Qabr – Ummate Nabi ﷺ https://ummat-e-nabi.com Quran Hadees Quotes Sun, 04 Sep 2022 02:25:10 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.3 https://ummat-e-nabi.com/wp-content/uploads/2023/09/favicon-96x96.png Qabr – Ummate Nabi ﷺ https://ummat-e-nabi.com 32 32 179279570 6. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/6-safar/ https://ummat-e-nabi.com/6-safar/#respond Sun, 04 Sep 2022 02:25:08 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=40503 6 Safar | Sirf Paanch Minute ka Madarsaहजरत शुऐब (अ.स) की दावत और कौम की हलाकत, मुअजिज़ा: कहत साली दूर होना - बारिश का बरसना, अल्लाह ही मदद करने वाला हैं, अच्छे काम करने पर सद्के का सवाब, कुफ्र की सज़ा जहन्नम ...

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6. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
6 Safar | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत शुऐब (अ.स) की दावत और कौम की हलाकत

अल्लाह तआला ने हजरत शुऐब (अ.स) को “अहले मदयन” और “असहाबे ऐका” के पास हिदायत के लिये भेजा, यह कौम शिर्क व बुतपरस्ती में मुब्तला होने के अलावा तिजारती लेनदेन में धोकेबाजी, नाप तौल में कमी, लूट खसूट और डाका जनी में हद से बढ़ गई थी। 

हजरत शुऐब (अ.स) ने उन तमाम बुराइयों से बाज रहने और ईमान व तौहीद कबूल करने की दावत दी, मगर इस नाफ़रमान और मुख्तलिफ गुनाहों में मुब्तेला कौम पर आप की नसीहत का कोई असर नहीं हुआ और पूरी कौम आप को शहर बदर करने और संगसार करने की धमकियों देने लगी और आपकी इबादत व नमाज़ का मजाक उड़ाने लगी। 

फिर भी हजरत शुऐब (अ.स) बराबर उन को समझाते रहे, कौमे लूत और दूसरी नाफर्मान कौमों के बुरे अन्जाम का तजकेरा कर के डराते रहे, मगर यह बदबख्त और नाफरमान कौम ज़िद और हटधर्मी में बढ़ती ही चली गई। 

बिलआखिर अल्लाह तआला ने उनको आसमानी आग और जमीनी जलजले से तबाह व बरबाद कर दिया। 
हजरत शुऐब (अ.स) अहले ईमान को लेकर “हजर मौत” चले गए। और १४० साल की उम्र में वफात पाई।

तफ्सील में पढ़े: हजरत शुऐब अलैहि सलाम | क़सस उल अँबियाँ

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

कहतसाली दूर होना और बारिश का बरसना

हजरत अनस (र.अ) फर्माते हैं :

एक शख्स आहज़रत (ﷺ) के पास आया और कहने लगा : (बारिश न होने की वजह से) जान्वर मर गए और रास्ते बंद हो गए, तो आप (ﷺ) ने दुआ फर्माई : जिस की वजह से मुसलसल एक हफ्ते बारिश होती रही।

वह आदमी अगले जुमा को आकर कहने लगा: या रसूलल्लाह (ﷺ) ! (बारिश ज्यादा होने की वजह से) मकानात गिर गए और रास्ते बंद हो गए और जान्वर मर गए। तो आप (ﷺ) ने मिम्बर पर खड़े हो कर दुआ फर्माई : “ऐ अल्लाह ! टीलों और पहाड़ियों और नालों और दरख्त उगने की जगहों में बरसा।” दुआ करते ही मदीना से बादल छट गया।

📕 बुखारी : १०१६, अन अनस (र.अ)


3. एक फर्ज के बारे में

अल्लाह ही मदद करने वाला हैं

कुरआन मे अल्लाह तआला फर्माता है :

“अल्लाह तआला ही ज़िन्दगी व मौत देता है, अल्लाह तआला के अलावा कोई काम बनाने वाला और मदद करने वाला नहीं है।”

📕 सूरह तौबा :११६

खुलासा: इन बातों पर ईमान लाना और इस का यकीन करना हर एक मुसलमान पर फर्ज है।


4. एक सुन्नत के बारे में

मय्यित को कब्र में रखने की दुआ

रसूलल्लाह (ﷺ) जब मय्यित को कब्र में उतारते तो यह दुआ पढ़ते:

اللہ عزوجل کے نام سے اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے طریقہ پر (اسے دفن کرتا ہوں)۔

तर्जमा: अल्लाह के नाम से और अल्लाह के रसूल की मिल्लत पर (हम दफन करते हैं)।

📕 इब्ने माजा : १५५०, अन इब्ने उमर (र.अ)


5. एक अहेम अमल की फजीलत

अच्छे काम करने पर सद्के का सवाब

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“इन्सान के हर जोड़ पर रोज़ाना एक सदका लाजिम है।
दो शख्सों के दरमियाँन इन्साफ कर देना भी सदक़ा है।

किसी शख्स को जानवर पर सवार करने में या उसके सामान के रखने में मदद कर देना भी सद्का है और अच्छी बात (किसी को बता देना) भी सद्का है।

नमाज़ के लिये उठने वाला हर क़दम भी सद्क़ा है।
रास्ते से तकलीफ देने वाली चीज हटा देना भी सद्का है।”

📕 बुखारी : २९८९, अन अबी हुरैरह (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

