अहले जन्नत की नेअमत: अहले जन्नत ऐश व राहत में होंगे

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“बेशक अहले जन्नत (ऐश व राहत के) मजे ले रहे होंगे, वह और उन की बीवियाँ सायों में मसहेरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे और उन के लिये उस जन्नत में हर किस्म के मेवे होंगे और जो वह तलब करेंगे उनको मिलेगा।”

📕 सूरह यासीन ५५ ता ५७

कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा

नमाज़ की सेहत पर रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा, अगर नमाज़ अच्छी हुई तो बाकी आमाल भी अच्छे होंगे और अगर नमाज़ खराब हुई तो बाकी आमाल भी खराब होंगे।”

📕 तरगीब व तरकीब: ५१६


“क़यामत में सब से पहले नमाज़ का हिसाब लिया जाएगा, अगर वह अच्छी और पूरी निकल आई तो बाकी आमाल भी पूरे उतरेंगे और अगर वह खराब हो गई, तो बाक़ी आमाल भी खराब निकलेंगे।”

📕 तिर्मिजी: ४१३, अन अबू हरैराह रज़ि०

बद नसीबी की पहचान

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“चार चीजें बदनसीबी की पहेचान हैं।

(१) आँखों का खुश्क होना (के अल्लाह के खौफ से किसी वक्त भी आँसू न टपके)
(२) दिल का सख्त होना (के आखिरत के लिये या न किसी दूसरे के लिये किसी वक़्त भी नर्म न पड़े।) (३) उम्मीदों का लम्बा होना ।
(४) दुनिया की हिर्स व लालच का होना।”

📕 तरगीब व तरहीब : ४७४१

बात ठहर ठहरकर और साफ साफ़ करना

हजरत आयशा (रजि०) फरमाती  है के,

“हुजूर (ﷺ) की बात जुदा जुदा होती थी, जो सुनता समझ लेता था।”

📕 अबू दाऊदः हदीस 4839

फायदा: जब किसी से बात करे, तो साफ़ साफ़ बात करे, ताके सुनने वाले को समझने में कोई परेशानी ना हो, यह आप (ﷺ) की सुन्नत है।

अल्लाह की राह में खर्च करे

۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम को क्या हो गया के तुम अल्लाह के रास्ते में खर्च नहीं करते, हालां के आसमान और जमीन की सब मीरास अल्लाह ही की है।”

📕 सूरह हदीद : १०

बोहतान / झूठा इलज़ाम लगाने का गुनाह और अज़ाब

झूठी तोहमत लगाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग मुसलमान मर्दो और मुसलमान औरतों को बगैर किसी जुर्म के तोहमत लगा कर तकलीफ पहुँचाते हैं, तो यक़ीनन वह लोग बड़े बोहतान और खुले गुनाह का बोझ उठाते हैं।”

📕 सूरह अहज़ाब : ५८


झूठा इलज़ाम लगाने का अज़ाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जिस ने किसी मोमिन के बारे में ऐसी बात कही जो उस में नहीं है, तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों के पीप में डाल देगा, यहाँ तक के उस की सजा पा कर उस से निकल जाए।”

📕 अबू दाऊद: ३५९७

अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो
और हर शख्स को इस बात पर गौर करना चाहिये के
उस ने कल (आखिरत) के लिये क्या आगे भेजा है
और अल्लाह से डरते रहो
और अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है।”

📕 सूरह हश्र १८

दुनिया से बेहतर आख़िरत का घर है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“दुनिया की जिन्दगी सिवाए खेल कूद के कुछ भी नहीं और आखिरत का घर मुत्तकियों (यानी अल्लाह तआला से डरने वालों) के लिये बेहतर है।”

📕 सूरह अन्आम : ३२

दुनिया में उम्मीदों का लम्बा होने का फितना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“मुझे अपनी उम्मत पर सब से ज़ियादा डर ख्वाहिशात और उम्मीदों के बढ़ जाने का है, ख्वाहिशात हक़ से दूर कर देती हैं और उम्मीदों का लम्बा होना आखिरत को भुला देता है, यह दुनिया भी चल रही है और हर दिन दूर होती चली जा रही है और आखिरत भी चल रही है और हर दिन करीब होती जा रही है।”

(यानी हर वक़्त ज़िन्दगी कम होती जा रही है और मौत करीब आती जा रही है, इसलिये आखिरत की तैयारी में लगे रहना चाहिए)

📕 कंजुल उम्माल : ४३७५८

तहज्जुद की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

”जब कोई आदमी रात को अपनी बीवी को बेदार करता है और अगर उस पर नींद का ग़लबा हो, तो उसके चेहरे पर पानी छिडक कर उठाता है और फिर दोनों अपने घर में खड़े होकर रात का कुछ हिस्सा अल्लाह की याद में गुज़रते हैं तो उन दोनों की मग़फिरत कर दी जाती है।”

📕 तबरानी कबीर:3370, अन अबी मालिक (र.अ)

रात के आखरी हिस्से में अल्लाह अपने बन्दे से करीब होता हैं

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अल्लाह तआला रात के आखरी हिस्से में बन्दे से बहुत जियादा करीब होता हैं, अगर तुमसे हो सके, तो उस वक़्त अल्लाह तआला का जिक्र किया करो।”

📕 तिर्मिजी : ३५७९, अन अम्र बिन अबसा (र.अ)

ज़ियादा अमल की तमन्ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अगर कोई बन्दा पैदाइश के दिन से मौत आने तक अल्लाह की इताअत में चेहरे के बल गिरा पड़ा रहे तो वह भी क़यामत के दिन अपने सारे अमल को हक़ीर समझेगा और यह तमन्ना करेगा के उस को दुनिया की तरफ वापस कर दिया जाए ताके और ज़ियादा नेक अमल कर ले।”

📕 मुस्नदे अहमद: १७१९८

कब्र में नमाज की तमन्ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब मय्यित को क़ब्र में रख दिया जाता है, तो उस को सूरज गुरूब होता हुआ दिखाई देता है, तो वह बैठ कर आँखें मलने लगता है और कहता है, मुझे नमाज पढ़ने दो।”

📕 इब्ने माजा : ४२७२, अन जाबिर (र.अ)

जहन्नमियों का खाना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जहन्नम वालों का आज न कोई दोस्त होगा और न कोई खाने की चीज़ नसीब होगी, सिवाए जख्मों के धोवन के जिस को बड़े गुनहगारों के सिवा कोई न खाएगा।

📕 सूरह हाक्का : ३५ ता ३७


“दोज़खियों को खौलते हुए चश्मे का पानी पिलाया जाएगा, उन को कांटेदार दरख्त के अलावा कोई खाना नसीब न होगा, जो न मोटा करेगा और न भूक को दूर करेगा।”

📕 सूर-ए-गाशीया: ५ ता ७

जन्नती अल्लाह तआला का दीदार करेंगे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने लैलतुबद्र में चाँद को देखा और फर्माया :

“तुम लोग अपने रब को इसी तरह देखोगे जिस तरह इस चाँद को देख रहे हो, तुम उस को देखने में किसी किस्म की परेशानी महसूस नहीं करोगे।”

📕 बुखारी : ५५४

ज़कात अदा करना

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) इर्शाद फ़र्माते हैं के,

“हमें नमाज़ कायम करने का और जकात अदा करने का हुक्म है और जो शख्स जकात अदा न करे उसकी नमाज़ भी (क़बूल) नहीं।”

📕 तबरानी फिल कबीर : ९९५०

हक को झुटलाने की सज़ा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: 

“हमने उन (कौमे आद) के लोगों को उन चीजों की कुदरत दी थी के जिन की कुदरत तुम को नहीं दी और हमने उन को कान और आँखें और दिल अता किए थे। चूँकि वह अल्लाह की आयतों का इनकार करते थे, इसलिये न उन के कान उन के कुछ काम आए, न उन की आँखें और न उन के दिल; और जिस अजाब का वह मजाक उड़ाया करते थे उसी ने उन को आ घेरा।”

📕 सूर अल-अह्काफ़: २६

जन्नत का खेमा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जन्नत में मोती का खोलदार खेमा होगा, जिस की चौड़ाई साठ मील ही होगी। उस के हर कोने में जन्नतियों की बीवियाँ होंगी, जो एक दूसरी को नहीं देख पाएँगी और उनके पास उनके शौहर आते जाते रहेंगे।”

📕 सहीह बुखारी: ४८७९

सिर्फ दुनिया मांगने वाले को आख़िरत में कुछ नहीं मिलेगा

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है:

“लोगों में से बाज़ ऐसे भी हैं जो कहते हैं, के ऐ हमारे परवरदिगार ! हम को (जो कुछ देना हो) दुनिया में ही दे दीजिये (तो उन को जो कुछ मिलना होगा वह दुनिया ही में मिल जाएगा) और ऐसे शख़्स को आख़िरत में कुछ न मिलेगा।”

📕 सूरह बकरह: 200

रसूल (ﷺ) के हुक्म को न मानने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग रसूलुल्लाह (ﷺ) के हुक्म की खिलाफ वरजी करते हैं,
उनको इस से डरना चाहिये के कोई आफत उन पर आ पड़े
या कोई दर्दनाक अज़ाब उन पर आ जाए।”

📕 सूरह नूर : ६३

बदअख़्लाक़ी से बचने की दुआ

۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थे :

‏اللَّهمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِن منْكَرَاتِ الأَخلاقِ، والأعْمَالِ، والأَهْواءِ‏

( Allahumma Inni A’udhu Bika Min Munkaratil-Akhlaqi Wal-Amali Wal-Ahwa )

तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! मै बुरे अख्लाक और ख्वाहिशात से तेरी पनाह चाहता हु।

📕 तिर्मिज़ी : ३५९१

इत्र लगाना

हजरते आयशा (र.अ) से मालूम किया गया के
रसूलुल्लाह इत्र लगाया करते थे? उन्होंने फ़रमाया :

“हाँ मुश्क वगैरह की उम्दा खुशबु लगाया करते थे।”

📕 निसाई: ५११९

अच्छे और बुरे अख़्लाक़ की मिसाल

हदीस: रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“अच्छे अख्लाक बुराइयों को इस तरह खत्म कर देते हैं जिस तरह पानी बरफ को पिघला देता है और बुरे अख्लाक अच्छे कामों को इस तरह खत्म कर देते हैं जिस तरह सरका शहद को खराब कर देता है।”

📕 तबरानी कबीर: १०६२६

फोड़े फुंसी का इलाज

आप (ﷺ) की बीवीयों में से एक बीवी बयान फ़र्माती हैं के एक दिन रसूलुल्लाह ﷺ मेरे पास तशरीफ़ लाए और दर्याफ्त फ़ाया : क्या तेरे पास जरीरह है ? (चिरायता) मैं ने कहा: हाँ! तो आप ने उसे मंगाया और अपने पैर की उंगलियों के दर्मियान जो फुंसी थी उसपर रख कर यह दुआ फ़रमाई:

तर्जमा : ऐ बड़े को छोटा और छोटे को बड़ा करने वाले अल्लाह! इस जख्म को ख़त्म कर दे, चुनांचे वह फुंसी अच्छी हो गई।

📕 मुस्तदरक : ७४६३

ग़लत हदीस बयान करने की सज़ा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“मेरी हदीस को बयान करने में एहतियात करो और वही बयान करो जिस का तुम्हें यक़ीनी इल्म हो, जो शख्स जान बूझ कर मेरी तरफ से कोई गलत बात बयान करे, वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।”

📕 तिर्मिज़ी: २९५१

झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस

झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस

अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया:

“अल्लाह तआला रोज़े क़यामत 3 तरह के लोगो से न कलाम करेगा और न ही उनकी तरफ नज़रे रेहमत से देखेगा, और उनको दर्दनाक अजाब में मुब्तेला करेगा, और वो 3 ये लोग होंगे:

“बुढा जानी, झूठा बादशाह और मुतक्कबिर फ़क़ीर।”

📕 सहीह मुस्लिम, हदीस 107

लोगों की कंजूसी

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“सुन लो! तुम ऐसे हो के जब तुम को अल्लाह की राह में खर्च करने के लिये बुलाया जाता है,
तो तुम में से बाज लोग बुख्ल करते हैं
और जो कंजूसी करता है, तो हकीकत में अपने ही लिये कंजूसी करता है
और अल्लाह तआला ग़नी है (किसी का मोहताज नहीं)

और तुम सब उस के मोहताज हो।”

📕 सूरह मुहम्मद : ३८

अल्लाह के हुक्म पर चलो ताकि तुम टेढ़े रास्ते से बच सको

कुरान में अल्लाह तआला फरमाता है:

“ये बताये हुए अहकाम ही मेरा सीधा रास्ता है, तुम इसी पर चलो और दूसरे गलत रास्तों पर मत चलो वरना वो रास्ते तुमको राहे खुदा से हटा देंगे, अल्लाह तआला इस बात का तुमको ताकीद के साथ हुक्म देता है ताकि तुम टेढ़े रास्ते से बच सको।”

📕 सूरह अनम: 153

गुस्ल में पूरे बदन पर पानी बहाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“(जिस्म) के हर बाल के नीचे नापाकी होती है,
लिहाजा तुम बालों को धोओ
और बदन को अच्छी तरह साफ करो।”

📕 तिर्मिज़ी: १०६

खुलासा: गुस्ल में पूरे बदन पर पानी पहुँचाना फर्ज है।

अहले जन्नत का इनाम : उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता : 

“उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे, अपने (नेक) आमाल की वजह से खुश होंगे, ऊँचे ऊँचे बागों में होंगे। वह उन बागों में कोई बेहूदा बात नहीं सुनेंगे। उनमें चश्मे बह रहे होंगे।”

📕 सूरह ग़ाशिया: ८ ता १२

जहन्नमियों की फरियाद

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

जहन्नमि फरियाद करते हुए कहेंगे:
“ऐ हमारे परवरदिगार! हमें इस जहन्नम से निकाल कर (दुनिया में भेज दीजिये) फिर अगर दोबारा हम ऐसे गुनाह करें, तो हम कुसूरवार और सजा के मुस्तहिक होंगे।”

अल्लाह तआला फर्माएगा:

“तुम इसी जहन्नम में फिटकारे हुए पड़े रहो मुझसे बात मत करो।”

📕 सूरह मोमिनून: १०७ ता १०८

ककड़ी के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) से खजूर के साथ ककड़ी खाते थे।

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम (रह.) ककड़ी के फवाइद में लिखते हैं के यह मेअदे की गरमी को बुझाती है और मसाना के दर्द को खत्म करती है।

📕 अबू दाऊद: ३८३५

बीमार को परहेज़ का हुक्म

एक मर्तबा उम्मे मुन्जिर (र.अ) के घर पर रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ साथ हजरत अली (र.अ) भी खजूर खा रहे थे, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: “ऐ अली! बस करो, क्योंकि तुम अभी कमजोर हो।”

📕 अबू दाऊद: ३८५६

फायदाः बीमारी की वजह से चूंकि सारे ही आज़ा कमज़ोर हो जाते हैं, जिन में मेअदा भी है, इस लिए ऐसे मौके पर खाने पीने में एहतियात करना चाहिए और मेअदे में हल्की और कम ग़िज़ा पहुँचनी चाहिए ताके सही तरीके से हज़्म हो सके।

