Sohbat – Ummate Nabi ﷺ https://ummat-e-nabi.com Quran Hadees Quotes Thu, 01 Feb 2024 06:36:03 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.3 https://ummat-e-nabi.com/wp-content/uploads/2023/09/favicon-96x96.png Sohbat – Ummate Nabi ﷺ https://ummat-e-nabi.com 32 32 179279570 Har acchi baat sikhana aur har buri baat se rokna Sadqa hai https://ummat-e-nabi.com/har-acchi-baat-sikhana-aur-har-buri-baat-se-rokna-sadqa-hai/ https://ummat-e-nabi.com/har-acchi-baat-sikhana-aur-har-buri-baat-se-rokna-sadqa-hai/#respond Sat, 02 Dec 2023 01:09:44 +0000 https://ummat-e-nabi.com/har-acchi-baat-sikhana-aur-har-buri-baat-se-rokna-sadqa-hai/ Hadees : Har acchi baat sikhana aur har buri baat se rokna Sadqa haiHadees of the Day Har acchi baat sikhana aur har buri baat se rokna Sadqa hai Abu Dharr (R.A) se riwayat hai ki kuch (Gareeb) Sahabi Allah ke Rasool (ﷺ) […]

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Hadees of the Day

Har acchi baat sikhana aur har buri baat se rokna Sadqa hai

Abu Dharr (R.A) se riwayat hai ki
kuch (Gareeb) Sahabi Allah ke Rasool (ﷺ) ke paas aaye aur arz kiya:

“Ya RasoolAllah (ﷺ) ! maal wale sara sawab kama kar le gaye! isliye ki wo Namaz padhte hai jaisa ki hum namaz padhte hai aur Roza rakhte hai jaisa ki hum roza rakhte hai aur apne zyada maalo se Sadqa bhi detey hai.

Tou aap (ﷺ) ne farmaya:

Tumhare liye bhi tou Allah Subhanahu Ta’ala ne sadqe ka samaan kar diya hai.
Har Tasbeeh (Subhanallah kahna) Sadqa hai,
Aur har Takbir (Allahu Akbar kahna) Sadqa hai,
Aur har Tahmeed (Alahmdulillah kahna) Sadqa hai,
Aur har Tahleel (La ilaha illallah kahna) Sadqa hai,
Aur har Acchi Baat Sikhana Sadqa hai,
Aur har Buri Baat se Rokna Sadqa hai,
Aur har Shakhs ke badan ke tukde me Sadqa hai.
(Yaani Apni Biwi/Shohar se Sohbat karna bhi Sadqa hai)

Logon ne arz kiya: Ya RasoolAllah (ﷺ)! hum me se koi shakhs apne badan se apni shahwat nikalta hai (yaani apni Biwi se Sohbat karta hai) to kya usmey bhi Sawab hai.

Tou Aap (ﷺ) ne farmaya: Kyu nahi (yaani haan), agar wo Haraam me sarf karta tou uss se wabal (Gunaah) hota ki nahi ?,.  isi tarah jab Halaal me sarf karta hai tou Sawaab hota hai.

📕 Sahih Muslim, Vol 3, Hadith 2329


हर अच्छी बात सीखना और हर बुरी बात से रोकना सदका है।

अबू हरैराह (र.) से रिवायत है की, कुछ (गरीब) सहाबी रजि० रसूलअल्लाह (ﷺ) के पास आए और अर्ज़ कीया:
“या रसूलअल्लाह (ﷺ)! माल वाले सारा सवाब कमा कर ले गए! इसलिए की वो नमाज़ पढ़ते है जैसा की हम नमाज़ पढ़ते है और रोज़ा रखते है जैसा हम रोज़ा रखते है और अपने ज़्यादा मालों से सदका भी देते है।

तो आप (ﷺ) ने फरमाया: तुम्हारे लिए भी तो अल्लाह सुभानहु तआला ने सदके का सामान कर दिया है।

