَدِيدًا وَعِشْ حَمِيدًا وَمُتْ شَهِيدًا

〘ilbas jadeedan, wa ‛ish ḥameedan, wa mut shaheedan 〙

( Tum naya kapda pehno, qabil-e- tareef zindagi guzaaro aur shaheed ho kar faut ho.)

📕 Sunan Ibne Majah:3558, Musnad Ahmed: 2/88


Libas utare to kya padhe ?

कपड़ा उतारे तो क्या पढ़े – What to say when undressing

❝ بِسمِ الله ❞

〘Bismil-lah.〙

अल्लाह के नाम के साथ।

In the name of Allah.

📕 Tirmizi: 2/505,H:606,
📕 Sahih-ul-Jame:3/203

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Sab Rozo me Afzal Ramzan ke Baad Muharram ke Roze ki Fazilat https://ummat-e-nabi.com/sab-rozo-me-afzal-ramzan-ke-baad-muharram-ke-roze/ https://ummat-e-nabi.com/sab-rozo-me-afzal-ramzan-ke-baad-muharram-ke-roze/#respond Sun, 24 Jul 2022 18:29:41 +0000 https://ummat-e-nabi.com/sab-rozo-me-afzal-ramzan-ke-baad-muharram-ke-roze/ Hadees : Muharram ke Roze ki FazilatHadees of the Day Muharram ke Roze ki Fazilat Abu Hurairah (R.A) se riwayat hai ki, RasoolAllah (ﷺ) ne farmaya “Sab Rozo me Afzal Ramzan ke baad Muharram ke Roze […]

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Hadees of the Day

Muharram ke Roze ki Fazilat

Abu Hurairah (R.A) se riwayat hai ki,
RasoolAllah (ﷺ) ne farmaya

“Sab Rozo me Afzal Ramzan ke baad Muharram ke Roze hain, Jo Allah ka Mahina hai aur Baad Namaz-e-Farz ke Tahajjud ki Namaz hai.”

📕 Sahih Muslim, Vol-3, 2755

Dekhe: Muharram / Ashure Ka Roza aur Uski Fazilat


۞ Ramzan ke baad sabse ziyada fazilat wale Roze

Abu Hurairah (R.A) se riwayat hai ki,
Ek Sahaabi RasoolAllah (ﷺ) ki khidmat me
hazir hokar Arz karney laga ki:
Ramzan ke baad sabse ziyada fazilat kaun se rozo ki hai?

Tou Aap (ﷺ) ne farmaya
“Allah ka Mahina Jisey tum Muharram kahte ho.”

📕 Sunan Ibn Majah, Vol-1, #1742 (Sahih)

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अक़ीक़ा का तरीका | Aqiqah kaise kare in Hindi https://ummat-e-nabi.com/aqiqah-kaise-kare-in-hindi/ https://ummat-e-nabi.com/aqiqah-kaise-kare-in-hindi/#respond Mon, 18 Jul 2022 09:20:28 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=30106 Aqiqah kaise kare in Hindiअक़ीका के अहकाम और मसाइल क़ुरआन और सुन्नत की रौशनी में | अक़ीक़ा का तरीका | Aqiqah kaise kare in Hindi

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“अक़ीक़ा का तरीका”
Aqiqah kaise kare in Hindi

अहकाम और मसाइल क़ुरआन और सुन्नत की रौशनी में

۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞

अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान बहुत रहम वाला है।

सब तअरीफें अल्लाह तआला के लिए हैं जो सब जहानो का पालने वाला है। हम उसी से मदद और माफी चाहते हैं।
अल्लाह की वेशुमार सलामती, रहमतें और बरकतें नाज़िल हों मुहम्मद सल्लल लाहु अलैहि व सल्लम पर और आपकी आल व औलाद और असहाब रजि. पर अम्मा बअद!

अकीका किसे कहते हैं?