रसूलल्लाह (ﷺ) की नाफ़रमानी करने का गुनाह

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“मेरे सब उम्मती जन्नत में जाएंगे मगर जिसने इन्कार कर दिया (वह जन्नत में दाखिल न होगा। ) अर्ज़ किया गया : या रसूलल्लाह (ﷺ) इन्कार कौन करेगा? फ़रमाया : जिसने मेरी इताअत की जन्नत में दाखिल हो गया और जिसने मेरी फ़रमानी की तो उसने इन्कार किया।

📕 बुखारी : ७२८० अन अबी हुरैरह (र.अ)

पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं

आदमी (इंसान) ने पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं भरा। इब्ने आदम को चंद लुक्मे काफी है जो उसकी पीठ को सीधा रखे। लेकिन अगर ज्यादा खाना ज़रूरी हो तो तिहाई पेट खाने के लिए, तिहाई पानी के लिए और तिहाई साँस के लिए रखे।”

📕 तिर्मिजी: २३८०

दुनिया में लगे रहने का अंजाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जो शख्स (दुनिया की जेब व जीनत को देख कर और अपने अंजाम को सोचे बगैर) दुनिया में घुसता है, तो वह अपने आपको जहन्नम में डालता है।”

📕 शोअबुल ईमान : १०१२४

माल व औलाद क़ुर्बे खुदावन्दी का जरिया नहीं

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

“तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद ऐसी चीज़ नहीं जो तुम को दर्जे में हमारा मुकर्रब बना दे, मगर हाँ! जो ईमान लाए और नेक अमल करता रहे, तो ऐसे लोगों को उनके आमाल का दूगना बदला मिलेगा और वह जन्नत के बाला खानों में आराम से रहेंगे।”

📕 सूरह सबा : ३७

बुरे आमाल की नहूसत

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“खुश्की और तरी (यानी पूरी दुनिया) में लोगों के बुरे आमाल की वजह से हलाकत व तबाही फैल गई है, ताके अल्लाह तआला उन्हें उन के बाज़ आमाल (की सज़ा) का मजा चखा दे, ताके वह अपने बुरे आमाल से बाज आ जाएँ।”

📕 सूरह रूम: ४१

कयामत का मंजर

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“अगर (आखिरत के हौलनाक अहवाल के मुतअल्लिक) तुम्हें वह सब मालूम हो जाए जो मुझे मालूम है, तो तुम्हारा हँसना बहुत कम हो जाए और रोना बहुत बढ़ जाए।”

📕 बुखारी : ६४८६

कयामत का होलनाक मंजर | जब शोर बरपा होगा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

जब कानों के पर्दे फाड़ देने वाला शोर बरपा होगा, तो उस दिन आदमी अपने भाई से अपनी माँ और बाप से, अपनी बीवी और बेटों से भागेगा। उस दिन हर शख्स की ऐसी हालत होगी जो उस को हर एक से बेखबर कर देगी।”

📕 सूरह अबसा: ३३ ता ३७

वरम (सूजन) का इलाज

हज़रत अस्मा (र.अ) के चेहरे और सर में वरम (सूजन) हो गया,

तो उन्होंने हजरत आयशा (र.अ) के जरिये आप (ﷺ) को इस की खबर दी। चुनान्चे हुजूर (ﷺ) उन के यहाँ तशरीफ़ ले गए और दर्द की जगह पर कपड़े के ऊपर से हाथ रख कर तीन मर्तबा यह दुआ फ़रमाई।

اللهم أذْهِبْ عَنْهَا سُولَهُ وَفَحْشَهُ بِدَعْوَةٍ بَيْكَ الطَّيِّبِ الْمُبَارَكَ الْمَكِينِ عِندَكَ ، بسم الله

फिर इर्शाद फ़र्माया : यह कह लिया करो, चुनांचे उन्हों ने तीन दिन तक यही अमल किया तो उन का वरम जाता रहा।

📕 दलाइलुनबुवह लिल बैहकी: २४३०

जो ताक़त रखता है वो निकाह जरुरु करे

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“ऐ नौजवानों की जमात! तुम में से जो नान व नफ़्का की ताकत रखता हो उसे ज़रूर शादी कर लेना चाहिए इस लिए के यह आँख और शर्मगाह की हिफ़ाज़त का ज़रिया है और जो इस की ताकत नहीं रखता, तो उसे चाहिए के रोजा रखे, इस लिए के यह उस की शहवत को कम करने में मोअस्सिर है।”

📕 बुखारी : ५०६६, अब्दुल्लाह (र.अ)

अल्लाह के रास्ते में खर्च किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“तुम लोग अल्लाह के रास्ते में खर्च किया करो,
अपने आप को अपने हाथों से हलाकत में न डालो
और खुलूस से काम किया करो,
क्योंकि अल्लाह तआला!
अच्छी तरह अमल करने वालों को पसन्द करता है।”

📕 सूरह बकरह: १९५

जो रहम नहीं करता उस पर भी रहम नहीं किया जाता

हज़रत अकरअ बिन हाबिस (र.अ) की मौजूदगी में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत हुसैन बिन अली का बोसा लिया।