* हर तसबीह (सुभानअल्लाह कहना) सदका है ।

और हर तकबीर (अल्लाहु अकबर कहना) सदका है ।

और हर तहमीद (अलहम्दुलिल्लाह कहना) सदका है ।

और हर तहलील (ला इलाहा इल्लल्लाह कहना) सदका है ।

और हर अच्छी बात सीखना सदका है ।

और हर बुरी बात से रोकना सदका है ।

और हर शख्स के बदन के टुकड़े मे सदका है (यानि अपनी बीवी/शोहर से सोहबत करना भी सदका है)।

लोगों ने अर्ज़ किया: या रसूलअल्लाह (ﷺ)! हम मे से कोई शख्स अपने बदन से अपनी शहवत निकालता है (यानि अपनी बीवी से सोहबत करता है) तो क्या उसमे भी सवाब है, तो आप (ﷺ) ने फरमाया: क्यू नहीं (यानि हाँ), अगर वो हराम मे सर्फ करता तो उसे से वबाल (गुनाह) होता की नहीं ? इसी तरह जब हलाल मे सर्फ करता तो सवाब होता है ।

📕 सहिह मुस्लिम, हदिस 2329

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हमबिस्तरी का तरीका | Sex Etiquette in Islam https://ummat-e-nabi.com/humbistari-ka-tarika-hindi/ https://ummat-e-nabi.com/humbistari-ka-tarika-hindi/#respond Sat, 30 Sep 2023 20:31:02 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=39280 Humbistari ka Tarika | Islam about Sex Etiquette in Hindiनिकाह, हमबिस्तरी / जिमा / Sex का तरीका और आदाब व मसाइल, Humbistari ka Tarika | Islam about Sex Etiquette in Hindi

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हमबिस्तरी (जिमा) का तरीक़ा

हमबिस्तरी / जिमा का तरीका और इसके चंद आदाब व मसाइल
Humbistari ka Tarika | Islam about Sex Etiquette in Hindi

जवानी की दहलीज़ और फ़ितरी सुकून

दीने इस्लाम इन्सानी ज़िंदगी के तमाम तक़ाज़े ब-हुस्न व खूबी पूरा करता है, बल्कि जिंदगी के तमाम उम्र के लिए पाकीज़ा उसूल और फ़ितरी निज़ाम पेश करता है। 

अल्लाह तआला हक़ बात कहने से नहीं शरमाता, उसने हमें अपने पैग़म्बर के ज़रिए ज़िंदगी की छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात बतला दी। निकाह और बीवी से जिमा / हमबिस्तरी शर्मगाह की हिफ़ाज़त के साथ अफ़्ज़ाइशे नस्ल का सबब है फिर अल्लाह इतनी बड़ी बात कैसे नहीं बतलाता, यह भी हमें बतला दिया। 

आज हम जिस दौर से गुज़र रहे हैं इसमें बुराई फ़ैशन और बे-हयाई आम सी बात हो गई है। अल्लाह ने हमें कुफ्र व जलालत से निजात देकर ईमान व हिदायत की तौफ़ीक़ बख़्शी है, हमें हमेशा अपना क़दम बढ़ाने से पहले सोचना है कि कहीं कोई ग़लती तो नहीं हो रही है, हर हर क़दम फूंक फूंक कर उठाना है। 

पैदाइश के बाद जब कोई जवानी की दहलीज़ पे क़दम रखता है तो उसे फ़ितरी सुकून हासिल करने के लिए शरीके हयात की ज़रूरत पेश आती है, इस्लाम ने शरीके हयात बनाने के लिए निकाह का पाकीज़ा निज़ाम पेश किया है। निकाह से इन्फ़िरादी और समाजी दोनों सतह पे फ़साद व बिगाड़ का उन्सुर ख़त्म हो जाता है और घर से लेकर समाज तक एक सॉलेह मुआशरे की तामीर होती है ।


निकाह, हमबिस्तरी / जिमा / Sex

निकाह करके दो अजनबी आपसी प्यार व मुहब्बत में इस क़द्र डूब जाते हैं जहां अजनबिय्यत अनक़ा और अपनाइयत क़दीम रिश्ता नज़र आता है। मियाँ बीवी एक दूसरे का लिबास बन जाते हैं, पाकीज़ा ताल्लुक़ यानी अक़्दे निकाह के बाद आपस की सारी अजनबिय्यत और सारा पर्दा उठ जाता है गोया दोनों एक जां दो क़ालिब हो जाते हैं। 