अकीका उस जबीहा को कहते हैं जो नौमोलुद की तरफ से किया जाता है।
यह भी कहा गया है कि अक़ीका उन बालों को कहा जाता है जो मां के पेट में पैदा होने वाले बच्चे के सर में निकलते हैं।

चूंकि उन बालों को नौमोलूद के सर से जिबह के वक्त मुंड दिया जाता है। इसलिए किसी बच्चे की पैदाइश पर जो बकरी जिबह की जाती है, उसे अकीका कहा जाता है।

‘अक’ का एक मआनी फाड़ना और काटना भी होता है। इसलिए भी नौगोलूद की तरफ से जिबह की जाने वाली बकरी को अकीका कहा गया क्योंकि उस(जानवर) के जिस्म के टुकड़े कर दिये जाते हैं और उसके पेट को चीर-फाड़ दिया जाता है। (बलू गुल मराम जिल्द 2 सफा 873)

अकीके की अहमियत

इरशादे बारी तआला है “अल्लाह का शुक्र अदा करो। अगर तुम सिर्फ उसी की। इबादत करते हो।” (सूरह नहल-आयत-114)

“तुम मेरा ज़िक्र करो। मैं भी तुम्हें याद करूंगा और मेरी शुक्र गुज़ारी करो और ना शुक्री करने से बचो।” (बकरा-आयत-152)

इसलिए औलाद जैसी नेमत के मिलने पर अकीका करके अल्लाह का शुक्र अदा करना चाहिये।

अकीके का गोश्त खुद भी खाया जा सकता है। दोस्तों को भी दिया और खिलाया जा सकता है। गरीबो-मिस्कीनों और रिश्तेदारों को पका कर भी खिलाया जा सकता है।

अकीका हदीस की रोशनी में

(1) “बच्चे के साथ अकीका (लाजिम) है। लिहाजा तुम उसकी तरफ से कुर्बानी करो और उसकी तकलीफ को दूर करो।”
(रावी-सलमान बिन आमिर रज़ि-बुखारी-5472, अबु दाउद-2839, इब्ने माजा-3184, नसाई-4220, तिर्मिज़ी-1361, दारमी-2012)

(2) “जिसके यहां कोई बच्चा पैदा हो और वह उसकी तरफ से कुर्बानी करना चाहे तो ज़रूर कुर्बानी करे।”
(अब्दुल्लाह बिन अग्न रजि-नसाई-4218)

(3) “हर बच्चा अपने अकीके के एवज़ गिरवी होता है। पैदाइश के सातवे दिन उसका अकीका किया जाए।”
(रावी-सुमरा बिन जुन्दुब रजि- अबुदाउद-2838, नसाई-4226. इब्ने माज़ा-3165, तिर्मिजी-1368, दारमी-2014)

(4) “लड़के की तरफ से दो बराबर (एक जैसी) बकरियां और लड़की की तरफ से एक बकरी।”
(कुर्बानी की जाए। (रावीया-उम्मै कुर्ज कअबिया रज़ि-अबुदाउद-2834, नसाई-4221, इने माजा-3162, दारमी-2011)

(5) “आप (ﷺ) ने हसन रज़ि और हुसैन रज़ि का अकीका किया और 2-2 दुम्बे जिबह किये।”
(रावी-इने अब्बास रजि-नसाई-4225)

(6) “हमें अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने हुक्म दिया कि लड़के की तरफ से दो बकरियां और लड़की की तरफ से एक बकरी अक़ीके में कुर्बानी की जाए।”
(आएशा रजि-इने माजा-2163, तिर्मिजी-1359)

(7) “आप (ﷺ) ने हसन रज़ि की तरफ से अक़ीका किया। फिर फरमाया ऐ फातिमा (रजि) इस का सर मुन्डवाओ और इस के बालो के वज़न के बराबर चांदी सदका करो।”
(अली रजि-तिर्मिजी-1365)

(8) “फातिमा रज़ि ने हसन रज़ि और हुसैन रज़ि के बाल तौल कर उन के वज़न के बराबर चांदी सदका की।”
(मोत्ता इमाम मालिक-1121 सफा-371)

(9) “अकीका किया जाए बच्चे की तरफ से लेकिन उस के सर में खून (अकीके के जानवर का जैसा कि जमाना ए जाहिलियत में रिवाज़ था) ना लगाया जाए।”
(यजीद बिन अब्द-इब्ने माजा-3166)

मालूम हुआ अकीका इस्लाम की सुन्नतों में से एक सुन्नत है।
आम अहले इल्म खुसुसन इने अब्बास रजि, इब्ने उमर रज़ि, आएशा रज़ि, फुक्हा ए ताबईन रह, और कई अइम्मा जिनमें इमाम मालिक रह. इमाम शाफई रह.. इमाम अहमद बिन हम्बल रह,
और अल्लामा शौकानी रह शामिल हैं, के नज़दीक अकीका सुन्नत है।

बअज़ उलेगा ने इसे वाजिब कहा है। जबकि अहनाफ के नजदीक अकीका सुन्नत नही बल्कि सिर्फ मुबाह और जाइज़ है।

शैख इन्ने जबरीन के नज़दीक अकीका सुन्नते मुअक्केदा है। शैख़ इन असीगीन रह ने भी अक्सर अहले इल्म के नज़दीक इसे सुन्नते मुअक्केदा ही कहा। अलबत्ता हसन बसरी रह, के नज़दीक अकीका करना फर्ज है। (फिक्ह उल हदीस-जिल्द 2 सफा 487-488)


अगर अकीका करने की हैसियत न हो?

अल्लाह तआला ने फरमाया “अपनी ताकत भर अल्लाह से डरते रहो।” (तगाबुन-आयत-16)

“अल्लाह किसी नफ्स को उसकी ताकत से ज्यादा तकलीफ (आज़माइश) नहीं देता।” (बकरा-285)

नबी सल्ल, ने फरमाया “जब मैं तुम्हें किसी काम का हुक्म दूं तो जितनी तुम में ताकत हो, उस पर अमल करो।” (मुस्लिम, नसाई)

शैख़ इब्ने असीमीन रह, ने कहा “अगर कोई शख्स अपनी औलाद की पैदाइश के वक्त गरीब हो तो उस पर अकीका करना ज़रूरी नहीं है क्योंकि वह आजिज है और आजिज या बेबस होने की वजह से इबादत साक़ित हो जाती है।” (फतावा इस्लामिया -जिल्द 2 सफा-427)

इमाम अहमद और इमाम मन्ज़र रह ने कहा कि “ऐसा शख्स अकीका करने के लिये कर्ज़ ले ले। उम्मीद है कि अल्लाह उसे सुन्नत ज़िन्दा करने की वजह से पूरा पूरा अज्र दे।” (फिकह उल हदीस-जिल्द 2 सफा-488)

नातमाम बच्चे की तरफ से अकीके का हुक्म

साकित हो (गिर) जाने वाले बच्चे की तरफ से अकीका नही हैं।

अगर यह भी पता चल जाये कि वह लड़का है या लड़की। बशर्ते कि रूह फूंके जाने से पहले साकित हो जाए क्योंकि अकीके का जानवर पैदाइश के सातवें रोज़ जिबह किया जाता है।

इसी तरह वक्त से पहले गिर जाने वाले नातमाम बच्चो का अक़ीक़ा नहीं है। (सऊदी इफ्ता कमेटी-फतावा इस्लामिया जिल्द 2 सफा 427)

मय्यत की तरफ से अकीका

कुछ उलेमा की राय में ऐसा किया जा सकता है। बशर्ते कि बच्चा सात दिनों से ज्यादा कितनी भी उम्र पा कर फौत हुआ हो। लेकिन शेख इब्ने असीगीन रह. का फत्वा है कि “मय्यत की तरफ से अकीका नहीं है बल्कि उसके लिए मगफिरत की दुआ की जा सकती है और सदका वगैरह किया जा सकता है।” (फतावा इस्लामिया जिल्द 2 सफा 425)

ज़िन्दा वालदैन की तरफ से अकीका

अल्लाह के रसूल सल्ल. के इस फरमान कि “हर बच्चा अपने अकीके के एवज़ रहन (गिरवी) होता है।” से मालुम होता है कि वालिदैन की तरफ से (अगर उनका अकीका ना किया गया हो) तो औलाद भी उनकी तरफ से अकीका कर सकती है क्योंकि रहन की चीज़) कोई भी छुड़ा सकता है। (फिक्ह उल हदीस-जिल्द 2 सफा-496)

क्या इन्सान खुद अपना अकीका कर सकता है?

