दुनिया के फ़ितनों से बचो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“सुनो ! दुनिया मीठी और हरी भरी है और अल्लाह तआला जरूर तुम्हें इस की खिलाफत अता फरमाएगा, ताके देखें के तुम कैसे आमाल करते हो, पस तुम दुनिया से और औरतों (के फितने) से बचो।”

📕 मुस्लिम ६९४८

मुजिजात को न मानने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जब उन के रसूल उन के पास खुली हुई दलीलें ले कर आए, तो वह लोग अपने उस दुनियावी इल्म पर नाज़ करते रहे, जो उन्हें हासिल था, आखिरकार उनपर वह अज़ाब आ पड़ा जिस का वह मज़ाक़ उड़ाया करते थे।”

📕 सूरह मोमिन : ८३

अहले ईमान का बदला

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“उन (अहले ईमान और नेक अमल करने वालों) का बदला उन के रब के पास ऐसे हमेशा रहने वाले बाग़ होंगे, जिन के नीचे नहरें बह रही होंगी। यह लोग उन में हमेशा रहेंगे। अल्लाह तआला उन से राज़ी, और वह अल्लाह से खुश होंगे। और यह बदला हर उस शख्स के लिये है जो अपने रब से डरता है।”

📕 सूरह अल-बय्यिना 98:8

खुजली का इलाज

हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) फर्माते हैं के :

रसूलल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ (र.अ) और जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) को खुजली की वजह से रेशमी कपड़े पहनने की इजाजत मरहमत फर्माई थी।”

📕 बुखारी: ५८३९

फायदा: आम हालात में मर्दो के लिये रेश्मी लिबास पहनना हराम है, मगर जरूरत की वजह से माहिर हकीम या डॉक्टर कहे तो गुंजाइश है।

वरम (सूजन) का इलाज

हज़रत अस्मा (र.अ) के चेहरे और सर में वरम (सूजन) हो गया,

तो उन्होंने हजरत आयशा (र.अ) के जरिये आप (ﷺ) को इस की खबर दी। चुनान्चे हुजूर (ﷺ) उन के यहाँ तशरीफ़ ले गए और दर्द की जगह पर कपड़े के ऊपर से हाथ रख कर तीन मर्तबा यह दुआ फ़रमाई।

اللهم أذْهِبْ عَنْهَا سُولَهُ وَفَحْشَهُ بِدَعْوَةٍ بَيْكَ الطَّيِّبِ الْمُبَارَكَ الْمَكِينِ عِندَكَ ، بسم الله

फिर इर्शाद फ़र्माया : यह कह लिया करो, चुनांचे उन्हों ने तीन दिन तक यही अमल किया तो उन का वरम जाता रहा।

📕 दलाइलुनबुवह लिल बैहकी: २४३०

सहाबा की सीरत को दागदार बनाने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“मेरे सहाबा के बारे में अल्लाह से डरते रहना, मेरे बाद उनको निशाना मत बनाना।
जो उनसे मुहब्बत करेगा वह मुझसे मुहब्बत की बिना पर उन से मुहब्बत करेगा
और जो उनसे बुग्ज रखेगा वह मुझसे बुग्ज की बिना पर उन से बुग्ज रखेगा

और जिसने उन को तकलीफ दी उसने मुझ को तकलीफ दी
और जिसने मुझ को तकलीफ दी गोया उस ने अल्लाह को तकलीफ पहुँचाई

और जिसने अल्लाह को तक्लीफ पहुँचाई
करीब है के अल्लाह तआला उसको अजाब में पकड़ ले।”

📕 तिर्मिज़ी : ३८६२

नमाज के लिये मस्जिद जाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो शख्स सुबह व शाम मस्जिद जाता है अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं, जितनी मर्तबा जाता है उतनी मर्तबा अल्लाह तआला उस के लिये मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं।”

📕 बुखारी:662, अन अबी हुरैरह (र.अ)

नमाज़ छोड़ने पर वईद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“नमाज का छोड़ना मुसलमान को कुफ़ व शिर्क तक पहुँचाने वाला है।” 📕 मुस्लिम: २७

“नमाज़ का छोड़ना आदमी को कुफ्र से मिला देता है।” 📕 मुस्लिम : २४६

“ईमान और कुफ्र के दरमियान फर्क करनेवाली चीज़ नमाज़ है।” 📕 इब्ने माजा : १०७८

सच्ची गवाही को छुपाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम गवाही मत छुपाया करो और जो शख्स इस (गवाही) को छुपाएगा, तो बिला शुबा उस का दिल गुनहगार होगा और अल्लाह तआला तुम्हारे किए हुए कामों को खूब जानता है।”

📕 सूरह बकराह 283 

सिरका के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“सिरका क्या ही बेहतरीन सालन है।”

📕 मुस्लिम: ५३५०, अन आयशा रज़ि०

फायदा : मुहद्दिसीन हज़रात कहते हैं के सिरका तिल्ली के बढ़ने को रोकता है, जिस्म में वरम नहीं होने देता, खाने को हज़म करता है, खून को साफ करता है, फोड़े फुन्सियों को दूर करता है। [अलइलाजुन नबी]