यह अल्लाह का बन्दों पर बड़ा अहसान है। मियाँ बीवी के जिन्सी मिलाप को अरबी में जिमा और उर्दू में हमबिस्तरी से तब्बीर करते हैं। 

 जिस तरह इस्लाम ने निकाह का पाकीज़ा निज़ाम दिया है इसी तरह जिमा / हमबिस्तरी के भी साफ़ सुथरे रहनुमा उसूल दिए हैं, इन उसूलों की जानकारी हर मुस्लिम मर्द व ख़ातून पर ज़रूरी है।

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यहूदियों का ख़याल था कि बीवी की अगली शर्मगाह में पीछे से जिमा करने से लड़का अँगा पैदा होगा, अल्लाह ने इस ख़याल की तरदीद करते हुए फ़रमाया:

يتناؤ گذر گف وارگه ی شه

तुम्हारी बीवियां तुम्हारी खेतियां हैं, लिहाज़ा तुम अपनी खेतियों में जिधर से चाहो आओ।

📕 अल-बक़रा:223

इस आयत का मतलब यह है कि बीवी की अगली शर्मगाह में जिस तरह से चाहें जिमा कर सक्ते हैं, शौहर के लिए बीवी की अगली शर्मगाह ही हलाल है और पिछली शर्मगाह में जिमा करना हराम है, चुनांचे इस बात को अल्लाह ने इस आयत से पहले बयान किया है। अल्लाह का फ़रमान है:

ويسألونك عن الحيض قل هو أي قالوا البناء في الحيض ولا تقربوه ك يظهر فإذا تطن قوه من حيث أمره الله إن الله يحب التوابين ويحب المتطرين

आप से हैज़ के बारे में सवाल करते हैं कह दीजिए कि वह गन्दगी है हालते हैज़ में औरतों से अलग रहो और जब तक वह पाक ना हो जाएं इनके क़रीब ना जाओ, हाँ जब वह पाक हो जाएं तो उनके पास जाओ जहां से अल्लाह ने तुम्हें इजाज़त दी है अल्लाह तौबा करने वालों को और पाक रहने वालों को पसन्द फ़रमाता है।

📕 अल-बक़रा: 222

यहां पर अल्लाह हुक्म दे रहा है कि हैज़ की हालत में बीवी से जिमा ना करो

और जब हैज़ से पाक होकर गुस्ल कर ले तो उसके साथ उस जगह से हमबिस्तरी / जिमा करो जिस जगह जिमा करने की इजाजत दी है। हैज़ अगली शर्मगाह से आता है, हैज़ का खून आने तक जिमा  करना मना है और जब हैज़ बंद हो जाए तो इसी जगह जिमा करना है जहां से खून आ रहा था।

“निसाउकुम हर्सल लकुम्” की तफ़्सीर सहीह अहादीस से भी मुलाहिज़ा फ़रमा लें ताकि बात मज़ीद वाज़ेह हो जाए। रावी हदीस इब्न अब्बास रज़ियल्लाहू अन्हुमा बयान करते हैं जब यह आयत नाज़िल हुई:

أي مقبلا  نساؤكم حرث لكم فأتوا حركة أتى ومديرات ومستلقیاتی یعنی بنيك موضع الوكي

तुम्हारी बीवियां तुम्हारी खेती हैं लिहाज़ा तुम जिस तरीके से चाहो उन से जिमा करो यानी ख़्वाह आगे से ख़्वाह पीछे से ख़्वाह लिटा कर यानी औलाद वाली जगह से। 

📕 सहीह अबी दाऊद: 2164

एक दूसरी रिवायत में इन अब्बास ही से मरवी है।

ثم أقبل وأدبر، والق اگه حرث لكم فأتوا حرثكم أتى البر والحيضة

तुम्हारी बीवियां तुम्हारी खेती हैं लिहाज़ा तुम जिस तरीके से चाहो इन से जिमा करो ख़्वाह बीवी से आगे से सोहबत करो चाहे पीछे की तरफ़ से करो मगर पिछली शर्मगाह से बचो और हैज़ की हालत में जिमा करने से बचो। 

📕 सहीह अत-तिर्मिज़ी:2 98 0

आज के पुर फ़ितन दौर में मियाँ बीवी को इस्लाम की यह बात जाननी चाहिए और इसे ही अमली ज़िंदगी में नाफ़िज़ करना चाहिए, जो लोग फ़हश वीडियोज़ देख कर ग़लत तरीके से मनी ख़ारिज करते हैं इसकी जिंदगी से हया निकल जाती है, लम्हा बह लम्हा बे-हयाई की राह चलने लगता है। 

याद रखें, बीवी से इस्लामी तरीके से जिमा करना भी बाइसे सवाब है। नबी (ﷺ) का फ़रमान है:

قه، قالوا: يا رسول الله، أيأتي أكت كا شهوته وفي بع أيگ ويكون له فيها أج؟ قال: أرأيت لو وضعها في خرابي أكان عليه فيها و ژر فگذلك إذا وضعها في الحلال كان له أجر

और (बीवी से जिमा करते हुए) तुम्हारे उजू में सदक़ा है। सहाबा किराम ने पूछा: ऐ अल्लाह के रसूल ! हम में से कोई अपनी ख़्वाहिश पूरी करता है तो क्या इस में भी अज्र मिलता है? आप (ﷺ) ने फ़रमाया: बताओ अगर वह यह (ख़्वाहिश) हराम जगह पूरी करता तो क्या उसे इसका गुनाह होता? इसी तरह जब वह इसे हलाल जगह पूरी करता है तो उसके लिए अज्र है।

📕 सहीह मुस्लिम:1006

हमबिस्तरी के चंद आदाब व मसाइल

अब नीचे जिमा / हमबिस्तरी के चंद आदाब व मसाइल ज़िक्र किए जाते हैं। 

1) हमबिस्तरी की निय्यत

बीवी से हमबिस्तरी / जिमा इफ़्फ़त व अस्मत की हिफ़ाज़त, अफ़्ज़ाइशे नस्ल और हराम काम से बचने की निय्यत से हो, ऐसी सूरत में अल्लाह ना सिर्फ़ हमबिस्तरी पे अज्र देगा बल्कि नेक औलाद से भी नवाज़ेगा और दुनियावी व उख़रवी बरकतों से नवाज़ेगा।


2) हमबिस्तरी की अहमियत

हमबिस्तरी शहवत रानी नहीं है बल्कि ज़ौजैन के लिए सुकूने क़ल्ब और राहते जां है, इसलिए क़ब्ल अज़ जिमा शौहर बीवी से ख़ुश तबई की बात करे और जिमा के लिए ज़हनी तौर पर और जिस्मानी तौर पर राज़ी करे। 


3) हमबिस्तरी की दुआ

Humbistari ki Dua in Hindi

हमबिस्तरी से पहले यह दुआ पढ़ना सुन्नत से साबित है:

بشير الله الله جبنا الشيطان وجب الشيطان مار تا

“ऐ अल्लाह! हमें शैतान से अलाहिदा(मेहफ़ूज़) रख और तू जो औलाद हमें इनायत फ़रमाए उसे भी शैतान से दूर रख।” फिर अगर उन्हें बच्चा दिया गया तो शैतान उसे कोई नुक्सान नहीं पहुंचा सकेगा।

📕 सहीह अल-बुख़ारी:3271

4) हमबिस्तरी की जगह :

हमबिस्तरी की जगह आवाज़ सुनने वाला और देखने वाला कोई ना हो यानी ढकी छुपी जगह हो और जिमा की हद तक शर्मगाह खोलना काफ़ी है। 

लेकिन एक दूसरे को देखना और मुकम्मल बरहना होना आपस में जाइज़ है, जिस हदीस में मजकूर है कि जिमा के वक़्त बीवी की शर्मगाह देखने से अंधे पन की बीमारी लाहिक़ होती है; इसे शेख़ अल्बानी ने मौजू हदीस क़रार दिया है। 


5) हैज़ की हालत में हमबिस्तरी करने का गुनाह और कफ़्फ़ारा :