यह देख कर हज़रत अकरअ विन हाबिस (र.अ) ने कहा: मेरे दसं बेटे हैं, मैंने कभी किसी का नहीं लिया। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यह सुनकर फ़र्माया : “जो रहम नहीं करता उस पर रहम भी नहीं किया जाता।”

📕 अबू दाऊद: ५२१८

बुखार व दीगर बीमारियों से नजात

हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ.) फ़रमाते हैं के :

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा-ए-किराम को बुखार और दूसरी तमाम बीमारियों से नजात के लिये यह दुआ बताई:

तर्जमा : मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो बहुत बड़ा है, मैं बहुत ही ज्यादा अज़मत वाले अल्लाह की पनाह माँगता हूँ, हर जोश मारने वाली रग की बुराई से और आग की गर्मी की बुराई से।

📕 तिर्मिज़ी : २०७५

दुनिया की चीजें चंद रोजा हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

“जो कुछ भी तुम को दिया गया है, वह सिर्फ चंद रोज़ा ज़िन्दगी के लिये है और वह उस की रौनक है और जो कुछ अल्लाह तआला के पास है, वह इस से कहीं बेहतर और बाकी रहने वाला है। क्या तुम लोग इतनी बात भी नहीं समझते?”

📕 सूरह कसस : ६०

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दुनियावी ज़िन्दगी की हक़ीक़त

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“तूम खूब जान लो के दुनियावी जिन्दगी (बचपन में) खेल कूद और (जवानी में) ज़ेब व ज़ीनत और बाहम एक दूसरे पर फ़ख्र करना और (बुढ़ापे में) माल व औलाद में एक दूसरे से अपने को ज़्यादा बताना है।”

📕 सूर-ए-हदीद 57:20

सलाम करने के आदाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“छोटों को चाहिए के बड़ों को सलाम करें और चलने वालों को चाहिए के बैठे हुए को सलाम करें और कम लोगों को चाहिए के ज़ियादा लोगों को सलाम करें।”

📕 अबू दाऊद : ५१९८, अन अबी हुरैरह (र.अ)

दुनिया को मक़सद बनाने का अंजाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स अल्लाह का हो जाता है, तो अल्लाह तआला उस की जरूरियात का कफील बन जाता है और उस को ऐसी जगह से रोज़ी पहुंचाता है जहाँ से उस का वहम व गुमान भी नहीं होता।
और जो शख्स मुकम्मल तौर पर दुनिया की तरफ झुक जाता है, तो अल्लाह तआला उसे दुनिया के हवाले कर देता है।”

📕 बैहकी शोअबुल ईमान: १०९०

कब्र में ही ठिकाने का फैसला

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

“जब तुम में से कोई वफात पा जाता है, तो उस को सुबह व शाम उस का ठिकाना दिखाया जाता है, अगर जन्नती हो, तो जन्नत वालों का और अगर जहन्नमी है, तो जहन्नम वालों का ठिकाना दिखाया जाता है, फिर कहा जाता है: यह तेरा ठिकाना है यहाँ तक के अल्लाह तआला क़यामत के दिन तुझे दोबारा उठाए।”

📕 बुखारी : १३७९ , अन अब्दुल्लाह बिन उमर (र.अ)

कम दर्जे वाले जन्नती का इनाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

अदना दर्जे का जन्नती वह होगा, जिस के एक हज़ार महल होंगे, हर दो महलों के दर्मियान एक साल के बराबर चलने का फासला होगा, यह जन्नती दूर के महलों को इसी तरह देखेगा जिस तरह करीब के महलों को देखेगा, हर एक महल में खूबसूरत गहरी सियाह आँखों वाली हूर होंगी और उमदा बागात और (खिदमत के लिये) लड़के होंगे, जिस चीज़ की भी वह तलब करेगा, उसको पेश कर दी जाएगी।”

📕 तरगीब : ५२८०, अन इब्ने उमर (र.अ)

अपने भाइयों के दर्मियान सुलह किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“मुसलमान आपस में एक दूसरे के भाई है (अगर उनके दरमियान लड़ाई हो जाए) तो अपने दो भाइयों के दर्मियान सुलह करा दिया करो, और अल्लाह से डरते रहा करो, ताके तुम पर रहम किया जाए।”

📕 सूरह हुजरात: १०

वारिस को मीरास से महरूम करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स अपने वारिस को मीरास (विरासत) देने से भागेगा (और उसे मीरास से महरूम कर देगा) तो अल्लाह तआला कयामत के दिन जन्नत से उसकी मीरास खत्म कर देगा।”

📕 इब्ने माजा : २७०३

जख्म वगैरह का इलाज

हजरत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं :

अगर किसी को कोई ज़ख्म हो जाता या दाना निकल आता, तो । आप (ﷺ) अपनी शहादत की उंगली को (थूक के साथ) मिट्टी में रख कर यह दुआ पढ़ते:

तर्जमा: अल्लाह के नाम से हमारी जमीन की मिट्टी हम में से किसी के थूक के साथ मिली हुई लगाता हूँ, (ताके) हमारे रब के हुक्म से हमारा मरीज़ अच्छा हो जाए।