कुफ्र की सज़ा जहन्नम है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग कुफ्र करते हैं, तो अलाह तआला के मुकाबले में उनका माल व औलाद कुछ काम नहीं आएगा और ऐसे लोग ही जहन्नम के इंधन होंगे।”

📕 सूरह आले इमरान : १०


7. दुनिया के बारे में

मौत का आना यक़ीनी है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“तुम जहाँ कहीं भी होंगे, तुम को हर हाल में मौत आ पकड़ेगी, चाहे तुम मज़बूत क़िलों में महफूज़ रहो।”

📕 सूरह निसा: ७८


8. आख़िरत के बारे में

कब्र क्या कहती है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

“कब्र रोजाना पुकार कर कहती है : मैं गुर्बत वहशत और कीड़ों का घर हूँ, मैं आग का तन्नूर या जन्नत का बाग़ हूँ।”

📕 बैहकी फी शुअबिल ईमान: ४३०, अन बिलाल बिन सअद (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

तलबीना से इलाज

हज़रत आयशा (र.अ) बीमार के लिए तलबीना तय्यार करने का हुक्म देती थीं
और फर्माती थीं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फ़र्माते हुए सुना :

“तलबीना बीमार के दिल को सुकून पहुँचाता है और रंज व गम को दूर करता है।”

📕 बुखारी: ५६८९, अन आयशा (र.अ)

फायदा: जौ (Barley) को कूट कर दूध में पकाने के बाद मिठास के लिए उस में शहद डाला जाता है, जिसे तलबीना कहते हैं।


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

जब सालन पकाओ तो पड़ोसियों में भी तकसीम करो

हज़रत अबू ज़र (र.अ) फर्माते हैं,
मुझ से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“ऐ अबू जर ! जब तुम सालन पकाओ, तो उस में पानी ज़ियादा कर दो (यानी शोरबा जियादा रखो) अपने पड़ोसियों की खबर रखो और उनमें तक़्सीम करो।”

📕 मुस्लिम: ६६८९, अन अबी जर (र.अ)

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28. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/28-muharram/ https://ummat-e-nabi.com/28-muharram/#respond Fri, 26 Aug 2022 02:30:00 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=40408 28 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsaइस्लामी तारीख : हजरत लूत (अ.स), एक फ़र्ज़ : कजा नमाज़ों की अदाएगी, एक सुन्नत : कब्रस्तान जाने की दुआ, अहेम अमल : तहिय्यतुल वुजू पर जन्नत का इन्आम, नमाज़ में सुस्ती करने का गुनाह ...

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28. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
28 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत लूत (अ.स)

हजरत लूत (अ.स) अल्लाह के मशहूर नबी हैं, उन के वालिद का नाम हारान था, वह हज़रत ईसा (अ.स) से तक़रीबन दो हज़ार साल पहले पैदा हुए, उनका वतन इराक़ का मशहूर शहर “बाबूल” था। वह हज़रत इब्राहीम (अ.स) के भतीजे थे और सबसे पहले उन पर ईमान लाने वाले थे, हज़रत इब्राहीम (अ.स) ने ही बचपन से उनकी तरबियत व परवरिश फ़रमाई। जब हज़रत इब्राहीम (अ.स) ने इराक़ से हिजरत की तो हज़रत लूत भी उस सफर में आप के साथ थे।

मिस्र से वापसी पर हजरत इब्राहीम तो फलस्तीन में मुकीम हो गए, मगर हज़रत लूत हिजरत कर के उरदून (शाम) चले गए, उस इलाके में चंद मील के फासले पर बहरे मय्यित के किनारे सदूम व आमूरा नामी बस्तियाँ आबाद थी। उनके रहने वालों की इस्लाह के लिये अल्लाह तआला ने हज़रत लूत (अ.स) को नबी बना कर भेजा।

और भी पढ़े :
हजरत लूत अलैहि सलाम | कसक उल अम्बिया 

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

बेहोशी से शिफ़ा पाना

हज़रत जाबिर (र.अ) फ़र्माते हैं के एक मर्तबा मैं सख्त बीमार हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) और हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) दोनों हज़रात मेरी इयादत को तशरीफ़ लाए, यहां पहुँच कर देखा के मैं बेहोश हूँ तो आप (ﷺ) ने पानी मंगवाया और उससे वुजू किया और फिर बाकी पानी मुझपर छिड़का, जिससे मुझे इफ़ाका हुआ और मैं अच्छा हो गया।

📕 मुस्लिम: ४१४७, जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ)


3. एक फर्ज के बारे में

कजा नमाज़ों की अदाएगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जो कोई नमाज़ पढ़ना भूल गया या नमाज के वक़्त सोता रह गया, तो (उस का कफ्फारा यह है के) जब याद आजाए उसी वक्त पढ़ ले।”

📕 तिमिजी : १७७, अन अबी कतादा (र.अ)

खुलासा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए या सोने की हालत में नमाज़ का वक़्त गुजर जाए तो बाद में उस को पढ़ना फर्ज है।


4. एक सुन्नत के बारे में

कब्रस्तान जाने की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब कब्रस्तान में जाते तो इस दुआ को पढ़ते थें:

اَلسَّلَامُ عَلَیْکُمْ اَھْلَ الدِّیَارِ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُسْلِمِیْنَ ،وَاِنَّااِنْ شَآئَ اللّٰہُ بِکُمْ لَلاَحِقُوْنَ أَسْأَلُ اللّٰہَ لَنَا وَلَکُمُ الْعَافِیَةَ۔

Assalamualaikum ya ahlad diyaar minal mu’mineena wal muslemeen.wainna insha allahu bikum lahiqoon.asalullahu lana walakumul aafiya.