हालते ऐहराम और हालते रोज़ा हमबिस्तरी करना मना है, बाक़ी दिन व रात के किसी भी हिस्से में जिमा कर सक्ते हैं। हालते हैज़ और हालते निफ़ास में सिर्फ हमबिस्तरी करना मना है मगर हमबिस्तरी के इलावा बीवी से लज्ज़त अन्दोज़ होना जाइज़ है।

अगर किसी ने हैज़ की हालत में हमबिस्तरी कर लिया तो एक दीनार या निस्फ़ दीनार सदक़ा करना होगा, साथ ही अल्लाह से सच्ची तौबा करे ताकि आइन्दा अल्लाह का हुक्म तोड़ कर इस गुनाह का इर्तिकाब ना करे। यही हुक्म निफ़ास की हालत में हमबिस्तरी का है अलबत्ता सहीह क़ौल की रौशनी में मुस्तहाज़ह से हमबिस्तरी करना जाइज़ है।


6) हमल के दौरान

दौराने हमल बीवी से जिमा करना जाइज़ है, ताहम शौहर को इस हालत में हमेशा बीवी की नफ़्सियात, सेहत और आराम का ख़याल रखना चाहिए। 

हमल की मशक्कत बहुत सख़्त है, कुरआन ने इसे दुख पर दुख कहा है। इसलिए बाज़ हालात डॉक्टर इस दौराने हमबिस्तरी करने से शौहर को मना करते हैं लिहाज़ा इस सिलसिले में तिब्बी मशवरे पर अमल किया जाए, खुसूसन हमल के आख़िरी अय्याम काफ़ी दुशवार गुज़ार होते हैं इन दिनों हमबिस्तरी करना पुर-ख़तर साबित हो सकता है।


7) रुजू की निय्यत से हमबिस्तरी करना कैसा ?

तलाकशुदा (मुतल्लक़ा) रजइय्या की इद्दत में हमबिस्तरी करना रजअत है कि नहीं इस पे अहले इल्म में मुख़्तलिफ़ अक़वाल हैं, इनमें क़ौल मुख़तार यह है कि अगर शौहर ने रुजू की निय्यत से हमबिस्तरी किया है तो रुजू साबित होगा और अगर बग़ैर रुजू की निय्यत से हमबिस्तरी कर लिया तो इससे रुजू नहीं होगा मसलन शहवत उभर जाने से इद्दत में हमबिस्तरी कर लेना। 


8) हमबिस्तरी के दौरान शहवत की बातें करना कैसा ?

लोग हमबिस्तरी के दौरान शहवत की बातें करने से मुताल्लिक़ सवाल करते हैं तो इसमें कोई हर्ज नहीं है, ना ही ऐब की बात है, हाँ फ़हश और बेहूदह बातें जिस तरह आम हालात में ममनू (मना) हैं इसी तरह दौराने हमबिस्तरी भी ममनू होंगी। 


9) हमबिस्तरी  के लिए जिन्सी कुव्वत वाली दवाई का इस्तेमाल कैसा ? 

Is It Permissible To Use Viagra?

हमबिस्तरी से पहले शहवत भड़काने के लिए जिन्सी कुव्वत वाली अदवियात (दवाई) का इस्तिमाल जिस्म के लिए नुकसानदेह है, लिहाज़ा इस चीज़ से बचा करें, हाँ किसी आदमी में जिन्सी कमज़ोरी हो तो माहिर तबीब से इसका इलाज कराएं इसमें कोई मुज़ाइक़ा नहीं है। 


10) हमबिस्तरी लिए जायज़ कैफ़ियात (तरीके) ?

बीवी की अगली शर्मगाह में जिमा करना हैज़ व निफ़ास से पाकी की हालत में जाइज़ है और हमबिस्तरी करने के लिए बीवी से बोस व किनार होना, ख़ुश तबई करना, हमबिस्तरी के लिए तय्यार करने के वास्ते आज़ाए बदन ब-शुमूले शर्मगाह छूना या देखना जाइज़ व हलाल है। 

फिर अगली शर्मगाह में हमबिस्तरी के लिए जो कैफ़िय्यत व हैअत इख़्तियार की जाए तमाम कैफ़ियात जाइज़ हैं ।

याद रहे जिमा / हमबिस्तरी की ख़्वाहिश बेदार होने और इसका मुतालबा करने पर ना शौहर बीवी से इनकार करे और ना ही बीवी शौहर से इनकार करे।


11) शर्मगाह को छूना और देखना कैसा है ?

Is Oral Sex Permissible in Islam?

शौहर के लिए बीवी की शर्मगाह छूने और देखने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन उसे चूमना बे-हयाई है। इसी तरह बीवी के लिए मर्द की शर्मगाह छूने और देखने में कोई हर्ज नहीं है मगर उसे चूमना और मूंह में दाखिल करना बे-हयाई है। 

इन दो बातों का एक जुमले में खुलासा यह है कि औरत की शर्मगाह चूमना और मूंह सेक्स (ओरल सेक्स) करना सरापा बे-हयाई है और इस्लाम की पाकीज़ा तालीमात के ख़िलाफ़ है। 


12) गैर फ़ितरी तरीके से बचे :

69 position halal in islam hindi?

मियाँ बीवी का एक दूसरे से गैर फ़ितरी तरीके से (जैसे ६९ पोजीशन में) मनी ख़ारिज करवाना भी मुताद्दिद जिस्मानी नुक़सानात के साथ बे-हया लोगों का रास्ता इख़्तियार करना है। मोमिन हर काम में हया का पहलू मद्दे-नज़र रखता है। 

उमूमन शौहर अपनी बीवी को ग़ैर फ़ितरी तरीक़ा मुबाशरत अपनाने और बे-हयाई का रास्ता इख़्तियार करने की दावत देता है ऐसी औरत के सामने अहेदे रसूल की उस अन्सारी औरत का वाक़िया होना चाहिए जिसके कुरैशी यानी मुहाजिर शौहर ने उससे अपने यहां के तरीके से हमबिस्तरी करना चाहा, जो अन्सारी के यहां मारूफ़ ना था, तो उसकी बीवी ने इस बात से इनकार किया और कहा हम सिर्फ एक ही अंदाज़ से जिमा के क़ाइल हैं लिहाज़ा वही तरीक़ा अपनाओ या मुझ से दूर रहो। 

यहां तक कि बात रसूलुल्लाह (ﷺ) तक पहुंच गई और उस वक़्त कुरआन की आयत (निसाउकुम हर्मुल् लकुम् फ़अतु हर्सकुम् अन्नी शिअतुम) नाज़िल हुई जिसकी तफ़सीर ऊपर गुज़र चुकी है। वाक़िए की तफ़्सील देखें: (सहीह अबी दाऊद:2164) 


13) औरत की पिछली शर्मगाह में जीमा करने का गुनाह 

Does Anal Sex Break Nikah?

नबी (ﷺ) का फ़रमान है कि जो शख़्स अपनी बीवी की दुबुर में आता है, वह मलऊन (लानती) है।

📕 सहीह अबी दाऊद: 2162

लिहाज़ा कोई मुसलमान लानती काम करके ख़ुद को क़हरे इलाही का सज़ावार ना बनाए। किसी से ऐसा घिनौना काम सरज़द हो गया हो तो वह फ़ौरन अल्लाह से तौबा करके गुनाह माफ़ करा ले। 

जहां तक लोगों का यह ख़याल करना कि बीवी की पिछली शर्मगाह में जिमा करने से निकाह बातिल हो जाता है सो ऐसी बात की कोई हक़ीक़त नहीं है।


14) फिरसे हमबिस्तरी  कैसे करे ?

एक ही रात में दोबारा जिमा / फिरसे हमबिस्तरी करने से पहले अगर मयस्सर हो तो गुस्ल कर लिया जाए, या वुजू कर लिया जाए। बगैर वुजू के भी दोबारा जिमा / हमबिस्तरी कर सक्ते हैं। 


15) हालते जनाबत, ग़ुस्ल, ज़िक्र व अज़्कार

मर्द की शर्मगाह, औरत की शर्मगाह में दाख़िल होने से औरत व मर्द दोनों पर गुस्ल वाजिब हो जाता है चाहे मनी का इन्जाल हो या ना हो। 

हालते जनाबत में सोया जा सकता है ताहम फ़ज्र से पहले या जो वक़्त हो उस नमाज़ के वास्ते गुस्ल कर ले ताकि बिला ताख़ीर वक़्त पे नमाज़ पढ़ सके। 

हालते जनाबत में कुरआन की तिलावत नहीं कर सक्ते मगर ज़िक्र व अज़्कार, दुआ व सलाम, काम काज, बात चीत, खना पीना सब जाइज़ हैं हत्ता कि सहरी भी खा सकते हैं। 


16) हमबिस्तरी की हालत में अज़ान का जवाब कैसे दे ?

