Salaam – Ummate Nabi ﷺ https://ummat-e-nabi.com Quran Hadees Quotes Sat, 14 Oct 2023 03:20:54 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.3 https://ummat-e-nabi.com/wp-content/uploads/2023/09/favicon-96x96.png Salaam – Ummate Nabi ﷺ https://ummat-e-nabi.com 32 32 179279570 Raston par Baithne ka Haq Ada karo https://ummat-e-nabi.com/raston-par-baitne-se/ https://ummat-e-nabi.com/raston-par-baitne-se/#comments Sat, 14 Oct 2023 03:20:16 +0000 https://ummat-e-nabi.com/raston-par-baitne-se/ Raston par Baithne ka Haq Ada karo HadeesHadees of the Day Raaston par Baithne ka Haq Ada karo Allah ke Rasool (ﷺ) ne farmaya: “Sadko (Rasto) par baithane se bacho.” Sahaba ne kaha ki “hum log wahi […]

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Hadees of the Day

Raaston par Baithne ka Haq Ada karo

Allah ke Rasool (ﷺ) ne farmaya:

“Sadko (Rasto) par baithane se bacho.”

Sahaba ne kaha ki “hum log wahi baithne ko majaboor hain. yeh wah jagah hai jahaa hum baithate hain aur jahaa hum baat karate hain.” is par, Nabi (ﷺ) ne kaha –

“Yadi tum wahaa baithane ke lie majaboor ho, to Raaste ka Haq ada karo.”

Sahaba ne poochha aur Raste ka Haq kya hai? Nabi (ﷺ) ne kaha,

“Apni Nigaahein nichee rakho, kisi ko chot pahunchaane se bacho, Salaam ka jawaab do, logon ko achchhe kaam karne ka hukm do aur unhen bure kaam karne se roko.”

📕 Sahih al-Bukhari 2465

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Koun Kisko Salaam kare? https://ummat-e-nabi.com/koun-kisko-salaam-kare/ Mon, 23 Jan 2023 10:42:33 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=24762 Koun kisko Salam kare Hadees Sahih Bukhari 6231Hadees of the Day Koun Kisko Salaam kare? Hazrat Abu Hurairah (R.A) se riwaayat hai ke, Nabi-e-Kareem ﷺ ne irshaad farmaaya: “Chhota bade ko Salaam kare, Guzarne waala baithe hue […]

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Hadees of the Day

Koun Kisko Salaam kare?

Hazrat Abu Hurairah (R.A) se riwaayat hai ke,
Nabi-e-Kareem ﷺ ne irshaad farmaaya:

“Chhota bade ko Salaam kare, Guzarne waala baithe hue ko Salaam kare aur thode aadmi Zyaada Aadmiyon ko Salaam Karein.”

📕 Sahih al-Bukhari 6231


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5 Rabi-ul-Awal | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/5-rabi-ul-awal/ https://ummat-e-nabi.com/5-rabi-ul-awal/#respond Mon, 03 Oct 2022 22:56:34 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=40660 5 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsaइस्लामी तारीख: हज़रत ईसा (अ.स) के हालात, अल्लाह की कुदरत: छूई मूई का पौधा (शर्मीली), एक फर्ज: क़ज़ा नमाज़ों की अदाएगी, एक सुन्नत: घर के काम में हाथ बटाना, लानत वाले गुनाह ...

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5 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हज़रत ईसा (अ.स) के हालात

अगरचे हज़रत ईसा (अ.स) की गवाही से बनी इस्राईल के सामने हज़रत मरयम की पाक दामनी ज़ाहिर हो गई और उनकी बदगुमानी दूर हो गई और हज़रत ईसा (अ.स) की तरबियत व परवरिश माँ की शफकत में होती रही मगर फिर भी क़ौम के शरीर लोगों की तरफ से उन की पैदाइश पर बदगमानी और हज़रत ज़करिया (अ.स) की मज़लूमाना शहादत को हज़रत मरयम देख चुकी थीं। इसलिये वह क़ौम और “हेरूद” बादशाह के डर से अपने बेटे हज़रत ईसा (अ.स) को लेकर अपने रिश्तेदारों के यहाँ मिस्र चली गईं, और बारह साल वहाँ रहने के बाद फिर उन को ले कर बैतुलमक्दिस वापस आ गई।

इस तरह जब हज़रत ईसा (अ.स) की उम्र ३० साल हो गई, तो अल्लाह तआला ने क़ौम की हिदायत व

इस्लाह के लिये नुबुव्वत अता फ़र्मा कर आसमानी किताब “इनजील” नाज़िल फ़रमाई। उन्होंने कुफ्र व शिर्क के ख़िलाफ़ अपनी दावत व तौहीद का आग़ाज़ किया।

हज़रत ईसा (अ.स) की शक्ल व सूरत के बारे में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फरमाया –
“मेराज के मौके पर मेरी मुलाक़ात दूसरे आसमान पर हज़रत ईसा (अ.स) से हुई, तो मैं ने उन को दर्मियानी क़द, सुर्ख रंग, साफ शफ्फाफ बदन और काँधे तक लटकी हुई जुल्फों की हालत में देखा।”

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

छूई मूई का पौधा (शर्मीली)

अल्लाह तआला ने छूईमूई के इस छोटे से पौधे के अन्दर एहसास व शुऊर का माद्दा रखा है, अगर कोई आदमी इसे छूता है तो उस की पत्तियाँ सुकड़ जाती हैं, फिर थोड़ी देर बाद वह पत्तियाँ फिर से फैल कर तन जाती हैं।

आख़िर छूई मूई के इस पौदे में शर्म व हया का माद्दा किस ने पैदा किया है? यह ! अल्लाह ही की कुदरत है जिसने इस पौधे के अन्दर एहसास व शुऊर का माद्दा पैदा किया है।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

क़ज़ा नमाज़ों की अदाएगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो कोई नमाज़ पढ़ना भूल गया या नमाज़ के वक्त सोता रह गया, तो (उस का कफ्फारा यह है के) जब याद आए उसी वक़्त पढ़ ले”

📕 तिर्मिज़ी: १७७. अन अबी कतादा (र.अ)

फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज़ किसी उज्र की वजह से छूट जाए या सोने की हालत में नमाज़ का वक्त गुजर जाए, तो बाद में उसकी क़ज़ा पढ़ना फर्ज है।


4. एक सुन्नत के बारे में

घर के काम में हाथ बटाना

हज़रत आयशा (र.अ) से पूछा गया के घर में हुज़ूर क्या काम करते थे ?