तर्जमा :ऐ कब्रस्तान में बसने वाले मोमिनो ! तुम पर सलामती हो, हम भी इन्शा अल्लाह तुम से आ मिलने वाले हैं।

📕 अबू दाऊद: ३२३७, अन अबी हरैराह (र.अ)


5. एक अहेम अमल की फजीलत

तहिय्यतुल वुजू पर जन्नत का इन्आम

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जो शख्स अच्छी तरह वुजू करे, फिर दो रकातें पूरी तव्वजोह के साथ अदा करे, तो उस के लिये जन्नत लाज़िम कर दी जाती है।”

📕 मुस्लिम : ५५३, अन उकया बिन आमिर (र.अ)

खुलासा : वुजू के बाद दो रकात नमाज पढ़ने को तहिय्यतुल वुजू कहते हैं।


6. एक गुनाह के बारे में

नमाज़ में सुस्ती करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“ऐसे नमाजियों के लिये बड़ी खराबी है जो अपनी नमाज़ों की तरफ से गफलत व सुस्ती बरतते हैं और जो सिर्फ रिया कारी करते हैं।”

📕 सूरह माऊन ४ ता ६


7. दुनिया के बारे में

माल व दौलत आज़माइश की चीजें हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“(जब अल्लाह तआला) इन्सान को आजमाता है, तो उसको (जाहिरन माल व दौलत दे कर) उसका इकराम करता है तो वह (बतौर फक्र) कहने लगता है, के मेरे रब ने मेरी क़द्र बढ़ा दी।
(हालांके यह उसकी तरफ से उस की आज़माइश का ज़रिया है)

📕 सूरह फज़्र : १५


8. आख़िरत के बारे में

दोज़ख की गर्मी और बदबू की शिद्दत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

“अगर जहन्नम से (आग का) एक डोल जमीन के दर्मियान रख दिया जाए, तो यह मश्रिक और मगरिब के दर्मियान की तमाम चीजों को अपनी बदबू और सख्त गर्मी से दुखी कर दे और जहन्नम के अंगारे में एक शरारा मशरिक में मौजूद हो तो उस की गर्मी मगरिब में रहने वाले को जा पहुँचेगी।”

📕 तबरानी औसत : ३८२३, अन अनस (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

खरबूजा के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“खाने से पहले खरबूजे का इस्तेमाल पेट को बिल्कुल साफ कर देता है और बीमारी को जड़ से खत्म कर देता है।”

📕 इब्ने असाकिर : ६/१०२


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

जब आदमी मजलिस में आए तो सलाम करे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जब आदमी मजलिस में आए तो सलाम करे फिर मज्लिस से पहले उसे उठने की जरूरत पेश आए तो सलाम करे, फिर उठे।”

📕 अल अदबुल मुफरद : १०४७, अन अबी हुरैरह (र.अ)

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26. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/26-muharram/ https://ummat-e-nabi.com/26-muharram/#respond Wed, 24 Aug 2022 02:30:00 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=40377 26 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsaहज़रत इस्हाक़ (अ.स) की खुसूसियत व अज़मत, मुअजिजा : हज़रत फातिमा (र.अ) के चेहरे का रोशन हो जाना, एक फ़र्ज़ : तमाम रसूलों पर ईमान लाना, एक सुन्नत : कनाअत और सब्र हासिल करने की दुआ, अहेम अमल : तकलीफों पर सब्र करना, नाप तौल में कमी करने का गुनाह ...

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26. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
26 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हज़रत इस्हाक़ (अ.स) की खुसूसियत व अज़मत

हजरत इस्हाक़ (अ.स) अल्लाह तआला के जलीलुलकद्र नबी और बहुत सारी सिफात के मालिक थे। क़ुरआने करीम ने उन की नेकी व शराफत, नुबुव्वत व रहमत और बूलंदी व अजमत की शहादत दी है। उन्हें यह फजीलत व खुसूसियत हासिल है के बनी इस्राईल के सारे अम्बिया उन्हीं की नस्ल से हैं। 

तारीख से मालूम होता है के तकरीबन साढ़े तीन हजार अम्बिया उन की नस्ल में पैदा हुए हैं। उसके साथ “मस्जिदे अक्सा” जैसी अजीमुश्शान मस्जिद की तामीर का शर्फ भी उन्हीं को हासिल है। 

अल्लाह तआला ने उन के फज़ल व कमाल का तजकेरा करते हुए फर्माया : 

“हमने हजरत इब्राहीम को हजरत इस्हाक (की विलादत) की बशारत दी के वह नबी नेक बन्दों में होंगे और हमने उन पर और इस्हाक़ पर बरकतें नाजिल फ़रमाई।” [सूरह साफ्फात: ११२ ता ११३] 

उन की पैदाइश सरज़मीने इराक़ में हुई मगर पूरी जिन्दगी मुल्के शाम में रहे और एक सौ साठ साल या एक सौ अस्सी साल की उम्र में वफात पाई और अपने वालिदे मोहतरम के बराबर में “मदीनतुल खलील” में दफ्न हुए।