हराम माल से सदक़ा करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“जब तू माल की ज़कात अदा कर दे, तो जो (वाजिब) हक़ तुझ पर था, वह तो अदा हो गया (आगे सिर्फ नवाफिल का दर्जा है)

और जो शख्स हराम तरीके (सूद रिश्वत वगैरह) से माल जमा कर के सदका करे, उस को उस सदके का कोई सवाब नहीं मिलेगा, बल्के उस हराम कमाई का वबाल उस पर होगा।”

📕 इब्ने हिब्बान : ३२८५

मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है” तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया “मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।”

📕 बैहेकी फी शोअबिलईमान: १९५८,अन इब्ने उमर रज़ि०

कब्र का अज़ाब बरहक है

रसूलुल्लाह (ﷺ) दो कब्रों के करीब से गुजरे, आप ने फ़र्माया :

“इन दो कब्र वालों को अज़ाब हो रहा है, इन्हें किसी बड़े गुनाह की वजह से अज़ाब नहीं दिया जा रहा है, इन में से एक तो पेशाब (के छींटों) से नहीं बचता था और दूसरा चुगलखोरी किया करता था।”

📕 बुखारी: २१८. अन इब्ने अब्बास (र.अ)

वजाहत: इस हदीस से मालूम हुआ के कब्र का अज़ाब बरहक है और इन्सानों को अपने गुनाहों की सजा कब्र से ही मिलनी शुरू हो जाती है।

अपने घर वालों को खिलाना पिलाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“जो तुमने खुद खा लिया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुम ने अपनी औलाद को खिलाया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुम ने अपनी बीवी को खिलाया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुमने अपने खादिम को खिलाया उस में भी तुम्हारे लिये सदके का सवाब है।”

📕 मुस्नदे अहमद: १६७२७

नेकियों का हुक्म देना और बुराइयों से रोकना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“कसम है उस जात की जिस के कब्जे में मेरी जान है तुम जरूर बिज जरूर भलाइयों का हुक्म करो और बुराइयों से रोको;
वरना करीब है के अल्लाह तआला गुनहगारों के साथ तुम सब पर अपना अजाब भेज दे,
और उस वक्त तुम अल्लाह तआला से दूआ मांगोगे तो वो भी कबूल ना होगी।”

📕 तिर्मिजी: २११९

वजाहत: नेकियों का हुक्म देना और बुराइयों से रोकना उम्मत के हर फर्द पर अपनी हैसियत और ताकत के मुताबिक़ लाज़िम और जरूरी है।

मोहब्बत पाने का तरीका

एक शख्स ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से अर्ज किया :
ऐ अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई ऐसा अमल बंता दीजिये जिसको मैं करूं
ताके अल्लाह तआला और लोग मुझसे मुहब्बत करने लगें।

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“दुनिया से मुँह मोड़ लो, तो अल्लाह तुम से मुहब्बत करने लगेगा और जो लोगों के पास है। (यानी माल व दौलत) उससे बेरूखी इख्तियार कर लो, तो लोग तुमसे मुहब्बत करने लगेंगे।”

📕 इब्ने माजा : ४१०२, अन सहल बिन सअद (र.अ)

वजू के दरमियान की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) वुजू के दौरान यह दुआ पढ़ते थे:

तर्जमा : ऐ अल्लाह ! मेरे गुनाहों को माफ़ फ़र्मा और मेरे घर में वुसअत और रिज्क में बरकत अता फ़र्मा।

📕 सुनन ऐ कुबरा नसाई: ९९०८, अन अबी मूसा (र.अ)

बाराह रकात नफ़्ल नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स एक दिन में बाराह रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ेगा, तो इन नमाज़ों बदले में उसके लिए जन्नत में एक घर बनाया जाएगा।”

📕 अबू दाऊदः १२५०, अन उम्मे हबीबा (र.अ)

फासिद खून का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“बेहतरीन दवा हिजामा (पछना लगाना, cupping) है, क्यों कि वह फ़ासिद खून को निकाल देती है, निगाह को रौशन और कमर को हल्का करती है।”

📕 मुस्तदरक : ८२५८, अन इन्ने अब्बास (र.अ)

जन्नतुल फिरदौस का दर्जा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तुम अल्लाह तआला से सवाल करो, तो जन्नतुल फिरदौस का सवाल किया करो, क्योंकि वह जन्नत का सबसे अफजल और बुलंद दर्जा है और उसके ऊपर रहमान का अर्श है और उसीसे जन्नत की नहरें निकलती हैं।”

📕 बुखारी: ७४२३, अन अबी हुरैरा (र.अ)

कसरत से सज्दा करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“कसरत से सज्दा किया करो क्योंकि जब तुम सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के लिये सज्दा करोगे तो अल्लाह तआला उस के बदले तुम्हें एक दर्जा बुलंद करेगा और तुम्हारा एक गुनाह माफ करेगा।”