हज़रत आयशा (र.अ) ने फ़रमाया –

“आप घर के काम में हाथ बटा दिया करते और जब नमाज़ का वक़्त हो जाता,
तो नमाज़ के लिए चले जाते।

📕 बुखारी : ६७६


5. एक अहेम अमल की फजीलत

अपनी गलती पर शर्मिन्दा होने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जिस शख़्स ने कोई गलती की या कोई गुनाह किया फिर उस पर (शर्मिन्दा) हुआ, तो यह शर्मिन्दगी उसके गुनाह का कफ्फारा है।”

📕 बैहकी की शोअबील ईमान : ६७०४


6. एक गुनाह के बारे में

लानत वाले गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने गोदने वाली और गुदवाने वाली औरत पर और सूद खाने वाले और सूद खिलाने वाले पर लानत फ़रमाई है और कुत्ते के खरीदने, बेचने और ज़िना की कमाई से मना फ़रमाया है और तस्वीर बनाने वालों पर लानत फ़रमाई है।

📕 बुखारी: ५३४७, अन अबी जुहफ़ा (र.अ)

नोट: बदन पर हमेशा रहने वाली पेंटिंग को गुदवाना (tattooing) कहते हैं।


7. दुनिया के बारे में

दुनिया के लालची के लिये हलाकत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“हलाक हो गया दिरहम व दीनार और सियाह और धारी दार (कीमती) कपड़े का (लालची) बन्दा
के अगर उस को मिल जाए तो राज़ी होता है और अगर न मिले तो राज़ी नहीं होता।”

📕 बुखारी:२८८६, अन अबी हुरैरह (र.अ)


8. आख़िरत के बारे में

इन्सान जिन्नात पर काफिरों का गुस्सा

क़ुरआन में अल्लाह तआला ने इर्शाद फ़रमाया है:

“(अज़ाब में गिरफ़्तार हो कर) काफिर लोग कहेंगे, ऐ हमारे परवरदिगार! हमें इन्सान व जिन्नात में से वह लोग दिखा दीजिये जिन्होंने हम को गुमराह किया था के हम उन को अपने पैरों तले रौंद डालें ताके वह खूब ज़लील हों।”

📕 सूरह हामीम सज्दा : २९


9. तिब्बे नबवी से इलाज

अंजीर से बवासीर और जोड़ों के दर्द का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया :

“अंजीर खाओ, क्योंकि यह बवासीर को खत्म करता है और जोड़ों के दर्द में मुफीद है।”

📕 कंजुल उम्माल: २८२७६, अन अबी ज़र (र.अ)


10. क़ुरान की नसीहत

अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए

कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है :

“नेकी और परहेज़गारी के कामों में एक दूसरे की मदद किया करो, गुनाह और ज़ुल्म व ज़्यादती में किसी की मदद न करो और अल्लाह से डरते रहो, बेशक अल्लाह तआला का अज़ाब बहुत सख़्त है।”

📕 सूरह माइदा : २

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3 Rabi-ul-Awal | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/3-rabi-ul-awal/ https://ummat-e-nabi.com/3-rabi-ul-awal/#respond Sat, 01 Oct 2022 01:13:44 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=36108 3 Rabi-ul-Awal | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसाइस्लामी तारीख: हज़रत मरयम (अ.स) की आज़माइश, अल्लाह की कुदरत: जिस्म में गुर्दे की अहमियत (Kidney), दरवाज़े पर सलाम करने की सुन्नत, अल्लाह के ज़िक्र की फ़ज़ीलत, मेहर अदा ना करने का गुनाह, मुत्तक़ी और परहेज़गारों का इनाम …

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3 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हज़रत मरयम (अ.स) की आज़माइश

हज़रत मरयम बिन्ते इमरान (अ.स) बनी इस्राईल के एक शरीफ़ घराने में पैदा हुई, क़ुरान में 12 जगह उन का नाम आया है और उन के नाम से एक मुकम्मल सूरह अल्लाह तआला ने नाज़िल फ़रमाई है।

उनके वालिद हज़रत इमरान बैतुलमुक़द्दस के इमाम थे। हज़रत मरयम (अ.स) बचपन ही से बड़ी नेक सीरत थीं। अल्लाह तआला ने उस वक्त की तमाम औरतों पर उन्हें फ़ज़ीलत अता फ़रमाई थी, पैदाइश के बाद उन की वालिदा ने अपनी मन्नत के मुताबिक़ उन के ख़ास हज़रत ज़करिया (अ.स) की कफालत में बैतुलमुक़द्दस की इबादत के लिये वक़्फ़ कर दिया और ऊँची जगह पर एक कमरा उन की इबादत के लिये ख़ास कर दिया।

वह हर वक़्त इबादत और ज़िक्रे इलाही में मसरूफ रहतीं, अल्लाह तआला ने ग़ैबी तौर पर बग़ैर मौसम के उम्दा फलों के ज़रिये उन की नशोनुमा और परवरिश फ़रमाई।

जब हज़रत मरयम (अ.स) बड़ी हो गईं, तो अल्लाह तआला ने फरिश्ते के ज़रिये बशारत दी के तुम्हें एक बेटा अता किया जाएगा, जिस का नाम ईसा होगा, वह दुनिया व आख़िरत में बुलन्द मर्तबे वाला होगा और बचपन ही में लोगों से बात कर के आपकी पाक दामनी की शहादत देगा।

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

जिस्म में गुर्दे की अहमियत (Kidney)

इन्सान के ख़ून में हर लम्हा ज़हरीले माददे (Toxin) की मिक़दार बढ़ती रहती है। गुर्दे उन ज़हरीले माददों को पेशाब के ज़रिये खारिज कर के बदन को साफ़ ख़ून सपलाई करते रहते हैं, इस तरह गुर्दे 24 घंटे में कई लीटर ख़ून से ज़हरीला माददा निकाल कर पूरे जिस्म की हिफाज़त करते रहते हैं।

अल्लाह ना करे अगर ये गुर्दे काम करना बंद कर दें, तो भारी दौलत ख़र्च कर के बड़ी-बड़ी मशीनों के ज़रिये खून साफ कर के वह फ़ायदा हासिल नहीं होता, जो गुर्दो के कुदरती अमल से होता है।

गुर्दो के ज़रिये ख़ून से ज़हरीले माददों को ख़ारिज कर के जिस्मे इन्सानी की हिफाज़त करना अल्लाह की कितनी बड़ी कुदरत है।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

बग़ैर वुजू के नमाज़ नहीं होती

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“इस्लाम में उस शख्स का कुछ भी हिस्सा नहीं जो नमाज़ न पढ़ता हो और वुज़ू के बग़ैर नमाज़ नहीं होती।”

📕 तर्ग़ीब व तरहीब:479, अन अबी हुरैरह (र.अ)


4. एक सुन्नत के बारे में

दरवाज़े पर सलाम करने की सुन्नत

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी के घर के दरवाज़े पर आते,
तो बिल्कुल सामने खड़े ना होते,
बल्क़ि दायीं तरफ या बायीं तरफ तशरीफ फ़रमा होते
और “अस्सलामु अलैकुम” फ़रमाते।

📕 अबू दाऊद: 5986, अन अब्दुल्लाह बिन बुन (र.अ)


5. एक अहेम अमल की फजीलत

अल्लाह के ज़िक्र की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स सुबह को सौ मर्तबा और शाम को सौ मर्तबा “सुब्हान अल्लाही वबिहम्दिहि” पढ़े, उस के गुनाहों की मग़फ़िरत कर दी जाएगी ख़्वाह उस के गुनाह समुन्दर के झाग से ज़्यादा हों।”

📕 तबरानी कबीर: 3370, अन अबी मालिक (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

मेहर अदा ना करने का गुनाह

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जिस आदमी ने किसी औरत से मेहर के बदले निकाह किया और उस का महेर अदा करने का इरादा न हो, तो वह जानी (जीना करने) के हुक्म में है और जिस आदमी ने किसी से क़र्ज़ लिया। फिर उस का क़र्ज़ अदा करने की निय्यत न हो, तो वह चोर के हुक्म में है।”

📕 तरग़ीब २६०२, अन अबी हुरैरह (र.अ)


7. दुनिया के बारे में

माल की चाहत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“लोगों पर एक ज़माना ऐसा आएगा जिस में (लोगों को अपने) माल की ज़कात देना बहुत भारी गुज़रेगा।”

📕 मोअजमे कबीर: १३७०८, अन अदी बिन हातिम (र.अ)


8. आख़िरत के बारे में

मुत्तक़ी और परहेज़गारों का इनाम

क़ुरआन में अल्लाह तआला ने इर्शाद फ़रमाया है:

“जो लोग परहेज़गारी और तक़वा के पाबंद थे, अल्लाह तआला उन को कामयाबी के साथ जहन्नम से बचा लेगा, न उन को किसी तरह की तकलीफ़ पहुँचेगी और न वह कभी ग़मगीन होंगे।”

📕 सूरह जुमर: ६१


9. तिब्बे नबवी से इलाज

मिस्वाक के फायदे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया :

“मिस्वाक मुंह की सफाई और अल्लाह की रज़ामंदी का ज़रिया है।”

📕 नसई : ५, अन आयशा (र.अ)

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम मिस्वाक के फवाइद में लिखते हैं, यह दाँतों में चमक पैदा करती है, मसूड़ों में मज़बूती और मुँह की बदबू ख़त्म करती है, जिससे दिमाग़ पाक व साफ हो जाता है। यह बलग़म को काटती है, निगाह को तेज़ और आवाज़ को साफ करती है और भी इस के बहुत से फवाइद हैं।


10. क़ुरान की नसीहत

अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए

कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है :

“अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए, तो अल्लाह और उसके रसूल के हुक्म की तरफ रूजूअ करो, अगर तुम अल्लाह और क़यामत के दिन पर ईमान रखते हो, यह तरीका तुम्हारे लिये बेहतर है और अच्छा भी है।”

📕 सूरह निसा: 59

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3. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/3-safar/ https://ummat-e-nabi.com/3-safar/#respond Thu, 01 Sep 2022 13:51:52 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=40465 3 Safar | Sirf Paanch Minute ka Madarsaहजरत यूसुफ (अ.स) की आज़माइश, कुदरत : आँख की बनावट, एक फर्ज : जुमा की नमाज, सुन्नत : दरवाज़े पर सलाम करना, दुनिया आखिरत में कामयाबी का ज़रिया ...

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3 सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
3 Safar | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत यूसुफ (अ.स) की आज़माइश

तामाम अम्बिया ए किराम की तरह हज़रत यूसुफ (अ.स) को भी अल्लाह की रजा व खुश्नदी हासिल में करने के लिये सख्त आजमाइशों से गुजरना पड़ा, चुनान्चे वालिदे मुहतरम की शफक़त व मुहब्बत महरूम करने के लिये सौतेले भाइयों ने साजिश कर के आप को अंधेरे कुंवें में डाल दिया, फिर एक काफ़ले के जरिये अजीजे मिस्र के हाथों बेच दिये गए। 

चंद साल ही गुजरे थे के अजीजे मिस्र की बीवी की साजिश पर तकरीबन 9 साल जेल में रहना पडा। जब आपने उन तमाम मराहिल को सब्र व इस्तेकाम के साथ तय कर लिया तो अल्लाह तआला ने आप के अन्दर हिल्म व वकार, अमानत व दियानत और इज्जत व शराफत जैसी सिफात मुकम्मल तौर पर पैदा फर्मादी। 

आप के इस सब्र व इस्तेकामत की बिना पर बिछड़े हुए भाइयों को मिला दिया, वालिद की गई हुई बीनाई वापस कर दी और सबसे बढ़कर आपको जेल जाने से निकाल कर नुबुव्वत व हकमत से भीसरफराज फर्मा दिया। 

इसी तरह अल्लाह तआला सब्र करने वाले अपने मुखलिस बन्दों को दीन व दुनिया की दौलत व इज्जत अता फर्माया करता है।

तफ्सील में पढ़े: हज़रत याकूब अलैहि सलाम | कसक उल अम्बिया 

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

आँख की बनावट

अल्लाह तआला ने इन्सान की आँखें बनाई जिन की पुतलियों में लाखों बल्ब रोश्नी के लिये लगा दिये। उन में कुछ बल्ब ऐसे हैं, जिन से रंग का पता चलता है। कुछ ऐसे हैं जिनसे दूरी का पता चलता है और कुछ ऐसे हैं जिनसे साइज का पता चलता है। 

अगर इन में से एक भी बल्ब बुझ जाए, तो काले गोरे, दूरी नजदीकी और मोटे-पतले होने का इल्म खत्म हो जाए और तमाम चीजें एक जैसी नजर आने लगे। 

आँख के अन्दर इतने सारे बल्बों का रौशन करना अल्लाह तआलाकी बहुत बड़ी कुदरत है।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

जुमा की नमाज अदा करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा से पूछा:

“जुमा की नमाज जमात के साथ अदा करना हर मुसलमान पर लाजिम है; मगर चार लोगों पर (लाजिम नहीं है )

(१) वह गुलाम जो किसी की मिलकियत में हो, (२) औरत, (३) नाबालिग बच्चा, (४) बीमार।”

📕 अबू दाऊद: १०६७

फायदा: जहां जुमा के शराइत पाए जाते हों, वहां जुमा की नमाज अदा करना हर सही व तन्दुरुस्त और बालिग़ मुसलमान मर्द पर फर्ज है।


4. एक सुन्नत के बारे में

दरवाज़े पर सलाम करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी के घर के दरवाजे पर आते, तो बिल्कुल सामने खड़े न होते, बल्के दाई तरफ या बाईं तरफ तशरीफ फ़र्मा होते और ‘अस्सलामु अलैकुम’ फर्माते।