और भी पढ़े :
हज़रत इसहाक अलैहि सलाम | कसक उल अम्बिया 

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

हज़रत फातिमा (र.अ) के चेहरे का रोशन हो जाना

एक मर्तबा हजरत फातिमा (र.अ) आप के पास तशरीफ लाईं और भूक की वजह से उन का चेहरा पीला हो रहा था। आप (ﷺ) ने हाथ उठा कर उनके लिये दुआ कर दी। हजरत इमरान (र.अ) कहते हैं के मैं ने देखा हज़रत फातिमा (र.अ) का चेहरा सुर्ख और रौशन हो गया। (यह वाकिआ पर्दे की आयत नाजिल होने हो से पहले का है।)

📕 बैहक़ी फी दलाइलिन्नुबुव्वहः २३५३, अन इमरान बिन हुसैन (र.अ)


3. एक फर्ज के बारे में

तमाम रसूलों पर ईमान लाना

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“जो लोग अल्लाह तआला पर ईमान रखते हैं और उसके रसूलों पर भी और उन में से किसी में फर्क नहीं करते, उन लोगों को अल्लाह तआला जरुर उन का सवाब देगा और अल्लाह तआला बड़े मगफिरत वाला हैं, बड़ी रहमत वाला हैं।”

📕 सूरह निसा : १५२

खुलासा: अल्लाह तआला ने इन्सानों की हिदायत और रहनुमाई के लिए जितने नबी और रसूल भेजे हैं, उन सब पर ईमान लाना फ़र्ज है।


4. एक सुन्नत के बारे में

कनाअत और सब्र हासिल करने की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) कनाअत के लिये यह दुआ फर्माते: 

( तर्जमा : ऐ अल्लाह ! तूने जो रिज्क मुझे दिया है, उस पर सब्र व कनाअत अता फर्मा और उस में मेरे लिये बरकत अता फर्मा। )

📕 मुस्तदरक : १८७८, अन इब्ने अब्बास (र.अ)


5. एक अहेम अमल की फजीलत

तकलीफों पर सब्र करना

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“वह मुसलमान जो लोगों के साथ मेल जोल रखता है और उन से पहुंचने वाली तक्लीफों पर सब्र करता है, उस मुसलमान से अफज़ल है जो लोगों के साथ मेल जोल नहीं रखता और न ही सब्र करता है।”

📕 तिर्मिज़ी : २५०७, अन इब्ने उमर (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

नाप तौल में कमी करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“बड़ी बरबादी है नाप तौल में कमी करने वालों के लिये के। जब लोगों से (कोई चीज़) नाप कर लेते हैं, तो पूरा भर कर लेते हैं और जब लोगों को (कोई चीज़) पैमाने से नाप कर या वजन करके देते हैं तो (उस में कमी) कर देते हैं।”

📕 सूरह मुत़फ़्फ़िफ़ीन: १ ता ३


7. दुनिया के बारे में

दुनिया की मुहब्बत

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“यह लोग दुनिया से मुहब्बत रखते हैं और अपने आगे आने वाले एक भारी दिन को छोड़ बैठे हैं।”
(यानी दुनिया की मुहब्बत ने ऐसा अंधा कर रखा है, के कयामत के दिन की न तो कोई फिक्र है और न ही कोई तय्यारी है : हालांके दुनिया में आने का मकसद ही आखिरत के लिये तय्यारी करना है।)”

📕 सूरह दहर : २७


8. आख़िरत के बारे में

कब्र से इन्सान किस हाल में उठेगा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

“हर बन्दा क़ब्र में उसी हालत में उठाया जाता है, जिस हालत में उस का इन्तेक़ाल होता है, मोमिन अपने ईमान पर और मुनाफिक अपने निफाक़ पर उठाया जाता है।”

📕 मुस्नदे अहमद : १४३१२, अन जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

खजूर से पसली के दर्द का इलाज 

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“खजूर खाने से कोलंज नहीं होता है।”

📕 कन्जुल उम्माल : २८१९१, अन अबी हुरैरह (र.अ)

फायदा: पस्ली के नीचे होने वाले दर्द को कौलंज कहा जाता है। 


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

इस तरह से सलाम करे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जब तुम में से कोई अपने भाई से मुलाकात करे तो इस तरह सलाम करे।”

 “अस्सलामु अलैयकुम व रहमतुल्लाहि व बरकतहु”

तर्जुमा : अल्लाह तआला की तुमपर रेहमते और बरकते हो। 

📕 तिर्मिज़ी: २०२१

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14 Zil Hijjah | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/14-zil-hajj/ https://ummat-e-nabi.com/14-zil-hajj/#respond Fri, 15 Jul 2022 02:30:00 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=26894 14 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa(1). अल्लामा अब्दुर्रहमान बिन जौज़ी (रह.), (2). बेहोशी से शिफ़ा पाना, (3). कज़ा नमाज़ों की अदायगी, (4). गुनाहों से बचने की दुआ, (5). मस्जिद की सफाई का इन्आम, (6). कुफ्र की सज़ा जहन्नम है, (7). माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत, (8). कब्र की पुकार, (9). बड़ी बीमारियों से हिफ़ाज़त, (10). जन्नत में दाखिल करने वाले आमाल...

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14. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
14 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

अल्लामा अब्दुर्रहमान बिन जौज़ी (रह.)

छटी सदी हिजरी में अब्दुर्रहमान बिन जौज़ी (रह.) एक बहुत बड़े मुहद्दिस, मोअरिंख, मुसन्निफ और खतीब गुजरे हैं। 

सन ५०८ हिजरी में बगदाद में पैदा हुए, बचपन में बाप का साया सर से उठ गया।

और जब पढ़ने के काबिल हुए तो माँ ने मशहूर मुहदिस इब्ने नासिर (रह.) के हवाले कर दिया और आप ने बड़ी मेहनत और शौक के साथ अपना तालीमी सफ़र शुरु किया।

वह खुद फ़र्माते हैं के मैं छे साल की उम्र में मकतब में दाखिल हआ, बड़ी उम्र के तलबा मेरे हम सबक थे।
मुझे याद नहीं के मैं कभी रास्ते में बच्चों के साथ खेला हूँ या ज़ोर से हंसा हूँ। 

आपको मुताले का बड़ा गहरा शौक था, वह खुद बयान करते हैं के जब कोई
नई किताब पर मेरी नज़र पड़ जाती तो ऐसा मालूम होता के कोई खज़ाना हाथ आ गया। 

आपकी वफात सन ५९७ हिजरी में बगदाद में हुई।

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा

बेहोशी से शिफ़ा पाना

हज़रत जाबिर (र.अ) फ़र्माते हैं के एक मर्तबा मैं सख्त बीमार हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) और
हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) दोनों हज़रात मेरी इयादत को तशरीफ़ लाए।

यहां पहुँच कर देखा के मैं बेहोश हूँ तो आप (ﷺ) ने पानी मंगवाया और उससे वुजू किया

और फिर बाकी पानी मुझपर छिड़का, जिससे मुझे इफ़ाका हुआ और मैं अच्छा हो गया।

📕 मुस्लिम: ४१४७, जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ)


3. एक फर्ज के बारे में

क़ज़ा नमाजों की अदायगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो कोई नमाज पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो (उसका कफ्फारा यह है के) जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।”

📕 तिर्मिज़ी: १७७

फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए या सोने की हालत में नमाज़ का वक़्त गुज़र जाए, तो बाद में उसको पढ़ना फर्ज है।


4. एक सुन्नत के बारे में

गुनाहों से बचने की दुआ

गुनाहों से बचने के लिए यह दुआ पढ़े:

“ऐ अल्लाह ! जबतक मैं जिंदा रहूँ मुझे गुनाहों से बचने की तौफीक अता फर्मा।”

📕 तिर्मिज़ी : ३५७०, इब्ने अब्बास (र.अ)


5. एक अहेम अमल की फजीलत

मस्जिद की सफाई का इन्आम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“जो शख्स मस्जिद का कूड़ा करकट साफ़ करेगा,
अल्लाह तआला उस का घर जन्नत में बनायेगा।”

📕 इब्ने माजा:७५७, अबी सईद (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

कुफ्र की सज़ा जहन्नम है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग कुफ्र करते हैं तो अल्लाह तआला के
मुकाबले में उन का माल और
उन की औलाद कुछ काम नहीं आएगी
और ऐसे लोग ही जहन्नम का इंधन होंगे।”

📕 सूरह आले इमरान : १०


7. दुनिया के बारे में

माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की
एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा
बाकी रहने वाले हैं,
वह आप के रब के नज़दीक सवाब और
बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के
एतेबार से भी बेहतर हैं।”

📕 सूरह कहफ: १८:४६

(लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए
और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)


8. आख़िरत के बारे में

कब्र की पुकार

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“कब्र रोज़ाना पुकार कर कहती है, मैं तन्हाई का घर हूँ,
मैं मिट्टी का घर हूँ, मैं कीड़े मकोड़े का घर हूँ।”

📕 तिर्मिज़ी : २४६०, सईद खुदरी (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

बड़ी बीमारियों से हिफ़ाज़त

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स हर महीने तीन दिन सुबह के वक्त
शहद को चाटेगा तो उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं होगी।”

📕 इब्ने माजा: ३४५०, अबी हुरैरह (र.अ)


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

जन्नत में दाखिल करने वाले आमाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला की इबादत करते रहो,
खाना खिलाते रहो और सलाम फैलाते रहो,
(इन आमाल की वजह से जन्नत में सलामती के साथ
दाखिल हो जाओगे।”

📕 तिर्मिज़ी : १८५५, अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ)

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20 Rabi-ul-Awal | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा https://ummat-e-nabi.com/20-rabi-ul-awal/ https://ummat-e-nabi.com/20-rabi-ul-awal/#respond Wed, 27 Oct 2021 15:58:13 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=36191 20 Rabi-ul-Awal | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसाइस्लामी तारीख: अरबों की अखलाक़ी हालत, सुबह की नमाज अदा करने पर हिफाज़त का जिम्मा, एक सुन्नत: अज़ाबे कब्र से बचने की दुआ, अमल: इंसाफ करने वाले नूर के मिम्बरों पर होंगे, फिजूलखर्ची करने का गुनाह, खाने पीने की चीजों में गौर करने की दावत …

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20 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

अरबों की अखलाक़ी हालत

रसूलुल्लाह (ﷺ) से पहले अरबों की अखलाकी हालत बहुत ज़्यादा बिगड़ चुकी थी। जुल्म व सितम, चोरी व डाका जनी, ज़िनाकारी और बदकारी बिल्कुल आम थी। जुआ खेलने और शराब पीने का रिवाज बहुत ज़्यादा था। बेहयाई और बेशर्मी इस हद तक बढ़ गई थी के खुले आम बुराइयों करके उस पर फ़ख्र किया जाता था।