📕 मुस्लिम: 1093

मोमिन के साथ क़ब्र का सुलूक

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब मोमिन बन्दे को दफन किया जाता है, तो कब्र उस से कहती है: तुम्हारा आना मुबारक हो, मेरी पुश्त पर चलने वालों में तुम मुझे सब से जियादा महबूब थे, जब तुम मेरे हवाले कर दिए गए और मेरे पास आ गए, तो तुम आज मेरा हुस्ने सुलूक देखोगे, तो जहाँ तक नजर जाती है क़ब्र कुशादा हो जाती है और उसके लिये जन्नत का दरवाजा खोल दिया जाता है।”

📕 तिरमिजी : २४६०, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)

जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये दुनिया और आखिरत में भलाई है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग परहेजगार हैं, जब उनसे पूछा जाता है के तुम्हारे रब ने क्या चीज़ नाजिल की है?
तो जवाब में कहते हैं : बड़ी खैर व बरकत की चीज नाजिल फ़रमाई है।
जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये इस दुनिया में भी भलाई है और बिला शुबा आखिरत का घर तो दुनिया के मुकाबले में बहुत ही बेहतर है और वाक़ई वह परहेजगार लोगों का बहुत ही अच्छा घर है।”

📕 सूरह नहल: ३०

कब्र में ही ठिकाने का फैसला

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

“जब तुम में से कोई वफात पा जाता है, तो उस को सुबह व शाम उस का ठिकाना दिखाया जाता है, अगर जन्नती हो, तो जन्नत वालों का और अगर जहन्नमी है, तो जहन्नम वालों का ठिकाना दिखाया जाता है, फिर कहा जाता है: यह तेरा ठिकाना है यहाँ तक के अल्लाह तआला क़यामत के दिन तुझे दोबारा उठाए।”

📕 बुखारी : १३७९ , अन अब्दुल्लाह बिन उमर (र.अ)

कोई चीज़ ऐब बताए बगैर बेचने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स कोई ऐबदार चीज़ उस का ऐब बताए बगैर बेचेगा, वह बराबर अल्लाह की नाराजगी में रहेगा और फरिश्ते उसपर लानत करते रहेंगे।”

📕 इब्ने माजा : २२४७

खड़े हो कर नमाज़ पढ़ना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“नमाज़ में अल्लाह के सामने आजिज़ बने हुए खड़े हुआ करो।”

📕 सूरह बकराह: २३८

फायदा: अगर कोई शख्स खड़े होकर नमाज़ पढ़ने की ताकत रखता हो तो उस पर फ़र्ज और वाजिब नमाज़ को खड़े हो कर पढ़ना फ़र्ज़ है।

इजार या पैन्ट टखने से नीचे पहनने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स तकब्बुर के तौर पर अपने इज़ार को टखने से नीचे लटकाएगा, अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसकी तरफ रहमत की नजर से नहीं देखेगा।”

📕 बुखारी: ५७८८

हज़रत मिकाईल की हालत

आप (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से दर्याप्त फ़रमाया :

“क्या बात है ? मैं ने मिकाईल (फ़रिश्ते) को हंसते हुए नहीं देखा?“
अर्ज़ किया: जब से दोज़ख की पैदाइश हुई है, मिकाईल नहीं हंसे।”

📕 मुस्नद अहमद : १२९३०

माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा बाकी रहने वाले हैं, वह आप के रब के नज़दीक सवाब और बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के एतेबार से भी बेहतर हैं।”

📕 सूरह कहफ: १८:४६

(लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)

शिर्क करने वाले की मिसाल

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम सिर्फ अल्लाह की तरफ मुतवज्जेह रहो, उस के साथ किसी को शरीक मत ठहराओ और जो शख्स अल्लाह के साथ शिर्क करता है, तो उसकी मिसाल ऐसी है जैसा के वह आसमान से गिर पड़ा हो, फिर परिन्दों ने उस की बोटियाँ नोच ली हों या हवा ने किसी दूर दराज मक़ाम पर ले जाकर उसे डाल दिया हो।”

📕 सूरह हज: ३१

आदमी का दुनिया में कितना हक़ है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“इब्ने आदम को दुनिया में सिर्फ चार चीजों के अलावा और किसी की जरूरत नहीं : (१) घर : जिस में वह रेहता है, (२) कपड़ा : जिस से वह सतर छुपाता है। (३) खुश्क रोटी। (४) पानी।“

📕 तिर्मिजी: २३४१

कयामत का मंजर

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“अगर (आखिरत के हौलनाक अहवाल के मुतअल्लिक) तुम्हें वह सब मालूम हो जाए जो मुझे मालूम है, तो तुम्हारा हँसना बहुत कम हो जाए और रोना बहुत बढ़ जाए।”

📕 बुखारी : ६४८६

फराइज़ की अदायगी का सवाब

एक आदमी रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हुआ और अर्ज़ किया:

“या रसूलल्लाह ! अगर मैं इस बात की शहादत दू के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और आप अल्लाह के सच्चे रसूल है और पाँच वक्त की नमाज पढ़ता रहूँ और जकात देता रहु और रमज़ान के रोज़े रखा करूँ और उस की रातों में इबादत किया करूं तो मेरा शुमार किन लोगों में होगा?