अगर किसी के वालिदैन अक़ीके के मसाइल से लाइल्मी, जहालत, गुरबत या किसी और वजह से अकीका न कर सकें हों तो वह खुद भी अपना अकीका कर सकता है।

इमाम शाफ़ई रह, अता बिन अबि रवाह रह. और हसन बसरी रह. का कहना है कि “इंसान अपनी तरफ से भी अकीका कर सकता है इसलिए कि वह अकीके के एवज गिरवी है।” लेकिन हनाबेला(हम्बली) इसके खिलाफ हैं। उनकी दलील यह है कि “अकीका करना वालिदेन की जिम्मेदारी है। (फिक्ह उल हदीस-जिल्द 2 सफा-495)

अगर कोई सातवें दिन से पहले अकीका करे

तो ऐसा शख्स सुन्नते रसूल (ﷺ) की खिलाफ वर्जी करने वाला है। क्योंकि नबी (ﷺ) ने अकीके के लिये जो दिन मुकर्रर फरमाया है, वह पैदाइश का सातवां दिन है। लेकिन बच्चा रहन से आजाद हो जाएगा। (फिक्ह उल हदीस-जिल्द 2 सफा-494)

क्या सातवें रोज के बाद अकीका किया जा सकता है?

पैदाइश के सातवें रोज के बाद भी अकीका किया जा सकता है। फिर चाहे वह बालिग ही क्यो न हो गया हो। क्योंकि वह बच्चा अकीका न होने की वजह से अभी तक गिरवी है।

नबी ऐ करीम (ﷺ) का इरशाद है “अकीके का जानवर सातवें रोज जिबह किया जाए या चौदवें रोज या इक्कीसवें रोज।” (सही जामेअ अल सगीर हदीस न. 4011)

इसी तरह सउदी मजलिसे इफ्ता का फत्वा है “सातवें रोज के बाद भी अकीका किया जा सकता है लेकिन देर करना सुन्नत के खिलाफ है।” (फतावा इस्लामियां-जिल्द 2 सफा-426)

अकीके के जानवर में कुर्बानी के जानवर की शर्त?

इस बाबत भी उलेमा हजरात की मुखतलिफ राय हैं। शोकानी रह, कहते हैं कि अकीके के जानवर में चोह शर्ते नही लगाई जाएंगी जो कुर्बानी के जानवर की हैं और यही बात हक है। (नैलुल अवतार जिल्द 3 सफा-506)

अब्दुर्रहमान मुबारकपुरी रह. का कहना है “किसी भी सही हदीस से यह शर्ते लगाना साबित नहीं। बल्कि किसी जईफ हदीस से भी यह साबित नहीं।” (तोहफा अल अहूजी-जिल्द 5 सफा-399 ) (व हवाला-फिक्ह उल हदीस-जिल्द 2 सफा-493)

अलबत्ता इब्ने कदामा रह. की राय में “अकीके के जानवर में भी उन ऐबों से बचा जायेगा जिनसे कुर्बानी के जानवर में बचा जाता है।” (अल मुगनी जिल्द-13 सफा-999) ब हवाला-फिकह उल हदीस जिल्द-2 सफा-493)

अकीके का जानवर नर हो या मादा?

अकीके में नर या मादा दोनो ही जानवर जिबह किये जा सकते हैं। इसलिए कि आप सल्ल. का इर्शाद है “लड़के की तरफ से दो बकरियां और लड़की की तरफ से एक बकरी जिबह की जाए। नर हों या मादा तुम्हें कोई चीज नुकसान नही देगी।” (उम्मे कुर्ज कअबिया रजि. अबु दाउद-2835, तिर्मिजी-1360)

क्या अकीके में ऊँट और गाय की कुर्बानी सही है?

अहादीसे रसूल सल्ल. मे अकीके में कुर्बानी के लिए जिन जानवरों का जिक्र मिलता है, वोह बकरी और दुंबा है। जैसा कि उम्मे कुर्ज रजि. से अबु दाउद (2835) इब्ने अब्बास रज़ि से सुनन नसाई-4222 और अग्न बिन शोएब रजि. से अबू दाऊद में 2842 हदीस में है कि आप सल्ल. ने फरमाया “जिसके यहां कोई बच्चा पैदा हो और वह उसकी तरफ से कुर्बानी करना चाहे तो लड़के की तरफ से 2 और लड़की की तरफ से 1 बकरी कुर्बानी करे।”
“हसन रज़ि और हुसैन रजि, के अकीके में मेंढा जिबह हुआ।” (अबु दाउद 2841-इने अब्बास रजि.)

