रसूलुल्लाह (ﷺ) इस दुआ को पढ़ कर कुफ्र और फक्र से पनाह मांगते:
तर्जमा : ऐ अल्लाह ! मैं कुफ्र,फक्र व फाका और कब्र के अज़ाब से तेरी पनाह चाहता हूँ।
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- मोहताजगी व जिल्लत से पनाह माँगना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : फक्र व मोहताजगी और जिल्लत से इस तरह पनाह माँगा करो : "हम अल्लाह की पनाह चाहते हैं, फक्र व फाका और जिल्लत से और इससे के हम किसी पर जुल्म करें, या हम पर कोई जुल्म करे।" 📕 इब्ने माजा : ३८४२
- नफा न पहुँचाने वाली नमाज़ से पनाह मांगना हजरत अनस (र.अ) का बयान है के रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थे : तर्जुमा : ऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह चाहता है उस नमाज से जो नफा न पहुँचाती हो। 📕 अबू दावूद १५४१
- इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से अल्लाह… रसूलुल्लाह (ﷺ) अक्सर यह दुआ किया करते थे : तर्जमा: “ऐ अल्लाह ! मैं आपस के इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से तेरी पनाह चाहता हूँ।” 📕अबू दाऊद : १५४६
- कर्जो और ग़मों से नजात की दुआ रसूलल्लाह (ﷺ) ने कर्ज़ों और ग़मों से छुटकारे के लिये सुबह व शाम यह दुआ पढ़ने के लिये फर्माया : "Allahumma inni a’udhu bika minal-hammi wal hazan, wa a’udhu bika minal-‘ajzi wal-kasal wa a’udhu bika minal-jubni wal-bukhul wa a’udhu bika min ghalabatid-dayn wa qahrir-rijal." तर्जुमा: ए अल्लाह मैं पनाह चाहता…
- नफ़्स की बुराई से पनाह माँगने की दुआ रसूलल्लाह (ﷺ) ने हजरत इमरान बिन हुसैन (र.अ) के वालिद को यह दुआ सिखाई: तर्जमा: ऐ अल्लाह! मेरे दिल में भलाई डाल दे और मेरे नफ़्स की बुराई से मुझे बचा दे। 📕 तिर्मिज़ी: ३४८३
- नमाज़ छोड़ने पर वईद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "नमाज का छोड़ना मुसलमान को कुफ़ व शिर्क तक पहुँचाने वाला है।” 📕 मुस्लिम: २७ "नमाज़ का छोड़ना आदमी को कुफ्र से मिला देता है।" 📕 मुस्लिम : २४६ "ईमान और कुफ्र के दरमियान फर्क करनेवाली चीज़ नमाज़ है।" 📕 इब्ने माजा : १०७८
- मांगने वाले के साथ नर्मी से पेश आना कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : “मांगने वाले को, नर्मी से जवाब दे देना और उस को माफ़ कर देना उस सदका व खैरात से बेहतर है जिस के बाद तकलीफ़ पहुंचाई जाए। अल्लाह तआला बड़ा बेनियाज़ और गैरतमंद है।” 📕 सूरह बकरह : २६३