आप (ﷺ) ने फ़रमाया: तम्हारा शुमार सिद्दिक़ीन और शोहदा में होगा।”

📕 सहीह इब्ने हिब्बान : ३५०७

मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम

मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम

अबू हुरैरा (रज़ि) से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया –

3 तरह के लोग वो होंगे जिनकी तरफ कयामत के दिन अल्लाह तआला नज़र (नज़र-ए-रहमत) भी नहीं उठाएगा और ना उन्हें पाक करेगा, बल्कि उनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा।

एक वो शख़्स जिसके पास रास्ते में ज़रूरत से ज़्यादा पानी हो और उसने किसी मुसाफ़िर को उसके इस्तमाल से रोक दिया।

दूसरा वो शख्स जो किसी हाकीम से बैत सिर्फ दुनिया के लिए करे, कि अगर वो हाकीम उसे कुछ दे तो वो राजी रहे वरना खफा हो जाए।

तीसरा वो शख्स जो अपना (बेचने का तिजारती) सामान असर के बाद लेकर खड़ा हुआ और कहने लगा कि उस अल्लाह की कसम जिसके सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं, मुझे इस सामान की कीमत इतनी मिल रही थी उस पर एक शख्श ने उसे सही समझा (और उस सामान को खरीद लिया) (यानी झूठ को इख्तियार करके तिजारत करनेवाला)।

📕 सहीह बुखारी, हदीस 2358

कुरआन पढ़ना और उस पर अमल करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिसने कुरआन पढ़ा और उसके हुक्मों पर अमल किया, तो उसके माँ बाप को कयामत के दिन ऐसा ताज पहनाया जाएगा, जिस की रोशनी आफताब की रोशनी सभा ज्यादा होगी, अगर वह आफताब तुम्हारे घरों में मौजूद हो।”

📕 अबू दाऊद : १४५३

नमाजे अस्र की अहमियत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस शख्स ने अस्र की नमाज़ छोड़ दी, तो उस का अमल जाया हो गया।”

📕 बुखारी : ५५३. अन बुरैया (र.अ)

वजाहत: दिन और रात में तमाम मुसलमानों पर पाँचों नमाजों को अदा करना तो फर्ज है ही, लेकिन ख़ास तौर से अस्त्र की नमाज़ छोड़ने वालों के हक में रसूलल्लाह (ﷺ) का वईद बयान फर्माना इस की अहमियत को मजीद बढ़ा देता है,

चुनान्चे हमारे लिए जरूरी है के हम अस्र की नमाज वक्त पर अदा करें और कजा न करें। अल्लाहतआला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे , अमीन।

हौजे कौसर की कैफियत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“हौज़े कौसर के बर्तन सितारों के बराबर होंगे, उस से जो भी इन्सान एक घूंट पी लेगा तो हमेशा के लिए उसकी प्यास बुझ जाएगी।”

📕 इब्ने माजा: ४३०३

क़यामत के दिन इन्सान के आज़ा की गवाही

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“जिस दिन अल्लाह के दुश्मन (यानी कुफ्फार)
दोज़ख की तरफ जमा
(करने के मौकफ में) लाएंगे,
फिर वह रोके जाएँगे (ताके बाकी आजाएँ)
यहाँ तक के जब वह उसके करीब आजाएँगे
तो उनके कान, उनकी आँखें और उनकी खाल,
उनके खिलाफ उन के
किये हुए आमाल की गवाही देंगी।”

📕 सूरह फुसिलत: १९ ता २०

गुस्ल में पूरे बदन पर पानी बहाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“(जिस्म) के हर बाल के नीचे नापाकी होती है,
लिहाजा तुम बालों को धोओ
और बदन को अच्छी तरह साफ करो।”

📕 तिर्मिज़ी: १०६

खुलासा: गुस्ल में पूरे बदन पर पानी पहुँचाना फर्ज है।

अल्लाह से रेहम तलब करने की दुआ

अल्लाह तआला से रहम तलब करने के लिये दुआ

( Anta waliyyuna fagh-fir lana war-hamna, wa anta Khayrul- ghafirin )

तर्जुमा: (ऐ अल्लाह) तू ही हमारी खबर रखने वाला हैं, इस लिये हमारी मगफिरत और हमपर रहम फर्मा और तू सब से जियादा बेहतर माफ करने वाला हैं।

📕 सूरह आराफ: १५५

( Rabbana amanna faghfir lana warhamna wa anta khayrur Rahimiin )

तर्जमा : ऐ हमारे पालने वाले हम ईमान लाए तो तू हमको बख्श दे और हम पर रहम कर तू तो तमाम रहम करने वालों से बेहतर है।

📕 सूरह मोमिनून : १09

सिर्फ दुनिया की नेअमतें मत मांगो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो शख्स (अपने आमाल के बदले में) सिर्फ दुनिया के इनाम की ख्वाहिश रखता है (तो यह उस की नादानी है के उसे मालूम नहीं) के अल्लाह तआला के यहाँ दुनिया और आखिरत दोनों का इनाम मौजूद है (लिहाजा अल्लाह से दुनिया और आखिरत दोनों की नेअमतें मांगो) अल्लाह तुम्हारी दुआओं को सुनता और तुम्हारी निय्यतों को देखता है।”

📕 सूरह निसा 134

वुजू कर के इमाम के साथ नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने अच्छी तरह मुकम्मल वुजू किया, फिर फर्ज नमाज अदा करने के लिये गया और इमाम के साथ नमाज पढी, उसके (सगीरा गुनाह) माफ कर दिये जाते हैं।”

📕 इब्ने खुजैमा १४०९

बात ठहर ठहरकर और साफ साफ़ करना

हजरत आयशा (रजि०) फरमाती  है के,

“हुजूर (ﷺ) की बात जुदा जुदा होती थी, जो सुनता समझ लेता था।”

📕 अबू दाऊदः हदीस 4839

फायदा: जब किसी से बात करे, तो साफ़ साफ़ बात करे, ताके सुनने वाले को समझने में कोई परेशानी ना हो, यह आप (ﷺ) की सुन्नत है।

कुरआन का मजाक उड़ाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जब इन्सान के सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो कहता है के यह पहले लोगों के किस्से कहानियां हैं। हरगिज़ नहीं! बल्के उन के बुरे कामों के सबब उन के दिलों पर जंग लग गया है।”

📕 सूरह मुतफ्फिफीन: १३ ता १४

जहन्नम की आग की सख्ती

जहन्नम की आग की सख्ती

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“दोजख को एक हजार साल तक दहकाया गया, तो वह लाल हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो वह सफेद हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो अब वह बहुत जियादा काली हो गई।”

📕 शोअबुल ईमान : ८१२

इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से अल्लाह की पनाह मांगना

रसूलुल्लाह (ﷺ) अक्सर यह दुआ किया करते थे :

तर्जमा: “ऐ अल्लाह ! मैं आपस के इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से तेरी पनाह चाहता हूँ।”

📕अबू दाऊद : १५४६

गुमशुदा चीज़ उठाकर अपने पास रखने का गुनाह: हदीस

Gumshuda cheez uthakar apne paas rakhne ka gunah Hadees

गुमशुदा चीज़ उठाकर अपने पास रखने का गुनाह

अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया:

“जो शख़्स गुमशुदाह चीज़ उठाके अपने पास रखे और उस (गुमशुदा चीज़) को (लौटाने के नियत से लोगो में) ऐलान ना करे तो वो शख़्स गुमराह है।”

📕 सहीह मुस्लिम, हदीस 4402

कलौंजी में मौत के सिवा हर बीमारी का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम इस कलौंजी (मंगरैला) को इस्तेमाल करो, क्योंकि इस में मौत के अलावा हर बीमारी से शिफ़ा मौजूद है।”

📕 बुखारी: 5687, अन आयशा (र.अ)

एक और रिवायत में आप (ﷺ) ने फ़रमाया :

“बीमारियों में मौत के सिवा ऐसी कोई बीमारी नहीं, जिस के लिये कलौंजी में शिफा नहो।”

📕 मुस्लिम ५७६८

सब के साथ हुस्ने सुलूक (अच्छा बर्ताव) करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“तुम सब अल्लाह की इबादत करो, उस के साथ किसी को शरीक न करो, माँ बाप, रिश्तेदारों, यतीमों, मिस्कीनों, करीबी पड़ोसियों और दूर के पड़ोसियों, पास बैठने वालों, मुसाफिरों और जो लोग तुम्हारे मातहत हों, सब के साथ हुस्ने सुलूक (अच्छा बर्ताव) करो और अल्लाह तआला तकब्बुर (घमंड) करने वाले और शेखी (बढ़ाई) मारने वाले को बिलकुल पसंद नहीं करता।”

📕 सूरह निसा:३६

हज़रत मुहम्मद (ﷺ) को आखरी नबी मानना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“( हज़रत मुहम्मद ﷺ ) अल्लाह के रसूल और खातमुन नबिय्यीन हैं।”

📕 सूरह अहज़ाब : ४०

वजाहत: रसूलुल्लाह (ﷺ) अल्लाह के आखरी नबी और रसूल हैं, लिहाजा आप (ﷺ) को आख़री नबी और रसूल मानना और अब क़यामत तक किसी दूसरे नए नबी के न आने का यकीन रखना फर्ज है।

जो ताक़त रखता है वो निकाह जरुरु करे

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“ऐ नौजवानों की जमात! तुम में से जो नान व नफ़्का की ताकत रखता हो उसे ज़रूर शादी कर लेना चाहिए इस लिए के यह आँख और शर्मगाह की हिफ़ाज़त का ज़रिया है और जो इस की ताकत नहीं रखता, तो उसे चाहिए के रोजा रखे, इस लिए के यह उस की शहवत को कम करने में मोअस्सिर है।”

📕 बुखारी : ५०६६, अब्दुल्लाह (र.अ)

अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों तो!

अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों तो!

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“ऐ इमान वालो ! तुम्हारे बाप और भाई अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों, तो तुम उनको अपना दोस्त न बनाओ और तुम में से जो शख्स उनसे दोस्ती करेगा, तो वही जुल्म करने वाले होंगे।”

📕 सूर-ए-तौबा : ३२

बिच्छू के जहर का इलाज

हजरत अली (र.अ) फरमाते हैं :

एक रात रसूलुल्लाह (ﷺ) नमाज़ पढ़ रहे थे के नमाज के दौरान एक बिच्छू ने आप को डंक मार दिया, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस को मार डाला जब नमाज़ से फारिग हुए तो फरमाया : अल्लाह बिच्छू पर लानत करे, यह न नमाज़ी को छोड़ता है और न गैरे नमाज़ी को, फिर पानी और नमक मंगवा कर एक बर्तन में डाला और जिस उंगली पर बिच्छू ने डंक मारा था, उस पर पानी डालते और मलते रहे और सूरह फलक व सूरह नास पढ़कर उस जगह पर दम करते रहे।

📕 बैहकी फी शोअबिल ईमान : २४७१

हर एक को नाम-ए-आमाल के साथ बुलाया जाएगा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“वह दिन याद करने के काबिल है, जिस दिन तमाम आदमियों को उनके नाम-ए-आमाल के साथ मैदाने हश्र में बुलाएंगे, फिर जिनका नाम-ए-आमाल उन के दाहिने हाथ में दिया जाएगा, तो वह (खुश हो कर) अपने नाम-ए-आमाल को पढ़ने लगेंगे उन पर एक धागे के बराबर भी जुल्म नहीं किया जाएगा।”

📕 सूर: बनी इसराईल: ७१

इताअत ऐ रसूल (ﷺ) की अहमियत

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“(ऐ नबी (ﷺ) ) आप कह दीजिए के अगर तुम अल्लाह तआला से मोहब्बत रखते हो, तो तुम लोग मेरी पैरवी करो। अल्लाह भी तुम से मुहब्बत करेगा और तुम्हारे गुनाहों को बख्श देगा।”

📕 सूरह आले इमरान; ३१

सबसे अच्छा मुसलमान कौन है ?

अबू मूसा (र.अ) से रिवायत है के, कुछ सहाबा ने पूछा, या रसूल अल्लाह ﷺ ! कौन सा इस्लाम अफज़ल है (यानि सबसे अच्छा मुसलमान कौन है) तो नबी-ऐ-करीम ﷺ ने फ़रमाया:

“वह शख्स जिस की जबान और हाथ से दूसरे मुसलमान महफूज रहें।”

📕 बुखारी : ११

अगली सफ में नमाज़ अदा करने की फजीलत

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला और उसके फरिश्ते पहली सफ वालों पर रहमत भेजते हैं और मोअज्जिन के बुलंद आवाज़ के बकद्र उस की मगफिरत कर दी जाती है, खुश्की और तरी की हर चीज़ उस की आवाज़ की तसदीक करती है और उस के साथ नमाज़ पढ़ने वालों का सवाब उस को भी मिलेगा।”

📕 निसाई : ६४७

अमानत का वापस करना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“अल्लाह तआला तुम को हुक्म देता है के जिन की अमानतें हैं उनको लौटा दो।”

📕 सूरह निसा: ५८

फायदा : अगर किसी ने किसी शख्स के पास कोई चीज़ अमानत के तौर पर रखी हो तो मुतालबे के वक़्त उसका अदा करना जरूरी है।

मस्जिदे नबवी में चालीस नमाज़ों का सवाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस ने मेरी मस्जिद में चालीस नमाज़े अदा की और कोई नमाज़ कजा नहीं की, तो उस के लिए जहन्नम से बरात और अज़ाब से नजात लिख दी जाती है और निफ़ाक से बरी कर दिया जाता है।”

📕 मुसनदे अहमद : १२९४१, अन अनस (र.अ)

दुनियावी ज़िन्दगी धोका है

दुनियावी जिन्दगी एक धोका है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“दुनियावी ज़िन्दगी तो कुछ भी नहीं सिर्फ धोके का सौदा है।”

📕 सूरह आले इमरान : १८५

“ऐ लोगो! बेशक अल्लाह तआला का वादा सच्चा है, फिर कहीं तुम को दुनियावी जिन्दगी धोके में न डाल दे और तुम को धोके बाज़ शैतान किसी धोके में न डाल दे, यकीनन शैतान तुम्हारा दुश्मन है। तुम भी उसे अपना दुश्मन ही समझो। वह तो अपने गिरोह (के लोगों) को इस लिये बुलाता है के वह भी दोज़ख वालों में शामिल हो जाएँ।”

📕 सूरह फातिर ५ ता ६

“ऐ इन्सान ! तुझे अपने रब की तरफ से किस चीज़ ने धोके में डाल रखा है (कि तू दुनिया में पड़ कर उसे भुलाए रखता है हालाँकि) उस ने तुझे पैदा किया (और) फिर तेरे तमाम आज़ा एक दम ठीक अन्दाज़ से बनाए। (फिर भी तू उससे गाफिल है)।”

📕 सूरह इन्फित्तार; ६

फायदा : जिस तरह माल के जाहिर को देख कर खरीदार फँस जाता है, इसी तरह इंसान दुनिया की चमक दमक से धोका खा कर आखिरत से गाफिल हो जाता है, इसलिए इन्सानों को दुनिया की चमक दमक से होशियार रहना चाहिए।

दुनिया व आखिरत में आफियत की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

बन्दे की अपने रब से माँगी जाने वाली दुआओं में सबसे अफजल यह है:

तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं दुनिया और आखिरत में तुझसे आफियत व भलाई का सवाल करता हूँ।

📕 इब्ने माजा: ३८५१

इंसाफ न करने का वबाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स मेरी उम्मत की किसी छोटी या बड़ी जमात का जिम्मेदार बने फिर उनके दर्मियान अदल व इन्साफ न करे तो अल्लाह तआला उसको औंधे मुंह जहन्नम में डाल देगा।

📕 तबरानी कबीर : १६९११

अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह

अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“बिलाशुबा अल्लाह तआला शिर्क को मुआफ नहीं करेगा। शिर्क के अलावा जिस गुनाह को चाहेगा, माफ कर देगा और जिसने अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक किया, तो उसने अल्लाह के खिलाफ बहुत बड़ा झूट बोला।”

📕 सूरह निसा: ४४

अल्लाह से सच्ची पक्की तौबा कर लो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से सच्ची पक्की तौबा कर लो, उम्मीद है के तुम्हारा रब तुम्हारी खताओं को माफ कर देगा और जन्नत में दाखिल कर देगा।”

📕 सूरह तहरीम: ८

कयामत किन लोगों पर आएगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“कयामत सिर्फ बदतरीन लोगों पर ही आएगी।”

📕 मुस्लिम : ७४०२

फायदा: जब तक इस दुनिया में एक शख्स भी अल्लाह का नाम लेने वाला जिंदा रहेगा, उस वक्त तक दुनिया का निजाम चलता रहेगा, लेकिन जब अल्लाह का नाम लेने वाला कोई न रहेगा और सिर्फ बदतरीन और बुरे लोग ही रह जाएँगे, तो उस वक़्त क़यामत कायम की जाएगी।

हर बीमारी का इलाज

एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी:

तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई हो, अल्लाह के नाम से दम करता हूँ, अल्लाह आप को शिफा दे।

📕 तिर्मिज़ी : ९७२

इस्तिगफार की बेशुमार बरकतें

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो शख्स पाबंदी के साथ इस्तिगफ़ार करेगा, अल्लाह तआला हर तंगी में उस के लिए आसानी पैदा करेगा, उसे हर गम से नजात दिलाएगा और उसे ऐसी जगह से रिज्क अता करेगा, जहां से उस को वहम व गुमान भी नहीं होगा।”

📕 अबू दाऊद : १५१८, इब्ने अब्बास (र.अ)

अच्छे और बुरे बराबर नहीं हो सकते

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“क्या वह लोग जो बुरे काम करते हैं, यह समझते हैं के हम उन्हें और उन लोगों को बराबर कर देंगे जो ईमान लाते हैं और नेक अमल करते हैं के उन का मरना और जीना बराबर हो जाए, उनका यह फैसला बहुत ही बुरा है।”

📕 सूरह जासिया : २१

अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक न करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक न करो, माँ, बाप के साथ अच्छा सुलूक करो, और तंगदस्ती के खौफ से अपनी औलाद को कत्ल न करो, हम तुम, को भी रिज्क देते हैं और उन को भी; खुले और छुपे बेहयाई के कामों के करीब न जाओ।”

📕 सूरह अन्आम : १५२

हलाक करने वाली चीजें

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“हर ऐसे शख्स के लिये बड़ी ख़राबी है, जो ऐब लगाने वाला और ताना देने वाला हो,
जो माल जमा करता हो और उस को गिन गिन कर रखता हो
और ख़याल करता हो के उस का (यह) माल हमेशा उस के पास रहेगा। हरगिज़ ऐसा नहीं है, वह ऐसी आग में डाला। जाएगा जिसमें जो कुछ पड़ेगा वह उस को तोड़फोड़ कर रख देगी।”

📕 सूरह हुमज़ह : १ ता ४

खाने पीने की चीजों में गौर करने की दावत

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

इन्सान को अपने खाने में गौर करना चाहिये के हम ने खूब पानी बरसाया, फिर हम ने अजीब तरीके से जमीन को फाड़ा, फिर हम ने उस ज़मीन में से ग़ल्ला, अंगूर, तरकारी, ज़ैतून और खजूर, घने बाग़, मेवे और चारा पैदा किया। यह सब तुम्हारे और तुम्हारे जानवरों के फायदे के लिये हैं।”

📕 सूरह अबस: २४ ता ३२

बीवी की विरासत में शौहर का हिस्सा

कुरआन में अल्लाह ताआला फ़र्माता है :

“तुम्हारे लिए तुम्हारी बीवियों के छोड़े हुए माल में से आधा हिस्सा है, जब के उन को कोई औलाद न हो और अगर उन की औलाद हो, तो तुम्हारी बीवियो के छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है (तुम्हें यह हिस्सा) उन की वसिय्यत और कर्ज अदा करने के बाद मिलेगा।”

📕 सूरह निसा १२

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जन्नत का खेमा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जन्नत में मोती का खोलदार खेमा होगा, जिस की चौड़ाई साठ मील ही होगी। उस के हर कोने में जन्नतियों की बीवियाँ होंगी, जो एक दूसरी को नहीं देख पाएँगी और उनके पास उनके शौहर आते जाते रहेंगे।”

