Jinn – Ummate Nabi ﷺ https://ummat-e-nabi.com Quran Hadees Quotes Thu, 23 Nov 2023 10:00:14 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.3 https://ummat-e-nabi.com/wp-content/uploads/2023/09/favicon-96x96.png Jinn – Ummate Nabi ﷺ https://ummat-e-nabi.com 32 32 179279570 Islamic Quiz 290 : Quran ko sunkar ye kisne kaha “Humne ek ajeeb Quran suna, jo bhalayi ka raasta batata hai… https://ummat-e-nabi.com/islamic-quiz-290/ Mon, 20 Nov 2023 16:01:40 +0000 https://ummat-e-nabi.com/?p=50640 Islamic Quiz 290 Quran ko sunkar ye kisne kaha ?Quran ko sunkar ye kisne kaha ? “Humne ek ajeeb Quran suna, jo bhalayi ka raasta batata hai, so hum us par imaan le aaye aur hum apne RAB ke saath kisi ko sharik nahi karenge.”

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Islamic Quiz 290 Quran ko sunkar ye kisne kaha ?

Islamic Quiz 290

Quran ko sunkar ye kisne kaha ?
“Humne ek ajeeb Quran suna, jo bhalayi ka raasta batata hai, so hum us par imaan le aaye aur hum apne RAB ke saath kisi ko sharik nahi karenge.”

Options Are 👇

A. Kuffar e Makka ne

B. Farishto ki ek jamaat ne

C. Jinno ki ek jamaat ne

D. Parindo ke ek jhund ne

Get Answer

Sahih jawab hai : Option ( C )

✅ Jinno ki ek jamaat ne

Daleel

Allah Taala Quran me faramata hai:

“(Aye Nabi ﷺ) keh do ki mere paas wahi aayee hai ki jinno ki ek jamaat ne (is Quran ko) suna toh kahne lage ki humne ek ajeeb Quran suna, jo bhalayee ka raasta batata hai, so hum us par imaan le aaye aur hum apne RAB ke saath kisi ko sharik nahi karenge.”

📕 Surah Jinn 72:1-2

तफ़सील में पढ़े :

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भूत, प्रेत, बदरूह की हकीकत https://ummat-e-nabi.com/reality-of-ghost-in-hindi/ https://ummat-e-nabi.com/reality-of-ghost-in-hindi/#respond Mon, 30 Oct 2023 15:42:47 +0000 https://ummat-e-nabi.com/reality-of-ghost-in-hindi/ reality of ghostभूत, प्रेत, बदरूह: ये नाम अकसर इन्सानी ज़हन मे आते ही एक डरावनी और खबायिसी शख्सियत ज़ेहन मे आती हैं क्योकि मौजूदा मिडिया ने इन्सान को इस कदर गुमराह कर रखा हैं के जो नही हैं उसको इतनी खूबसूरती के साथ ये मिडिया वाले पेश करते हैं। ..

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भूत, प्रेत, बदरूह क्या होते है?

भूत, प्रेत, बदरूह: ये नाम अकसर इन्सानी ज़हन मे आते ही एक डरावनी और खबायिसी शख्सियत ज़ेहन मे आती हैं क्योकि मौजूदा मिडिया ने इन्सान को इस कदर गुमराह कर रखा हैं के जो नही हैं उसको इतनी खूबसूरती के साथ ये मिडिया वाले पेश करते हैं के इन्सान जिसकी ताक मे शैतान हमेशा हर राह मे लगा हुआ हैं वो फ़ौरन शैतान के डाले गये इन वसवसो के तहत इन झूठी बातो पर फ़ौरन यकीन कर लेता हैं के ये जो दिखाया जा रहा हैं वो एकदम 100 फ़ीसद सच हैं।

जब कि सच तो सिर्फ़ कुरान और हदीस मे मौजूद हैं जिसे पढ़ने का किसी इन्सान के पास शायद ही वक्त हो।

इस सच पर इन्सान यकीन नही करता। इन्सान की मसरुफ़ियात ने उसे दीन से इतना बेगाना कर रखा हैं के न उसके पास पढ़ने का वक्त हैं न समझने का वक्त हैं। हमारे और दिगर कई मुल्को मे ये अकीदा कायम हैं के इन्सान के साथ-साथ इस दुनिया भूत, प्रेत, बदरूहे भी मौजूद हैं जो इन्सान को अकसर परेशान किया करती हैं और इसका इलाज सिर्फ़ कोई साधू, तांत्रिक और ओझा ही कर सकता हैं।

जबकि कुरान और हदीस से ये साबित हैं के मरने वाला इन्सान चाहे वो दुनिया मे अच्छा था या बुरा वो हमेशा के लिये इस दुनिया से रुखसत हो चुका हैं और उसकी रूह आलमे बरज़ख मे जा चुकी हैं जहा से उसकी वापसी नामुमकिन हैं।

बावजूद इसके लोग ये समझते हैं के हर वो इन्सान जो खुदकुशी करता हैं या किसी का जबरन कत्ल कर दिया जाता हैं या कोई दुश्मनी के तहत मार दिया जाता हैं वगैराह उसकी रूह दुनिया मे वापस आकर अपने कत्ल का इन्तेकाम लेती हैं और इस जैसी और बहुत सी दकियानूसी बाते जो अकसर लोगो की ज़ुबान पर सुनाई देती हैं।

भूत, प्रेत, बदरूह के ताल्लुक से लोगो मे ये अकीदा कायम हैं के वो किसी ज़िन्दा इन्सान पर सवार होकर दूसरे इन्सान को परेशान करती हैं और सवार होने वाले इन्सान को भी और जो रुहे ये करती हैं वो जब बेमौत मरती हैं तभी ऐसा करती हैं।

मौत हर जान के लिये बरहक हैं और क्योकि हर जानदार इसीलिये पैदा होता हैं के उसे मौत आए। जैसा के कुरान से साबित हैं के:

हर जानदार को मौत का मज़ा चखना हैं।

सूरह अल इमरान 3:185

मौत हर जान के लिये हक हैं और उसे आकर रहेगी। इन्सान की मौत का जो तसव्वुर अल्लाह ने कुरान मे ब्यान किया हैं उस पर ज़रा गौर फ़रमाये-

(ऐ रसूल) आप कह दीजिए कि मल्कुलमौत जो तुम्हारे ऊपर तैनात हैं वह तुम्हारी रूहे कब्ज़ करेगा उसके बाद तुम सबके सब अपने रब की तरफ़ लौटाये जाओगे।

सूरह सजदा 32:11

और काश आप देखते जो फ़रिश्ते काफ़िरो की जान निकाल लेते थे और रूह और पुश्त पर कोड़े मारते थे और कहते थे कि अज़ाब जहन्नम के मज़े चखो।

सूरह अनफ़ाल 8:50

तो जब फ़रिश्ते उनकी जान निकालेगे उस वक्त उनका क्या हाल होगा कि उनके चेहरे और उनकी पुश्त पर मारते जायेगे।

सूरह मुहम्मद 47:27

कुरान की ये आयते उन बदनसीबो के लिये हैं जो दुनिया मे अल्लाह के हुक्म की नाफरमानी करेगे और जब उनकी रूहे उनके जिस्म से निकाली जायेगी तो उन्हे निहायत ही तकलीफ़ के साथ उनके जिस्मो से अलग किया जायेगा साथ ही मौत के फ़रिश्ते या रूह कब्ज़(निकालने) करने वाले फ़रिश्ते उनको मारेगे भी जो बहुत ही तकलीफ़देह होगा और ऐसी बदरूहो को सिवाये आज़ाब के और कुछ नही मिलता।

नेक लोगो के ताल्लुक से अल्लाह ने उनकी रूह कब्ज़ करने के ताल्लुक से कुरान मे जो नक्शा खींचा हैं वो इस तरह हैं –

वो लोग जिनकी रूहे फ़रिश्ते इस हालत मे कब्ज़ करते हैं कि वो पाक व पाकीज़ा होते हैं तो फ़रिश्ते उनसे कहते हैं सलामुन अलैकुम(तुम पर सलामती हो) जो नेकिया तुम दुनिया मे करते थे उसके सिले मे जन्नत मे चले जाओ।

सूरह नहल 16:32

और उनको बड़े से बड़ा खौफ़ भी दहशत मे न लायेगा और फ़रिश्ते उन से खुशी-खुशी मुलाकात करेंगे और ये खुशखबरी देंगे कि यही वो तुम्हारा खुशी का दिन हैं जिसका (दुनिया मे) तुमसे वायदा किया गया था।

सूरह अल अंबिया 21:103

कुरान की इन आयतो से अव्वल तो ये मामला साफ़ होता हैं के हर इन्सान को मौत आनी हैं और उसके अच्छे व बुरे अमल के मुताबिक उसे मौत के बाद से ही उसके अमल का बदला मिलने लगता हैं।

किसी इन्सान का नेक और बद होना उसके दुनिया मे किये गये अमल के मुताबिक होता हैं अगर इन्सान अच्छा होता हैं और अच्छे काम दुनिया मे करता हैं तो लोग उसे मरने के बाद भी याद रखते हैं।

ठीक यही मामला बुरे इन्सान के साथ होता हैं जब तक वो ज़िन्दा होता हैं लोग उसकी बुराई से नुकसान उठाते हैं और उसके मर जाने के बाद उसकी बुराई के सबब उसे याद रखते हैं। लेकिन इन तमाम बातो मे अक्ली तौर पे ये बात कही फ़िट नही होती के उनकी रूहे वापस दुनिया मे लौटती हैं।

कुरान करीम इस बात की खुले तौर पर दलील देता हैं –

तो क्या जब जान गले तक पहुंचती हैं और तुम उस वक्त देखते रहो, और हम इस मरने वाले से तुमसे भी ज़्यादा करीब हैं लेकिन तुमको दिखाई नही देता, तो अगर तुम किसी के दबाव मे नही हो, तो अगर सच्चे हो तो रूह को लौटा के दिखाओ। 

सूरह वाकिया 56:83-87

यहा तक के जब उनमे से किसी की मौत आयी तो कहने लगा मेरे रब मुझे वापस लौटा दे, के अपनी छोड़ी हुई दुनिया मे जाकर नेक अमाल कर लूं। हरगिज़ नही होगा, ये तो सिर्फ़ एक कौल हैं जिसका ये कायल हैं, इन के बीच तो बस एक हिजाब (बरजख) हैं दुबारा जी उठने के दिन तक।

सूरह मोमिनून 23:99, 100

कुरान की इन आयत से साबित हैं के रूह दुनिया मे नही लौटा करती बल्कि उनके और कयामत के दिन के दर्म्यान सिर्फ़ एक आड़ हैं जब वो दुबारा ज़िन्दा किये जायेंगे। कुरान की इन खुली दलीलो के बावजूद भी अगर कोई इन्सान ये अकीदा रखे के रूहे जिस्मो मे या किसी दूसरे के ऊपर सवार होती हैं।

क्योकि अल्लाह ने इन्सान के राह-ए-हिदायत और उसके ज़िन्दगी के तमाम मामलात पैदा होने से लेकर मरने तक अब कुरान मे वाजे कर दिया हैं और साथ नबी (सल्लललाहो अलेहे वसल्लम) के ज़रिये ज़ुबानी ये तमाम मामलात साफ़ करके बता दिए गये तो अब इसमे कोई लाइल्मी और शक की कोई गुन्जाईश बाकि नही रहती के लोग खुद कोई अकीदा बना कर उस पर अमल और यकीन करना शुरु कर दे।

बुरे लोगो के ताल्लुक से अल्लाह ने दिगर और फ़रमाया के-

और अब तो कब्र मे दोज़ख की आग हैं कि व लोग सुबह शाम उसके सामने ला खड़े किये जाते हैं और जिस दिन कयामत बरपा होगी फ़िराओन के लोगो को सख्त से सख्त अज़ाब होगा।

सूरह मोमिन 40:46

इस आयत से साबित हैं और दुनिया मे अकसरियत ये जानती हैं फ़िरओन एक ज़ालिम बादशाह था जिसने रब होने का दावा किया था। फ़िरओन और उसके लोग जो कुफ़्र मे उसके साथ थे इन सब पर कब्र मे ज़ाब जारी हैं ।

जैसा के कुरान की आयत से साबित हैं लिहाज़ा बुरे लोगो के ताल्लुक से भी अल्लाह ने फ़रमा दिया के उन पर कब्रो मे ज़ाब जारी हैं

जब बुरे लोगो पर कब्र मे ज़ाब जारी हैं तो फ़िर इन बुरे लोगो की बदरूहे कैसे दुनिया मे वापस आकर लोगो को परेशान कर सकती हैं। जबकि वो खुद अपने मरने के बाद से अब तक और कयामत की सुबह तक कब्र के अज़ाब की परेशानी मे मुब्तला रहेगे।

इन्सान का नेक और बद होना उसके दुनिया के अमल के मुताबिक होता हैं जिसके सबब लोग उसे दुनिया मे उसके ज़िन्दा रहते अच्छा या बुरा जानते हैं अगर इन्सान अच्छा होता हैं तो उसके मरने के बाद कुफ़्र और बदअकीदा लोग उसकी कब्र पर जाकर उससे अपनी हाजते और मन्नते मांगते हैं। जबकि कुरान की रूह से मरने वालो के ताल्लुक से अल्लाह ने कुछ और साफ़ तौर पर बताया हैं –

बेशक न तो तुम मुर्दो को अपनी बात सुना सकते हो और न बहरो को अपनी बात सुना सकते हो जबकि वो पीठ फ़ेर कर भाग खड़े हो।

सूरह नमल 27:80

ऐ रसूल तुम अपनी आवाज़ न मुर्दो को सुना सकते हो और न बहरो को सुना सकते हो जबकि वो पीठ फ़ेर कर चले जाये। 

सूरह रुम 30:52

मुर्दा इन्सान के लिये जो इस दुनिया से रुखसत हो चुका हैं उसके ताल्लुक से अल्लाह ने एक ही बात को दो अलग-अलग जगह दोहराया ताकि जो इन्सान इस दुनिया मे वो इस अहकाम को, इस कुरान को पढ़े और समझे के ज़िन्दा और मुर्दा मे फ़र्क हैं और मुर्दा सुना नही करते।

और अन्धा और आंख वाले बराबर नही हो सकते, और न अन्धेरा और उजाला बराबर हैं, और न छांव और धूप, और न ज़िन्दे और न मुर्दे बराबर हो सकते हैं और अल्लाह जिसे चाहता हैं अच्छी तरह सुना देता हैं और ऐ रसूल तुम उनको नही सुना सकते जो कब्रो मे हैं।

सूरह फ़ातिर 35:19-22

दूसरी जगह फ़रमाया –

लोगो एक मिसाल बयां की जाती हैं उसे कान लगा के सुनो कि अल्लाह को छोड़कर जिन लोगो को तुम पुकारते हो वह लोग अगर सबके सब इस काम के लिये इकठठे भी हो जाये तो भी एक मक्खी तक पैदा नही कर सकते और अगर मक्खी कुछ उनसे छीन ले जाये तो उसको छुड़ा नही सकते। कितना कमज़ोर हैं मांगने वाला और वो जिससे मांगा जा रहा हैं।

सूरह हज 22:73

ये तमाम कुरान की आयते इस बात कि तरफ़ इशारा करती हैं और लोगो के इस अकीदे को नकारती हैं जो भूत, प्रेत, और बदरूहो को मानते हैं। इन्सान चाहे अच्छा हो या बुरा उसकी रूह दुनिया मे उसके मरने के बाद दुबारा नही लौटती क्योकि जो लोग मर गये वो अब बरज़खी दुनिया मे हैं और वह उनके साथ उनके दुनिया मे किये गये अमल के मुताबिक वो सजा या जज़ा पा रहे हैं और ये सजा और जज़ा वो कयामत कायम होने तक उनके साथ जारी रहेगा।

फिर ये भूत, प्रेत कहा से आये:

अब सबसे अहम मसला ये हैं के जब इन्सान की रूह इस दुनिया मे नही लौटती तो ये भूत, प्रेत कहा से आये। इस बारे मे भी कुरान मे अल्लाह ने खोल-खोल के ब्यान किया हैं। इन्सान की लगभग 100 मे से 90 फ़ीसद मामले बेबुनियाद होते जिसे इन्सान भूत, प्रेत या बदरूह का नाम दिया जाता हैं। 10 फ़ीसद मामले जो होते हैं उनकी सच्चाई ये हैं के इन्सान की तरह जिन्न भी अल्लाह की मख्लूक हैं और नबी (सल्लललाहो अलेहे वसल्लम) भी जिन्नो के नबी हैं और तमाम जिन्न कौम भी हम इन्सानो की तरह नबी (सल्लललाहो अलेहे वसल्लम) की उम्मत हैं।

जैसा के कुरान से साबित हैं –

ऐ रसूल कह दो कि मेरे पास वह्यी आयी हैं के जिन्नो की एक जमात ने कुरान सुना तो कहने लगे की हमने एक अजीब कुरान सुना जो भलाई की राह दिखाता हैं तो हम सब उस पर ईमान ले आये और अब तो हम किसी को अपने रब का शरीक न बनाऐगे।

सूरह जिन्न 72:2

लुगत मे हर वो छुपी चीज़ जो इन्सान की आंख से दिखाई न दे जिन्न कहलाती हैं। जिन्न की जमाअ जन्नत हैं और जन्नत को भी इन्सानी आंख से देखा नही जा सकता। अलबत्ता जिन्न को अल्लाह के जानिब से ये इख्तयार हासिल हैं के जिन्न इन्सानो के देख सकते हैं।

जैसा के अल्लाह ने कुरान मे फ़रमाया-

वह और उसका कुन्बा ज़रूर तुम्हे इस तरह देखता रहता हैं कि तुम उन्हे नही देख पाते।

सूरह आराब 7:27

जिन्न भी इन्सान की तरह अल्लह की मख्लूक हैं जिसे अल्लाह ने अपनी इबादत के लिये पैदा किया इन्सानो की तरह जिन्नो मे भी काफ़िर और मुसलिम जिन्न होते हैं। बाज़ जिन्न अल्लाह के फ़रमाबरदार, तहज्जुद गुज़ार, आलिम बाअमल और शरियत इस्लाम के पाबन्द होते हैं।

बाज़ सरकश और काफ़िर होते हैं जिनका काम सिर्फ़ नस्ल इन्सानी को गुमराह करना होता हैं जैसे औरतो को छेड़ना, मिया-बीवी मे फ़ूट डालना, अवाम मे झुठी खबरे फ़ैलाकर फ़साद कराना वगैराह।

शैतान(इब्लीस) और जिन्न एक ही हैं, न के अलग-अलग और इनको अल्लाह के जानिब से एक वक्त तक की मोहलत दी गयी हैं के वो इन्सानो को गुमराह करे।

इरशादे बारी तालाह हैं –

(अल्लाह ताला इबलीस शैतान से फरमाता है) तुझे ज़रुर मोहलत दी गयी, (इबलीस)कहने लगा चूंकि तूने मेरी राह मारी हैं तो मैं भी तेरी सिधी राह पर बनी आदम (गुमराह करने के लिये) की ताक मे बैठूँगा तो फ़िर इन पर हमला करुँगा और इनके दाहिने से और इनके बांए से(गरज़ हर तरफ़ से) इन्हे बहकाऊँगा और तू इनमे से बहुतो को अपना शुक्रगुज़ार नही पायेगा।

सूरह आराफ़ 7:15-18

हर नेक इन्सान को अल्लाह की रहनुमाई और मदद हासिल हैं। ईमान हमेशा कुफ़्र पर गालिब हैं चाहे कुफ़्र करने वालो की तादाद कितनी भी हो। हक और ईमान हमेशा गालिब होकर रहता हैं। जिन्न और शैतान दरअसल एक ही हैं जैसा के अल्लाह ने कुरान मे फ़रमाया –

इबलीस के सिवा सब ने सजदा किया और वो जिन्नात मे से था। ()

सूरह कहफ़ 18:50

लिहाज़ा ये बात वाजे हैं के काफ़िर जिन्न जो दरअसल शैतान ही हैं इन्सान को गुमराह करने मे कोई कसर बाकी नही छोड़ते और जिहालत ने इन्सान को इतना ज़्यादा गुमराह कर दिया हैं के वो सही गलत का फ़ैसला भी नही कर पा रहा हैं क्योकि उसे तो ये तौफ़ीक ही नही के फ़रमान-ए-रिसालत पर भी गौर कर ले।

इन्सान की यही गुमराही और जिहालत शैतान का काम आसान कर देती हैं और ऐसी बेबुनियाद बाते जैसे भूत, प्रेत, बदरूह एक से दूसरे तक और दूसरे से तीसरे तक और तीसरे से चैथे तक और धीरे-धीरे लोगो तक एक चमत्कार की तरह तमाम मआशरे मे फ़ैल जाती हैं के फ़ला इन्सान ने भूत देखा या फ़ला इन्सान पर बदरूह का साया हैं जबकि ये तमाम मामलात अकसर करके दिमागी बुखार या शैतान जिन्नो की सरकशी की वजह से होते हैं। जहा तक बीमारी का सवाल हैं अल्लाह ने कुरान मे फ़रमाया –

(के अल्लाह के नबी इब्राहीम अलैही सलाम लोगों से फरमाते है) जब मैं बीमार पड़ता हूं तो वही (अल्लाह) मुझे शिफ़ा देता हैं।

सूरह शूरा 26:80

इन्सान जब बीमार होता हैं तो उस इन्सान के ज़िम्मेदार कभी-कभी बीमारी के दूर न होने के सबब या सेहतमंद होने मे ताखीर के सबब इसे भूत, प्रेत का चक्कर समझते हैं और अकीदा दुरुस्त न होने के सबब इधर-उधर कब्रो पर भटकते रहते हैं।

जिस तरह हम दुनिया मे देखते हैं वक्त के साथ-साथ हर चीज़ मे ऐब ज़ाहिर होने लगते हैं तो उसकी मरम्मत की जाती हैं और उसे फ़िर से इस्तेमाल के काबिल बना लिया जाता हैं लेकिन बावजूद इस मरम्मत के हर चीज़ अपनी तयशुदा वक्त के साथ बार-बार उसकी मरम्मत होती हैं लेकिन एक वक्त ऐसा आता हैं के वो चीज़ मरम्मत के भी काबिल नही बचती और खत्म हो जाती हैं। बहैसियत इन्सान, इन्सान के लिये हर किस्म की तकलीफ़ होना लाज़िमी हैं,..

कभी गम के सबब, कभी बीमारी के सबब, कभी अहलो अयाल की फ़िक्र के सबब, कभी कारोबार की फ़िक्र के सबब बीमार होना लाज़िमी हैं वक्त-बा-वक्त इन बीमारी का इलाज भी होता रहता हैं और इन्सान फ़िर से तन्दुरुस्त भी हो जाता हैं लेकिन बावजूद इन सब के बीमारिया कभी-कभी जानलेवा भी होती हैं या देर से बीमारी का इलाज करने से। हालाकि की अल्लाह ने ऐसी कोई बीमारी नही रखी जिसका इलाज न हो जैसा के अल्लाह के रसूल की हदीस हैं-

हज़रत अबू हुरैरा रज़ि0 से रिवायत हैं के नबी (सल्लललाहो अलेहे वसल्लम) ने फ़रमाया ‘अल्लाह ने कोई बीमारी ऐसी नही उतारी जिसकी दवा भी न हो।’

सहीह बुखारी

इन बीमारी के अलावा अकसर इन्सान किसी सरकश जिन्न के सबब कोई न कोई परेशानी मे मुब्तला हो जाते हैं। ये शैतान जिन्न इन्सान के दिमाग पर हावी होकर उसके सोचने समझने की ताकत को खत्म कर देता हैं जिसके सबब इन्सान को वो अपने तरिके से इस्तेमाल करता हैं जैसे किसी के मरने के बारे मे बताना या पीछे की बाते बतलाना जिसे इन्सान अकसह मोजज़ा समझ बैठते हैं।

या किसी मरे हुए इन्सान के बारे मे बताना जिसे पुर्नजन्म समझा जाता हैं वगैराह। और लोग इसे सच मान लेते हैं क्योकि मौजूदा मिडिया ने इन्सान को ये सब इस तरह बता रखा हैं जैसे ये बाते 100 फ़ीसद सच हो।

लोग ये समझते हैं के रूह दुनिया मे लौट आयी जबकि ये सब शैतान जिन्न की करतूत होती हैं। पुर्नजन्म के ताल्लुक से जितनी भी बाते सुनने मे आती हैं उसमे ये बाते सिर्फ़ बच्चो से ही ताल्लुक रखती हैं न के किसी बड़े से। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता हैं वो सारी बाते भूल जाता हैं। पुर्नजन्म के जो भी मामले अब तक सुनने मे आये हैं उसमे सिर्फ़ बच्चो का ही ज़िक्र हैं क्योकि बच्चो पर काबिज़ होना हर किसी के लिये आसान हैं।

जब ये शैतान जिन्न किसी बड़े पर काबिज़ होते हैं तो ये मसला किसी बदरूह या भूत, प्रेत का बन जाता हैं या फ़िर उस इन्सान पर सवार जिन्न अपनी ताकत के सबब लोगो को मोजज़े दिखा कर लोगो के दरम्यान ये बाते पैदा कर देता हैं के जिस इन्सान पर वो सवार हैं उस पर किसी नेक बुज़ुर्ग का साया हैं।

सबसे खास बात ये के जैसा के अल्लाह ने कुरान मे फ़रमाया के मोमिन बन्दो को अल्लाह की रहनुमाई हासिल रहती हैं लिहाज़ा ये शैतान जिन्न हमेशा ऐसे लोगो से दूर रहते हैं बल्कि डरते हैं। ये शैतान जिन्न सिर्फ़ उन लोगो पर काबिज़ होते हैं जो सिर्फ़ नाम के मुसलमान हैं और कुरान और सुन्नत से कोसो दूर हैं।

हालाकि ये बहुत तवील मौअज़ू हैं और इस बारे मे सिर्फ़ इतना कहना काफ़ी होगा के जैसा के कुरान से सबित हैं के इन्सान के मरने के बाद रूह दुनिया मे नही लौटती लिहाज़ा गर इन बातो को मान लिया जाये तो कुरान पर इल्ज़ाम लगता है क्योकि कुरान ने इस मसले को बहुत ही आसानी के साथ वाज़े कर दिया हैं।

शैतान जो इन्सान का दुश्मन हैं उसे गुमराह करने मे कोई कस्र बाकि नही छोड़ता और इन्सान दीन से दूर शैतान के फ़न्दे मे बहुत आसानी आ जाता है। लिहाज़ा हर इन्सान को चाहिये के अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ ले और ऐसे मामलात से बचा रहे जिससे उसकी आखिरत खराब हो।

काहिन, नजूमी(तांत्रिक, ओझा):

काहिन, नजूमी या झाड़-फ़ूंक करने वाले लोग अमूमन वो लोग होते हैं जो शैतान के पुजारी होते हैं। इन लोगो का न कोई दीन होता हैं न कोई अकीदा। ये लोग आवाम को अपनी शैतानी ताकत जो उन्हे अपने शैतान जिन्न के ज़रिये हासिल हैं से फ़साये रखते हैं। इनमे से बाज़ तो कोई शऊर ही नही रखते और न ही उन्हे किसी किस्म का इल्म होता हैं। और बाज़ लोगो को अपनी शैतानी ताकत के सबब गुमराह करके नुकसान पहुंचाते हैं।

नबी (सल्लललाहो अलेहे वसल्लम) ने ऐसे लोगो के ताल्लुक फ़रमाया –
हदीस : हज़रत आयशा रज़ि0 से रिवायत हैं के कुछ लोगो ने नबी (सल्लललाहो अलेहे वसल्लम) से काहिनो के बारे मे पूछा तो नबी (सल्लललाहो अलेहे वसल्लम) ने फ़रमाया – ‘इसकी कोई बुनियाद नही।’