मामूली मामूली बातों पर लड़ाइयाँ हो जाती और फिर बरसों तक जारी रहती थीं, सूद की नहूसत में पूरा मुआशरा जकड़ा हुआ था। औरतों के साथ इन्तेहाई बेरहमाना सुलूक किया जाता था, उन्हें मीरास में हिस्सा नहीं दिया जाता था और लड़कियों की पैदाइश को अपने लिये ज़िल्लत व रुसवाई का सबब समझ कर बाज़ कबीले वाले अपने ही हाथों ज़िन्दा दफन कर दिया करते थे, कमज़ोरों, यतीमों और बेकसों के साथ बड़ी ना इन्साफी बरती जाती थी और उन के हुकूक को पामाल किया जाता था।

इस तरह की और भी बहुत सी दूसरी बुराइयाँ उनमें रिवाज पा चुकी थीं।

📕 इस्लामी तारीख


2. एक फर्ज के बारे में

सुबह की नमाज अदा करने पर हिफाज़त का जिम्मा

Hadees of the Day

Jisne Subah (Fazr) ki Namaz ada ki wo Allah ke Jimme hai

Allah ke Rasool (ﷺ) ne farmaya :

"Jis Shakhs ne Subah (Fazr) ki Namaz Padhi woh Allah Taala ko Zimmedari (Aman) mein hain."

📕 Sahih Muslim : 657(१४९३)




सुबह की नमाज अदा करने पर हिफाज़त का जिम्मा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस ने सुबह (यानी फज़र) की नमाज़ अदा की, वह अल्लाह की हिफ़ाज़त में है।”

📕 मुस्लिम: १४९३


3. एक सुन्नत के बारे में

अज़ाबे कब्र से बचने की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ कसरत से फ़रमाते थे:

तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मैं अज़ाबे कब्र, अज़ाबे दोजख, ज़िंदगी और मौत के फितने और दज्जाल के फितने से तेरी पनाह चाहता हूँ।

📕 बुखारी: १३७७. अन अबी हुरैरह रज़ि०


4. एक अहेम अमल की फजीलत

इंसाफ करने वाले नूर के मिम्बरों पर होंगे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

"इंसाफ करने वाले अल्लाह तआला के पास नूर के मिम्बरों पर होंगे और यह वह लोग होंगे जो अपनी हुकूमत, अहल व अयाल और रिआया के मुतअल्लिक इन्साफ से काम लेते हैं।"

📕 मुस्लिम:४७२१, अन अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि०


5. एक गुनाह के बारे में

फिजूलखर्ची करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

"ऐ आदम की औलाद! तुम हर मस्जिद की हाज़री के वक्त अच्छा लिबास पहन लिया करो और खाओ पियो और फिजूलखर्ची मत किया करो, बेशक अल्लाह तआला फुजूल खर्ची करने वालों को पसन्द नहीं करता।"

📕 सूरह आराफ़: ३१


6. दुनिया के बारे में

खाने पीने की चीजों में गौर करने की दावत

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है -

"इन्सान को अपने खाने में गौर करना चाहिये के हम ने खूब पानी बरसाया, फिर हम ने अजीब तरीके से जमीन को फाड़ा, फिर हम ने उस ज़मीन में से ग़ल्ला, अंगूर, तरकारी, ज़ैतून और खजूर, घने बाग़, मेवे और चारा पैदा किया। यह सब तुम्हारे और तुम्हारे जानवरों के फायदे के लिये हैं।"

📕 सूरह अबस: २४ ता ३२


7. आख़िरत के बारे में

हूर की खूबसूरती

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

"अगर जन्नत की कोई औरत ज़मीन वालों की तरफ झाँक ले तो ज़मीन व आसमान के दर्मियान की तमाम चीज़ों को रौशन कर दे और उस को खुश्बू से भर दे और उसकी ओढ़नी दुनिया और तमाम चीज़ो से बेहतर है।"

📕 बुखारी: २७९६, अन अनस बिन मालिक रज़ि०


8. तिब्बे नबवी से इलाज

सिरका के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

"सिरका क्या ही बेहतरीन सालन है।"

📕 मुस्लिम: ५३५०, अन आयशा रज़ि०

फायदा : मुहद्दिसीन हज़रात कहते हैं के सिरका तिल्ली के बढ़ने को रोकता है, जिस्म में वरम नहीं होने देता, खाने को हज़म करता है, खून को साफ करता है, फोड़े फुन्सियों को दूर करता है। [अलइलाजुन नबी]


9. नबी (ﷺ) की नसीहत

जमाई / उबासी ले तो अपना हाथ मुंह पर रख ले

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

"जब तुम में से कोई शख्स जमाई / उबासी ले तो उस को अपना हाथ मुंह पर रख लेना चाहिये, क्योंकि (खुले) मुँह में शैतान दाखिल हो जाता है।"

📕 मुस्लिम: ७४९१, अन अबी सईद रज़ि०

[icon name=”info” prefix=”fas”] इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।