जब जिमा / हमबिस्तरी की हालत में अज़ान होने लगे या इक़ामत की आवाज़ सुनाई दे तो इस अमल को जारी रखने में कोई हर्ज नहीं ताहम इससे जल्द फ़राग़त हासिल करके और गुस्ल करके नमाज़ अदा करें। 

याद रहे अज़ान सुनने के बाद भी क़स्दन बिस्तर पर लेटे रहना हत्ता कि इक़ामत होने लगे तब जिमा / हमबिस्तरी करना हमारी कोताही और नमाज़ से ग़फ़लत है। 

जहां तक अज़ान के जवाब का मस्अला है तो यह सब पर वाजिब नहीं बल्कि फ़र्जे किफ़ाया और बड़े अज्र व सवाब का हामिल है इसलिए मियाँ बीवी से बात चीत या बोस व किनार के दौरान जवाब देना चाहें तो देने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन जिमा / हमबिस्तरी के वक़्त अज़ान का जवाब देने से उलमा ने मना किया है, जब इस अमल से फ़ारिग़ हो जाएं तो बक़िया कलिमात का जवाब दे सकते हैं। 


17) मनी शर्मगाह के बाहर ख़ारिज करना कैसा है ?

औलाद के दरमियान ज़रूरत के तहत वक़्फ़ा करने की निय्यत से जिमा करते हुए मनी शर्मगाह के बाहर ख़ारिज करना जाइज़ है, शौकियह ऐसा करने से बहरसूरत बचना चाहिए क्योंकि निकाह का अहम मक्सद अफ़्ज़ाइशे नस्ल है। 


18) हमबिस्तरी की बातें लोगों में बयान करना कैसा है ?

मियाँ बीवी की ख़लवत और जिमा / हमबिस्तरी की बातें लोगों में बयान करना बेहयाई की अलामत है, रसूलुल्लाह ने इस अमल से उम्मत को मना फ़रमाया है। 

इस बात से इन बे-हयाओं को नसीहत लेना चाहिए जो जिमा / हमबिस्तरी की तस्वीर या वीडियो बनाते हैं फिर उसे लोगों में फैलाते हैं। नऊजु बिल्लाह कितने मलऊन हैं फ़हश वीडियोज़ बनाने, फैलाने और देखने वाले। 

नबी (ﷺ) का फ़रमान है:

मेरी तमाम उम्मत व माफ़ कर दिया जाएगा मगर जो ऐलानिया गुनाह करते हैं। अलानिय्यह गुनाह करने का मतलब यह है कि एक शख़्स रात के वक़्त गुनाह करता है बावजूद कि अल्लाह तआला ने उसके गुनाह पर पर्दा डाला होता है लेकिन सुब्ह होते ही वह कहने लगता है: ऐ फुलां! मैंने रात फुलां फुलां बुरा काम किया था, रात गुज़र गई थी और उसके रब ने उसका गुनाह छुपा रखा था जब सुब्ह हुई तो वह ख़ुद पर दिए गए अल्लाह के पर्दे खोलने लगा।

📕 सहीह अल बुख़ारी:6069

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अल्लाह तआला हमारे अन्दर इस्लामी गैरत व हमिय्यत पैदा कर दे, 

हया की दौलत से माला-माल कर दे,
बे-हयाई से कोसों मील दूर कर दे 

और मरते दम तक इस्लाम की पाकीज़ा तालीमात पे इख्लास के साथ अमल करते रहने की तौफ़ीक़ बख़्शे। 
आमीन, अल्लाहुम्मा अमीन।

*मक़बूल अहमद सलफ़ी *
इस्लामिक दअवह सेंटर, शुमाली ताइफ़ (मिस्रह)

हिन्दी: अक़ील अहमद औरंगाबादी 

और भी देखे :

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