📕 मुस्लिम ५७१९

कुफ्र व नाफर्मानी की सजा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो शख्स मुंह मोड़ेगा और कुफ्र करेगा, तो अल्लाह तआला उस को बड़ा अज़ाब देगा फिर उन को हमारे पास आना है। फिर हमारे ज़िम्मे उन का हिसाब लेना है।”

📕 सूरह गाशिया: २३ ता २६

जन्नत की सिफात

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“वह घर हमेशा रहने के बाग़ हैं, जिन में परहेजगार लोग दाखिल होंगे। उन बागों के नीचे दूध, शहद और पाकीज़ा शराब की नहरें बह रही होंगी, जिस चीज़ को उनका जी चाहेगा वह उन को वहाँ मिलेगी। अल्लाह तआला परहेजगारों को ऐसा ही बदला दिया करता है।”

📕 सूर नहल: ३१

अच्छी तरह वुजू कर के नमाज़ के लिये मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम में से जो शख्स अच्छी तरह मुकम्मल वुजू करता है, फिर नमाज ही के इरादे से मस्जिद में आता है, तो अल्लाह तआला उस बंदे से ऐसे खुश होता हैं जैसे के किसी दूर गए हुए रिश्तेदार के अचानक आने से उसके घर वाले खुश होते हैं।”

📕 इब्ने खुजैमा : १४११

अस्तगफार कि दुआ (जिसने ये दुआ की उसके सारे गुनाह मुआफ कर दिए गए)

۞ हदीस: ज़ैद (र.अ) से रिवायत है के, रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
जिसने ये कहा तो उसके गुनाह मुआफ कर दिए जायेंगे चाहे वो मैदाने जंग से ही क्यों न भाग गया हो:

“अस्तग्फिरुल्लाह अल लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवा अल हय्युल कय्यूम व अतुबू इलैह “

तर्जुमा : (मैं अल्लाह से अपने गुनाहों की मुआफी मांगता हु जिसके सिवा कोई इबादत के लायक नहीं, जो जिंदा और हमेशा रहने वाला है और मैं उसी की तरफ तौबा करता हु)

📕 सुनन अबू दावुद, 1517-सहीह

किसी मुसलमान की ग़ीबत और बेइज्जती की सजा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जिस ने किसी मुसलमान (की गीबत की और उस की ग़ीबत) के बदले में एक लुक्मा भी खाया, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उस को एक लुक्मा जहन्नम से खिलाएगा और जिस ने किसी (मुसलमान की बेइज्जती की और उस) के बदले में उस को कपड़ा पहनने को मिला, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उस को उसी कद्र जहन्नम से पहनाएंगा।”

📕 अबू दाऊद : ४८८१, अन मुस्तरिद (र.अ)

मुनक्का से पट्टे वगैरह का इलाज

हजरत अबू हिन्ददारी (र.अ) कहते हैं के –

रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में मुनक्का का तोहफा एक बन्द थाल में पेश किया गया। आप (ﷺ) ने उसे खोल कर इर्शाद फर्माया: 

“बिस्मिल्लाह” कह कर खाओ! मुनक्का बेहतरीन खाना है जो पेटों को मजबूत करता है, पुराने दर्द को खत्म करता है, गुस्से को ठंडा करता है और मुंह की बदबू को जाइल करता है, बलगम को निकालता है और रंग को निखारता है।”

📕 तारीखे दिमश्क लि इब्ने असाकिर : ६०/२१

नमाज़े गुनाहों को मिटा देती हैं

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा से पूछा:

“अगर किसी के दरवाजे पर एक नहर हो और उसमें वह हर रोज़ पाँच बार गुस्ल किया करे, तो क्या उसका कुछ मैल बाकी रह सकता है? सहाबा ने अर्ज किया  के कुछ भी मैल न रहेगा।”

आप (ﷺ) ने फर्माया के :

यही हालत है पाँचों वक्त की नमाज़ों की, के अल्लाह तआला उनके सब बगुनाों को मिटा देता है।”

📕 बुखारी: ५२८, अन अबी हुरैरह (र.अ)

ऐ ईमान वालो तुम शैतान के नक्शे कदम पर न चलो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है :

“ऐ ईमान वालो तुम शैतान के नक्शे कदम पर न चलो और जो शैतान के नक्शे कदम पर चलेगा तो शैतान तो बेहयाई और बुरी बातों का हुक्म करता है।”

📕 सूरह नूर: २१

ग़रीबों से मुहब्बत और उन के करीब रहने की वसिय्यत

हज़रत अबू जर (र.अ) फर्माते हैं के मुझे मेरे दोस्त रसूलुल्लाह (ﷺ) ने वसिय्यत फर्माई :

“मैं अपने से जियादा मालदार की तरफ न देखू और अपने से कम दर्जा वाले (कम मालदार) की तरफ देखू और ग़रीबों से मुहब्बत और उन के करीब रहने की वसिय्यत फर्माई और सिला रहमी करने की वसिय्यत फ़रमाई अगरचे वह तुमसे पीठ फेरे।”

📕 सहीह इब्ने हिम्बान : ४५०, अन अबी जर (र.अ)

कामयाब कौन है?

रसूलुल्लाह (ﷺ)ने इर्शाद फ़र्माया :

“कामयाब हो गया वह शख्स जिसने इस्लाम कबूल किया और उसको जरुरत के ब कद्र रोजी मिली और अल्लाह तआला ने उस को दी हई रोजी पर कनाअत करने वाला बना दिया।”

📕 मुस्लिम: २४२६

आफत व बला दूर होने की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जो शख्स (माशाअल्लाह ला हौल वाला क़ूवता इल्लाह बिल्लाह ) पढ़ लिया करे, तो सिवाए मौत के अपने अहल व अयाल और माल में कोई आफत नहीं देखेगा।”

📕 तबरानी औसत: ४४१२

घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत

घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“जब तुम में से कोई मस्जिद में (फ़र्ज़) नमाज़ अदा कर ले, तो अपनी नमाज़ में से कुछ हिस्सा घर के लिए भी छोड़ दे; क्योंकि अल्लाह तआला बन्दे की (नफ़्ल) नमाज़ की वजह से उस के घर में खैर नाज़िल करता हैं।”

📕 सही मुस्लिम : ७७८, अन जाबिर (र.अ)


एक और रिवायत में, रसूलअल्लाह(ﷺ) ने फरमाया –

“फ़र्ज़ नमाज़ के अलावा (सुन्नत और नवाफ़िल नमाज़े) घर में पढ़ना मेरी इस मस्जिद (मस्जिद-ए-नबवी) में नमाज़ पढ़ने से भी अफ़ज़ल है।”

📕 सुनन अबू दाऊद: 1044, जैद इब्ने थाबित (र.अ.)

नोट : ख्याल रहे के फ़र्ज़ नमाज़े मस्जिद में ही पढ़ना अफ़ज़ल और इन्तेहाई जरुरी है।

कब्र का अज़ाब बरहक है

रसूलुल्लाह (ﷺ) दो कब्रों के करीब से गुजरे, आप ने फ़र्माया :

“इन दो कब्र वालों को अज़ाब हो रहा है, इन्हें किसी बड़े गुनाह की वजह से अज़ाब नहीं दिया जा रहा है, इन में से एक तो पेशाब (के छींटों) से नहीं बचता था और दूसरा चुगलखोरी किया करता था।”

📕 बुखारी: २१८. अन इब्ने अब्बास (र.अ)

वजाहत: इस हदीस से मालूम हुआ के कब्र का अज़ाब बरहक है और इन्सानों को अपने गुनाहों की सजा कब्र से ही मिलनी शुरू हो जाती है।

खाने पीने की चीजों में गौर करने की दावत

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

इन्सान को अपने खाने में गौर करना चाहिये के हम ने खूब पानी बरसाया, फिर हम ने अजीब तरीके से जमीन को फाड़ा, फिर हम ने उस ज़मीन में से ग़ल्ला, अंगूर, तरकारी, ज़ैतून और खजूर, घने बाग़, मेवे और चारा पैदा किया। यह सब तुम्हारे और तुम्हारे जानवरों के फायदे के लिये हैं।”

📕 सूरह अबस: २४ ता ३२

बीवी की विरासत में शौहर का हिस्सा

कुरआन में अल्लाह ताआला फ़र्माता है :

“तुम्हारे लिए तुम्हारी बीवियों के छोड़े हुए माल में से आधा हिस्सा है, जब के उन को कोई औलाद न हो और अगर उन की औलाद हो, तो तुम्हारी बीवियो के छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है (तुम्हें यह हिस्सा) उन की वसिय्यत और कर्ज अदा करने के बाद मिलेगा।”

📕 सूरह निसा १२

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अपने अख़्लाक़ दुरूस्त करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“कामयाब हो गया वह आदमी जिस ने अपने दिल को ईमान के लिये सफारिश कर दिया और उसे सही सालिम रखा और अपनी जबान को सच्चा बनाया, अपने नफ़्स को नफ्से मुतमइन्ना और अख़्लाक़ को दुरूस्त बनाया और कानों को हक़ बात सुनने का और आँखों को अच्छी चीजों को देखने का आदी बनाया।”

📕 मुस्नदे अहमद: २०८०३, अन अबी जर (र.अ)

फिजूलखर्ची मत किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“ऐ आदम की औलाद! तुम हर मस्जिद की हाज़री के वक्त अच्छा लिबास पहन लिया करो और खाओ पियो और फिजूलखर्ची मत किया करो, बेशक अल्लाह तआला फुजूल खर्ची करने वालों को पसन्द नहीं करता।”

📕 सूरह आराफ़: ३१

रिश्वत लेकर नाहक फैसला करने का गुनाह

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स कुछ (रिश्वत) ले कर नाहक फ़ैसला करे, तो अल्लाह तआला उसे इतनी गहरी जहन्नम में डालेगा, के पाँच सौ बरस तक बराबर गिरते चले जाने के बावजूद, उसकी तह तक न पहुँच पाएगा।”

📕 तरग़ीब व तहरिब: ३१७६

मोमिन पर तोहमत लगाने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स अपने मोमिन भाई को मुनाफिक के शर से बचाए, तो अल्लाह तआला कयामत के दिन ऐसे आदमी के साथ एक फरिश्ते को मुकर्रर कर देगा, जो उसके बदन को जहन्नम से बचाएगा; और जो आदमी भोमिन भाई पर किसी चीज़ की तोहमत लगाए जिस से उस को जलील करना मक्सूद हो, तो अल्लाह तआला उस को जहन्नम के पुल पर रोक देगा, यहाँ तक के वह अपनी कही हुई बात का बदला न दे दे।