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۞ Hadees: Jo Aadmi kisi Musalman ke Aib ko Dekh le aur phir Usey Chhupaye tou isey Allah Ta’ala itna Ziyada Sawaab ata karega https://ummat-e-nabi.com/dusron-ke-aib-chupane-ka-sawaab/ https://ummat-e-nabi.com/dusron-ke-aib-chupane-ka-sawaab/#respond Fri, 24 Jan 2020 04:05:00 +0000 https://ummat-e-nabi.com/dusron-ke-aib-chupane-ka-sawaab/ Aib Chupane ki Fazilat۞ Hadees: Allah ke Rasool (Sallallahu Alaihay Wasallam) Irshad farmatey hai ki, “Jo Aadmi kisi Musalman ke Aib ko Dekh le aur phir Usey Chhupaye tou isey Allah Ta’ala Itna […]

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۞ Hadees: Allah ke Rasool (Sallallahu Alaihay Wasallam) Irshad farmatey hai ki,

“Jo Aadmi kisi Musalman ke Aib ko Dekh le aur phir Usey Chhupaye tou isey Allah Ta’ala Itna Ziyada Sawaab ata karega jaise Zinda dafnayi bacchi ko Qabr se Nikal kar uski Parwarish kare aur uski Zindagi ka Saamaan kar dey.”

📕 Mishkat 2-424

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Aye Kash! Maine Rasool Ka Rasta Apnaya Hota https://ummat-e-nabi.com/rasool-ka-rasta/ https://ummat-e-nabi.com/rasool-ka-rasta/#respond Sun, 31 Jul 2016 18:30:00 +0000 https://ummat-e-nabi.com/rasool-ka-rasta/ Al Quran 25 271♥ Al-Quraan: Bismillah-Hirrahman-Nirrahim !!! Uss Roz Zalim (Afsos Aur Nadamt Se) Apne Hath Kaat Kar Khayega Aur Kahega “Aye Kash! Mai Ne Rasool Ka Rasta Apnaya Hota! Haye Meri Bad-Bakhti […]

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♥ Al-Quraan: Bismillah-Hirrahman-Nirrahim !!!
Uss Roz Zalim (Afsos Aur Nadamt Se) Apne Hath Kaat Kar Khayega Aur Kahega “Aye Kash! Mai Ne Rasool Ka Rasta Apnaya Hota! Haye Meri Bad-Bakhti Ke Kaash Mai Falaa (Gumrah Shaks) Ko Apna Dost Na Banaya Hota…”
– [Surah:Furqan (25) Aayat No:27-28]

*Mere Azeezo ! Iss Ayate Mubarak Me Allah ke Rasool (Sallallahu Alaihay Wasallam) Ke Rastey Se Muraad “Kitabo Sunnat” Ki Pakiza Rehnumayi Hai,..
– Na Ki Kisi Mafadparasto Ka Tareeka Jo Kitabo Sunnat Se Takrata Ho ,..

*Iski Misaale Tou Anginat Hai Lekin Bus 1 Hi Misaal Dene Ki Koshish Karenge Aapko ,..
#‎ Qabrparsti‬ : Allah Ke Nek Bando Ki Qabro Ko Mazaro Me Tabdil Karna Aur Uspar Taraha-Tarha Ki Khurafatey Karna Ye Baaz Moulviyo Ne Deen-e-Islam Se Jod Diya Hai Jiska Qurano Sunnat Me Kahi Bhi Tazkira Nahi Milta, Aur Naa Hi Sahaba Ne Kabhi Kisi Qabr Ko Mazar Me Tabdil Kiya ,.. (Ilaah Ke Baad Ke Zamane me logon Ne Chand Sahaba Ki Qabr par Mazare Banayi) ,.

– Tou Jo Cheez Allah Aur Uske Rasool Ke Farman Me Nahi Milti, Jo Akida Sahaba Ke Aasar Me Kahi Bhi Nazar Nahi Aata Usey Islam Se Jod Kar Aakhir Kya Sabit Karna Chahte Hai Ye Baaz Mafadparast Hazraat ? ..
– Inhi ki Jahalat aur Baddakhlakhi Dekhkar Humare Nadan Gairmuslim Bhai Deen-e-Islam Ki Pakiza Shariyat par, Allah Aur Uske Rasool Ki Taalimat Par Tanz Karte Rehte Hai ,.. “ke Miya tum’me aur hum’me fark hi kya ? tum lete ko pujte ho aur hum khadey ko..” Astagfirullah !

– Aur Jab Koi Aise Mafadparast Moulviyo Se Sawal Karey Tou Munafiko Ki Sifat Apna Kar Gaaliyo Ki Bouchaar Karne Se Bhi Baaz Nahi Aatey Ye Log ,.. Aur Kehte Hai Ke Hum Tou Islam Ka Difa Kar Rahe Hai ,.. (Subhan’Allah!!!)