शोकानी रह. ने लिखा है कि “जम्हूर (उलैमा) गाय और बकरी को (अक़ीके के लिए) काफी करार देते हैं। यानि जाइज़ करार देते हैं।” (नैलुल अवतार जिल्द 3 सफा-537)

डाक्टर वहबा ज़हीली की राय में अकीका भी कुर्बानी की तरह अनआम यानि ऊंट, गाय, भेड़ और बकरी से किया जा सकता है। जिन उलेमा ने ऊंट और गाय की कुर्बानी को अक़ीके के लिए जाइज़ कहा है, उन की दलील अनस रज़ि, से मरवी यह हदीस है “बच्चे की तरफ से ऊंट, गाय, भेड़ और बकरी से अकीका किया जा सकता है। लेकिन यह रिवायत साबित नहीं।”

जैसा कि इमाम हैशमी रह. ने कहा कि इस की सनद में मसअदा बिन अल यसआ रावी झूठा है। चूंकि सही अहादीस में सिर्फ बकरी और दुंबा जिबह करने का ज़िक्र है, इसलिए इन्हीं की कुर्बानी करना बेहतर है।” (फिक्ह उल हदीस-जिल्द 2 सफा-491)

क्या लडके की तरफ से एक जानवर भी कुर्बान किया जा सकता है?

(1) इब्ने अब्बास रज़ि से रिवायत है कि “अल्लाह के रसूल सल्ल ने हसन रज़ि, और हुसैन रज़ि, की तरफ से अकीके में 1-1 दुम्बा जिव्ह किया।” (अबु दाउद-2841)

शैख़ अल बानी रह. ने कहा कि यह रिवायत सही है लेकिन नसाई की वह रिवायत ज्यादा सही है जिसमें 2-2 का जिक्र है। (नसाई-4225-इल्ने अब्बास रजि.)

(2) इब्ने उमर रज़ि, अपने घर वालों की तरफ से अकीके में (लड़का हो या लड़की) 1-1 बकरी जिबह करते थे। (मौत्ता मालिक-1122 सफा-371)

(3) उरवाह बिन जुबैर रज़ि. अपनी औलाद की तरफ से लड़का होता या लड़की 1-1 बकरी अकीके में जिबह करते थे। (मौत्ता मालिक हदीस 1125 सफा-371)

शोकानी रह ने कहा कि आप सल्ल. का अकीके में एक बकरी कुर्बान करना इस बात का सुबूत है कि दो जानवर जरूरी नहीं बल्कि मुस्तहब हैं। (फिक्ह उल हदीस-जिल्द 2 सफा-493)

चूंकि कौल को फैअल पर तरजीह होती है। इसलिए लड़के की तरफ से 2 और लड़की की तरफ से 1 जानवर ही जिबह करना बेहतर है।

बच्चे के गिरवी होने का मतलब?

बच्चे के गिरवी होने का मतलब इमाम अहमद रह. की राय में यह है कि बच्चे का अगर अकीका न किया जाए तो वह अपने मां-बाप की सिफारिश न कर सकेगा।

यह भी कहा गया है कि यह अकीके के वाजिब होने के मफ़हूम में है। जैसा कि कर्ज में अदायगी किये बगैर गिरवी चीज़ वापिस नही हो सकती और यह भी कहा गया है कि बच्चा अपने बालों और मैल-कुचैल के साथ गिरवी होता है यानि उस गिरवी को छुड़ाना चाहिये।” (ऊन अल मअबूद-बहवाला-अबुदाउद जिल्द 3 सफा 289)

अकीके के जानवर का गोश्त और खाल का मसरफ

इस बारे में अहादीसे रसूल सल्ल. से कोई रहनुगाई नही मिलती। अलबत्ता डॉक्टर वहबा ज़हीली का कहना है कि अकीके के (जानवर के) गोश्त और खाल का हुक्म कुर्बानियों की तरह ही है। यानि उनका गोश्त खाया जा सकता है, खिलाया जा सकता है और उस से सदका किया जा सकता है लेकिन उस की कोई चीज बेची नहीं जा सकती। (फिकह उल इस्लामी व अदल्ला जिल्द 3 सफा 639 व हवाला फिक्ह उल हदीस जिल्द 2 सफा 496)

अकीके के बदले जानवर की कीमत सदका कर देना कैसा है?

इब्ने कदामा रह, ने कहा “अक़ीके के जानवर की कीमत सदका करने से अक़ीके के जानवर को जिबह करना ज्यादा अफजल है।”

इमाम अहमद रह, ने कहा कि “जब किसी के पास इतना माल न हो कि वह अकीका कर सके तो कर्ज ले ले क्योंकि यह ऐसा ज़बीहा है जिसका नबी सल्ल. ने हुक्म दिया है।” (फिक्ह उल हदीस जिल्द 2 सफा 495)

अकीके के जानवर की कीमत किसी फंड में जमा कराना कैसा?

अकीके का बदल नहीं होगा। बुरैदाह रज़ि, का बयान है कि दौरे जाहिलियत में जब हम में से किसी के यहां बच्चा पैदा होता तो वह एक बकरी जिबह करता और उस का खुन बच्चे के सर पर चुपड़ देता था। मगर जब से अल्लाह ने हमें इस्लाम की दौलत से नवाज़ा है, हम एक बकरी जिबह करते हैं, बच्चे का सर मुँडाते हैं और उस के सर पर जाफरान मल देते हैं। (अबुदाऊद-2843)

अक़ीके का इरादा न हो तो पैदाइश के दिन नाम रखना कैसा?

अगर बच्चे के अक़ीके का इरादा न हो तो पैदाइश के दिन ही उसका नाम रखना जाइज़ है। इसलिए कि अबु मूसा रजि. के यहां जब बच्चा पैदा हुआ तो आप उसे लेकर नबी सल्ल. के पास गये। आप सल्ल. ने बच्चे का नाम इब्राहीम रखा और खजूर को दांतों से चबाकर उसे चटाया। (बुखारी-5447)

ऐसा ही आप सल्ल. ने अब्दुल्लाह इने जुबैर रजि. की पैदाइश पर भी किया था। (बुखारी-5489)

अल्लाह तआला से दुआ है कि वह हमें सुन्नत के मुताबिक ज़िन्दगी गुजारने और बिदआत और फिजूल रूसूमात से दूर रहने की तौफीक अता करे। अमीन।अहले इल्म हजरात से गुजारिश है कि इस पर्व में कहीं कमी या गल्ती पायें तो जरूर हमारी इस्लाह फरमाऐ।

शुक्रिया। आपका दीनी भाई
मुहम्मद सईद दिनांक 20/08/2009
मो.09887239649, 09214836639

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Akika, Aqika, Akiqa, Akeeka, Hakika, Aqiqah kaise kare | Aqiqah ka Sunnat Tarika in Hindi

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1. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/1-zil-hajj/ https://ummat-e-nabi.com/1-zil-hajj/#respond Fri, 01 Jul 2022 11:41:04 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=33533 1 Zil Hijjah जिल हिज्जाअंबर मछली में अल्लाह की क़ुदरत, अल्लाह तआला सबको दोबारा ज़िन्दा करेगा, कुर्बानी जहन्नम से हिफाजत का ज़रिया, क़ुरबानी न करने पर वईद, कयामत के दिन बदला कुबूल न होगा …

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1. अल्लाह की कुदरत

अंबर मछली में अल्लाह की क़ुदरत

समुंदर में अल्लाह की बेशुमार मखलूक मौजुद हैं। मछलियों की भी बहुत सी किस्में हैं, उन में एक मछली अंबर भी है, वह इतनी बड़ी होती है के आसानी से पूरे इन्सान को निगल सकती है।

इस मछली के पेट से एक खुश्बूदार मोमियाई माद्या निकलता है जिसे अंबर कहते हैं जिस से कीमती 1 दवाइयां और इत्र वगैरा तय्यार किया जाता है जब इस मछली के पेट में अंबर पैदा हो जाता है तो वह उसे कै (उल्टी) कर देती है। फिर वह सुमंदर के पानी पर झाग की शक्ल में तैरने लगता है। मछेरे उसे जमा कर के बाज़ार में फरोख्त कर देते हैं। इसी तरह लोग इस कीमती चीज़ से फ़ायदा उठाते हैं।

और अल्लाह की कुदरत का करिशमा देखिये के जब उस मछली की मौत का वक्त करीब आता है तो वह समुंदर से निकल कर खुशकी पर आ जाती है। और वहां उस का दम निकलता है। इस तरह बगैर किसी परेशानी के इतनी बड़ी मछली खुद शिकार बन कर लोगों को खोराक मुहय्या कर देती है यह अल्लाह की कितनी अजीम कुदरत है।


2. एक फर्ज के बारे में

अल्लाह तआला सबको दोबारा ज़िन्दा करेगा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“अल्लाह वह है, जिसने तुम को पैदा किया और वही तुम्हें रोजी देता है,
फिर (वक्त आने पर) वही तुम को मौत देगा और फिर तुम को वही दोबारा जिन्दा करेगा।”

📕 सूरह रूम : ४०

वजाहत: मरने के बाद अल्लाह तआला दोबारा जिन्दा करेंगा, जिसको “बअस बादल मौत” कहते हैं, इसके हक होने पर ईमान लाना फर्ज है।


3. एक सुन्नत के बारे में

तवाफ की दो रकात में मसनून किरात

हजरत जाबिर (र.अ) फर्माते हैं के :

“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने तवाफ़ की दोनों रकातों में
(कुल हुवल लाहू अहद) और (कुल या अय्युहल काफिरून) पढ़ी है।”

📕 [ तिर्मिज़ी: ८६९ ]


4. एक अहेम अमल की फजीलत

कुर्बानी जहन्नम से हिफाजत का ज़रिया

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस ने खुश दिली और अपने कुर्बानी के जानवर के बदले
सवाब की निय्यत से कुर्बानी की, तो यह उस के लिए जहन्नम से रोकने का सबब बनेगा।”

📕 मोअजमे कबीर लित्तबरानी : २६७०


5. एक गुनाह के बारे में

क़ुरबानी न करने पर वईद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो आदमी कुर्बानी करने की ताकत रखता हो, उस के बावजूद कूर्बानी न करे, तो वह हमारी ईदगाह में न आए।”

📕 मुस्तदरक लिल हाकिम : ३४६८, अन अनी हुरैरह (र.अ)

फायदा : साहिबे इस्तेतात पर कुर्बानी करना वाजिब है, अगर किसी ने कुर्बानी न की तो वह गुनहगार होगा।


6. आख़िरत के बारे में

कयामत के दिन बदला कुबूल न होगा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जिन लोगों ने कुफ्र किया और कुफ्र ही की हालत में मर गए, तो ऐसे शख्स से पूरी ज़मीन भर कर भी सोना कबूल नहीं किया जाएगा, अगरचे वह सोने की उतनी मिकदार (अज़ाब के बदले) में ला कर हाज़िर कर दे, ऐसे लोगों के लिए दर्दनाक अज़ाब होगा और उन का कोई मदद करने वाला न होगा।”

📕 सूरह आले इमरान : ९१


7. तिब्बे नबवी से इलाज

आबे जमजम के फवाइद

हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ.) कहते के मैंने रसूलअल्लाह (ﷺ) को फरमाते हुए सुना:

“जमजम का पानी जिस निय्यत से पिया जाए, उस से वही फायदा हासिल होता है।”

📕 इब्ने माजाह ३०६२

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30. जिल कदहLIST2. जिल हिज्जा

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Ek Saath khana khao aur us par Allah ka naam le liya karo https://ummat-e-nabi.com/hadees-ek-saath-khana-khao-aur-us-par-allah-ka-naam-le-liya-karo/ https://ummat-e-nabi.com/hadees-ek-saath-khana-khao-aur-us-par-allah-ka-naam-le-liya-karo/#respond Sun, 19 Jun 2022 18:30:48 +0000 https://ummat-e-nabi.com/hadees-ek-saath-khana-khao-aur-us-par-allah-ka-naam-le-liya-karo/ 20 June Hadees Ek Saath khana khao aur us par Allah ka naam liya karoAaj ki Hadees | Hadees of the Day Ek Saath khana khao aur us par Allah ka naam le liya karo ۞ Hadees: Wahshi bin Harb (R.A.) se riwayat hai […]

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Aaj ki Hadees | Hadees of the Day

Ek Saath khana khao aur us par Allah ka naam le liya karo

۞ Hadees: Wahshi bin Harb (R.A.) se riwayat hai ke, 
Allah ke Rasool (ﷺ) ne farmaya:

‟Ek Saath khana khao aur us par Allah ka naam le liya karo, is me tumhare liye barqat hogi.

📕 Abu Dawood  3764

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