📕 अबू दाऊद : ५१८६, अन अब्दुल्लाह बिन बुस्र (र.अ)


5. एक अहेम अमल की फजीलत

मस्जिद से तकलीफ देने वाली चीज़ को दूर करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिसने मस्जिदसे ऐसी चीज बाहर कर दी जिससे तकलीफ होती थी। (जैसे कुड़ा करकट, काँटा, कंकर पत्थर) तो अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में एक घर बना देगा।”

📕 इब्ने माजाह: ७५७, अन अबी सईद (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

क़िब्ले की तरफ थूकने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जिस ने क़िब्ला रूख बलगम और थूक फेंका, वह क़यामत के दिन इस हालत में आएगा के वह बलगम उसके दोनों आँखों के दर्मियान (चिपका हुआ) होगा।”

📕 अबू दाऊद : ३८२४, अन हुजैफा (र.अ)


7. दुनिया के बारे में

दुनिया आखिरत में कामयाबी का ज़रिया है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“दुनिया ऐसे आदमी के लिये बहुत ही अच्छा घर है, जो उस को आखिरत (में कामयाबी) का ज़रिया बनाए और अल्लाह तआला को उस (के जरिये) राजी कर ले और (वह) ऐसे आदमी के लिये बहुत ही बुरा (घर) है, जिसको आखिरत के कामों से रोक दे और अल्लाह तआला को नाराज़ कर दे।”

📕 मुस्तदरक: ७८७०, अन तारिक (र.अ)


8. आख़िरत के बारे में

इन्साफ का तराजू

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“कयामत के दिन हम इन्साफ का तराजू कायम करेंगे और किसी पर जुल्म न होगा। अगर राई के दाने के बराबर भी कोई अमल होगा, तो हम उसको हाजिर कर देंगे और हम हिसाब लेने वाले काफी हैं।”

📕 सूरह अम्बिया : ४७


9. तिब्बे नबवी से इलाज

राख से जख्म का इलाज

ग़जव-ए-उहुद में जब रसूलुल्लाह (ﷺ) का चेहर-ए-मुबारक जख्मी हो गया तो आप (ﷺ) की साहबजादी हजरत फ़ातिमा (र.अ) खून धो रही थीं और हज़रत अली (र.अ) जख्मों पर पानी डाल रहे थे।

हजरत फ़ातिमा ने जब देखा के खून बन्द होने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है, तो उन्होंने (खजूर के पत्तों की) चटाई का एक टुकड़ा ले कर जलाया और जब वह राख हो गया, तो उसको जख्मों पर लगा दिया जिससे खून बन्द हो गया।”

📕 बुखारी: २९०३, अन सहल (र.अ)

फायदा: हकीमों ने लिखा है के टाट और खजूर की चटाई की राख बहते हुए खून को रोकने में बेहद मुफीद है।


10. कुरआन की नसीहत

हर हाल में अल्लाह का शुक्र अदा करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“उस वक़्त को याद करो जब तुम्हारे रब ने तुम को खबरदार कर दिया था, के अगर तुम शुक्र करोगे, तो तुम को अपनी नेअमतें और जियादा दूंगा और अगर तुम नाशुक्री करोगे, तो यकीन जानो मेरी सज़ा बडी सख्त है।”

📕 सूरह इब्राहीम : ७

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1. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/1-safar/ https://ummat-e-nabi.com/1-safar/#respond Tue, 30 Aug 2022 03:01:25 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=40435 1 Safarहजरत याकूब (अ.स) पर आजमाइश, कुदरत : खारे पानी को मीठा बनाना, एक फर्ज : नमाज़े गुनाहों को मिटा देती हैं, सुन्नत : ज़मीन पर बैठ कर खाना, मुसलमान की ग़ीबत और बेइज्जती की सजा ...

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1 सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
1 Safar | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत याकूब (अ.स) पर आजमाइश

दीगर अम्बिया की तरह हज़रत याकूब (अ.स) को भी काफी मुसीबतें बरदाश्त करनी पड़ी, जान व माल और औलाद में सख्त तरीन आजमाइशों का सामना करना पड़ा, मगर हर मौके पर वह साबिर वा शाकिर ही रहे। खासतौर पर औलाद में एक लम्बे ज़माने तक इम्तेहान में मुन्तला रहे। बुढ़ापे में हजरत यूसुफ (अ.स) जैसे महबूब बेटे की जुदाई के ग़म में रोते रोते उनकी बीनाई चली गई थी, अभी यह रंज व ग़म खत्म नहीं हुआ था के उन के दूसरे बेटे बिन यामीन की जुदाई का वाकिआ पेश आ गया। 

इस तरह उनकी महबूब औलाद उनसे दूर हो गई। इस के साथ ही दावत व तब्लीग में पेश आनेवाली तकालीफ और

लोगों के इस दावत को कबूल न करने का रंज व ग़म अलग था। 

मगर अल्लाह तआला के यह जलीलुल कद्र नबी सारी मुसीबतों को बरदाश्त कर के सब्र व शुक्र करते थे और अल्लाह तआला की मदद के तलबगार रहते थे। अल्लाह तआला ने उनके सब्र का यह बदला अता किया के बिखरे हुए बेटों से मुलाकात करादी और तमाम औलाद को जमा कर दिया और साथ ही उन की बीनाई भी वापस कर दी।

यक़ीनन अल्लाह तआला सब्र करने वालों को ऐसे ही इनामात से नवाजता है।

तफ्सील में पढ़े: हज़रत याकूब अलैहि सलाम | कसक उल अम्बिया 

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

खारे पानी को मीठा बनाना

समुन्दर का पानी खारा होता है, उस को पीने के काबिल बनाने के लिये अल्लाह तआला की कुदरत देखिये के वह इस खारे पानी को भाप बना कर बादलों के जरिये उठाता है। फिर उस को मीठा कर के बारिश बरसा देता है। जिससे इन्सान, तमाम जानदार और खेतीबाडी सैराब हो जाती है। 

इस तरह बादलों के जरिये खारेपानी को मीठा बना कर बारिश बरसाना अल्लाह की अजीम कुदरत है।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

नमाज़े गुनाहों को मिटा देती हैं

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा से पूछा:

“अगर किसी के दरवाजे पर एक नहर हो और उसमें वह हर रोज़ पाँच बार गुस्ल किया करे, तो क्या उसका कुछ मैल बाकी रह सकता है? सहाबा ने अर्ज किया  के कुछ भी मैल न रहेगा।”

आप (ﷺ) ने फर्माया के :

यही हालत है पाँचों वक्त की नमाज़ों की, के अल्लाह तआला उनके सब बगुनाों को मिटा देता है।”

📕 बुखारी: ५२८, अन अबी हुरैरह (र.अ)


4. एक सुन्नत के बारे में

ज़मीन पर बैठ कर खाना

हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते है के:

“आप (ﷺ) जमीन पर बैठते और जमीन पर (बैठ कर) खाते थे।

📕 तबरानी कबीर : १२३३५


5. एक अहेम अमल की फजीलत

कुरआन पढ़ना और उस पर अमल करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिसने कुरआन पढ़ा और उसके हुक्मों पर अमल किया, तो उसके माँ बाप को कयामत के दिन ऐसा ताज पहनाया जाएगा, जिस की रोशनी आफताब की रोशनी सभा ज्यादा होगी, अगर वह आफताब तुम्हारे घरों में मौजूद हो।”

📕 अबू दाऊद : १४५३


6. एक गुनाह के बारे में

किसी मुसलमान की ग़ीबत और बेइज्जती की सजा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जिस ने किसी मुसलमान (की गीबत की और उस की ग़ीबत) के बदले में एक लुक्मा भी खाया, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उस को एक लुक्मा जहन्नम से खिलाएगा और जिस ने किसी (मुसलमान की बेइज्जती की और उस) के बदले में उस को कपड़ा पहनने को मिला, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उस को उसी कद्र जहन्नम से पहनाएंगा।”

📕 अबू दाऊद : ४८८१, अन मुस्तरिद (र.अ)


7. दुनिया के बारे में

दुनियादार का घर और माल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“दुनिया उस शख्स का घर है, जिसका (आखिरत में) कोई घर नहीं हो और (दुनिया) उस शख्स का माल है जिस का आखिरत में कोई माल नहीं और दुनिया के लिये वह शख्स (माल) जमा करता है जो नासमझ है।”

📕 मुस्नदे अहमद: २३८९८, अन आयशा (र.अ)


8. आख़िरत के बारे में

कयामत के दिन मुदों को जिन्दा किया जाएगा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“क्या इन्सान को वह वक़्त मालूम नहीं जब तमाम मुर्दों को जिन्दा कर के खड़ा किया जाएगा और उन तमाम राजों को जाहिर कर दिया जाएगा, जो उनके सीनों में (छुपे हुए) हैं?”

📕 सूरह आदियात: ९ ता


9. तिब्बे नबवी से इलाज

जिस्म के दर्द का इलाज

हजरत उस्मान बिन अबिल आस (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हो कर अपने जिस्म के दर्द को बताया तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : जहां दर्द होता हो वहां हाथ रख कर तीन बार “बिस्मिल्लाह” और सात मर्तबा यह दुआ पढ़ो:

( أَعُوذُ بِاللَّهِ وَقُدْرَتِهِ مِنْ شَرِّ مَا أَجِدُ وَأُحَاذِرُ )

“A’udhu Billahi Wa Qudratihi Min Sharri Ma Ajidu Wa Uhadhiru”

तर्जमा: मैं अल्लाह और उस की कुदरत की पनाह चाहता हुँ उस तकलीफ़ से जो मुझे पहुँची है और जिस से मैं डरता हुँ। चुनान्चे उन सहाबी ने जब यह कलिमात कहे तो उन का दर्द खत्म हो गया फिर वह सहाबी अपने घर वालों और दूसरे जरुरतमंदों को हमेशा इन कलिमात की तलकीन करते रहते थे।

📕 मुस्लिम: ५७३७, अन उस्मान बिन अबिल आस (र.अ)


10. कुरआन की नसीहत

अल्लाह के रास्ते में खर्च किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“तुम लोग अल्लाह के रास्ते में खर्च किया करो अपने आप को अपने हाथों से हलाकत में न डालो और खुलूस से काम किया करो, क्योंकि अल्लाह तआला! अच्छी तरह अमल करने वालों को पसन्द करता है।”

📕 सूरह बकरह: १९५

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29. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/29-muharram/ https://ummat-e-nabi.com/29-muharram/#respond Sat, 27 Aug 2022 02:30:00 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=40420 29 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsaइस्लामी तारीख : कौमे लूत पर अजाब, कुदरत : दरख्तों के पत्तों के फायदे, एक फर्ज : दीन में नमाज़ की अहेमियत, गरीब व मिस्कीन से मुलाकात करना, क़यामत के दिन सब से बदहाल शख्स ...

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29. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
29 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

कौमे लूत पर अजाब

अल्लाह तआला ने हजरत लूत (अ.स) को अहले सदूम की हिदायत व इस्लाह के लिये नबी बना कर भेजा। यह लोग बड़े सरकश व नाफर्मान और गुनहगार थे, औरतों के बजाए मर्दों से ख्वाहिश पूरी करना, बाहर से आने वाले ताजिरों का माल हीले बहाने कर के लूट लेना और भरी मज्लिस में खुल्लम खुल्ला गुनाह करना उन की फितरत बन गई थीं। 

हज़रत लूत (अ.स) ने उन को तमाम बुराइयों और गुनाहों से बचने की नसीहत फर्माई, अल्लाह तआला का दीन कबूल करने की दावत दी और उसके अज़ाब से डरने का हुक्म दिया, मगर उन की इस दावत व नसीहत का कौम पर कोई असर नहीं हुआ।

और गुनाहों से बाज रहने के बजाए, आप को पत्थर मार कर बस्ती से बाहर निकाल देने के धमकी देने लगे और मजाक करते हुए अज़ाबे इलाही का मुतालबा करने लगे। 

हजरत लूत के बार बार समझाने के बावजूद वह अपनी जिद और हटधर्मी से बाज नहीं आए, तो अल्लाह तआला ने उस नापाक कौम को दुनिया से मिटाने के लिये अज़ाब के फरिश्तों को भेज दिया।

हजरत लूत (अ.स) फरिश्तों के इशारे पर अपने घरवालों और ईमान वालों को लेकर सिन नामी बस्ती में चले गए और सुबह होते ही एक भयानक और जोरदार चींख ने सारे शहर वालों को हलाक कर दिया। फिर हजरत जिब्रईलने उस बस्ती को आस्मान की तरफ उठाकर जमीन पर पटख दिया और ऊपर से पत्थरों की बारिश कर के पूरी कौम को अज़ाबे इलाही से हलाक कर दिया।

तफ्सील में पढ़े: कौमे लूत पर अल्लाह का अजाब

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

दरख्तों के पत्तों के फायदे

अल्लाह तआला ने हजारों किस्म के दरख्त पैदा फर्माए जिन पर बेशुमार पत्ते होते हैं। उनके बहुत सारे फायदे हैं। यह पत्ते हमारे लिये ताज़ा और सेहत मन्द ऑक्सीजन बनाते हैं और जहरीली गैस अपने अन्दर जज्ब करते रहते हैं।

अगर अल्लाह तआला उन पत्तों में यह सलाहियत पैदा न करते, तो फ़ज़ा में जहरीली गैस फैल जाती। जिस के नतीजे में इन्सानों को बहुत सी बीमारियाँ लाहिक़ हो जाती और इन्सानों का जीना मुश्किल हो जाता।

अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत से दरख्तों के उन पत्तों को बना कर हम पर बहुत बड़ा एहसान किया है। वाकई वह अपने बन्दों पर बड़ा मेहरबान है।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

दीन में नमाज़ की अहेमियत

एक शख्स ने आप (ﷺ) से अर्ज किया : 

“ऐ अल्लाह के रसूल! इस्लाम में अल्लाह के नज़दीक सब से जियादा पसन्दीदा अमल क्या है?”