*Yakinan Difa Tou Kar Rahe Hai! Lekin Islam Ka Nahi, Apne Chando Ke Dhando Ka, Chillam aur Hukka Center ka yaani Dargaaho ki Aad me Hukka Center ka marqaz jo inhone bana rakaha hai ,..
– Aur Ye Baaz Jahil Moulvi Jantey Hai Ke Logo Tak Qurano-Hadees Ki Batey Pohochegi Tou Logon me Shaoor Aajayega Aur Fir Humare Chande Band Ho Jayegene ,.. Lihaja Jitna Ho Sakey Qurano Hadees Ki Baate Karne Walo Se Aam Muslamano Ko Door Hi Rakho, Unhe Apne Masjido Me Bhi Na Aane Do, Hatta Ke Unhe Gustakh-e-Rasool Ka Label Tak Chipka Do ,..
– Ab Jab Koi Gustakhe-Rasool Ke Naam Se Mashhoor Ho Jayega Tou Kya Koi Khakh Uski Baat Sunega ? …

*Samjhdaro Ke Liye Is Post Me Bohot Aham Nasihat Hai Mere Azeezo!!! ..
*Lihaja Humari Aap Tamam Se Darkhwast Hai Ke –
– Nafsparsto Ke Fareb Ko Samjhne Ki Koshish Karey ,..
– Aur Jitna Ho Sakey Allah Ke Rasool (Sallallahu Alaihay Wasallam) Ka Rasta Yaani Quraan Aur Hadees Ki Taraf Ruju Karey ,..
– Sahih Ulemaye Deen Se Rafta Qayam karey unki Sohbat iktiyar karey,..
– Apne Aamal Aur Ikhtelaaf Me Allah Aur Uskey Rasool Ko Haakim Banaye ,..
– Zindagi Ke Tamam Shobo Me Rasool-e-Kareem (Sallallahu Alaihay Wasallam) Ka Tareeka Apnaye ,..

♥ In’sha’Allah-Ul-Azeez!!!!
*Allah Ta’ala Hume Kehne Sun’ne Se Jyada Amal Ki Taufik Dey ,..
(Ameen! Allahuma Ameen !!!)

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Murdo Ke Liye Maghfirat Talab Kiya Karo https://ummat-e-nabi.com/murdo-ke-liye-maghfirat-talab-kiya-karo/ https://ummat-e-nabi.com/murdo-ke-liye-maghfirat-talab-kiya-karo/#respond Wed, 03 Dec 2014 18:30:00 +0000 https://ummat-e-nabi.com/murdo-ke-liye-maghfirat-talab-kiya-karo/ ♥ Mafhoom-e-Hadees: Nabi-e-Kareem (Sallallahu Alaihay Wasallam) Jab Kisi Mayyat Ki Tadfin Se Farigh Ho jatey Tou Uski Qabr Ke Paas Ruktey Aur Farmate: “Apne Bhai Ke Liye Maghfirat Talab Karo […]

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♥ Mafhoom-e-Hadees: Nabi-e-Kareem (Sallallahu Alaihay Wasallam) Jab Kisi Mayyat Ki
Tadfin Se Farigh Ho jatey Tou Uski Qabr Ke Paas Ruktey Aur Farmate:
“Apne Bhai Ke Liye Maghfirat Talab Karo
Aur Uske Liye Sabit Qadmi Ki Ilteja Karo,
Kyun Ke Ab Us’sey Sawaal Kiye Jayenge..”

(Sunan Abu Dawood, Hadith No:3221)

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Qabro Ki Ziyarat Mardo Par Halaal Aurto Par Haraam …. https://ummat-e-nabi.com/qabro-ki-ziyarat-mardo-par-halaal/ https://ummat-e-nabi.com/qabro-ki-ziyarat-mardo-par-halaal/#respond Fri, 23 Aug 2013 18:30:00 +0000 https://ummat-e-nabi.com/qabro-ki-ziyarat-mardo-par-halaal/ ♥ Mafhoom-e-Hadees: Abu Hurairah (RaziAllahu Anhu) Se Riwayat Hai Ke, Rasool’Allah (Sallallahu Alaihay Wasallam) Ne Farmaya – “Tum Qabro Ki Ziyarat Kiya Karo Kyunki Wo Tumhey Mout Ki Yaad Dilati […]

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♥ Mafhoom-e-Hadees: Abu Hurairah (RaziAllahu Anhu) Se Riwayat Hai Ke, Rasool’Allah (Sallallahu Alaihay Wasallam) Ne Farmaya –
“Tum Qabro Ki Ziyarat Kiya Karo Kyunki Wo Tumhey Mout Ki Yaad Dilati Hain”
(Sahih Muslim, Vol2, 2259)

♥ Mafhoom-e-Hadees: Buraida (RaziAllahu Anhu) Se Riwayat Hai Ki Rasool’Allah (Sallallahu Alaihay Wasallam) Ne Farmaya –
“Mainey Tumhey Mana Kiya Tha Qabro Ki Ziyarat Karney Se Lekin Ab Tum Ziyarat Karo Unki”.
(Sahih Muslim, Vol5, 5114)

♥ Mafhoom-e-Hadees: Abu Hurairah (RaziAllahu Anhu) Se Riwayat Hai Ki, Rasool’Allah (Sallallahu Alaihay Wasallam) Ne Farmaya –
“Qabro Ki Ziyarat Karo Kyunki Ye Tumhey Aakhirat Ki Yaad Dilati Hain”.
Sunan Ibn Majah, Vol 1, 1569 (Sahih)

♥ Mafhoom-e-Hadees: Abdullah Ibn Abbas (RaziAllahu Anhuma) Se Riwayat Hai Ki,
“Rasool’Allah (Sallallahu Alaihay Wasallam) Ne Qabro Ki Ziyarat Karney Waali Aurton Par Lanat Farmayee Hai
Aur Isi Tarah Qabron Par Masjid Bananey Walo
Aur Uss Par Chirag Karney Walon Par Bhi Lanat Farmayee Hai”.
(Sunan Abu Dawud, Vol 2, 1459)

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