📕 सहीह बुखारी: ४८७९

अल्लाह के रास्ते में रोज़ा रखना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

जिसने अल्लाह के रास्ते में एक रोज़ा रखा, तो अल्लाह तआला उस के और जहन्नम के दर्मियान
आसमान व ज़मीन के फासले के बराबर खन्दक़ कायम कर देगा।”

📕 तिर्मिज़ी : १६२४

दुनिया के लालची अल्लाह की रहमत से दूर होंगे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

क़यामत करीब आ चुकी है और लोग दुनिया की हिर्स व लालच और अल्लाह तआला की रहमत से दूरी में बढ़ते ही जा रहे हैं।”

खुलासा : कयामत के करीब आने की वजह से लोगों को नेकी कमाने की जियादा से जियादा फ़िक्र करनी चाहिये, लेकिन ऐसा करने के बजाए वह दुनिया की लालच में पड़ कर अल्लाह की रहमत से दूर होते जा रहे है।

📕 मुस्तदरक : ७९१७

सवारी के जानवर

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“उसी ने (यानी अल्लाह ने) घोड़े, खच्चर और गधे भी पैदा किये ताके तुम उन पर सवारी करो और जेब व ज़ीनत हासिल करो और आइंदा भी ऐसी चीजें पैदा कर देगा जिनको तुम अभी नहीं जानते।”

📕 सूरह नहल ८

कुफ्र की सज़ा जहन्नम है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग कुफ्र करते हैं तो अल्लाह तआला के मुकाबले में उन का माल और उन की औलाद कुछ काम नहीं आएगी और ऐसे लोग ही जहन्नम का इंधन होंगे।”

📕 सूरह आले इमरान : १०

नजर लगने से हिफाजत

माशा अल्लाह की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस शख्स ने कोई ऐसी चीज़ देखी जो उसे पसंद आ गई, फ़िर उस ने (माशा अल्लाह ! व लाहौल वला क़ूवता इल्लाह बिल्लाही) कह लिया, तो उस की नज़र से कोई नुक्सान नहीं पहुंचेगा।”

📕 कंजुल उम्मुल : १७६६६, अनस (र.अ)

तर्जुमा : जो कुछ अल्लाह चाहता है [होता है] और अल्लाह के अलावा कोई ताकत नहीं है।

शराब, जुवा, बूत और फाल खोलना सब शैतानी काम है

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़र्माता है

“ऐ ईमान वालो! सच्ची बात यह है के शराब, जुवा, बूत और फाल खोलने के तीर, यह सब शैतान के नापाक काम है, लिहाजा तुम इनसे बचो! ताके तुम अपने मकसद में कामयाब हो जाओ।”

📕 सूरह मायदा १०५

हर नमाज़ के लिये वुजू करना

हजरत अनस (र.अ) बयान करते हैं के,

आप (ﷺ) की आदते शरीफा थी, के बा वुजू होने के बावजूद हर नमाज के लिये ताज़ा वुजू फरमाते और हम लोग कई नमाजें एक ही वुजू से पढ़ते थे।

📕 अबू दाऊद : १७१

दो चीज़ों की ख्वाहिश

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“बूढ़े आदमी का दिल दो चीजों के बारे में हमेशा जवान रहता है, एक दुनिया की मुहब्बत और दूसरी लम्बी लम्बी उम्मीदें।”

📕 बुख़ारी: ६४२०

जन्नती अल्लाह तआला का दीदार करेंगे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने लैलतुबद्र में चाँद को देखा और फर्माया :

“तुम लोग अपने रब को इसी तरह देखोगे जिस तरह इस चाँद को देख रहे हो, तुम उस को देखने में किसी किस्म की परेशानी महसूस नहीं करोगे।”

📕 बुखारी : ५५४

बुरे आमाल की नहूसत

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“खुश्की और तरी (यानी पूरी दुनिया) में लोगों के बुरे आमाल की वजह से हलाकत व तबाही फैल गई है, ताके अल्लाह तआला उन्हें उन के बाज़ आमाल (की सज़ा) का मजा चखा दे, ताके वह अपने बुरे आमाल से बाज आ जाएँ।”

📕 सूरह रूम: ४१

पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं

आदमी (इंसान) ने पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं भरा। इब्ने आदम को चंद लुक्मे काफी है जो उसकी पीठ को सीधा रखे। लेकिन अगर ज्यादा खाना ज़रूरी हो तो तिहाई पेट खाने के लिए, तिहाई पानी के लिए और तिहाई साँस के लिए रखे।”

📕 तिर्मिजी: २३८०

नर्म मिज़ाजी इख्तियार करना

लोगों के साथ नर्मी से पेश आने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“क्या मैं तुम को ऐसे शख्स की खबर न दूँ जो दोजख के लिये हराम है और दोज़ख की आग उस पर हराम है? हर ऐसे शख्स पर जो तेज़ मिजाज न हो बल्के नर्म हो, लोगों से क़रीब होने वाला हो, नर्म मिजाज हो।”

📕 तिर्मिज़ी : २४८८, अन इब्ने मसऊद (र.अ)