आप (ﷺ) ने फर्माया :

“नमाज को उस के वक़्त पर अदा करना और जो शख्स नमाज़ को (जान बूझ कर) छोड़ दे उस का कोई दीन नहीं है और नमाज़ दीन का सुतन।”

📕 बैहकी फी शुअबिल ईमान: २६८३, अन उमर (र.अ)


4. एक सुन्नत के बारे में

गरीब व मिस्कीन से मुलाकात करना

हज़रत सहल बिन हुनैफ (र.अ) कहते हैं के:

आप (ﷺ) कमजोर गुरबा मुस्लिमीन से मुलाक़ात फरमाते, उनमें कोई बीमार पड़ जाता तो, उन की इयादत करते और उन के जनाजे में हाजिर होते थे।

📕 मुस्तदरक हाकिम : ३७३५


5. एक अहेम अमल की फजीलत

तीन अहेम खस्लतें

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस आदमी में तीन चीजें होंगी, अल्लाह तआला उस को अपनी रहमत में ले लेगा।
(१) कमज़ोरों के साथ नर्मी करना (२) वालिदैन के साथ मेहरबानी करना (३) गुलामों के साथ एहसान करना।”

📕 तिर्मिज़ी : २४९४, अन जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

क़यामत के दिन सब से बदहाल शख्स

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“कयामत के दिन सबसे बुरे हाल में उस आदमी को पाओगे जो कुछ के पास जाता है, तो उसकी बात का रूख और होता है (और) जब उनके मुकाबिल के पास आता है तो दूसरी किस्म की बात करता है।”

📕 मुस्लिम: ६४५४, अन अबी हुरैरह (र.अ)


7. दुनिया के बारे में

सहाबा की दुनिया से बेजारी

हजरत अबू हुरैरह (र.अ) कुछ लोगों के पास से गुजरे, जिन के हाथों में भूनी हुई बकरी थी, उन लोगों ने हजरत अबू हुरैरह (र.अ) को (खाने के लिये बुलाया) तो उन्होने इन्कार कर दिया और कहा के रसुलल्लाह (ﷺ) इसी हाल में दुनिया से चले गए के जौ की रोटी भी पेटभर कभी नहीं खाई।

📕 बुखारी : ५४१४


8. आख़िरत के बारे में

जहन्नम का गुस्सा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जब जहन्नमी लोग जहन्नम में डाले जाएंगे, तो उसकी खौफनाक आवाज़ सुनेंगे और वह ऐसी भड़क रही होगी के (गोया) गुस्से के मारे फट जाएगी।”

📕 सूरह मुल्क : ७ ता ८


9. तिब्बे नबवी से इलाज

सफरजल (Pear) से दिल का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“सफरजल (बही) खाओ क्योंकि यह दिल को राहत व कुवत पहुँचाता है।”

📕 कन्जुल उम्माल: २८२५६


10. कुरआन की नसीहत

अल्लाह तआला हर चीज़ का हिसाब लेगा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“जब तुम को कोई सलाम करे, तो तुम उस से अच्छे अलफाज़ में सलाम करो (यानी उस का जवाब दो) या वैसे ही अलफाज कह दो, बिला शुबा अल्लाह तआला हर चीज़ का हिसाब लेगा।”

📕 सूरह निसा : ८६

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26. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/26-muharram/ https://ummat-e-nabi.com/26-muharram/#respond Wed, 24 Aug 2022 02:30:00 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=40377 26 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsaहज़रत इस्हाक़ (अ.स) की खुसूसियत व अज़मत, मुअजिजा : हज़रत फातिमा (र.अ) के चेहरे का रोशन हो जाना, एक फ़र्ज़ : तमाम रसूलों पर ईमान लाना, एक सुन्नत : कनाअत और सब्र हासिल करने की दुआ, अहेम अमल : तकलीफों पर सब्र करना, नाप तौल में कमी करने का गुनाह ...

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26. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
26 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हज़रत इस्हाक़ (अ.स) की खुसूसियत व अज़मत

हजरत इस्हाक़ (अ.स) अल्लाह तआला के जलीलुलकद्र नबी और बहुत सारी सिफात के मालिक थे। क़ुरआने करीम ने उन की नेकी व शराफत, नुबुव्वत व रहमत और बूलंदी व अजमत की शहादत दी है। उन्हें यह फजीलत व खुसूसियत हासिल है के बनी इस्राईल के सारे अम्बिया उन्हीं की नस्ल से हैं। 

तारीख से मालूम होता है के तकरीबन साढ़े तीन हजार अम्बिया उन की नस्ल में पैदा हुए हैं। उसके साथ “मस्जिदे अक्सा” जैसी अजीमुश्शान मस्जिद की तामीर का शर्फ भी उन्हीं को हासिल है। 

अल्लाह तआला ने उन के फज़ल व कमाल का तजकेरा करते हुए फर्माया : 

“हमने हजरत इब्राहीम को हजरत इस्हाक (की विलादत) की बशारत दी के वह नबी नेक बन्दों में होंगे और हमने उन पर और इस्हाक़ पर बरकतें नाजिल फ़रमाई।” [सूरह साफ्फात: ११२ ता ११३] 

उन की पैदाइश सरज़मीने इराक़ में हुई मगर पूरी जिन्दगी मुल्के शाम में रहे और एक सौ साठ साल या एक सौ अस्सी साल की उम्र में वफात पाई और अपने वालिदे मोहतरम के बराबर में “मदीनतुल खलील” में दफ्न हुए।

और भी पढ़े :
हज़रत इसहाक अलैहि सलाम | कसक उल अम्बिया 

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

हज़रत फातिमा (र.अ) के चेहरे का रोशन हो जाना

एक मर्तबा हजरत फातिमा (र.अ) आप के पास तशरीफ लाईं और भूक की वजह से उन का चेहरा पीला हो रहा था। आप (ﷺ) ने हाथ उठा कर उनके लिये दुआ कर दी। हजरत इमरान (र.अ) कहते हैं के मैं ने देखा हज़रत फातिमा (र.अ) का चेहरा सुर्ख और रौशन हो गया। (यह वाकिआ पर्दे की आयत नाजिल होने हो से पहले का है।)

📕 बैहक़ी फी दलाइलिन्नुबुव्वहः २३५३, अन इमरान बिन हुसैन (र.अ)


3. एक फर्ज के बारे में

तमाम रसूलों पर ईमान लाना

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“जो लोग अल्लाह तआला पर ईमान रखते हैं और उसके रसूलों पर भी और उन में से किसी में फर्क नहीं करते, उन लोगों को अल्लाह तआला जरुर उन का सवाब देगा और अल्लाह तआला बड़े मगफिरत वाला हैं, बड़ी रहमत वाला हैं।”

📕 सूरह निसा : १५२

खुलासा: अल्लाह तआला ने इन्सानों की हिदायत और रहनुमाई के लिए जितने नबी और रसूल भेजे हैं, उन सब पर ईमान लाना फ़र्ज है।


4. एक सुन्नत के बारे में

कनाअत और सब्र हासिल करने की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) कनाअत के लिये यह दुआ फर्माते: 

( तर्जमा : ऐ अल्लाह ! तूने जो रिज्क मुझे दिया है, उस पर सब्र व कनाअत अता फर्मा और उस में मेरे लिये बरकत अता फर्मा। )

📕 मुस्तदरक : १८७८, अन इब्ने अब्बास (र.अ)


5. एक अहेम अमल की फजीलत

तकलीफों पर सब्र करना

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“वह मुसलमान जो लोगों के साथ मेल जोल रखता है और उन से पहुंचने वाली तक्लीफों पर सब्र करता है, उस मुसलमान से अफज़ल है जो लोगों के साथ मेल जोल नहीं रखता और न ही सब्र करता है।”

📕 तिर्मिज़ी : २५०७, अन इब्ने उमर (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

नाप तौल में कमी करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“बड़ी बरबादी है नाप तौल में कमी करने वालों के लिये के। जब लोगों से (कोई चीज़) नाप कर लेते हैं, तो पूरा भर कर लेते हैं और जब लोगों को (कोई चीज़) पैमाने से नाप कर या वजन करके देते हैं तो (उस में कमी) कर देते हैं।”

📕 सूरह मुत़फ़्फ़िफ़ीन: १ ता ३


7. दुनिया के बारे में

दुनिया की मुहब्बत

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“यह लोग दुनिया से मुहब्बत रखते हैं और अपने आगे आने वाले एक भारी दिन को छोड़ बैठे हैं।”
(यानी दुनिया की मुहब्बत ने ऐसा अंधा कर रखा है, के कयामत के दिन की न तो कोई फिक्र है और न ही कोई तय्यारी है : हालांके दुनिया में आने का मकसद ही आखिरत के लिये तय्यारी करना है।)”

📕 सूरह दहर : २७


8. आख़िरत के बारे में

कब्र से इन्सान किस हाल में उठेगा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

“हर बन्दा क़ब्र में उसी हालत में उठाया जाता है, जिस हालत में उस का इन्तेक़ाल होता है, मोमिन अपने ईमान पर और मुनाफिक अपने निफाक़ पर उठाया जाता है।”

📕 मुस्नदे अहमद : १४३१२, अन जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

खजूर से पसली के दर्द का इलाज 

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“खजूर खाने से कोलंज नहीं होता है।”

📕 कन्जुल उम्माल : २८१९१, अन अबी हुरैरह (र.अ)

फायदा: पस्ली के नीचे होने वाले दर्द को कौलंज कहा जाता है। 


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

इस तरह से सलाम करे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जब तुम में से कोई अपने भाई से मुलाकात करे तो इस तरह सलाम करे।”

 “अस्सलामु अलैयकुम व रहमतुल्लाहि व बरकतहु”

तर्जुमा : अल्लाह तआला की तुमपर रेहमते और बरकते हो। 

📕 तिर्मिज़ी: २०२१

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Khana khilao aur Salaam ko Aam karo https://ummat-e-nabi.com/khana-khilao-aur-salaam-ko-aam-karo/ https://ummat-e-nabi.com/khana-khilao-aur-salaam-ko-aam-karo/#respond Tue, 05 Oct 2021 18:30:00 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=35504 Khana khilao aur Salaam ko Aam karoHadees Of The Day Khana khilao aur Salaam ko Aam karo Allah ke Rasool (ﷺ) ne farmaya ke – “Tum Khana khilao aur har shakhs ko Salaam karo chahe tum […]

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Hadees Of The Day

Khana khilao aur Salaam ko Aam karo

Allah ke Rasool (ﷺ) ne farmaya ke –

“Tum Khana khilao aur har shakhs ko Salaam karo chahe tum usey jante ho ya nahi jante ho.”

📕 Sahih Bukhari: 28

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Jisne Quran Hadees ke Khilaf Apni Raay Rakhi woh Gumrah hua… https://ummat-e-nabi.com/wo-khuli-gumraahi-me-jaa-fansa/ https://ummat-e-nabi.com/wo-khuli-gumraahi-me-jaa-fansa/#respond Thu, 30 Sep 2021 04:36:54 +0000 https://ummat-e-nabi.com/wo-khuli-gumraahi-me-jaa-fansa/ Hadees: Apne Darmiyan Salam ko Failao۞ Bismillah-Hirrahman-Nirrahim ۞ Allah aur Uskey Rasool (ﷺ) ki Nafarmani Kis tarha Gumrahi Laati hai Iskey Talluk Rabbul Izzat Ek Aayat me bayan farmata hai ke – Kisi Momin Mard […]

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۞ Bismillah-Hirrahman-Nirrahim ۞

Allah aur Uskey Rasool (ﷺ) ki Nafarmani Kis tarha Gumrahi Laati hai Iskey Talluk Rabbul Izzat Ek Aayat me bayan farmata hai ke –

Kisi Momin Mard aur Momin Aurat ke Liye Jayaz nahi ke Jab Allah aur Uskey Rasool koi Baat ka Faisla kar de Unmey tou Wo kisi Kism ki Apni Raay Rakhe Uss Faisley me. Agar Jisne aisa kiya ke Allah aur Uske Rasool ka Faisla Aaney ke baad Apni Raay Rakhi woh Khuli Gumraahi me jaa fansa.

(Al-Quran; Surah Ahzab 33:36)

Tou Iss Aayat me Allah Rabbul Izzat ne Wajahat farma di ke –
“Allah aur Uskey Rasool ki Baat ko Chorna, Sunnat ko Tarq karna Jayaz nahi hai aur Jo aisa kare wo khuli Gumraahi me ja fansa.”

Lekin Aaj kitni baar aisa hota hai ke Sunnat-e-Rasool ko tarq karna tou humara Shaiwa ban gaya hai.

Jaise Rasool’Allah (ﷺ) Jamia Tirmizi ki riwayat me farmatey hai ke “Apne Momin Bhaiyo ko Salaam kiya karo.”

*Lekin humara mu’amla tou ye hai ke “Humse Hat-Kar Jiska Aqeeda ho! Aiso ko hum Salaam nahi karenge.”

Kyunki humare Falah aur Falah Saahab ne Fatwa jo diya hai … SubhanAllah.

Tou Goya aise Fatwo ki Ahmiyat humare liye Allah aur uskey Rasool ke Huqm se bhi badhkar ho gayi. (Maz’Allah! Summa Maz’Allah)

*Thoda tou Gour-o-Fiqr karo mere Azeezo!
“Jo Deen Dushmano se bhi Mohabbat karne ki Taalimat deta ho,
Wo kaise Apne Momin Bhaiyo me Nafrat ke Beez Boyega ? “

Yakinan wo Mafadparast Log hi hongey Jo Ummat me Inteshar Failane ka kaam karenge ..

*Warna hum Uss Nabi ke Ummati hai “Jo Tamam Aalam ke liye Rehamt hai.”

Tou Beharhaal! Allah ke liye baat ko Samjhey, Haalat aur Mouke ki Nazakat ko Samjhey..

“Mafadparast log chah rahe hai ke Hum alag ho aur Hum Wakay me Harkatey kar ke bata rahe hai ke Hum Alag hai …”


Allah Ta’ala hume Tamam Kism ki Gustakhiyo se bachaye,
*Mafadparasto ke fitno se humare imaan ki salamti ata farmaye,
*Jab tak hume Zinda rakhey Islam aur Imaan par Zinda rakhey,
*Khatma Humara Imaan par ho,

!!! Wa Akhiru Dawana Anilhamdulillahe Rabbil A’lameen !!!

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Islam me Behtareen Amal kya hai? https://ummat-e-nabi.com/islam-me-behtareen-amal-kya-hai/ https://ummat-e-nabi.com/islam-me-behtareen-amal-kya-hai/#respond Sat, 03 Jul 2021 17:15:21 +0000 https://ummat-e-nabi.com/islam-ki-konsi-khaslat-behtar-hai/ Logon ko khana khilao aur salam karoIslam me Behtareen Amal kya hai ? ۞ Hadees: Abdullah Bin Amr (R.A.) se riwayat hai ke, Rasool’Allah (ﷺ) ne farmaya: “(Islam me Behtareen Cheez yeh hai ke) Tum Logo […]

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Islam me Behtareen Amal kya hai ?

۞ Hadees: Abdullah Bin Amr (R.A.) se riwayat hai ke,
Rasool’Allah (ﷺ) ne farmaya:

“(Islam me Behtareen Cheez yeh hai ke) Tum Logo ko Khana Khilao
aur Jaan-Pehchan wale aur Gair Jaan pehchan wale har Ek se Salaam karo.”

📕 Sahih al-Bukhari 6236


—- हिंदी —

۞ हदिस: अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ.) से रिवायत है के,
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“(इस्लाम में बेहतरीन चीज यह है के) तुम लोगो को खाना ख़िलाओ और
जान-पहचान वाले और गैर जान-पहचान वाले हर एक से सलाम कर करो।”

📕 सहीह अल बुखारी ६२३६


English ——

۞ Hadith: Narrated ‘Abdullah bin ‘Amr: A man asked the Prophet,

“What Islamic traits are the best?” The Prophet (ﷺ) said,
“Feed the people, and greet those whom
you know and those whom you do not know.”

📕 Sahih al-Bukhari 6236

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Salaam Me Pehal Karne Wala Ghamand Se Paak … https://ummat-e-nabi.com/salaam-me-pehal-karne-wala-ghamand-se-paak/ https://ummat-e-nabi.com/salaam-me-pehal-karne-wala-ghamand-se-paak/#respond Tue, 20 Oct 2015 18:30:00 +0000 https://ummat-e-nabi.com/salaam-me-pehal-karne-wala-ghamand-se-paak/ ♥ Mafhoom-e-Hadees: Rasool’Allah (Sallallahu Alaihay Wasallam) Farmatey Hai ke – “Salaam Me Pehal Karne Wala Ghamand Se Paak Hai”. – (Mishkat Sharif, Jild 2, Page-684, Hadees-4434) *Hiqmat: Yaad Rakhiye Ek […]

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♥ Mafhoom-e-Hadees: Rasool’Allah (Sallallahu Alaihay Wasallam) Farmatey Hai ke –
“Salaam Me Pehal Karne Wala Ghamand Se Paak Hai”.
– (Mishkat Sharif, Jild 2, Page-684, Hadees-4434)

*Hiqmat: Yaad Rakhiye Ek Ghamandi Insan Hi Dusro Ko Apne Se Kamtar Samjhta Hai ,..
Isiliye Wo Logon Se Dua Salam Karne ke Bajaye Ummid Karta Hai Ke Log Uss Se Dua Salam Me Pehal Kare ,..

*Aur Afsos Ki Baat Hai ! Aaj Musalmano Me Chand Fikri Ikhtelaf Ki Buniyad Par
Dua Salam Na Karne Ki Talim Di Jaati Hai ,.. Goya Ummat Me Intehar Failaya Jaa Raha Hai ,…
Ke Salam Mat Karo Aur Naa Hi Salam Ka Jawab Do ,.. (Subhan’Allah)
Jabki Rasool’Allah ne tou Salam Ko Aam Karne Ki, Salam Me Pehal Karne Ki Talim Di Ummat Ko…
– – – Allah Hum Sabko Hidayat Dey ,..

# Ab Sawal ye Aata Hai Ke
Kya Saqda Dene Wala Aur Allah ki Raah me Shahid Hone Wala Ghamand se Paak nahi hota?
» Tou Yakinan Yaad Rakhiye Sadqa Khairat karna Aur Allah Ki Raah Me Shahid hona Bohot Hi Bada Martba Rakhta hai Allah Ke Nazdeek ,..
– Agar Iss Amal Me Ikhlaas ho Tou Wo Allah ke Nazdeek Qabile Qabul hai,..
– Aur Agar Inme Riya(Showing Off) Shamil Ho Jaye Tou Amal Bekar Hai,..
# Lekin Salam me Pehal Karne Wala Iss Liye Ghamand Se Paak hai
Kyunki Wo Samne Wale Farig Ko Apne Se Kamtar Nahi Samjhta ,..

– Tou Beharhaal Hum Tamam Ko Chahiye Ke –
*Jo bhi Amal Karey Iss Niyat se kare ke Allah ke Nazdeeq Qabil-e-Kabool ho..
*Ikhlaas ke Sath Aur Riya-Wa-Ghamand Se Apni Niyato ko Paak Rakhtey hue Kare ..
Beshaq Zaza Aur Saza Dene Wala Allah Hum Tamam Ki Niyato Se Bakhabar hai,..

♥ In sha’Allah-Ul-Azeez !!!
Allah Ta’ala Hume Kehne Sun’ne Se Jyada Amal Ki Taufiq Dey ,…

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