रसूलुल्लाह (ﷺ) रुकू फरमाते, तो “अपने हाथों को घुटनों पर रखते, ऐसा लगता था जैसे उन को पकड़ रखा हो और दोनों हाथों को थोडा मोड़ कर पहलुओं से अलग रखते थे।”
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- रुकू व सज्दे में उंगलियों को रखने का तरीका रसूलुल्लाह (ﷺ) जब रुकू फ़र्माते तो (हाथों की) उंगलियों को खुली रखते और जब सज्दा फरमाते, तो उंगलियाँ मिला लेते। 📕 तबरानी कबीर: १७४९८
- रुकू व सज्दा अच्छी तरह न करने पर वईद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "बदतरीन चोरी करने वाला शख्स वह है जो नमाज़ में से भी चोरी कर ले, सहाबा ने अर्ज किया : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! नमाज़ में से कोई किस तरह चोरी करेगा ? फर्माया : वह रुकू और सज्दा अच्छी तरह से नहीं करता है।"…
- दुआ के वक्त हाथों को उठाना रसूलुल्लाह (ﷺ) दुआ के वक्त हाथों को इतना उठाते थे के आपकी बगल मुबारक जाहिर हो जाती थी। 📕 बूखारी: ६३४१
- बीमार की नमाज़ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "नमाज़ खड़े होकर अदा करो: अगर ताक़त न हो तो बैठ कर अदा करो, और अगर उस पर भी कदरत नहो तो पहलू के बल लेट कर अदा करो।" 📕 बुखारी : १९१७ फायदा : अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने पर…
- नमाजों को सही पढ़ने पर मगफिरत का वादा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "पाँच नमाजें अल्लाह तआला ने फर्ज की हैं, जिस ने उन के लिऐ अच्छी तरह वुजू किया और ठीक वक्त पर उन को पढ़ा और रुकू व सज्दह जैसे करना चाहिये वैस हो किया, तो ऐसे शख्स के लिये अल्लाह तआला का पक्का वादा है,…
- हर महीने के तीन दिन रोजे रखने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "हर महीने तीन दिन के रोजे रखना उम्र भर रोजा रखने जैसा है।" 📕 नसाई : २४१०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
- छह चीजों की जमानत: जब बात करो तो सच बोलो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तुम अपनी तरफ से मुझे छह चीजों की जमानत दे दो मैं तुम्हें जन्नत की जमानत देता हूँ। जब तुम बात करो तो सच बोलो, जब वादा करो तो पूरा करो, जब तुम्हारे पास अमानत रखी जाए तो अमानत अदा करो, अपनी शर्मगाहों की हिफाजत…