📕 अबू दाऊद : ४८८३, अन मुआन बिन अनस (र.अ)

काफ़िरों के माल से तअज्जुब न करना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम उन (काफ़िरों) के माल और औलाद से तअज्जुब में मत पड़ना, कयोंकि अल्लाह तआला दुनियाही की ज़िंदगी में उन काफ़िरों को अज़ाब में मुब्तला करना चाहता है और जब उनकी जान निकलेगी, तो कुफ्र की हालत में मरेंगे।”

📕 सूरह तौबा: ५५

खुलासा : काफ़िरों को माल व औलाद जो दी जाती है, उन की ज़ियादती से किसी को तअज्जुब नहीं होना चाहिए, क्योंकि उन्हें अल्लाह तआला उन चीज़ों के ज़रिए उन की नाफ़र्मानी और बगावत की वजह से अज़ाब देना चाहता है।

कयामत के दिन का अंदाज़

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जिस दिन तमाम जानदार और फ़रिश्ते सफ़ बांधकर खड़े होंगे उस रोज कोई कलाम न कर सकेगा, अल्बत्ता जिस को खुदाए रहमान (यानी अल्लाह तआला) बात करने की इजाजत देदे और वह बात भी ठीक ही कहेगा, उस दिन का आना यकीनी है, जो शख्स चाहे अपने रब के पास ठिकाना बना ले।”

📕 सूरह नबाः ३८ ता ३९

इन आयतों में रोज़े क़यामत अल्लाह की अदालत में ह़ाज़िरी का अंदाज दिखाया गया है। और जो इस ख्याल में पड़े हैं कि उन के झूठे माबूद उनकी सिफारिश करेंगे उन को आगाह किया गया है कि उस दिन कोई बिना अल्लाह की इजाजत के मुँह नहीं खोलेगा और अल्लाह की इजाजत से सिफारिश भी करेगा।

सिफारिश तो उसी के लिये होगी जो दुनिआ में कलिमा-ऐ-हक़ “ला इलाहा इल्लल्लाह” को मानता हो। जबकि काफिर और मुशरिक किसी किस्म के लायक न होंगे।

दुनिया की मुहब्बत बीमारी है

हज़रत अबू दर्दा (र.अ) फ़र्माते थे के

क्या मैं तुम को तुम्हारी बीमारी और दवा न बताऊं ?
तुम्हारी बीमारी दुनिया की मुहब्बत है और
तुम्हारी दवा अल्लाह तआला का जिक्र है।

📕 शोअबुल ईमान: १०२४४

वुजू कर के इमाम के साथ नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने अच्छी तरह मुकम्मल वुजू किया, फिर फर्ज नमाज अदा करने के लिये गया और इमाम के साथ नमाज पढी, उसके (सगीरा गुनाह) माफ कर दिये जाते हैं।”

📕 इब्ने खुजैमा १४०९

मगफिरत की क़ुरानी दुआ: 01

अपने परवरदिगार से इस तरह मगफिरत तलब करनी चाहिये:

قَالَا رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنفُسَنَا وَإِن لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ

Rabbana zalamna anfusina wa il lam taghfir lana wa tarhamna lana kunan minal-khasireen

तर्जमा : ऐ हमारे पालने वाले हमने अपना आप नुकसान किया और अगर तू हमें माफ न फरमाएगा और हम पर रहम न करेगा तो हम बिल्कुल घाटे में ही रहेगें।

📕 सुरह अल-आराफ़ 7:23

किसी गुनाह को छोटा और मामूली न समझो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“ऐ आयशा खुद को उन गुनाहों से भी बचाने की कोशिश करो जिन का छोटा और मामूली समझा जाता है, क्यों कि इस पर भी अल्लाह की तरफ से फरिश्ता मुकर्रर है जो उस को लिखता रहता है।”

📕 इब्ने माजाह ४२५३ अन आयशा (र.अ)

जो शख्स किसी मां को उसके बच्चे से जुदा करेगा तो…

۞ हदीस: अनस रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की,
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“जो शख्स किसी मां को उसके बच्चे से जुदा करेगा अल्लाह सुबहानहु क़यामत के दिन उसको उसके महबूब लोगो से जुदा कर देगा।”

📕 जामिया तिरमिज़ी , जिल्द 1, 1291-हसन

हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है और सच और नेकी जन्नत में दाखिल करने वाले हैं। तुम झूट से बचो क्योंकि वह गुनाह का रास्ता बताता है और झूट और गुनाह जहन्नम में दाखिल करने वाले हैं।”

📕 तबरानी कबीर :१६२५१, अन मुआविया बिन अबी सुफियान (र.अ)

मोमिन को नाहक़ क़त्ल करने की सज़ा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“हर गुनाह के बारे में अल्लाह से उम्मीद है के वह माफ कर देगा, सिवाए उस आदमी के जो अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक करने की हालत में मरा हो या उस ने किसी मोमिन को जान बूझ कर क़त्ल किया हो।”

📕 अबू दाऊद: ४२७०