लोगो ने कहा – ‘ऐ अल्लाह के नबी (सल्लललाहो अलेहे वसल्लम) बाज़ वक्त वो हमे ऐसी बाते बताते हैं जो सही होती हैं।

नबी (सल्लललाहो अलेहे वसल्लम) ने फ़रमाया –

‘ये कल्मा हक होता हैं। इसे काहिन किसी जिन्न से सुन लेता हैं या वो जिन्न अपने काहिन दोस्त के कान मे डाल जाता हैं और फ़िर ये काहिन इसमे सौ झूठ मिला कर ब्यान करता हैं।

बुखारी

इस हदीस से वाज़े हैं के ऐसे अमल की कोई हैसियत नही अल्बत्ता बाज़ शैतान किस्म के लोग जिनके राब्ते मे शैतान जिन्न होते हैं और उसके ज़रिये वो लोगो को उनके बारे मे बताते हैं जैसे किसी इन्सान को कोई परेशानी हो और वो इससे छुटकारा हासिल करने के लिये किसी काहिन के पास जाता हैं तो शैतान जिन्न पहले ही काहिन को उस इन्सान के बारे मे और उसकी परेशानी के बारे मे बता देता।

जब काहिन उस इन्सान को उसके आने का सबब और परेशानीयो के बारे मे बताता हैं तो इन्सान उस काहिन को पहुंचा हुआ समझता हैं और उससे मुतास्सिर होकर उसी का होकर रह जाता हैं हालाकि ज़ाहिरी तौर पर वो इन्सान अपना ईमान और अकीदा खो देता हैं मगर वो यही समझता हैं के ये काहिन रब का कोई नुमाइंदा हैं।

हज़रत सफ़िया रज़ि0 से रिवायत हैं के नबी (सल्लललाहो अलेहे वसल्लम) ने फ़रमाया ‘जो शख्स किसी काहिन के पास जाये और इससे कोई बात पूछे तो इसकी 40 दिन तक नमाज़ कबूल न होगी।’

मुस्लिम

लिहाज़ा हर इन्सान को चाहिये के अल्लाह पर भरोसा रखे और उसी से तवक्को रखे और ऐसे झूठे लोगो के फ़रेब से बचे। कोई काहिन कितनी भी सच्ची खबर क्यो न दे मगर वो रब नही हो सकता क्योकि तकदीर लिखने वाला अल्लाह है और तकदीर बदलने वाला भी अल्लाह ही हैं।

Reality of Ghost in Hindi, Bhoot Pret Badrooh Ki Hakikat, Jaadu, Jadu Ka Anjam, Jadu Ki Hakikat, Jinn, Jinn Aur Jaadu Ki Haqeeqat, Jinn Aur Shayatin Ka Fitna, Jinn Ki Hakikat, Jinnat

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भूत-प्रेत, काला जादू और शैतानी मुसीबतों से बचने का इलाज कुरणों सुन्नत की रोशनी मे। Download Rukaya book in Hindi PDF https://ummat-e-nabi.com/rukaya-book-in-hindi-pdf-download/ https://ummat-e-nabi.com/rukaya-book-in-hindi-pdf-download/#respond Wed, 16 Feb 2022 14:41:29 +0000 https://ummat-e-nabi.com/rukaya-book-in-hindi-pdf-download/ Rukya ki kitab hindi meजिन्न, जिन्नात, शयातीन और काला जादू शैतान की मुसीबतों और तकलीफ से बचने का इलाज कुरणों सुन्नत की रोशनी मे। Book: अल-रुक्याह अल-शरियाह | Size: 293 Kb Download People also […]

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जिन्न, जिन्नात, शयातीन और काला जादू शैतान की मुसीबतों और तकलीफ से बचने का इलाज कुरणों सुन्नत की रोशनी मे।

Book: अल-रुक्याह अल-शरियाह | Size: 293 Kb

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