दुरूद शरीफ

अहमियत, फ़ज़ीलत और बरकत का मुकम्मल तरीक़ा

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अल्लाह तआला का नबी सल्लललाहु अलैहि व सल्लम पर दुरूद भेजने का मतलब आप (ﷺ) पर रहमत नाज़िल करना है  और फरिश्तों व मुसलमानों का आप (ﷺ) पर दुरूद भेजने का मतलब आप (ﷺ) के लिए रहमत की दुआ करना है।

दुरूद शरीफ का  मतलब

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दुरुद शरीफ न पढ़ने वाले पर  फ़रिश्ते की लानत है।

दुरूद शरीफ़ की  अहमियत

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1

2

दुरूद न भेजने वाला कजूंस है।

जिसने मुझ पर एक बार दुरूद भेजा, अल्लाह उस पर दस दफा रहमतें नाज़िल करेगा। उसके दस गुनाह माफ़ करेगा और दस दर्जे बुलन्द करेगा।  (नसाई – 1300 – सही)

दुरूद शरीफ़ की  फ़ज़ीलत

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1

अल्लाह के रसूल सल्ल. ने फ़रमाया:

जो शख़्स मुझे जितना ज़्यादा दुरूद भेजेगा। वह कयामत के दिन मुझसे उतना ही क़रीब होगा।  (मिश्कात – 862-सही)

2

जिसने मुझ पर दुरूद भेजा या मेरे लिए अल्लाह से वसीला मांगा। उसके लिए मैं क़यामत के दिन ज़रूर सिफारिश करूंगा। (इस्माईल काजी सही)

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3

जिसने दस दफा सुबह और दस दफा शाम के वक्त मुझ पर दुरूद भेजा। क़यामत के दिन उसे मेरी सिफारिश हासिल होगी।  (तबरानी – हसन) 

4

दुरूद शरीफ़ की  फ़ज़ीलत

“अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मददिन कमा सल्लयता अला इब्राहीमा व अला आलि इब्राहीमा इन्न का हमीदुम मजीद।”

दुरूदे इब्राहिम

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“अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारकता अला इब्राहीमा व अला आलि इब्राहीमा इन्न का हमीदुम मजीद।”

तर्जुमा: 

”अल्लाहुम्मा सल्ला अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मद।”

दुरुद शरीफ २

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तर्जुमा: 

सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

दुरुद शरीफ 3

सबसे छोटा दुरुद:

“अत्तय्यिहातु लिल्लाहि वस्सलावातु वततय्यिबातु अस्सलामु अलैका अय्युहन्नबीयु व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु, अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्ला हिस्सा लिहीन। अश्हदु अल्ला इलाहा इल्ललाहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अबदुहु व रसूलुहू”

रसूलल्लाह (ﷺ) पर सलाम भेजने के अलफाज़

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तर्जुमा: 

अत्तहियात / तशहुद: